Saturday, May 24, 2025
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चेहरा सुना देता है सेहत की दास्तान

 

कहते हैं चेहरा आपकी सेहत की पूरी दास्तां कह देता है। थका, निस्तेज चेहरा कभी भी सेहतमंद शरीर की निशानी नहीं हो सकता। ऐसे में स्किन मैपिंग एक बेहतर तरकीब हो सकती है, जो आपके शरीर के अंदर चल रही गड़बड़ियों की कहानी कह सकता है। चेहरे के अलग-अलग हिस्सों में उभरने वाली इन विभिन्न परेशानियों के आधार पर तय किया जा सकता है कि आखिर इसके पीछे की असली वजह क्या है।

 माथा

माथे पर उभरने वाले पिंपल्स खराब पाचन और पानी की कमी के कारण टॉक्सिन के प्रभाव को दर्शाता है। यदि आपके अधिकांश पिंपल्स इस हिस्से में ही निकलते हैं तो पर्याप्त मात्रा में पानी पीना शुरू करें, उससे लाभ मिलेगा। और शरीर से टॉक्सिन्स भी बाहर निकलते रहेंगे। ग्रीन टी और हर्बल टी टॉक्सिन्स के इस प्रभाव को कम करने का काम करती हैं।

 टी-जोन

टी-जोन के अंतर्गत नाक और माथे का हिस्सा शामिल है। इन हिस्सों में उभरने वाले एक्ने लिवर की खराब कार्यप्रणाली को दर्शाता है। तेल वाले, फैटी फूड इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, इसलिए जितना हो सके उतना सेहतमंद खाने का प्रयास करें। इसका अन्य कारण अत्यधिक अल्कोहल हो सकता है, यदि एक रात पहले आपने ड्रिंक किया हो और उसकी अगली सुबह टी-जोन में एक्ने उभर आएं तो इसकी वजह अल्कोहल ही मानी जाएगी।

 आंखों के आस-पास

इस हिस्से की मुलायम त्वचा आपके किडनी की सेहत से जुड़ी है। आंखों के आस-पास के हिस्सों में डार्क सर्कल्स, उम्र से पहले नजर आने वाली झुर्रियां और रैशेज का अर्थ है कि आप कम मात्रा में पानी पी रहे हैं।

गालों का ऊपरी हिस्सा

गालों का ऊपरी हिस्सा फेफड़ों से संबंधित होता है। प्रदूषण और धूम्रपान से इस हिस्से में एक्ने या पिंपल्स की समस्या हो सकती है। हालांकि यह हिस्सा स्मार्टफोन के कारण होने वाले बैक्टीरिया के हमले से भी हो सकता है। ऐसे में अपने फोन को हर दिन कम से कम एक बार एंटी-बैक्टीरिया वाइप्स से जरूर पोछें। गंदे तकिए पर सोने के कारण भी इस तरह की परेशानी हो सकती है।

 गालों का निचला हिस्सा

मुंह में होने वाली परेशानी आपकी स्किन पर स्पष्ट नजर आती है। डेंटल हाइजीन न बनाए रखना इसकी एक वजह हो सकता है। शकर युक्त खाद्य और सोडा लेने से बचें। हेल्दी डेंटल रूटीन चेहरे पर होने वाली परेशानियां या ड्राय स्किन पर होने वाले पैचेस को होने से रोकती है।

कानों के आस-पास

यह हिस्सा भी आपकी किडनी से संबंधित है। इस हिस्से में पिंपल्स या एक्ने की समस्या पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने का संकेत हो सकता है और अत्यधिक मात्रा में नमक के सेवन का भी। साथ ही कंडीशनर या तेल सिर धोने के बाद भी पूरी तरह नहीं निकले तो इस हिस्से में एक्ने हो सकते हैं।

 ठुड्डी

इसका संबंध छोटी आंत से है। ऐसे में डाइट अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि हॉर्मोनल परिवर्तनों के कारण भी चेहरे के इस हिस्से में पिंपल्स हो सकते हैं। सोचने की मुद्रा में या चिंता में ठुड्डी को अपनी हथेली पर न टिकाएं, इससे आपके हाथ में मौजूद तेल आपकी ठुड्डी तक पहुंच सकता है।

 

दोहरी मानसिकता को दर्शाने वाला था सनी से लिया गया साक्षात्कार

पूर्व पोर्न स्टार और कनाडा मूल की भारतीय एक्ट्रेस सनी लियोनी का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बन गया है। गूगल पर सबसे अधिक खोजी गयी सनी लियोनी दोहरी मानसिकता की शिकार बनीं और हैरत की बात यह है कि यह सब पत्रकारिता के नाम पर हुआ। अश्लीलता के नाम पर जिस कठघरे में उनको बार – बार खड़ा किया जाता रहा है तो उसके दायरे में अन्य बहुत से अभिनेता और अभिनेत्रियाँ भी आती हैं मगर सनी के अतीत के लिए उनको जानबूझ कर शर्मिंदा करने की कोशश की जाती है। संसद से लेकर टीवी पर हर जगह उनकी चर्चा ही है। हाल ही में उनकी ताजा फिल्म के प्रमोशन के तहत सीएनएन-आईबीएन के भूपेंद्र चौबे को दिए इंटरव्यू में सनी से जिस तरह के सवाल पूछे गए हैं उनको लेकर बॉलीवुड के कई स्टार्स ने ट्वीटर पर चौबे की जमकर आलोचना की।

अभिनेता ऋृषि कपूर ने ट्वीट कर इसे बेहद रूड इंटरव्यू क़रार दिया।

वहीं आलिया भट्ट और दिया मिर्ज़ा ने भी भूपेंद्र चौबे के सवालों को आपत्तिजनक माना।

वैसे वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी चौबे के समर्थन में दिखे. अपने ट्वीट में चौबे की तारीफ़ करते हुए सांघवी ने साक्षात्कार की दिशा को बिल्कुल सही माना।

हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आपत्तिजनक सवालों के बावजूद सनी ने बेहद शालीनता से सभी सवालों के जवाब दिए।

कई बार लगा कि चौबे के सवाल सनी लियोनी के अतीत को बार-बार उजागर करने की कोशिश था। चौबे ने सनी से सवाल किया कि उन्हें अपने अतीत के किस बात पर सबसे ज़्यादा अफ़सोस है। जवाब में सनी ने कहा कि वो अपनी मां को अंतिम समय में मिल नहीं पाईं जिसका खेद उन्हें हमेशा रहेगा। इस जवाब से असंतुष्ट चौबे ने सवाल को दोहराया तो लगा मानों वो चाह रहे हों कि बतौर पोर्न स्टार काम कर चुकी सनी अपने इस अतीत के लिए माफ़ी मांगे।

लेकिन चौबे यहीं नहीं रुके। उन्होंने फिर सवाल दाग़ा कि क्या उनके भारत आ जाने के कारण भारत दुनिया का सबसे ज़्यादा पोर्न देखने वाला देश बन गया है। सनी लियोनी ने सवाल के जवाब में ना कहा। इसके बाद चौबे ने कहा कि उन्हें लग रहा है कि इस साक्षात्कार को करके वो नैतिक रूप से भ्रष्ट हो रहे हैं। जवाब में शालीनता से सनी ने कहा कि अगर चौबे चाहें तो वो अभी उठकर जा सकती हैं। गौर करने वाली बात यह है कि खुद चौबे को भी पता था कि सनी उनके चैनल की टीआरपी का मामला था इसलिए उनको नैतिकता की इतनी ही चिंता थी तो उनको उसी वक्त इस्तीफा देना चाहिए था जब उनको यह साक्षात्कार करने के लिए कहा गया था।

 

रिश्तों में ही सिमटी होती हैं जहाँ भर की खुशियाँ

माता-पिता अथवा घर के बुजुर्ग भी वही हैं और आप भी वही हो, बस दो पीढ़ियों के बीच उम्र के बढ़ते रहने पर थोड़ा-सा फेरबदल नजरिए तथा सोचने-समझने का होने लगता है। कई बार चाहते हुए भी घर के तमाम सदस्य व्यस्तताओं की वजह से आपस में खुलकर स्पष्ट शब्दों में बातचीत तक नहीं कर पाते। एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाएं संवेदनाएं व्यक्त नहीं कर पाते हैं बस यही स्थिति आपसी दूरियां बढ़ाकर रिश्तों में तनाव व अशांति का माहौल दर्शाने लगती है।

रिश्तों की घनिष्ठता प्रगाढ़ता पर भी इसका असर साफ झलकने लगता है, परिवार का दायरा सीमित होने लगता है। इसलिए अपनों से जुड़े रहिए क्योंकि इनके साथ ही आपकी खुशियां भी जुड़ी हुई हैं और इन्हीं से आपका जहां भी है…। दरअसल, हमारी सारी खुशियां ही अपनों से ही होती हैं, इसलिए अपनों से नाता जुड़े होने की वजह से हम खुद को भी खुश रख पाते हैं। इन छोटी-छोटी बातों को अमल में लाकर आप भी पा सकते हैं खुशियां-

माता-पिता कहीं आपसे अलग भी हों तो संभवत: प्रयास कर उनके पास ही रहें। उनके मनमाफिक खानपान व रहन-सहन में थोड़ा बहुत तो सामंजस्य किया ही जा सकता है कि ताकि उनके दिल को ठेस ना पहुंचे, बचपन की तरह आज भी उनका आप पर पूरा-पूरा हक होता है।

छोटे भाई-बहनों को भी आपके स्नेह की हमेशा जरूरत रहती है। इसलिए मौका-बेमौका उनके लिए, उनके करियर के लिए कुछ मदद अवश्य करते रहिए।

आज की तकनीकी दुनिया में दूर रहकर भी उनके कुछ कामों आप अपने दायरे में काफी हद तक पूरा कर सकते हैं, बस इसके लिए कोशिश जरूरी है।

याद करिए! बचपन में माता-पिता आपको कभी किसी बात पर कभी डांटते नहीं थे क्या? कभी कुछ कहा-सुनी भी हो जाती थी तो फिर अब थोड़ी-सी उम्र ज्यादा हो जाने पर आप क्या इतने बड़े हो जाते हैं कि माता-पिता के कहे शब्दों पर ध्यान देकर उनकी बातों का बुरा मान जाते हैं। प्रेम-स्नेह न रखकर दिल को ठेस पहुंचाने वाली बात करने लगते हैं। यदि ऐसा करते हैं तो कदापि ना करें।

आप कितनी भी बड़ी उम्र या पढ़-लिखकर कामयाब हो जाएं परंतु आपके बुजुर्ग तो वही रहते हैं आपके प्रति उनकी भावनाएं, विचार नहीं बदलते हैं आप तो हमेशा उनके लिए बच्चे ही बने रहते हैं। इसलिए अपने व्यवहार को सुधारने की कोशिश कीजिए।

यह मत भूलिए कि आपकी उन्नाति इन बुजुर्ग माता-पिता के आशीर्वाद और दुआओं का ही असर है। यह हमेशा आपके आसपास ताउम्र एक रक्षा कवच के रूप में रहती हैं। फिर इनसे भला दूरी कैसी और मनमुटाव कैसा?

माता-पिता बच्चों से कभी कुछ नहीं चाहते सिवाय प्रेम और स्नेह के। बचपन में भी वे आपकी भलाई ही चाहते ही, इसलिए आप कभी इतने बड़े मत बनिए कि बड़े होकर आप उन्हीं के कामों में कमी निकालने लग जाएं।

घर के अन्य बड़े सदस्यों को समय-समय पर याद करते रहिए। मिलने न जाएं तो फोन से ही सही, मगर उनका हालचाल जानते हुए उनसे जुड़े रहना ही अपनों से करीबी बढ़ाता है।

खुद के लिए एक निश्चित दायरा तय करना बिल्कुल गलत है क्योंकि आपकी निजता के साथ अपनों का साथ भी जुड़ा होता है, जिसकी वजह से आप हमेशा रिश्तों को समझ सकते हैं और परिवार में खुशियां भी बनी रह सकती हैं। कोशिश करके तो देखिए, आपको अपने हिस्से की खुशियां यूं ही मिल जाएंगी।

 

खूबसूरती की एक अलग मिसाल हैं लक्ष्मी

आमतौर पर खूबसूरती की जिस परिभाषा को हम देखते-सुनते या अपनाते आए हैं ये उससे हटकर है। शायद आपमें से बहुत से लोग इसे स्वीकार न कर पाएं लेकिन लक्ष्मी ने अपनी अंदरुनी खूबसूरती से सालों से चले आ रहे मापदंडों को तोड़ने की एक बेहतरीन कोशिश की है। उनकी इस कोशिश को एक फैशन ब्रांड ने अपने तरीके से सलाम किया है।

ये वाकई सोच से परे है कि एक लड़की जो एसिड अटैक का शिकार हो चुकी हो, जिसका चेहरा बुरी तरह झुलस चुका हो, जिसके शरीर पर वो दाग आज भी जिंदा हों, वो एक नामचीन फैशन ब्रांड का चेहरा बने।

लक्ष्मी उस वक्त 15 साल की थीं। एक शख्स ने उनको शादी के लिए कहा, लेकिन वह उसमें दिलचस्पी नहीं रखती थीं और उन्होंने इनकार कर दि‍या। लक्ष्मी के इनकार को वह बर्दाश्त नहीं कर सका और बदला लेने के लिए उसने लक्ष्मी पर एसिड फेंक दिया पर ये लक्ष्मी की आत्मशक्त‍ि ही थी जो उन्होंने हार नहीं मानीं। तकलीफ तो बहुत थी, शारीरिक और भावनात्मक दोनों स्तर पर, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी. आज वह देश में होने वाले एसिड अटैक के खिलाफ और इस हमले की शिकार हुई महिलाओं के लिए काम करती हैं.

लक्ष्मी इससे पहले भी कई कार्यक्रमों में नजर आ चुकी हैं लेकिन इस तरह किसी फैशन ब्रांड को शायद उन्होंने पहली बार पेश किया है। फेस ऑफ करेज नाम के वीवा एंड दीवा के लिए इस कैंपेन का मकसद खूबसूरती को एक अलग रूप में पेश करना था और इसके लिए लक्ष्मी से बेहतर शायद ही कोई चेहरा होता।
एसिड अटैक के बाद उन्हें सैकड़ों सर्जरी से गुजरना पड़ा. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में लक्ष्मी ने कहा कि ये एक बेहतरीन मौका था जहां मैं खुद को और अपनी जैसी ही महिलाओं को पेश कर सकी. शारीरिक सुंदरता न होने के बावजूद हम किसी से कम नहीं. इससे दूसरी औरतों को आत्मबल मिलेगा और हिम्मत भी.

ये उन अपराधियों के लिए भी एक संदेश था जो ये सोचते हैं कि उनके ऐसा करने से महिलाओं की हिम्मत टूट जाएगी. लक्ष्मी ने इस फैशन ब्रांड के लिए अलग-अलग आउटफिट में पोज शूट कराया.

वहीं लक्ष्मी की जिंदगी भी खूबसूरत हो चुकी है. वह आठ महीने की एक प्यारी बच्ची की मां हैं और उनके पति आलोक दीक्षित भी उन्हीं की तरह एक समाजसेवी हैं

 

नृत्य की दुनिया में रंग भरती रहीं मृणालिनी साराभाई

मशहूर नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का गुरुवार को 97 वर्ष की आयु में अहमदाबाद में निधन हो गया। उन्होंने गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की देखरेख में 1938 में शांति निकेतन से पढ़ाई-लिखाई की।aशांति निकेतन से शिक्षा हासिल करने के बाद वह कुछ समय के लिए अमरीका चली गईं. भारत लौट कर आने पर भरतनाट्यम और कथकली नृत्य का प्रशिक्षण लिया। मृणालिनी साराभाई का विवाह भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉक्टर विक्रम साराभाई के साथ 1942 में हुआ। साल 1947 में उनकी पहली संतान कार्तिकेय का जन्म हुआ। उन्होंने कथकली की अपनी पहली प्रस्तुति दिल्ली में दी. उनके नृत्य की सराहना पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी किया करते थे। मां की तरह उनकी बेटी मल्लिका साराभाई ने भी नृत्य को अपनाया। मृणालिनी साराभाई ने 1949 में दर्पण संस्थान की स्थापना की और बच्चों को शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरू किया।

 

बाचाखान यूनिर्वसिटी, जहाँ आतंकियों से अंत तक लड़े प्रोफेसर हामिद

पेशावर की नॉर्थ-वेस्ट पाकिस्तान के चरसद्दा में बाचा खान यूनिवर्सिटी पर बुधवार को आतंकी हमले में केमेस्ट्री के प्रोफेसर सैयद हामिद हुसैन की मौत हो गई। मरने से पहले इस प्रोफेसर ने अपनी पर्सनल पिस्टल के साथ आतंकियों का सामना किया। पाकिस्तान के सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें शहीद और हीरो बताया।

छात्रों ने बताया- प्रोफेसर को एक गोली लगी, फिर भी वे फायर करते रहे…

– यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी के स्‍टूडेंट जहूर अहमद ने डॉन न्‍यूज को बताया, “फायरिंग की आवाज सुनने के बाद मैंने हॉस्‍टल से निकलने की कोशिश की, लेकिन केमेस्‍ट्री टीचर हामिद ने मुझे बाहर जाने से रोक दिया।”प्रोफेसर हामिद ने अपने हाथ में पिस्‍टल पकड़ रखी थी। हमें रोकने के पहले वो फायर कर चुके थे। तभी हमने देखा कि एक गोली आकर उन्‍हें लगी।”

– “हमने देखा कि दो आतंकी गोलियां बरसा रहे हैं। मैं अंदर की ओर भागा।”

– “इसके बाद किसी तरह पिछली दीवार जंप कर भाग निकला। तब तक वे आतंकियों के सामने डटे रहे।”

– एक और छात्र ने बताया, ” हम क्लास में थे, तभी फायरिंग की आवाज सुनी। हमने देखा कि तीन टेररिस्ट शूट कर रहे हैं।”

– “वे हमारे डिपार्टमेंट की तरफ आ रहे थे। तभी एक स्टूडेंट विंडो से जंप कर क्लासरूम से बाहर चला गया।”

“तब तक टेररिस्ट रजिस्ट्रार ऑफिस में घुस चुके थे। हम सभी वहां से भाग गए।”

इस स्टूडेंट ने भी बताया कि केमेस्ट्री प्रोफेसर पिस्टल ताने हुए थे। आतंकियों पर फायरिंग कर रहे थे।

एआरवाई न्‍यूज के मुताबिक, प्रोफेसर हामिद के 7 रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके थे। वो ऑर्गेनिक केमेस्‍ट्री के एक्‍सपर्ट थे।

 

बढ़ती उम्र में खूबसूरती को न लगे नजर

आप वक्त को नहीं थाम सकतीं लेकिन अपने बाल, त्वचा और हाथों को दोबारा सेहत और चमक दे सकती हैं। इसके लिए आपको किसी प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत नहीं है, न ही कोई महंगे सैलॉन ट्रीटमेंट्स की जरूरत है या कोई ऐसे मेडिसिन कैबिनेट की भी जरूरत नहीं है जिसमें तरह-तरह के लोशन और क्रीम भरे हुए हों। करना केवल इतना है कि अपनी लाइफस्टाइल पर थोड़ा ज्यादा ध्यान दें और अपने रूटीन में सरल ऐंटी-एजिंग ट्वीक्स ऐड करते चलें।

हेल्दी बालों में बाउंस और शाईन होता है लेकिन फ्लैट आयरन, कलरिंग आयरन और हेयर ड्रायर के इस्तेमाल से बाल डल और फ्लैट हो जाते हैं। हफ्ते में कम से कम दो दिन हीटफ्री हॉलिडे मनाएं। अपने बालों को कुछ समय के लिए हीट स्टाइलिंग टूल्स से दूर रखें। शैम्पू के बाद इन्हें एयर ड्राय करें।

डर्मेटोलॉजिस्ट हर रोज एसपीएफ लगाने की सलाह देते हैं जिससे कि स्किन कैंसर से बचा जा सके। एसपीएफ एक ऐंटि-एजिंग टूल भी है। स्टैंडर्ड एसपीएफ 30 को ही मानें। इसे हर दिन लगाया करें। चाहे धूप हो या बारिश।

हाथ के पीछे की त्वचा काफी पतली होती है। इस वजह से हाथ की त्वचा में झुर्रियाँ जल्दी आने  लगती है। खासकर ठंड में जब सूखी हवा त्वचा की पूरी नमी ही खींच लेती है तब इस पर लोशन लगाना बेहद जरूरी होजाता है। हैंड क्रीम वो खरीदें जिसमें सनस्क्रीन हो। इससे सन डैमेज नहीं होगा और साथ ही झुर्रियों से भी बचेंगी। रात को सोने से पहले और सुबह उठते ही एसपीएफ 30 वाली हैंडक्रीम हाथ के पीछे की स्किन पर जरूर लगाएं।

आपका चेहरा आपकी एज नहीं बता पाता है। एजिंग हाथ देखने से पता पड़ती है। इसलिए जरूरी है नेल पॉलिश ट्रिक अपनाएं। ज्वेलरी के साथ नेल पेंट लगाएं जिससे आपके हाथ के इम्परफेक्शन ढंके जा सकें। ऐंटी-एजिंग मैनक्योर लें और ज्वेल टोंड कलर्स यूज करें। रिच पर्पल और रेड्स अच्छे रहेंगे। ये ज्यादा इंटेंस नहीं होते लेकिन जरूरत के मुताबिक कलर भी एड करते हैं।

एक्सरसाइज से ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ता है जिससे स्किन खूबसूरत लगने लगती है। एक शोध के अनुसार एक्सरसाइज रिवर्स एजिंग कर सकती हैं। इसके अलावा जब आप शेप में होते हैं तब ज्यादा हेल्दी महसूस करते हैं। एक्सरसाइज भी ऐंटी-एजिंग टूल माना जा सकती है।

ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी जमा होने लगता है जो सेहत के लिए बुरा है। इससे आंख के नीचे काले गड्ढे भी पड़ने लग सकते हैं। जहां तक हो सके अलग से नमक न लें। ब्रेड में, सीरियल में, सॉस में, मसालों में और कुछ बेक्ड चीजों में पहले ही काफी मात्रा में नमक पाया जाता है।

अगर आप पहले ही रोज माउथवॉश करती हैं तो इसे जारी रखें। ये दांतों और मसूढ़ों की अच्छे से सफाई कर देता है। नतीजा आपके गम्स गुलाबी या पीले नहीं पड़ते हैं। इसके लिए आप ऐल्कोहॉल फ्री माउथवॉश यूज करें।

प्रोटीन खाने से बाल अच्छे रहेंगे। इनकी मजबूती के लिए जरूरी है अपनी डाइट में प्रोटीन शामिल करें। खाने में एक डाइट प्रोटीन की होना चाहिए। खासकर महिलाओं के लिए तो यह बेहद जरूरी है।

अगर आपने हीट स्टाइलिंग कम कर दी है और प्रोटीन खाना भी शुरू कर दिया है लेकिन फिर भी बाल में वो लचक नहीं है जो होनी चाहिए तो इसके लिए अपने पोस्ट-शॉवर हैबिट्स को ब्लेम करें। गीले बाल बेहद वीक होते हैं इसलिए तब इन्हें ब्रश नहीं करें। ऐसा करने पर ब्रेकेज होगा और स्प्लिट एंड्स भी पैदा होंगे।

हरी सब्जियां प्रकृति के दिए हुए टूथब्रश हैं। फाइबर रिच सब्जियां जैसे पालक, ब्रॉक्ली वगैरह खाने से दांत अपने आप साफहो जाते हैं। खाने में आधी प्लेट हरी सब्जियों से भरी हुई होना चाहिए। जो लोग ज्यादा ग्रीन्स खाते हैं उनकी त्वचा स्वस्थ और चमकदार हो जाती है।

बिग बॉस के विजेता बने प्रिंस नरूला

बिग बॉस के विजेता इस बार प्रिंस नरूला बन गए। 23 जनवरी को हुए फिनाले में उन्होंने अन्य चार प्रतिभागियों  रोशेल राव, मंदाना करीमी, प्रिंस नरूला और ऋषभ सिन्हा को मात देकर यह खिताब अपने नाम किया जबकि दूसरे स्थान पर ऋषभ सिन्हा रहे। वहीं तीसरे नंबर पर मंदाना करीमी और चौथे नंबर पर रोशेल राव रहीं। इस शो के फिनाले में कैटरीना कैफ खास मेहमान के रूप में मौजूद थीं इसलिए इस शो का समापन काफ़ी खास रहा। सलमान खान ने कैटरीना के साथ विजेता की घोषणा की।  कैट अपनी आगामी फिल्म ‘फितूर’ के प्रमोशन के लिए इस शो के फिनाले में आई थीं। यहां वे अपने सह कलाकार आदित्य रॉय कपूर के साथ थिरकती भी दिखीं।

इस शो के समापन को काफ़ी ख़ास बनाने की कोशि‍श की गई. फिनाले में टेलीविज़न से लेकर फिल्मी दुनिया के लोग मंच पर नज़र आए. जहां टेलीविज़न से ‘कॉमेडी नाइट्स बचाओ’ की भारती सिंह और कृष्णा अभिषेक मंच पर मौजूद थे। नौ अक्टूबर से शुरू इस रिएलिटी शो की टीआरपी को लेकर कई बातें कही गईं। यहां तक कि

‘बिग बॉस 9’ को अभी तक के सीज़न में से सबसे ‘उदासीन’ सीज़न करार दिया गया। इसकी टीआरपी को बढ़ाने के लिए चैनल ने शो में कुछ वाइल्ड कार्ड इंट्रीज़ भी करवाई। खै़र, जैसे-तैसे डगमागाती बिग बॉस की नैया को ईरानी मॉडल और अदाकारा मंदाना करीमी ने थोड़ा संभाला और फिर वाइल्ड कार्ड इंट्री के कुछ प्रतिभागियों ने शो से लोगों को बांधे रखा। इस बार काफ़ी कुछ ऐसा हुआ, जो पहले सीज़न में नहीं हुआ. सबसे पहले तो शो की विजेता राशि कम हुई। बिग बॉस के विजेता को ट्रॉफी के साथ 50 लाख रुपए की जगह 35 लाख ही मिले।

 

सोनम को नीरजा के स्कूल से आया बुलावा

रील लाइफ की नीरजा यानी सोनम कपूर को बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल ने गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण के लिए बुलाया है। ये पहला मौका है जब इस स्कूल ने किसी बाहरी विद्यार्थी को अपने यहां ध्वजारोहण के लिए बतौर अतिथि बुलाया है, क्योंकि नीरजा भनोट इसी स्कूल की छात्रा थीं। चंडीगढ़ की रहने वाली नीरजा ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा यहीं से ली थी।
359 यात्रियों को अपनी जान देकर बचाने वाली नीरजा भनोट स्कूल के नेशनल हीरो वाली गैलरी में बड़े शान से दर्ज है।. स्कूल का हर बच्चा उनकी बहादुरी पर नाज करता है. अब जबकि नीरजा पर फिल्म बनी हैं तो नीरजा के सम्मान के लिए स्कूल ने बड़ा फैसला किया है।
फिल्म ‘नीरजा’ की अदाकारा सोनम कपूर ने स्कूल में झंडा फहराए जाने की खबर से बेहद खुश हैं और वो बच्चों के साथ रूबरू होंगी और उनसे बातचीत करेंगी।
आपको बता दें कि 1847 में बने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल देश के नामी स्कूलों में शुमार है। बॉलीवुड की सभी हस्तियों के बच्चों के लिए यह स्वर्ग है। साथ कई बड़े राजनेताओं ने अपनी बारहवीं तक पढ़ाई इसी स्कूल में की है. चाहे वो आमिर खान हों, रिति‍क रोशन, लकी अली, जॉन अब्राहम या फिर उद्धव ठाकरे।
सूत्रों की मानें तो सोनम कपूर ने नीरजा भनोट की पूरी जिंदगी को फिल्म के माध्यम से जिया है. फिल्म बनने से पहले ही सोनम ने पूरी रिसर्च की और उनके दोस्तों रिश्तेदारों से नीरजा को लेकर चर्चा भी की. इसके साथ ही 1986 के पैमएम में बैठे कई यात्रियों से बातचीत की और फ्लाइट की रिकॉर्डिंग भी सुनी. जिससे 5 सितंबर को हुए वाकये को वैसा ही दिखाया जाए जैसा घटा था. यह फिल्म 19 फरवरी को रिलीज हो रही है।

सदियों पहले देवी कुमारी ऐसे आयीं कन्या कुमारी  

कहते हैं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। कश्मीर भारत माता का मस्तिष्क है तो कन्याकुमारी चरण। कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य का एक प्राचीन शहर है। इस शहर का नाम कन्याकुमारी ही क्यों हैं? इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है।

किवदंती है बहुत समय पहले बानासुरन नाम का दैत्य हुआ था। उसने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु कुंवारी कन्या के अलावा किसी से न हो। शिव ने उसे मनोवांछित वरदान दे दिया।

उसी कालक्रम में भारत में ही एक राजा हुए जिनका नाम था भरत। राजा भरत की आठ पुत्रियां और एक पुत्र था। राजा भरत ने अपना साम्राज्य 9 बराबर हिस्सों में बांट दिया। दक्षिण का हिस्सा जहां वर्तमान में कन्या कुमारी है राजा भरत की पुत्री कुमारी को मिला। मान्यता है कि कुमारी को शक्ति देवी का अवतार माना जाता है।

देवी कुमारी पांड्य राजाओं की अधिष्ठात्री देवी थीं। देवी कुमारी ने उस दौर में दक्षिण में कुशलतापूर्वक राज्य किया। कुमारी की हार्दिक इच्छा थी कि उसका विवाह भगवान शिव से हो, जब ये बात शिव को पता चली तो वह भी विवाह के लिए राजी हो गए।

लेकिन देवर्षि नारद चाहते थे कि बानासुरन का अंत कुमारी के हाथों ही हो, इस विघ्न के चलते शिव और कुमारी का विवाह नहीं हो सका। इस दौरान जी बानासुरन को कुमारी की सुंदरता के बारे में पता चला तो वो सुनकर ही मोहित हो गया, उसने कुमारी को विवाह का प्रस्ताव पहुंचाया।

कुमारी ने कहा कि यदि वह उसे युद्ध में हरा दे तो वह बानासुरन से विवाह कर लेगीं। दोनों में युद्ध हुआ और बानासुरन मारा गया। इस तरह देवी कुमारी ने उस दैत्य को मारकर वहां रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय कर दिया।

इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान को कन्या कुमारी कहा गया। मान्यता है कि जब शिव और कुमारी का विवाह अधूरा रह गया तो वहां जो भी विवाह के लिए तैयारियां की गईं थी वो सब रेत में बदल गईं। और इस तरह आधुनिक कन्याकुमारी शहर की नींव रखी गई।

यहां और भी हैं मंदिर

कुमारी मंदिर: तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकड़ बन गए।

शंकराचार्य मंदिर: कन्याकुमारी में तीन समुद्रों-बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का मिलन होता है। इसलिए इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। तट पर कांचीपुरम की श्री कांची कामकोटि पीठम का एक द्वार और शंकराचार्य का एक छोटा-सा मंदिर है। यहीं पर 12 स्तंभों वाला एक मंडप भी है जहां बैठ कर यात्री धार्मिक कर्मकांड करते हैं।

तिरुवल्लुवर प्रतिमा: सागर तट से कुछ दूरी पर मध्य में दो चट्टानें नज़र आती हैं। यह प्रतिमा प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की है। वह आधुनिक मूर्तिशिल्प 5000 शिल्पकारों की मेहनत से बन कर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 133 फुट है, जो कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ तिरुवकुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है।

नागराज मंदिर : यह शहर नागराज मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का वैशिष्ट्य देखते ही बनता है। देखने में यह मंदिर चीन की वास्तुशैली के बौद्ध विहार जैसा प्रतीत होता है। मंदिर में नागराज की मूर्ति आधारतल में अवस्थित है। यहां नाग देवता के साथ भगवान विष्णु एवं भगवान शिव भी उपस्थित हैं।

कन्याकुमारी का इतिहास: कन्याकुमारी दक्षिण भारत के महान शासकों चोल, चेर, पांड्य के अधीन रहा है। यहां के स्मारकों पर इन शासकों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।

यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है।यहां आकर प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। इस पवित्र स्थान को ‘एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट’ की नाम से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है