Saturday, July 26, 2025
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सचिन ने लॉन्च किया अपना फैशन ब्रांड

मुंबई.पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर के फैशन ब्रांड का पहला आउटलेट हाल ही में लॉंच हुआ। इस मौके पर सचिन ने रैम्पवॉक भी किया। TrueBlue सचिन की फैशन लाइन है। ये सचिन का अरविंद फैशन ब्रांड के साथ ज्वाइंट वेंचर है। सचिन ने इस वेंचर के लिए मार्च 2016 में डील की थी। फिलहाल मुंबई में पहला स्टोर खोला गया है।

अगले पांच सालों में कंपनी का टारगेट बिजनेस को 200 करोड़ तक पहुंचाने का है।

इसके लिए उनकी प्लानिंग देशभर में 25 से 30 स्टोर खोलने की है।

सचिन यहां रैम्पवॉक में शर्ट-पैन्ट के साथ बंद गले की कोटी पहनकर उतरे थे।

सचिन के अनुसार उनकी इस क्लोदिंग लाइन में इंडियन टच के साथ मॉडर्न लुक मिलेगा।

इसमें सचिन की पसंद के 300 स्टाइल हैं जिसकी कीमत 1199 से शुरू है।

शो की होस्ट एक्ट्रेस और एंकर मंदिरा बेदी रहीं।

गौरतलब है कि नवंबर, 2013 में क्रिकेटर से रिटायरमेंट के बाद से ही सचिन ने कई तरह के बिजनेस में इनवेस्ट किया है।

 

मोदी से बहुत सारी उम्मीदें हैं: ज़ाकिर हुसैन

वो कहते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री होना मुश्किल काम है। उनका मानना है कि, “भारत में अलग अलग पार्टियां है, अलग-अलग सोच है तो उसको एक साथ लाना और ये कोशिश करना कि सबकी एक जैसी सोच हो, बहुत मुश्किल है। नरेंद्र मोदी से उम्मीद है, कि वो ऐसे भारत की नींव डालेंगे जहां एकता हो, जिसमें एक दूसरे के लिए प्यार मोहब्बत हो, एक दूसरे की इज़्जत हो। अब बहुमत की सरकार है तो शायद मोदी जी ये काम कर पाएंगे।”

ज़ाकिर ने असहिष्णुता के मुद्दे पर भी अपनी राय ज़ाहिर करते हुए कहा कि उनके अनुभव में भारत में असहिष्णुता नहीं है।

वे कहते हैं,“ ये राजनीतिक मुद्दे हैं, हिन्दुस्तान में ए आर रहमान की बहुत इज़्जत है, शाहरुख शान की फिल्में हिट होती हैं, आमिर ख़ान को लोग प्यार करते हैं, उस्ताद अमज़द अली खान के श्रोतागण हैं, तो मैं ये कैसे कह सकता हूं कि असहिष्णुता है। हम संगीत की पूजा करते हैं, हम सरस्वती के पुजारी हैं, हम उस संगीत के पुजारी हैं जो भगवान कृष्ण ने बांसुरी पर बजाया और सरस्वती ने वीणा पर बजाया।”

ज़ाकिर हुसैन ने हाल में लंदन के रॉयल फेस्टिवल हॉल में बीबीसी ऑर्केस्ट्रा के साथ पश्चिमी शास्त्रीय संगीत कि धुनों पर अपने तबले से ताल मिलाई। ज़ाकिर ने तबले की एक वर्कशॉप में 100 से ज़्यादा बच्चों और दूसरे लोगों को तबला भी सिखाया.

युवा पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत के प्रति रवैय्ये को लेकर वो कहते हैं, “शास्त्रीय संगीत स्टेडियम म्यूज़िक नहीं है. अगर हम सोचें कि क्लासिकल म्यूज़िक जे जेड और बियोंस के कॉन्सर्ट की तरह हो तो ये मुमकिन नहीं। ये ऐसा म्यूज़िक नहीं है जो पचास हज़ार लोग आपको दूर से देखें, ये अंतरंग किस्म का संगीत है जिसमें कुछ लोग बैठे हुए हैं, आखों से आंखें मिल रही हैं और आपस में वार्तालाप हो रहा है और वाह-वाह के बीच प्यार मोहब्बत हो।”

ज़ाकिर हुसैन चार पीढ़ियों के कलाकारों के साथ काम कर चुके हैं लेकिन आज भी उनका व्यक्तित्व सदाबहार है। इसका राज़ पूछने पर वो कहते हैं, “संगीत इनसान को जीवित तो रखता है, लेकिन अच्छी सेहत में भी रखता है और अगर आप सिर्फ संगीत की साधना करते हैं तो शराब, सिगरेट और पान की ज़रुरत नहीं। ये सभी चीज़ें उम्र को आपके चेहरे पर ज़ाहिर कर देती हैं, मेरे पिताजी जब 75 साल की उम्र मे स्टेज पर बैठते थे तो 25 साल के नज़र आते थे।”

वो कहते हैं, “लोग हमेशा चाहते हैं कि संगीत का एक ही दौर हो, यानी या तो फ्यूज़न हो, या रॉक का हो, या शास्त्रीय का हो, ऐसा नहीं हो सकता कि सब एक साथ मिल कर एक ही छत के नीचे रहें। मेरे ख्याल से हमें खुश होना चाहिए कि अलग-अलग तरह का संगीत हम को सुनने को मिलता है। हर संगीत के लिए श्रोतागण हैं और सुनने के लिए हाज़िर भी रहते है।”

(साभार – बीबीसी)

मुंबई में अनाथ हिन्‍दू महिला का मुस्लिमों ने किया अंतिम संस्कार

मुंबई। जहां एक तरफ देश में कई जगहों पर धार्मिक सौहार्द खराब करने की कोशिशें होती रही हैं वहीं मुंबई में धर्म से उपर इंसानियत का रिश्‍ता सामने आया है। यहां रहने वाली एक हिन्‍दू महिला का मुस्लिमों ने अंतिम संस्‍कार किया है।

जानकारी के अनुसार मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके मलाड में एक हिन्दू वृद्ध महिला श्रीमती सखु किरन सिंह बरसो से अकेले रहती थी। 2002 में सखु किरन के पति के निधन के बाद से ही वो यहां अकेले रहती थी। इतने साल अकेले रहने के बाद पिछले शुक्रवार को उनका निधन स्कोटर कॉलोनी स्थित उनके घर में हो गया।

मुस्लिम परिवारों से घिरी महिला का कोई रिश्‍तेदार नहीं आया। महिला की मौत की बात जब जब इलाके के मुस्लिम नोजवानो को पता लगी तो महिला के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई। आखिर में निर्णय कर पूरे मोहल्ले के लोगो ने मिलकर हिंदू परंपरानुसार महिला के अंतिम संस्कार में लगने वाली सारी सामग्री का इन्तजाम किया।

इलाके के मुस्लिम युवकों ने उन्हें कंधा देकर सांप्रदायिक सौहाद्र की मिसाल कायम की। लोगो ने नम आंखों से ओशिवारा शमशान घाट ले जाकर अंतिम संस्‍कार भी किया।

 

माइग्रेन में आराम दिलाए बादाम

बादाम में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं और एस्प्रिन में प्रयोग होने वाले सेलिसिन तत्व जैसे मैगनीशियम और विटामिन ई, बादाम में भी पाए जाते हैं।

यदि नियमित रूप से बादाम का सेवन किया जाए तो इससे सिरदर्द से बचाव होता है। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों में मैगनीशियम का स्तर कम होता है, उन्हें माइग्रेन की समस्या उन लोगों के मुकाबले अधिक होती है, जिनमें इसका स्तर सामान्य रहता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के शोध के अनुसार जो लोग प्रतिदिन मैगनीशियम का पर्याप्त डोज लेते हैं उनमें यह समस्या 41 प्रतिशत तक कम हो जाती है

 

महिला सुरक्षा में काफी काम आ सकती है ‘सेफर’ ज्वेलरी

महिलाओं की सुरक्षा हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है चुनाव में भी इस मुद्दे से को जोर शोर से उठाया जाता रहा है। महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ रहे क्राइम को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के पांच इंजीनियर्स के एक ग्रुप ने एक ज्वेलरी डिवाइस ‘सेफर’ बनाया है। ये डिवाइस एक पेंडेंट में होता है जो दिखने में खूबसूरत होने के साथ सुरक्षा भी करता है.

आप इसे बिना इंटरनेट के भी चला सकते हैं। इससे पहनने वाले को खतरा महसूस होने पर इसे दो बार प्रेस करना होता है जिसके बाद आपके दोस्त या परिवार को खतरे की जानकारी मिलती है. जिससे वो आपकी मदद कर सकते हैं।

इस डिवाइस में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस लगा हुआ है जिससे आप कहीं भी जाएं आपकी लोकेशन आपके परिवार को एक एप के ज़रिए मिलती रहती है. इसके अलावा इस डिवाइस के जरिए यूजर्स आस पास की सुरक्षित जगह जैसे पुलिस स्टेशन और हॉस्पिटल की लोकेशन का पता लगा सकते हैं।

इस पेंडेंट को खूबसूरत बनाया गया है और ये तीन अलग अलग रंगो में आता है। इसे इस्तेमाल करने वालों की माने तो ये उनके लिए किसी दोस्त से कम नहीं है अब वो बिना डर के घर से बाहर जा सकते हैं।

इस डिवाइस को यूज करने के लिए आपको इसे चार्ज करना पड़ता है लेकिन सिर्फ 15 मिनट चार्ज करने से ये 10 दिन का बैकअप देता है। इतनी सुविधाओं से लेस इस डिवाइस की कीमत भी किफायती रखी गई है।ये डिवाइस सुरक्षा के साथ साथ फैशन का भी ध्यान रखता है यही वजह है की आने वाले दिनो में इसके और भी प्रोडक्ट्स मार्केट में आने वाले हैं।

‘सेफर’ के मार्केट में आने के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है दरअसल इसकी शुरुआत एक कॉलेज प्रोजेक्ट की तरह हुई थी लेकिन इसे बनने के लिए ज़्यादा पैसा नहीं था तो अपने स्टार्टअप के लिए इन लोगों ने बिजनेस प्लान प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।

ऐसी कई प्रतियोगिताओं को जीतने के बाद 2015 तक ढाई लाख डॉलर इकट्ठा हो गए। उसके बाद इसके डेवलपर्स को पीएम मोदी की मेक इन इंडिया टीम के साथ सिलिकन वैली जाने का मौका मिला और वहां भी इन्हें जबरदस्त सराहना मिली।

इस प्रोडक्ट के लिए इन्हें अब तक कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं वहीं दुनिया के 20 देशों में अब ये इस प्रोडक्ट को बेच भी रहे हैं।

 

बंधुआ मजदूर के बेटे मधुसूदन राव आज है 20 कंपनियों का मालिक

समाज से निकले युवा सफलता की नई इबारतें लिख रहे हैं. कोई यूपीएससी टॉप कर रहा है तो कोई आज 20 से अधिक कंपनियों का मालिक है। यहां हम आपको बता रहे हैं आंध्रपदेश के प्रकाशम जिले में पैदा हुए मधुसूदन राव के बारे में जिनके संघर्ष और जज्बे के किस्से आज लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं –

मधुसूदन के पिता किसी जमाने में बंधुआ मजदूरी किया करते थे। इसके एवज में उन्हें जमींदार से सिर्फ भोजन मिला करता था। कई बार काम पर न जाने की हालत में भूखा भी सोना पड़ता था। वे बताते हैं कि दलित समाज से ताल्लुक रखने की वजह से उनकी परछाई को भी अपशकुन माना जाता था। वे इन भयावह परिस्थितियों में भी डटे रहे और पढ़ाई जारी रखी. किसी-किसी तरह 12वीं पास की और नौकरी पाने की चाह में पॉलीटेक्निक कर लिया।

उनके पॉलीटेक्निक करने के पीछे तो यही मंशा थी कि उन्हें जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए, लेकिन अफसोस कि उनसे हर जगह रिफरेंस मांगा जाता था। उनके घर के सदस्यों की शिक्षा का हवाला देकर उन्हें नौकरी से दूर रखा जाता। आखिर में वे हताश-निराश हो कर भाई के साथ मजदूरी करने लगे। इसके अलावा वे चौकीदारी का भी काम किया करते थे ताकि ओवरटाइम काम करके वे घर वालों का खर्चा चला सकें।

गांव और शहर में यही तो बेसिक फर्क है. गांव में पले-बढ़े लोग हमेशा गांव वापस लौटना चाहते हैं. हो सकता है कि कई बार वे शुरुआती दिक्कतों से दो-चार हों लेकिन वे जरूर वापस लौटना चाहते हैं। मधुसूदन भी कुछ ऐसे ही मिजाज की शख्सियत हैं। वे लगातार सफल होने के लिए संघर्ष करते रहे और इस क्रम में वे कई बार धोखे के भी शिकार हुए।
एक बार तो वे बिल्कुल से ही खाली हो गए। उन्होंने जिनके साथ मिल कर कंपनी खोली थी वे सारा फायदा लेकर चंपत हो गए।

अलग-अलग लोगों के साथ काम करने की वजह से वे इस बात को समझ चुके थे कि चुनिंदा लोगों पर ही विश्वास किया जाना चाहिए. वे दिन भर में 18 घंटे तक काम करते हैं और उनकी पत्नी हमेशा परछाई की तरह साथ रहती हैं। वे आज एमएमआर ग्रुप  के संस्थापक हैं और इसके अंतर्गत 20 से अधिक कंपनियां आती हैं।
वे अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं और हर दुविधा की घड़ी में उन्हें ही याद करते हैं। वे आज हजारों युवाओं को रोजगार देने का काम कर रहे हैं और भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी प्रतिभा और जज्बे के मुरीद हैं.

 

पहनें डेनिम ड्रेस कभी भी कहीं भी

अमेरिकन लेबर क्लास से लेकर फैशन वीक में कई जाने-माने लेबल का हिस्सा बनने तक, डेनिम्स ने काफी लंबा सफर तय किया है।. ऐसा कोई भी मौका नहीं, जहां आप डेनिम में खुद को स्टाइल कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ न खींच सकें। आप डेनिम को कई तरीकों से पहन सकती हैं –

denim 2किसी नाइट आउट के लिए डेनिम ड्रेस परफेक्ट है। डेनिम ड्रेस इसके साथ एक ब्लैक या ब्राउन लेदर बेल्ट पहनें और आप तैयार हैं सबके बीच एक स्टाइल स्टेटमेंट बनाने के लिए, और हां! इसके साथ ज्योमेट्रिकल कफ और हाई हील्स (ब्लैक हो तो ज़्यादा बेहतर होगा) पहनना न भूलें।

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याद रखें कि आराम का दूसरा नाम है डेनिम इसीलिए इसकी इस खासियत को बेकार न करें। अगर आप दोस्तों के साथ मूवी या ब्रंच के लिए जा रही हैं तो एक स्लीक बैग और सनग्लासेज़ के क्लासिक शेड्स के साथ अपनी ड्रेस को पेयर करें। शर्ट ड्रेसेज़ इसके लिए अच्छा विकल्प है।

अगर आप जल्दी में हैं और आपको कई सारे काम भी पूरे करने हैं, तो डेनिम ड्रेस आपको इस परेशानी से बचाएगी। अपनी एलीगेंसी और सादगी को बरकरार रखते हुए आपको स्टाइलिश लुक देती है। एक डार्क शेड की डेनिम ड्रेस को टैन ब्राउन लेदर बेल्ट और एक ब्लैक या ब्राउन कार्डिगन या किसी भी डार्क शेड के साथ पेयर करें। बस आप हो गई हैं तैयार।

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डेनिम ड्रेस की सबसे अच्छी बात है कि इसकी चाहे आप जितनी भी लेयरिंग कर लें, इसका रंग खिलकर सामने आएगा ही और आपको देगा एक स्टाइलिश लुक। डेनिम्स, पंक फैशन की क्लासिक निशानी के तौर पर देख सकते हैं। इस ट्रेंड को एक बार फिर से अपनाएं और एक लाजवाब ब्लैक लेदर जैकेट को इसके साथ आजमाएं।

 

परिवार नियोजन की जिम्मेदारी अब पुरुषों की भी

एक नई पॉलिसी के तहत महिलाओं के सशक्त‍िकरण पर जोर दिया जाएगा। इसमें कई पहलू जोड़े गए हैं. सबसे अहम है परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी।

आमतौर पर देखा गया है कि परिवार नियोजन कार्यक्रमों मे पुरूष नसबंदी का आंकड़ा बहुत कम होता है और परिवार नियोजन का पूरा भार महिलाओं को ही उठाना पड़ता है। लेकिन इस नई पॉलिसी में महिलाओं के साथ पुरूषों को भी परिवार नियोजन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

इसके अलावा, महिलाओं को साइबर क्राइम से सुरक्षित रहने के गुर भी सिखाए जाएंगे। वहीं उन्हें राजनीति में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए ट्रेनिंग देना, सिंगल मदर की समस्याओं को पहचानने जैसी खास बातों को इस नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में शामिल किया गया है.

नई पॉलिसी को लॉन्च करते समय बाल एव महिला विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि पूरे 15 साल बाद इसे दोबारा बनाया जा रहा है और इन सालों में महिलाओं से जुड़ी हर समस्या, परेशानियां और चुनौतियों मे बदलाव आया है और नई पाॅलिसी का ड्राफ्ट इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर किया गया है।

इस  ड्राफ्ट में महिलाओं के सामने आने वाली कई चुनौतियों को पहचान कर उसे दूर करने की भी चर्चा है। ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति मे लाने के लिए पंचायत स्तर पर महिलाओ की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है। देशभर ने इस समय लगभग 6 लाख पंचायतों में 2 लाख महिला प्रधान हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में काम उनके पति देख रहे हैं मेनका गांधी के अनुसार इन महिला प्रधानों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक 40 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

इस पॉलिसी में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी बात की गई है। कुल मिलाकर इस पॉलिसी में हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने, उनकी नई चुनौतियों को समझने और दूर करने के लिए विस्तार से योजनाएँ हैं।

स्त्रोत – आजतक

जानिए कौन थीं सीता की मां

मिथिला के राजा जनक माता सीता के पिता और सुनयना, सीताजी की मां थीं। सुनयना अत्यंत सरल, साध्वी, धर्म परायण, विनयी एवं उदार थीं। इनके ह्दय में जीव मात्र के के प्रति अटूट दया थी।

वहीं, जनक मिथिला के राजा और निमि के पुत्र थे। जनक का वास्तविक नाम ‘सिरध्वज’ था। इनके छोटे भाई का नाम ‘कुशध्वज’ था। त्रेतायुग में राजा जनक अपने अध्यात्म तथा तत्त्वज्ञान के लिए बहुत ही प्रसिद्ध थे। उनकी विद्वता की हर कोई प्रशंसा करता था।

जनक के पूर्वज निमि या विदेह के वंश का कुलनाम मानते हैं। यह सूर्यवंशी और इक्ष्वाकु के पुत्र निमि से निकली एक शाखा है। इस विदेह वंश के द्वितीय पुरुष मिथि जनक ने मिथिला नगरी की स्थापना की थी। इतिहासकार जनक को कृषि विशेषज्ञ के रूप में स्वीकार करते हैं।

शिव की धरोहर के रक्षक थे जनक

शिव-धनुष ( पिनाक)उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि प्रजापति दक्ष ने यज्ञ विनष्ट होने के अवसर पर रुष्टमना शिव ने इसी धनुष को टंकार कर कहा था कि देवताओं ने उन्हें यज्ञ में भाग नहीं दिया, इसलिए वे धनुष से सबका मस्तक काट लेंगे। देवताओं ने बहुत स्तुति की तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर यह धनुष उन्हीं देवताओं को दे दिया। देवताओं ने राजा जनक के पूर्वजों के पास वह धनुष धरोहरस्वरूप रखा था।

हिंदू शास्त्रों में यह प्राचीन कहानी सीता के संबंध में मिलती है। सवाल फिर भी आज रहस्य बना हुआ है कि सीता आखिर किसकी पुत्री थीं। गत्समद ऋर्षि की, मंदोदरी की या फिर राजा जनक की?

 

सेहत के लिए रखें कैलोरी का हिसाब

वजन को संतुलित रखने के लिए आपने बकायदा एक वर्कआउट रूटीन अपना लिया। आप उसी हिसाब से रोज कसरत कर रहे हैं और पसीना बहा रहे हैं। लेकिन फिर भी नतीजा वैसा नहीं मिल पा रहा जैसा आपने सोचा था। अगर ऐसा है तो एक बार अपने कैलोरी के हिसाब-किताब पर जरूर नजर डालें।

अपने खान-पान को लेकर अक्सर हम यह बात नजरअंदाज कर डालते हैं कि हम शरीर को जितनी जरूरत है उतनी कैलोरीज दे पा रहे हैं या नहीं और यदि कैलोरीज जरूरत से ज्यादा हो रही हैं तो क्या हम उन्हें उसी मात्रा में खर्च भी कर पा रहे हैं? यही गणित असल में तमाम रिजल्ट पर असर डालता है। उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ आदमी को संतुलित वजन रखने के लिहाज से प्रतिदिन लगभग ढाई हजार किलो कैलोरीज की आवश्यकता होती है।

ऐसे में यदि वह इससे डेढ़ या दो गुना अतिरिक्त कैलोरीज लेता है लेकिन वर्कआउट इतना करता है कि केवल ढाई-तीन हजार किलो कैलोरी को ही बर्न कर सके तो ऐसे में बाकी बची कैलोरीज एक्स्ट्रा कैलोरीज में आएंगी। अगर उसका रूटीन रोज ऐसा ही होता है तो जाहिर है कि उसके शरीर पर वर्कआउट का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इसमें एक और ध्यान रखने लायक बात यह भी है कि कैलोरीज के खर्च होने की क्षमता पर उम्र, मेटाबॉलिज्म और स्थितियों का भी बहुत असर रहता है। इसलिए इन बिंदुओं पर भी काम जरूर करें।

अब कैलोरीज के जमा-खर्च को संतुलित बनाए रखने के लिए आपको जरूरत है थोड़े से गणित को लागू करने की। ऐसा भी नहीं कि इसके लिए आप बिलकुल एक-एक ग्राम का आंकड़ा ध्यान में रखें लेकिन एक बार किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर अपने लिए एक मोटा-मोटा चार्ट बना लें कि किस खाने से आपको कितनी कैलोरीज मिलेंगी। एक बार जब आपको इसकी आदत पड़ जाएगी तो अपने आप अंदाज आता चला जाएगा और आप सही तरीके से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे। पहले-पहल इसमें थोड़ा कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे यह रूटीन बन जाएगा।

अब खान-पान के साथ ही अपने व्यायाम के तरीकों पर फोकस करें। सबसे पहले तो यह रूल खुद पर लागू करें कि व्यायाम के तुरंत बाद आप कुछ भी नहीं खाएंगे और इसके आधे घंटे बाद भी वह डाइट लेंगे जिसमें फाइबर और पानी ज्यादा हो जैसे फल, अंकुरित अनाज, सलाद, उपमा, कॉर्नफ्लेक्स, ओट्स, नट्स आदि।

अगर आपके फिटनेस सेंटर के आस-पास की नाश्ते की दुकानें आपको आकर्षित करती हैं तो खुद पर कंट्रोल करना सीखिए क्योंकि जिम जाने वाले कई लोगों में वजन के न घटने या कई मामलों में तो बढ़ जाने के पीछे भी यह एक बड़ा कारण होता है। अब जो भी व्यायाम आप कर रहे हैं उसे बदलते रहें। जैसे कार्डियो, एरोबिक्स, योगा आदि का मिश्रण अपनाएं। यानी व्यायाम को एक जैसा न रहने दें। इससे आपके शरीर को किसी भी एक व्यायाम की आदत नहीं पड़ेगी और ऐसा होने से वजन को घटाने में ज्यादा मदद मिल सकेगी।

अपने भोजन को टुकड़ों में बांटना हर लिहाज से सर्वोत्तम तरीका है। इससे न केवल सामान्यतौर पर स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप जैसी लाइफस्टाइल डिसीज को भी इससे कंट्रोल में रखा जा सकेगा। सबसे खास बात यह कि इस तरीके से कैलोरीज के जमा होने और खर्च होने में सही संतुलन बनाया रखा जा सकेगा।