Monday, March 17, 2025
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बाइक चलाकर दूसरों को जीने की उम्मीद दे रही हैं सना

 

क्या आप बुलेट चलाकर किसी राह चलते इंसान को तनाव से बाहर निकलने की सलाह दे सकते हैं? पढ़ कर थोड़ा अजीब लग रहा है न कि ये क्या बात हुई. लेकिन इस बात को अपनी जिंदगी का उदे्दश्य बनाकर असल जिंदगी की बुलेट रानी सना इकबाल लोगों को बचाने निकल पड़ी हैं।

जब एक अंजान राही सीखा गया जीना 
खुद तनाव झेल चुकीं सना को एक अजीब घटना ने मौत से बचा लिया था। सना घर से अपनी बुलेट पर मौत का दामन थामने निकली थीं, लेकिन रास्ते में एक अंजान बाइक चालक ने उनकी ड्राइविंग की तारीफ की। वह शख्‍स उनके बाइक चलाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुआ था. उस शख्‍स की बातें सुनकर सना का खोया आत्मविश्वास वापस आ गया और उनमें जीने की इच्छा फिर से जाग उठी।

उन्हीं की तरह हजारों लोग तनाव से जूझ रहे हैं और इससे बाहर निकलने के बहुत सारे रास्ते हैं पर लोगों को उनके बारे में पता नहीं होता. उनके मुताबिक, ‘लोग आपको खुश रहने की सलाह दे सकते हैं लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो आपको उस खुशी को ढ़ढने का रास्ता भी बता सकें। वैसे भी आपकी खुशी आपके अपने हाथ में होती है.’ सना को बाइक चलाने से सुकून मिलता है और यह एक चीज उनके तनाव को कम कर देती है।

राहों पर मिलेगी खुशी 
सना को जिंदगी की असली खुशी अंजान राहों पर मिलती है और अब अपने इसी अनुभव से वह लोगों की मदद करने निकल पड़ी हैं। पिछले दिनों उन्‍होंने आत्महत्या रोकने और तनाव से कैसे लड़ें, इस विषय को ध्यान में रखकर एक अभियान चलाया। चार महीने में लगभग 44 शहरों का सफर उन्‍होंने अपनी बुलेट एलेक्ट्रा 350 सीसी पर तय किया।
जब उनसे पूछा गया कि वह नौजवानों को इस विषय पर जागरूक क्यों करना चाहती हैं तो उनका जवाब था कि अगर छात्रों को समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वे अपना भविष्य उज्जवल बना सकते हैं.।

सफर में आईं ढेरों दिक्कतें 
कोई भी सफर आसान नहीं होता और ऐसा ही कुछ सना के साथ भी हुआ. वह कहती हैं बीच रास्ते में बाइक का खराब हो जाना बहुत परेशान करता था लेकिन कई बार अंजान लोगों से मदद मिल जाने पर फिर से इंसानियत पर भरोसा पैदा हो जाता था. छेड़छाड़ जैसी घटनाओं का सामना भी उन्‍होंने बड़ी हिम्मत और बहादुरी के साथ किया।

सना अपने काम से खुश हैं और उनका कहना है, ‘अगर मैं एक भी जिंदगी बचा पाती हूं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.’

 

शादी से पहले बनाएं आपसी फाइनेंशियल समझ

 

शादी के बाद कपल्स में अक्सर पैसों को लेकर मनमुटाव होता है। शादी करने वाले दो लोगों का नजरिया पैसों को लेकर अलग-अलग हो सकता है।

यह बहुत हद तक निर्भर करता है कि उनकी परवरिश कैसे हुई है या फिर वे किन परिस्थितियों में पले-बढ़े हैं। यह अंतर ही आगे चलकर ज्यादातर रिश्तों में तनाव, झगड़े और चिंता की वजह पैसे के मसले ही होते हैं।

ऐसे में बेहतर यही रहता है कि शादी से पहले ही फाइनेंशियल मुद्दों पर खुलकर बातचीत की जाए। यह लव मैरिज और अरेंज्ड मैरिज, दोनों ही मामलों में जरूरी है। अगर आप अपने लाइफ पार्टनर को लंबे समय से नहीं जानती हैं तो हो सकता है कि पैसों से जुड़े सवाल पूछने में आप थोड़ा असहज रहें।

लेकिन बात आपके भविष्य की है और यह भी सही है कि पैसों को लेकर होने वाली थोड़ी अनबन भी अाप दोनों के बीच बड़ा मसला बन सकती है इसलिए पैसों से जुड़े ये 5 सवाल शादी के लिए हां करने से पहले जरूर पूछ लें. सिचुएशन को थोड़ा सहज करने के लिए आप एक-एक करके भी इन मुद्दों पर बात कर सकते हैं।

1) आपके पैरंट्स ने पैसों के मामले में बचपन से कितनी छूट दी है 
अपने पार्टनर से जानने की कोशिश करें कि उनके घर में पैसे को लेकर क्या नजरिया है और वे बचत को कितनी अहमियत देते हैं.। उनसे पूछें कि पढ़ाई, लंबे वैकेशंस और बड़े खर्चे कैसे मैनेज किए जाते थे। पैसे को लेकर क्या उनके पैरंट्स ने कोई बड़ी गलती की है?  क्या वे वित्तीय रूप से घर के बुजुर्गों का ध्यान दे रहे हैं।
इन सभी सवालों के जवाब आप दोनों को एक-दूसरे के फाइनेंशियल बैकग्राउंड को समझने में मदद करेंगे।

2) लोन और हॉबी को करियर बनाने के बारे में करें सवाल 
पैसों से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियां हम सभी पर जरूर होती है। मसलन अगर पैरेंट्स ने आपकी पढ़ाई के लिए लोन लिया है तो वह आपको चुकाना ही है। हो सकता है कि न्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे से यह रकम दी हो. इसके अलावा भविष्य में अगर आप नौकरी छोड़कर अपने किसी पैशन को प्रोफेशन बनाने का सपना देख रहे हैं तो इस बारे में भी चर्चा करना जरूरी है.

3) खर्च करते समय क्या कार्ड की लिमिट चेक करते हैं
कपल्स के बीच खर्च करने से जुड़ी आदतें बाद में कलह की बड़ी वजह बन जाती हैं इसलिए कई सवाल जैसे- आप क्रेडिट कार्ड पर कितना खर्च करते हैं, क्या आप अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च करते हैं. क्या आपने दोस्त या बैंक से उधार या लोन पर ले रखा है. आप सिर्फ बचत ही करते हैं या फिर कहीं निवेश भी किया हुआ है.।
उनसे यह सब जानने के बाद अपनी आदतों से इसकी तुलना करें और फिर देखें कि आप दोनों एक ट्रैक पर चल सकेंगे या नहीं।

4) पैसों से जुड़ी भवि‍ष्य की प्लानिंग पर भी करें बात 
घर खरीदना, बच्चों की प्लानिंग, रिटायरमेंट और इमरजेंसी फंड – इन चारों मसलों पर खुलकर अपने लाइफ पार्टनर से बात करें। इसके साथ ही शादी के बाद भी अगर पढ़ाई करने का कोई विचार हो तो पहले ही अपनी इच्छा जाहिर कर दें। यह भी जानने की कोशिश करें कि उसकी प्राथमिकता क्या है, बड़ी कार या बच्चों के पढ़ाई के लिए पैसे बचाना। निवेश की प्लानिंग के बारे में भी जरूर पूछिए.
हो सकता है कि एकदम आपको कुछ समझ न आए लेकिन उसके व्यवहार व सोच को समझने में आप जरूर कामयाब रहेंगे.

5) शादी और हनीमून के खर्च का भी लें जायजा 
अपने पार्टनर को खुल कर बताएं कि आप शादी में होने वाले खर्चों पर क्या सोचती हैं। अगर आप अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इसमें खर्च करने की सोच रही हैं तो उसको यह बात जरूर बताएं। शादी से जुड़ी ज्यादातर दिक्कतें ईमानदारी से जवाब और खुली बातचीत से ही सुलझ जाती हैं. लिहाजा पैसों से संबंधित अपनी ख्वाहिश और दायरों के बारे में होने वाले पार्टनर को बेहि‍चक बताएं।

 

इन्होंने कसाब से सलेम तक को दिलाई सजा, अब हेडली से निकलवा रहे हैं राज

मुंबई: 26/11 हमलों के केस में पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही अमेरिका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जारी है। उसके गुनाहों को कबूल करवाने और उसके राज को उगलवाने की जिम्मेदारी स्पेशल प्रॉसिक्यूटर उज्ज्वल निकम को सौंपी गई है। कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया वाले निकम अबू सलेम से लेकर संजय दत्त तक को सजा दिला चुके हैं।पाकिस्तान में नहीं मिली इजाजत…

– कसाब की फांसी के बाद जब निकम पाकिस्तान गए तो उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया गया।
– दरअसल, हुआ यूं था कि कसाब को फांसी देने के बाद निकम केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान गए थे।
– पाकिस्तान में निकम ने तक्षशिला विद्यापीठ देखने की इच्छा जाहिर की तो पाक अधिकारियों ने कहा कि, “निकम साहब, दल के अन्य लोग जा सकते है लेकिन आप नहीं। आप यहां बहुत पॉपुलर हैं।”
– इसके बाद निकम ने तक्षशिला जाने का प्लान ड्राप कर दिया था।

कई बड़े केस लड़ें
– निकम 1993 में हुए मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट का केस लड़ चुके हैं।
– इसके अलावा वे गुलशन कुमार मर्डर केस, प्रमोद महाजन मर्डर केस, गेटवे ऑफ इंडिया ब्लास्ट, 26/11 हमले जैसे महत्वपूर्ण केस लड़ चुके हैं।
– यूनाइटेड नेशन कांफ्रेंस में निकम आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की ओर से शामिल हो चुके हैं।

– कसाब के मामले में सुनवाई के दौरान निकम को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा सरकार की ओर से मिली थी।

महाराष्ट्र में हुआ था जन्म
– महाराष्ट्र के जलगांव शहर के एक मराठा परिवार में उज्जवल निकम का जन्म हुआ था।
– यहीं से उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की। वे कई वर्षों तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट के वकील रहे।

– निकम के पिता बैरिस्टर देव रावजी निकम महाराष्ट्र के फेमस जज थे।
– निकम को पुणे के डी.वाई पाटिल यूनिवर्सिटी से डाक्टरेट की उपाधि मिली है।

 

मार्क जकरबर्ग बने डैडी द बेस्ट

हमारे देश में आमतौर पर बच्चे को दूध पिलाने का काम मां का ही माना जाता है। पिता बच्चे को घुमाने ले जा सकते हैं, उसके साथ खेल सकते हैं लेकिन दूध पिलाना…ये तो मां का ही काम है।

कुछ घरों में तो ये काम भी मां के ही हिस्से होते हैं। बच्चों की देखभाल नहीं कर पाने के पीछे ज्यादातर मर्द दलील ये देते हैं कि उनके पास समय नहीं है। उन्हें ऑफिस का काम करना है. फाइल निपटानी है. कर्मचारियों के काम पर नजर रखनी है। इतना कहकर वो बच्चे के प्रति अपनी हर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं. तो क्या इसका मतलब फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग काम नहीं करते?

जकरबर्ग ने बीते दिन अपनी बेटी मैक्स के साथ एक तस्वीर शेयर की है जिसमें वो अपनी बेटी को गोद में लेकर बॉटल से दूध पिला रहे हैं। ये तस्वीर आपको इमोशनल कर सकती है। साथ ही उन पुरुषों को एक संदेश भी देती है कि बच्चे की परवरिश सिर्फ मां की नहीं, पिता की भी जिम्मेदारी है. काम अपनी जगह है लेकिन उसके लिए बच्चे की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

जकरबर्ग ने इस तस्वीर को कैप्शन दिया है- ‘Most important meeting of the day. ‪#‎LeanInTogether’

कैप्शन का हैशटैग शेरिल सैंडबर्ग के लीन इन टूगेदर मूवमेंट के संदर्भ में हैं। लीन इन टूगेदर का उद्देश्य पुरुषों को ये दिखाना है कि वो अपनी पत्नी, बेटी और सहकर्मियों को आगे बढ़ने में किस तरह मदद कर सकते हैं।जकरबर्ग की बेटी मैक्स चार महीने की हो चुकी है. जिसके जन्म के बाद जकरबर्ग ने । दो महीने की पैटरनि‍टी लीव ली थी.बेटी के जन्म के बाद से जकरबर्ग ने अपनी और मैक्स की कई तस्वीरें शेयर की हैं। किसी तस्वीर में वो बच्ची की नैपी बदल रहे हैं तो किसी में बच्ची को तैरना सिखा रहे हैं।

फेसबुक और जकरबर्ग की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है लेकिन बीते चार महीनों में जकरबर्ग का जो चेहरा दुनिया के सामने आया है वो दुनियाभर के पुरुषों के लिए एक मिसाल है.।

 

चेहरा धोते समय रखें इन बातों का ख्याल

 

त्वचा से जुड़ी छोटी से छोटी बात के लिए विशेषज्ञ नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नियम से चलें तो आप बिना पार्लर जाए भी निखरी और बेदाग त्वचा पा सकती हैं।

त्वचा की देखभाल में आपका खानपान भी शामिल है। अच्छे खानपान का असर चेहरे पर भी पड़ता है.। रोज की आहार में जूस, ज्यादा से ज्यादा पानी और फाइबरयुक्त चीजें लेने से त्वचा को भी पोषण मिलता है। खानपान और देखभाल के साथ ही एक और कारक है जो त्वचा को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

आप ए‍क दिन में कितनी बार अपना चेहरा धो रही हैं, इससे भी आपकी त्वचा प्रभावित होती है। अगर आपकी त्वचा ऑयली है और आप दिन में दो बार चेहरा धोती हैं तो आपकी त्वचा निखरी और बेदाग बनी रहेगी। वहीं अगर आपकी त्वचा शुष्क ड्राई है तो आपके लिए एक बार भी चेहरा धोना पर्याप्त है।

आमतौर पर ऐसी धारणा है कि दिन में ज्यादा से ज्यादा बार चेहरा धोना फायदेमंद होता है लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जिनकी त्वचा ड्राई है। अगर आपकी स्क‍िन ऑयली है तो भी तीन बार से अधिक चेहरा धोना नुकसानदेह हो सकता है।

सुबह के समय चेहरा धोते समयअगर आपके चेहरे पर बहुत मुंहासे हैं तो उन्हें आप समय-समय पर साफ कर सकती हैं। अब तो आप ये समझ गई होंगी कि चेहरा धोने के भी कुछ खास नियम होते हैं. गर्मियां आ गई हैं और अब त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि कब चेहरा धोएं और कैसे धोएं?

  1. सुबह के समय जब आप बिस्तर से उठती हैं तो सबसे पहले अपने दांत साफ करें और अपने चेहरे को पानी से धोएं। आप चाहें तो कोई भी माइल्ड फेसवॉश से चेहरा धो सकती हैं। सुबह के समय चेहरा धोना बहुत जरूरी है. सुबह के समय चेहरा धोने से पोर्स साफ हो जाएंगे और आप फ्रेश महसूस करेंगी.।
  2. दोपहर के समय चेहरा धोते समय
    अगर आपकी स्क‍िन ऑयली है तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से ये पूछ लें कि आपकी त्वचा के लिए कौन सा साबुन या फेसवॉश अच्छा रहेगा। आप चाहें तो ठंडे साफ पानी से भी चेहरा साफ कर सकती हैं। दोपहर के समय ठंडे पानी से चेहरा धोने पर आप फ्रेश तो महसूस करेंगी ही साथ ही इससे आपके चेहरे पर मौजूद अतिरिक्त ऑयल भी निकल जाएगा।
  3. शाम के समय चेहरा धोते समय
    काम के बाद घर लौटने पर चेहरा धोना बहुत जरूरी है। अगर घर लौटकर नहाना आपकी आदत में शुमार है तो नहाने के दौरान ही चेहरा भी साफ कर लें। वरना सिर्फ चेहरे को भी अच्छी तरह से साफ करें। इससे आपकी दिनभर की थकान दूर हो जाएगी और चेहरे की सारी गंदगी भी साफ हो जाएगी। आप चाहें तो इसके बाद हर्बल पैक का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। गर्मियों में हर्बल पैक इस्तेमाल करना अच्छा रहेगा।

निखरी-बेदाग त्वचा के लिए अपनाएं ये आसान उपाय:

– चेहरा साफ करने के लिए हर बार फेसवॉश का इस्तेमाल करना सही नहीं है. फेसवॉश में मौजूद रसायनिक तत्व आपकी त्वचा की कोमलता छीन सकते हैं. इससे त्वचा का नेचुरल ग्लो भी जा सकता है।

– अगर आपकी त्वचा बहुत ऑयली है तो हर बार फेसवॉश का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप टोनर का इस्तेमाल करें. इससे भी कहीं बेहतर रहेगा कि आप सिर्फ पानी से ही चेहरा धोएं।

– अगर आपकी स्क‍िन बहुत संवेदनशील है तो गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा। आप चाहें तो किसी अच्छे बेबी सोप का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

– बहुत देर तक चेहरा न धोएं. इससे चेहरे का नुकसान पहुंच सकता है।

 

 

कोलकाता में फ्लाई ओवर गिरने से 22 की मौत, राहत-बचाव में जुटी सेना

कोलकाता में गुरुवार को निर्माणाधीन पुल गिरने से 21 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 80 लोग घायल हुए हैं। हादसे में करीब 150 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही थी। राहत और बचाव कार्य के लिए मौके पर एनडीआरएफ की दो टीमें, सेना के जवान और तमाम एजेंसियां जुटी हुईं हैं। राज्य सरकार ने इस हादसे में मृतकों के परिजनों के लिए 5-5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के लिए 2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है।IMG-20160331-WA0045

‘सीपीएम के समय दिया गया पुल बनाने का जिम्मा’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मिदनापुर की रैली कैंसिल कर मौके पर पहुंची।  पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पुल हादसे पर गहरा दुख जताते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि पुल बनाने का जिम्मा सीपीएम की सरकार के समय दिया गया था. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि यह एक गंभीर घटना है. कानून के मुताबिक काम किया जाएगा. इस मामले पर एक्‍सपर्ट इंजीनियर्स की राय ली जाएगी।IMG-20160331-WA0070

‘सब भगवान की मर्जी’
इस बीच, पुल बनाने वाली कंपनी IVRCL ने अधिकारी का चौंकाने वाला बयान सामने आया है. कंपनी के अधिकारी से जब लापरवाही की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि हम 27 साल से इस काम में हैं और ऐसा कभी नहीं हुआ. सब भगवान की मर्जी है.

गणेश टाकीज के पास हादसा
बताया जा रहा है कि उत्तरी कोलकाता में गणेश टाकीज (गिरीश पार्क) के पास एक पुल का निर्माण कार्य चल रहा था। अचानक पुल ढह गया। यह फ्लाईओवर सबसे ज्यादा भीड़ वाले बड़ा बाजार इलाके के पास बन रहा है। एनडीआरएफ की दो टीमों में 70 जवान शामिल हैं। इसके साथ ही सेना के दल भी राहत एवं बचाव के लिए घटनास्थल पर पहुंच गए हैं. सेना की एक इंजीनियरिंग टीम भी घटनास्थल पर भेजी गई है।IMG_20160331_150521

पीएम ने हादसे पर जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता में हुए हादसे में लोगों की मौत पर गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री ने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात की और राहत एवं बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को कहा। प्रधानमंत्री अभी अमेरिका के दौरे पर हैं और वर्ल्ड न्यूक्लियर समिट में हिस्सा लेने गए हैं।IMG_20160331_141116

डेढ़ सौ लोगों के दबे होने की आशंका 
मलबे में कुछ मजदूरों के दबे होने की आशंका है। राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है।रमेश केजरीवाल नाम के चश्मदीद ने बताया है कि मलबे में कम से कम डेढ़ सौ लोग दबे हुए हैं. ये हादसा दोपहर करीब साढ़े 12.25 बजे हुआ है।

भयंकर ट्रैफिक जाम
हादसे की वजह से उत्तरी कोलकाता में भयंकर ट्रैफिक जाम हो गया है। चश्मदीदों ने बताया कि हादसे के काफी देर बाद तक प्रशासन का कोई अधिकारी वहां नहीं पहुंचा। लोगों ने यह भी कहा कि ओवरब्रिज के निर्माण में  कई बार की गई लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।IMG-20160331-WA0051

दो सरकारें बदलीं पर पुल नहीं बना
निर्माणाधीन फ्लाईओवर का निर्माणकार्य बीते कई सालों से चल रहा था. राज्य में दो सरकारें बदल गईं लेकिन इसका निर्माण कार्य खत्म नहीं हुआ। दिसंबर 2009 में शुरू हुए निर्माण कार्य को 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन छह साल बाद कुल 25 फीसदी काम हो सका। इसका कुल बजट 164 करोड़ रुपये था. इसे विवेकानंद ब्रिज नाम दिया गया था।

ममता बनर्जी ने रद्द की रैली 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हादसे की वजह से मिदनापुर में चुनावी रैली रद्द कर दीं। वहीं चीफ सेक्रेटरी और होम सेक्रेटरी हालात पर नजर बनाए हुए हैं. इस बीच राजनीतिक पार्टियों ने राज्य सरकार को हादसे का जिम्मेदार ठहराया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि हादसे ने ममता सरकार में भ्रष्टाचार की पोल खोली है।

 

हिन्दी में भावनाओं को अभियक्ति देगी अपराजिता की हिमोजी

‘हिमोजी’ हम सभी के हरदिलअजीज ‘इमोजी’ एप का नया-नवेला भाई है. इसके जरिए अाप बातों को नए अंदाज में अपनी मातृभाषा हिंदी में बयां कर सकेंगे।

जी हां, अब आप हिंदी में लिखे हुए हिमोजी चैट में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस एप को बनाने व तैयार करने का काम दिल्ली विश्वविद्यालय के बहुप्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में हिन्दी पढ़ाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर ने किया है. तकनीक और कला का मिलाप करने वालीं इन प्रोफेसर साहिबा का नाम अपराजिता शर्मा है। लोग आजकल लोग खाना-पीना और सोना तक भूलकर बस सोशल मीडिया पर ही व्‍यस्‍त रहते हैं. जब देखो, जिसे देखो मोबाइल की स्क्रीन पर नजरें टिकाए र‍हता है। हालांकि समय बीतने के साथ-साथ सोशल मीडिया बेस्वाद होता जा रहा है। इसी के मद्देनजर जुकरबर्ग भी लाइक, कमेंट व शेयर के अलावा कई और इमोशंस ले आए हैं, और इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अपराजिता ने हिमोजी बनाए हैं। कहते हैं कि हिन्दी में कही जाने वाली हर बात फसाना हो जाती है. चाहे प्रेम का इजहार हो या फिर दोस्तों से कुट्टी कर लेना. साथ ही हम आपको बताते चलें कि अपराजिता के डिजाइन किए गए एप की लीड कैरेक्टर चूड़ी-बिंदी वाली एक भारतीय लड़की है जो बॉलीवुड की फिल्मों की भी खासी शौकीन है।

सरकार को सजग बनाना है इसलिए मतदान जरूर करना है

बंगाल में चुनाव का बुखार चढ़ता जा रहा है। सियासी आँच पर सब कुछ पक रहा है, स्टिंग से लेकर हादसों  तक। राजनीति तो पहले भी हर बात पर होती थी मगर अब लाशों पर भी सियासत तेज हो रही है। 31 मार्च का दिन कोलकाता के इतिहास में एक और हादसा लिख गया मगर यह हादसा था या लापरवाही के कारण होने वाली तबाही, तय करना मुश्किल है। हमेशा की तरह सभी पार्टियों ने बयानबाजी तेज कर दी है मगर सवाल यह है कि इस बयानबाजी की जंग से जो जानें गयी हैं, वे क्या वापस लौटेंगी? सियासत की जंग अभी बहुत कुछ दिखाने वाली है मगर इन सबके बीच एक सवाल यह है कि महिलाओं की स्थिति क्या है और सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी भूमिका क्या है? बेहद दुःखद है कि बहुत सी शिक्षित महिलाएं भी अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहतीं या पूरी प्रक्रिया के प्रति उदासीन  बनी रहती हैं या फिर सारा जिम्मा अपने घर वालों पर छोड़ देती हैं। अगर आप एक सजग नागरिक के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पातीं तो सशक्त होना शायद आपके लिए सम्भव ही नहीं है। सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग किया जाए और अच्छी बात है कि इस दिशा में जागरूकता आ रही है। जाति और धर्म की दीवारों से ऊपर उठकर निष्पक्ष भाव से मतदान करना आपका अधिकार ही नहीं बल्कि आपका दायित्व भी है। कम से कम देश के विकास और भविष्य को ध्यान में रखना तो बेहद आवश्यक है। जनता सजग होगी तो सरकार के लिए काम करना पहले उसकी विवशता होगी और बाद में आदत बनेगी इसलिए अपराजिता का निवेदन है कि आप सभी जहाँ भी हॆं, अपने मताधिकार का प्रयोग करें और करवाएं। पोएला बैशाख और बैसाखी के साथ नये साल व नवरात्रि व रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

होली पर कविताओं के सदाबहार रंग

भारतेंदु हरिशचंद्र

कैसी होरी खिलाई।
आग तन-मन में लगाई॥
पानी की बूँदी से पिंड प्रकट कियो सुंदर रूप बनाई।
पेट अधम के कारन मोहन घर-घर नाच नचाई॥
तबौ नहिं हबस बुझाई।
भूँजी भाँग नहीं घर भीतर, का पहिनी का खाई।
टिकस पिया मोरी लाज का रखल्यो, ऐसे बनो न कसाई॥
तुम्हें कैसर दोहाई।
कर जोरत हौं बिनती करत हूँ छाँड़ो टिकस कन्हाई।
आन लगी ऐसे फाग के ऊपर भूखन जान गँवाई॥
तुन्हें कछु लाज न आई।

(भारतेन्दु जी की रचना ‘मुशायरा’ से)

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  •    नजीर अकबराबादी

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की।
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।
परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की।
ख़ूम शीश-ए-जाम छलकते हों तब देख बहारें होली की।
महबूब नशे में छकते हो तब देख बहारें होली की।

हो नाच रंगीली परियों का, बैठे हों गुलरू रंग भरे
कुछ भीगी तानें होली की, कुछ नाज़-ओ-अदा के ढंग भरे
दिल फूले देख बहारों को, और कानों में अहंग भरे
कुछ तबले खड़कें रंग भरे, कुछ ऐश के दम मुंह चंग भरे
कुछ घुंगरू ताल छनकते हों, तब देख बहारें होली की

गुलज़ार खिलें हों परियों के और मजलिस की तैयारी हो।
कपड़ों पर रंग के छीटों से खुश रंग अजब गुलकारी हो।
मुँह लाल, गुलाबी आँखें हो और हाथों में पिचकारी हो।
उस रंग भरी पिचकारी को अंगिया पर तक कर मारी हो।
सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की।

और एक तरफ़ दिल लेने को, महबूब भवइयों के लड़के,
हर आन घड़ी गत फिरते हों, कुछ घट घट के, कुछ बढ़ बढ़ के,
कुछ नाज़ जतावें लड़ लड़ के, कुछ होली गावें अड़ अड़ के,
कुछ लचके शोख़ कमर पतली, कुछ हाथ चले, कुछ तन फड़के,
कुछ काफ़िर नैन मटकते हों, तब देख बहारें होली की।।

ये धूम मची हो होली की, ऐश मज़े का झक्कड़ हो
उस खींचा खींची घसीटी पर, भड़वे खन्दी का फक़्कड़ हो
माजून, रबें, नाच, मज़ा और टिकियां, सुलफा कक्कड़ हो
लड़भिड़ के ‘नज़ीर’ भी निकला हो, कीचड़ में लत्थड़ पत्थड़ हो
जब ऐसे ऐश महकते हों, तब देख बहारें होली की।।

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हरिवंश राय बच्चन

तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।

होली के रंगों में छिपे हैं संस्कृति के रंग

होली रंगों का त्योहार है। होली के संदर्भ में कहा जाता है कि…

वंदितासि सुरेंद्रेण शंकरेण च। अतस्त्वं पाहिं नो देवि, भूते भूतिप्रदा भव।।

यानी इंद्र, ब्रह्मदेव, शंकर ने आपको वंदन किया है। हे देवी, आप ही हमारा रक्षण कर, हमें ऐश्वर्य प्रदान करें। इस मंत्र का जाप कर होली के दिन रंगोत्सव मनाने की प्रक्रिया को शुरू करना चाहिए।

गुलाल लगाना

आज्ञाचक्र (मस्तिष्क) पर गुलाल लगाना, पिंड बीज के शिव को शक्ति तत्व का योग देने का प्रतीक है। गुलाल से आने वाली तरंगे, रंगों के रूप में आती हैं जो शरीर की सात्विक तरंगों के रूप में कार्य करने की क्षमता बढ़ाती है। मस्तिष्क से ग्रहण होने वाला शक्तिरूपी चैतन्य संपूर्ण देह में संक्रमित होता है। इससे वायुमंडल में भ्रमण करने वाली चैतन्य तरंगें ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। इस विधि द्वारा जीव चैतन्य के स्तर पर अधिक संस्कारक्षम बनता है।

होली में नारियल डालना

नारियल के माध्यम से वायुमंडल के कष्टदायक स्पंदनों को खींचकर, उसके बाद उसे होली की अग्नि में डाला जाता है। इस कारण नारियल में संक्रमित हुए कष्टदायक स्पंदन होली की तेजोमय शक्ति की सहायता से नष्ट होते हैं और वायुमंडल की शुद्धि होती है।

त्रेतायुग के प्रारंभ में श्रीविष्णु ने धूलिवंदन (रंगों से होली खेलना) किया। इसका अर्थ है कि उस युग में श्री विष्णु ने अगल-अलग तेजमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया।

धूलिवंदन यानि धुलेंडी

होली के दूसरे दिन अर्थात धूलिवंदन के दिन कई स्थानों पर एक-दूसरे के शरीर पर गुलाल डालकर रंग खेला जाता है। होली के दिन प्रदीप्त हुई अग्नि से वायुमंडल के रज-तम कणों का विघटन होता है। इस दिन हर तरफ आनंद होता है।

इस दिन रंगों से खेली जाने वाली होली से आपसी वैमनस्यता, आपसी मतभेद दूर होते हैं और खुशियां, आपसी सद्भाव का आगाज होता है ।

होली के संदर्भ में कुछ अन्य जानकारी

भविष्य पुराण के अनुसार, ढुण्ढा नामक राक्षसी गांव-गांव जाकर बालकों को कष्ट देती थी। उन्हें कई तरह के रोगों से ग्रस्त कर देती थी। उसे गांव से बहार भगाने के लिए कई लोगों ने प्रयास किए, किंतु वे सभी विफल रहे। अंत में उसे गालियां और शाप दिए गए। इस पर वह प्रसन्न होकर गांव से भाग गई और लोगों ने एक दूसरे पर रंग डालकर खुशियां मनाईं। उत्तर भारत में ढुण्ढा राक्षसी की अपेक्षा पूतना को होली की रात जलाते हैं।