Thursday, July 31, 2025
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कविताओं में अटल बिहारी वाजपेयी

आओ फिर से दिया जलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये
मरेंगे तो इसके लिये।

 

क़दम मिलाकर चलना होगा

बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

भवानीपुर कॉलेज ने लिंग संवेदीकरण विषय पर वेबिनार 

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के जुबली सभागार में सुश्री सीमा श्रीनिवास द्वारा “लिंग संवेदीकरण में प्रमुख मुद्दे” पर एक आमंत्रित व्याख्यान आंतरिक शिकायत समिति द्वारा आईक्यूएसी, भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के सहयोग से चौबीस दिसंबर को दोपहर एक बजे आयोजित किया गया।
इस व्याख्यान माला में लगभग पचास प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें विभिन्न वर्गों के कॉलेज के संकाय, छात्र और कर्मचारी शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत समिति की पीठासीन अधिकारी डॉ. जोयता भादुड़ी के स्वागत भाषण से हुई।
इसके बाद आईक्यूएसी के समन्वयक प्रो तथागत सेन ने उद्घाटन भाषण दिया। अध्यक्ष का परिचय आईसीसी के सदस्य प्रो. अत्रेयी गांगुली ने किया।
अतिथि वक्ता ने भारत में लिंग के लिए चिंता का विषय होने और लिंग भेदभाव के मूल कारणों पर चर्चा की।
उन्होंने समाज में दिखाई देने वाले परिवर्तन के संकेतों पर प्रकाश डालते हुए एक सकारात्मक नोट पर समाप्त किया और प्रतिभागियों को समाज के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के लिए लैंगिक समानता के मुद्दों के प्रति संवेदनशील होने के बारे में बताया।
व्याख्यान के अंत में एक इंटरैक्टिव सत्र था जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

हिंदी मेला समाज को जोड़ने का संदेश देता है तोड़ने का नहीं

कोलकाता । भारत की एक महान सांस्कृतिक विरासत है जो अशोक, बुद्ब, कबीर, चैतन्य महाप्रभु, विद्यासागर, बंकिम चंद्र और रवींद्रनाथ तक विस्तृत है। बंग भूमि में आयोजित यह हिंदी मेला समाज को जोड़ने का संदेश देता है तोड़ने का नहीं। हिंदी मेला के नौजवान गांधी के आदर्शों को आगे बढ़ाए जो सत्य और अहिंसा पर आधारित है। यह बातें कही हरिजन सेवक संघ वे राष्ट्रीय अध्यक्ष और जानेमाने गांधीवादी चिंतक शंकर कुमार सान्याल ने। आज हिंदी मेला में काव्य नृत्य, काव्य संगीत और लोकगीत का कार्यक्रम आयोजित था जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। आज के आयोजन में विभिन्न भारतीय भाषाओं का सांस्कृतिक संगम देखने को मिला। प्रो. सुनंदा रॉय चौधरी ने कहा कि हिंदी मेला कोलकाता के हिंदी विद्यार्थियों और नौजवानों का सबसे महोत्सव है। महेश जायसवाल ने कहा कि हिंदी मेला लंबे समय से हिंदी और बांग्ला के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम कर रहा है। इस अवसर पर नृत्यांगना चंद्रिमा मंडल और नृत्य शिक्षक सौरभ चटर्जी ने अपना वक्तव्य रखा। भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि हिंदी मेला ने हिंदी परिवार के बच्चों के बीच नृत्य और संगीत को लोकप्रिय बनाने का काम किया है। आज भी कई हिंदी घरों में नृत्य, संगीत और गान करने को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता और जीवन में कलाओं को प्रवेश नहीं मिला है। काव्यसंगीत और लोकगीत के निर्णायक में रितेश कुमार, ममता त्रिवेदी और सुनंदा रॉय चौधरी उपस्थित थे। काव्य नृत्य एकल का शिखर सम्मान शालिनी सिन्हा, लेडी ब्रेबॉन कॉलेज, प्रथम स्थान जेशमी घोष, सेंट ल्युक्स डे स्कूल, द्वितीय स्थान सागनिका दे, आदित्य अकादमी, तृतीय स्थान भूमिजा चंद्रा, बिहानी एकेडमी, प्रथम विशेष ईशिका महतो, स्टडी मिशन स्कूल, द्वितीय विशेष नीलिमा गिरी, श्रीरामपुर कॉलेज और काव्य नृत्य समूह का शिखर अद्रिका नस्कर एंड ग्रुप, शिव शक्ति नृत्यालय, प्रथम स्थान मणिशंकर कला केंद्र, द्वितीय स्थान आर्यन ग्रुप, राजा नरेंद्रलाल खां गोप कॉलेज, तृतीय स्थान अनुष्का ग्रुप हाजीनगर आदर्श हिंदी बालिका विद्यालय और प्रथम विशेष श्रेया ग्रुप, हाजीनगर आदर्श हिंदी बालिका विद्यालय को मिला। रूपेश यादव, जूही करन,सुशील पांडे, निशा राजभर,श्रीप्रकाश गुप्ता,धनंजय प्रसाद, इंद्रेश कुमार,पंकज सिंह,संजय सिंह ने विशेष सहयोग दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन पूजा दूबे,सपना कुमारी और पंकज सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जीवन सिंह ने दिया।

इसके पूर्व 28 दिसम्बर आयोजित चित्रांकन प्रतियोगिता में ‘शिशु’ वर्ग का शिखर सम्मान अईसानी, बिड़ला हाई स्कूल, प्रथम स्थान अनुराग प्रसाद वर्मा, जवाहरलाल नेहरू विद्यापीठ, द्वितीय स्थान पुष्पांजलि साव, जवाहरलाल नेहरू विद्यापीठ, तृतीय स्थान अईशिका बासु, बिड़ला हाई स्कूल, प्रथम विशेष तानीषी राय, आदित्य अकादमी, द्वितीय विशेष सताकशी उपाध्याय, बिड़ला हाई स्कूल और तृतीय विशेष नियति पाण्डेय, राधिका टाउन को मिला। ‘अ’ वर्ग ऑफ़लाइन का शिखर सम्मान आरती ओझा, रतन आर्ट सेंटर, प्रथम स्थान रंजना गिरी, आर्य विद्यापीठ, द्वितीय स्थान खुशी कुमारी साव, रतन आर्ट सेंटर, मधुमीता कुमारी, श्री कृष्णा विद्यामंदिर हाई स्कूल, प्रथम विशेष तकी सईदा बानो, राम दुलारी हिंदी हाई स्कूल, द्वितीय विशेष अलीना परवीन, आर्य विद्यालय, तृतीय विशेष श्रीया बेहरा, ग्रेस इंटरनेशनल हाई स्कूल, चतुर्थ विशेष ईशिका चौहान, कांकिनारा आर्य विद्यालय को मिला। कविता पोस्टर वर्ग ‘क’ ऑफलाइन का शिखर सम्मान चांदनी कुमारी, आर.बी.सी. कॉलेज फ़ॉर वीमेन, प्रथम स्थान राजीव कुमार मांझी, अब्दुल कलाम सोशल ग्रुप आर्ट अकादमी, द्वितीय स्थान सुनीता चौरसिया, रतन आर्ट सेंटर, तृतीय स्थान अंकिता कुमारी, खिदिरपुर कॉलेज, प्रथम विशेष फुल मोहम्मद, के.जी. टी. एम. बागडोगरा, द्वितीय विशेष शिव कुमार दास और तृतीय विशेष राहुल भूजेल, कालीपद घोष तराई महाविद्यालय को मिला। काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में ‘शिशु’ वर्ग ऑनलाइन का प्रथम स्थान दर्श श्याम सूखा, द्वितीय स्थान अरमान आनंद और तृतीय स्थान संयुक्त रूप से शिवांगी सिंह और हिमांशु अग्रवाल, विशेष पुरस्कार वियान मिश्रा को मिला। ‘शिशु’ वर्ग का ऑफलाइन में शिखर सम्मान सोनल साव, प्रथम स्थान पनभ श्रॉफ, द्वितीय स्थान ध्रुविका सोनछात्रा, तृतीय स्थान स्वराज पाण्डेय, प्रथम विशेष पीहू मिश्रा, द्वितीय विशेष किंजल पासवान तृतीय विशेष अंकिता गुप्ता, चतुर्थ विशेष इति श्रीवास्तव और प्रोत्साहन पुरस्कार संयुक्त रूप से अदिति सिंह और अध्ययन गुप्ता को मिला। ‘अ’ वर्ग ऑनलाइन का प्रथम स्थान साक्षी झा, द्वितीय स्थान राखी साव, तृतीय स्थान संयुक्त रूप से रोशनी साव और आयुषी पाण्डेय,विशेष पुरस्कार आहाना आनंद को मिला। ‘अ’ वर्ग ऑफलाइन का शिखर सम्मान सुमित दास, विद्या विकास हाई स्कूल, प्रथम स्थान पुष्पा पंडित, गौरीपुर हिंदी हाई स्कूल, द्वितीय स्थान राहुल चौधरी, गौरीपुर हिंदी हाई स्कूल, तृतीय स्थान संयुक्त रूप से निकुंज नागोरी, लक्ष्मीपत सिंघानिया अकादमी और वर्षा जायसवाल, सेंट ल्युक्स डे स्कूल, प्रथम विशेष संजना जायसवाल, गुरुकुल ग्लोबल, द्वितीय विशेष कनकमा रेड्डी, विधा विकास हाई स्कूल, तृतीय विशेष जागृति श्रीवास्तव, साल्ट लेक शिक्षा निकेतन और चतुर्थ विशेष सिद्धि जैन, महादेवी बिड़ला शिशु विहार को मिला। ‘क’ वर्ग ऑफलाइन का शिखर सम्मान दीपा ओझा, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रथम स्थान पूजा शर्मा, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज, द्वितीय स्थान राजू प्रसाद कोइरी, आर. बी. सी. सांध्य महाविद्यालय, तृतीय स्थान निकिता पाण्डेय, हावड़ा नवज्योति, प्रथम विशेष काजल सिंह, हावड़ा नवज्योति, द्वितीय विशेष महिमा भगत, हावड़ा नवज्योति, तृतीय विशेष संध्या राम, खिदिरपुर कॉलेज, चतुर्थ विशेष संयुक्त रूप से चंदन भगत, आर. बी. सी. सांध्य महाविद्यालय और अंकिता कुमारी, खिदिरपुर कॉलेज, पंचम विशेष कृति यादव, कलकत्ता विश्वविद्यालय और छठा विशेष संस्कृति साव, कलकत्ता महिला कॉलेज को मिला।

वीरांगनाओं ने मनाया संधि उत्सव

कोरोना की स्थिति के आधार पर होंगे वीरांगना के भावी कार्यक्रमः प्रतिभा सिंह

कोलकाताः अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फ़ाउंडेशन पश्चिम बंगाल की ओर से वर्ष 2021 की सोल्लास विदाई और नये वर्ष 2022 के स्वागत के लिए संधि उत्सव मनाया। इस अवसर पर कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई जिसमें नये वर्ष की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की गयी। कार्यक्रम में प्रख्यात गायिका और वीरांगना की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि यदि कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में रही तो एक भव्य रंगारंग समारोह का आयोजन किया जायेगा लेकिन यदि स्थिति अनुकूल नहीं रही तो डिजिटल कार्यक्रम होंगे। लेकिन महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए जरूरतमंदों की मदद के कार्यक्रम चलते रहेंगे।
वीरांगना की प्रदेश इकाई की महासचिव प्रतिमा सिंह, उपाध्यक्ष रीता सिंह, संयुक्त महासचिव ममता सिंह, महानगर की अध्यक्ष मीनू सिंह, महासचिव इंदु सिंह, उपाध्यक्ष ललिता सिंह, संरक्षक गिरजा दुर्गादत्त सिंह व गिरजा दारोगा सिंह, कोषाध्यक्ष संचिता सिंह, पदाधिकारी मीरा सिंह, सरोज सिंह, लाजवंती सिंह, सोदपुर की अध्यक्ष सुनीता सिंह, महासचिव आशा सिंह, पदाधिकारी जयश्री सिंह, मंजू सिंह, नारी शक्ति वीरांगना की पदाधिकारी शकुंतला साव, अनीता साव आदि उपस्थित थे।

मजबूरी है या सुधर रही है युवा पीढ़ी ? अब ‘थोड़ी थोड़ी’ पीने लगी हैं हमारी युवा पीढ़ी

लोकनाथ तिवारी

वर्ष 2021 समापन की ओर है। कार्यालय में सहयोगियों के बीच पार्टियां, क्रिसमस लंच और नये साल के समारोहों का सिलसिला शुरू हो गया है। इस मौके पर युवाओं को शराब पीने का भरपूर मौका मिलता है। लेकिन इस सदी की शुरुआत के बाद से कुछ अप्रत्याशित हुआ है। ऑस्ट्रेलिया, यूके, नॉर्डिक देशों और उत्तरी अमेरिका में युवा अपने माता-पिता, जब वह उनकी उम्र के थे, की पीढ़ी की तुलना में औसतन काफी कम शराब पी रहे हैं।
कोविड लॉकडाउन के दौरान, कुछ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस रूख में और भी गिरावट आई है। शोध से पता चलता है कि इस बात की संभावना तो कम ही है कि युवाओं के शराब पीने में कटौती का यह चलन सरकारी प्रयासों के कारण आया होगा। व्यापक सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक परिवर्तन इन गिरावटों की वजह लगते हैं।
कई देशों में युवा लोगों के साथ साक्षात्कार-आधारित अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने युवाओं में शराब पीने में गिरावट के चार मुख्य कारणों की पहचान की है।
ये हैं: अनिश्चितता और भविष्य के बारे में चिंता, स्वास्थ्य के बारे में चिंता, प्रौद्योगिकी और अवकाश में परिवर्तन, और माता-पिता के साथ संबंधों में बदलाव।
अनिश्चित भविष्य
आज विकसित देशों में युवा होना पिछली पीढ़ियों की तुलना में बहुत अलग है। जलवायु परिवर्तन से लेकर करियर की योजना बनाने और घर खरीदने में सक्षम होने तक, युवा जानते हैं कि उनका भविष्य अनिश्चित है।
अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बहुत पहले से शुरू हो जाता है और मानसिक अस्वस्थता की दर बढ़ रही है।
कई युवा भविष्य के बारे में उन तरीकों से सोच रहे हैं जिनके बारे में सोचने की पिछली पीढ़ियों को आवश्यकता नहीं थी। वे अपने जीवन पर नियंत्रण की भावना हासिल करने और उस भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी वे आकांक्षा रखते हैं।
कुछ दशक पहले, नशे में होना कई युवा लोगों द्वारा वयस्कता में पहुंचने की निशानी के रूप में व्यापक रूप से माना जाता था और काम और अध्ययन की दिनचर्या से समय निकालने का एक अच्छा तरीका था।
अब, युवा लोगों को कम उम्र में जिम्मेदार और स्वतंत्र होने का दबाव महसूस होता है और कुछ लोग शराब की आदत न लग जाए इस डर से कम पीते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो वह खुद पर से अपना नियंत्रण खो देंगे जो उनके भविष्य की योजनाओं को खतरे में डाल देगा।
भविष्य की योजनाओं पर इस जोर का मतलब है कि युवा पार्टी और शराब पीने में कितना समय बिताना है, उसकी एक सीमा तय करके रखते हैं।
युवा हैं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक
युवा लोगों के लिए स्वास्थ्य और सेहत के प्रति महत्व भी तेजी से बढ़ता प्रतीत होता है।
15-20 साल पहले के शोध में पाया गया कि उस समय के युवा लोग ज्यादा शराब पीने से होने वाले प्रभावों (उल्टी, बेहोशी) को सकारात्मक रूप से देखते थे या उसे ज्यादा महत्व नहीं देते थे।
हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि इस संबंध में युवाओं का रवैया बदल गया है। अब युवा शराब पीने से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाली हानि और इसके लगातार इस्तेमाल से सेहत पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं।
हालाँकि, ऑस्ट्रेलियाई और स्वीडिश शोध में यह भी पाया गया कि कुछ युवा शराब पीने के सामाजिक लाभों को अपने लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
हालांकि, कई युवाओं ने शराब की मध्यम खपत पर जोर दिया, जबकि 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में लोग जमकर पीते थे।
क्या होगा यदि मेरे नियोक्ता ने देख लिया तो?
प्रौद्योगिकी ने, शराब पीने के विरोधाभासी प्रभावों के साथ, युवाओं के सामाजिकरण का स्वरूप बदल दिया है।
सोशल मीडिया शराब कंपनियों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नए (कम विनियमित) रास्ते प्रदान किए हैं। किसी पार्टी में जश्न मनाते हुए एक ड्रिंक के साथ सोशल मीडिया पर दिखना एक सामान्य बात है।
फिर भी, युवा अपनी ऑनलाइन छवियों को प्रबंधित करने में भी सावधानी बरतते हैं।
हमारे शोध में पाया गया कि युवा इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सोशल मीडिया (जैसे दोस्त, परिवार और भविष्य के नियोक्ता) पर उनकी तस्वीरें कौन देख सकता है, जो इस पीढ़ी के लिए अपनी तरह का नया जोखिम है।
इंटरनेट युवा लोगों को संभावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करता है, जिसमें नए दृष्टिकोण शामिल हैं जिससे वे शराब पीने की बजाय कोई बेहतर विकल्प चुन सकें।
यह सामाजिक विकल्प भी प्रदान करता है जिसमें वीडियो गेम और अन्य डिजिटल मीडिया सहित शराब पीने की संभावना कम होती है।
पारिवारिक रिश्ते बदलना
किशोरों की परवरिश और शराब के लिए उनके परिचय को प्रबंधित करने की शैलियाँ एक पीढ़ी के दौरान अधिक विकसित हुई हैं।
कई माता-पिता अपने बच्चों की नाइट आउट के दौरान निगरानी करते हैं और पिछली पीढ़ियों की तुलना में उनके पीने की अधिक बारीकी से निगरानी करते हैं, जो अधिकांश युवा लोगों के मोबाइल फोन के द्वारा संभव है।
युवक भी अपने माता-पिता के साथ अब अधिक समय बिताते हैं, परस्पर संवाद पर आधारित अधिक बेहतर संबंध विकसित करते हैं जो उनके शराब पीने और विद्रोह करने की आवश्यकता को कम करते हैं।
शराब पीना अब ‘कूल’ नहीं रहा
ऐसे कई अन्य कारण भी हैं जिनकी वजह से युवा लोग शराब की खपत को सीमित करते हैं, जिसमें संस्कृति और धार्मिक जुड़ाव, स्वास्थ्य की स्थिति और व्यक्तिगत प्रेरणा शामिल हैं।
कुल मिलाकर, इन परिवर्तनों का मतलब है कि बहुत से युवा अब नशे में झूमने को ‘‘कूल’’ नहीं मानते हैं और अब इसे स्वतंत्रता और वयस्कता की प्रमुख निशानी के रूप में नहीं देखते हैं। शराब का सेवन कम मात्रा में करने के साथ-साथ युवा लोगों में शराब का सेवन अधिक सामाजिक रूप से स्वीकृत हो गया है।
बेशक, कुछ युवा बहुत अधिक पीना पसंद करते रहेंगे और क्रिसमस तथा नए साल की पूर्व संध्या जैसी छुट्टियों के आसपास शराब के नशे में झूमते दिखाई देंगे।
लेकिन यह तो तय है कि युवा लोगों में शराब की खपत कम करते रहने का चलन अगर चलता रहा तो यह उनके अपने जीवन के व्यापक संदर्भों की वजह से है, उनकी सरकारों द्वारा लागू की गई नीतियों के कारण नहीं।

मंत्रपूत भारत के मेधापुत्र थे लोढ़ाजी–पाषाण

प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह संपन्न

कोलकाता 26 दिसंबर। ‘कर्मनिष्ठ साधक, सर्वसमावेशी व्यक्तित्व के धनी थे प्रो.लोढ़ा। वे मंत्रपूत भारत के मेधापुत्र थे। उनका दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करना सौभाग्य की बात रही है। वे सदैव प्रतिभाओं की तलाश करते थे। उन्होंने सहृदयता का कोश कभी खाली नहीं किया।’ ये विचार हैं वरिष्ठ एवं विशिष्ट कवि ध्रुवदेव मिश्र ‘ पाषाण’ के, जो आज जालान पुस्तकालय सभागार में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय तथा सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह के प्रथम आयोजन में बतौर प्रधान वक्ता बोल रहे थे।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र के लिखित उद्घाटन वक्तव्य का पाठ किया डॉ. अनिल शुक्ल ने। डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने लोढ़ा जी की प्रशासकीय दक्षता एवं सारस्वत अवदान का भावपूर्ण स्मरण करते हुए कोलकाता विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग की स्वतंत्र अस्तित्व रचना के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने लोढ़ाजी की सुदीर्घ शिष्य परंपरा में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री का भी उल्लेख किया। उन्होंने जन्मशताब्दी के आयोजन की परिकल्पना हेतु दोनों पुस्तकालयों की प्रशंसा की।
अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वभारती शांतिनिकेतन के हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य डाॅ. रामेश्वर मिश्र ने कहा कि प्रो. लोढ़ा व्यक्ति नहीं संस्था थे। उन्होंने वैज्ञानिकता का आधार लेकर कलकत्ता वि.वि.के हिन्दी विभाग का बहुविध उन्नयन किया। उनके रचनात्मक व्यक्तित्व से प्रेरित एवं प्रभावित होकर महानगर के साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृतिधर्मी तथा व्यापारी वर्ग के लोग हिन्दी-हित में प्रवृत्त हुए।
बंगवासी कालेज की पूर्व प्राध्यापिका तथा लोढ़ा जी की शिष्या डॉ वसुमति डागा ने कहा कि प्रो. लोढ़ा का सम्मान हिंदी की विद्वत् परम्परा का सम्मान है। आत्मीयता के साथ कठोर अनुशासन उनके स्वभाव का अंग था। ताजा टीवी के चेयरमैन एवं  छपते – छपते के प्रधान सम्पादक विश्वंभर नेवर ने कहा कि प्रो. लोढ़ा के अतुलनीय अवदान पर हमें गर्व है। वे हिंदी के हिमालय थे। सामाजिक तथा साहित्यिक स्तर पर वे अभिनंदनीय व्यक्ति थे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने प्रो. लोढा के कृती व्यक्तित्व की चर्चा की एवं वर्षव्यापी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। धन्यवाद ज्ञापन किया जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष श्री भरत कुमार जालान ने।
कार्यक्रम के प्रारंभ में लोकप्रिय गायक ओमप्रकाश मिश्र ने सरस्वती वंदना एवं प्रसाद के चर्चित गीत ‘तुमुल कोलाहल कलह में..’ की सस्वर प्रस्तुति की। अतिथियों का स्वागत किया सर्वश्री डॉ ऋषिकेश राय, प्रो. दिव्या प्रसाद, अजयेन्द्र नाथ त्रिवेदी एवं सागरमल गुप्त ने ।
समारोह में कुमारसभा पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज, डॉ. अमरनाथ शर्मा, दुर्गा व्यास, डॉ.तारा दूगड़, डॉ. शकुंतला मिश्र, डॉ.विनोद कुमार, डॉ. रामप्रवेश रजक, बंशीधर शर्मा, अरुण प्रकाश मल्लावत, रविप्रताप सिंह, नवीन कुमार सिंह, डॉ. अभिजीत सिंह, अनिल कुमार, डॉ. कमल कुमार, डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ सुनीता मंडल, जीवन सिंह, रमाकांत सिन्हा, अमरनाथ सिंह, राजेन्द्र क़ानूनगो, विजय झुनझुनवाला ,रामचंद्र अग्रवाल, ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, डॉ किरण सिपानी, गायत्री बजाज, भोला सोनकर, राजेश शुक्ल, नवल केडिया, भागीरथ सारस्वत, सत्यप्रकाश राय, श्रीमोहन तिवारी, विवेक तिवारी प्रभृति साहित्य प्रेमियों से सभागार भरा था।

भवानीपुर कॉलेज की मेड ड्राइव ने वृद्धों तक दवाइयाँ पहुँचाई 

कोलकाता ।   भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज मेड – ड्राइव परियोजना का उद्देश्य यानि मेडिकल सुविधाएंँ जैसे दवाइयाँ आदि वृद्धों लोगों तक पहुंँचाना है, जिन्हें दवाओं की आवश्यकता है।
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज की एनएसएस यूनिट ने टॉलीगंज होम्स 186, नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड, रीजेंट पार्क, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में “मेड-ड्राइव” का आयोजन किया। गत 20 दिसम्बर को एनएसएस और एनएसएस समन्वयक का प्रतिनिधित्व करने वाले 3 छात्रों ने टॉलीगंज होम्स का दौरा किया।
छात्रों और संकाय सदस्यों द्वारा योगदान दी गई दवाओं से भरा एक बॉक्स प्रदान किया गया जिनमें दवाइयों के अतिरिक्त हैंड सैनिटाइज़र -100 बोतल, मेबेवरिन हाइड्रोक्लोराइड संशोधित रिलीज कैप्सूल- 20 (2 स्ट्रिप्स, आयरन (फेरिक पायरोफॉस्फेट) – 20 कैप्सूल (2 स्ट्रिप्स), जिंकोविट आदि तैंतीस तरह की उपयोग दवाइयाँ थीं। ये सभी दवाइयाँ विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा स्वेच्छा से एकत्रित की गई थीं। किसी ने कहा है कि जहाँ चिकित्सा की कला से प्यार है, वहाँ मानवता से भी प्यार होता है।
बीमार व्यक्ति को दवाई की कमी के कारण कष्टदायी दर्द से किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिलने से व्यक्ति दुख और पीड़ा से घिर जाता है और अपने जीवन के प्रति उदासीन हो जाता है । दवाइयों की आवश्यकता अक्सर अधूरी रह जाती है, भवानीपुर कॉलेज के एनएसएस विंग ने वृद्धाश्रम में आवश्यक दवाओं तक पहुंँच प्रदान करने की पहल की क्योंकि यह स्वास्थ्य के प्राप्य मानक के अधिकार का हिस्सा है। समन्वयक प्रो. गार्गी ने परियोजना मेड ड्राइव के तहत कुछ विद्यार्थियों के साथ यह महत्वपूर्ण कार्य किया।
कॉलेज के प्रबंधन डीन प्रो. दिलीप शाह ने पूरी परियोजना के संचालन के लिए पूर्ण समर्थन दिया। कॉलेज उन सभी छात्रों और संकाय सदस्यों को भी धन्यवाद देते हैं जो इस नेक काम के लिए आगे आए। कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण बहुत अधिक स्वयंसेवकों को नहीं ले जा सके ।
तीनों छात्राएं हर्षिता जोशी, प्रग्रा राकेश और मुस्कान दास ने सभी एहतियात बरतते हुए पुराने घर टॉलीगंज होम्स का दौरा किया। समाज सेवा के लिए कॉलेज उनके साहस और प्रतिबद्धता की सराहना करता है ।
एनएसएस के वास्तविक आदर्श वाक्य “नॉट मी बट यू” को प्रतिबिंबित करने का यह हमारा छोटा सा प्रयास है जिससे विद्यार्थियों में समाज कल्याण की भावना को बढ़ावा मिलता है। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

हर शिक्षक मेंटर होता है – सलोनी प्रिया

भवानीपुर कॉलेज में फैकल्टी डेवलपमेंट 
कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के जुबली सभागार में आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट सेशन में उम्मीद की प्रमुख सलोनी प्रिया का मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में हर शिक्षक मेंटर होता है। वह अपने विद्यार्थियों को अकादमिक शिक्षा देने के साथ-साथ उसकी सामाजिक, कॅरियर और मानसिक आदि विभिन्न समस्याओं को हल करने में भी सहायक बन सकता है। वर्तमान में कोरोना काल के दौरान बच्चों से लेकर वृद्ध सभी इस त्रासदी से गुजर रहे हैं। ऑन-लाइन यानि वर्चुअल काउंसिलिंग आज का नया विषय है। ‘उम्मीद’ संस्था की प्रमुख काउंसिलर और सलाहकार सलोनी प्रिया ने दो सेशन में कॉलेज के सभी शिक्षक गणों को मेंटर डेवलपमेंट के विषय में विस्तार से जानकारी दी। अकादमिक स्तर पर अपनी योग्यता, ज्ञान और क्षमता के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित करना और सकारात्मक सोच मेंटर का कार्य है और उन तक पहुंचना प्रमुख उद्देश्य है। सुबह कार्यक्रम का संचालन गार्गी तलपात्र ने किया। टीआईसी डॉ सुभब्रत गंगोपाध्याय, डीन प्रो दिलीप शाह, वाइस प्रिंसिपल डॉ पिंकी सरदार साहा, मैनेजमेंट प्रमुख सोहिला भाटिया, प्रो तथागत सेन, प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी के साथ शिक्षक गणों की उपस्थिति रही। धन्यवाद ज्ञापन किया प्रो. सौरजा चटर्जी ने। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

साहित्य का भविष्य नौजवानों के जुड़ने से ही सुरक्षित है- डॉ. कुसुम खेमानी

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद में आयोजित 27वां हिंदी मेला नौजवानों की इतनी बड़ी उपस्थिति से सरस्वती का आंगन बन गया है। साहित्य का भविष्य नई पीढ़ी के जुड़ने से ही सुरक्षित है। मैं आज विद्यार्थियों और नौजवानों के बीच आकर बहुत गौरव का अनुभव कर रही हूँ। 27 वर्षों से आयोजित हो रहा यह हिंदी मेला कोलकाता की एक प्रमुख पहचान बन चुका है और मैं इसके साथ हृदय से जुड़ी हुई है। भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष कुसुम खेमानी ने आज यह बात हिंदी मेला के दूसरे दिन कही।
हिंदी मेला के दूसरे दिन काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता का अयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों पटल पर हुआ। इसमें राज्य समेत देश के अलग-अलग संस्थानों से करीब 430 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। ‘शिशु’ वर्ग और ‘अ’ वर्ग के निर्णायक के रूप में उदय राज सिंह, मंजू श्रीवास्तव और डॉ. रामप्रवेश रजक उपस्थित थे। कवि उदय राज सिंह ने कहा कि बंगाल में कविता आवृत्ति की एक दीर्घ परम्परा है और अब हिंदी में भी यह सर्वव्यापी हो रही है। मंजू श्रीवास्तव ने कहा कि नई पीढ़ी में कविता से प्रेम मानवता से प्रेम की ओर उन्मुख करेगा और डॉ रामप्रवेश रजक ने कहा कि नई पीढ़ी के लोगों द्वारा कंठस्थ कविता का पाठ करना उनके बढ़ते आत्मविश्वास का सूचक है। वे हिंदी मेला में अच्छे संस्कार पा रहे हैं। ‘क’ वर्ग के निर्णायक के रूप में मृत्युंजय जी, अवधेश प्रसाद सिंह, डॉ इतु सिंह और पूनम सोनछात्रा जी उपस्थित थी। प्रमुख मीडिया टिप्पणीकार मृत्युंजय जी ने कहा कि हिंदी मेला कोलकाता का गौरव है और यह हिंदी की नई पीढ़ी के बौद्धिक उत्थान का काम कर रहा है।

भाषाविद अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हिंदी मेला में बच्चे शुद्ध हिंदी बोलना सीख रहे हैं जबकि घरों में वे काफी अशुद्ध हिंदी बोलते हैं। प्रो. इतु सिंह ने व्यापक उपस्थिति को देख कर कहा कि हिंदी मेला साहित्य के लोकप्रियकरण में बहुत सहायक हो रहा है और कवयित्री पूनम सोनछात्रा ने कहा कि मैं कॉलेज, विश्वविद्यालय और स्कूल के विद्यार्थियों की काव्य आवृत्ति को देख कर अभिभूत हूँ। मेले के प्रथम दिन आयोजित लघु नाटक मेले में इस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक नाट्य मंजरी, विशेष पुरस्कार आर. बी. सी. सांध्य महाविधालय, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक ओमप्रकाश प्रसाद, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता प्रदीप दास, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री मोनिका साव और सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता नेहा झा को मिला। ‘शिशु’ वर्ग का शिखर सम्मान सोनल साव, हरा प्रसाद प्राइमरी स्कूल, प्रथम स्थान पनभ श्रॉफ, लक्ष्मीपत सिंघानिया अकादमी, द्वितीय स्थान ध्रुविका सोनछात्रा, डी. पी. एस., तृतीय स्थान स्वराज पाण्डेय, जनता आदर्श विद्यालय, चतुर्थ स्थान पीहू मिश्रा, हावड़ा नवज्योति, पंचम स्थान किंजल पासवान, भोलानाथ प्राथमिक विद्यालय, छठवां स्थान अंकिता गुप्ता, केंद्रीय विद्यालय, सातवां स्थान कशिश पासवान और विशेष प्रोत्साहन पुरस्कार अदिति सिंह, सेंट हेलेन्स स्कूल को मिला।

कार्यक्रम का सफल संचालन मनीषा गुप्ता, सूर्य देव रॉय, पूजा सिंह और राजेश सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन पंकज कुमार सिंह ने दिया। इसके पूर्व 26 दिसम्बर को हिन्दी मेले का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजय बहादुर सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि यह मेला स्वाधीनता के 75वें साल का पालन मानवता के उत्सव के रूप में कर रहा है। राममोहन हाल के उषा गांगुली-अजहर आलम मंच पर उद्घाटन समारोह में उन्होंने ये बातें कहीं। हिंदी मेला का आयोजन सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन प्रतिष्ठित भारतीय भाषा परिषद के साथ मिलकर कर रहा है। आरंभ में कोरोना काल में दिवंगत लेखकों और कलाकारों के प्रति डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने श्रद्धांजलि अर्पित की। हिंदी मेला में शिक्षाविद प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय को प्रो. कल्याणमल लोढ़ा शिक्षक सम्मान प्रदान किया गया। प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने अपने जीवन संघर्षों के बारे में बताते हुए कहा कि मेरा जीवन हिंदी के उत्थान के लिए समर्पित है और मैं हिंदी मेला का अभिन्न अंग हूँ।

कोलकाता में हिंदी नाटक की परंपरा शुरू करने वाले माधव शुक्ल के नाम पर स्थापित नाट्य सम्मान ओम पारीक को प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का पाठ अनिता राय और सुशील पांडेय ने किया एवं परिचय मधु सिंह ने दिया। मंच व्यवस्था में धनंजय प्रसाद, सपना कुमारी,जूही कर्ण, विकास जायसवाल, सुमिता गुप्ता, अनुपमा सिंह,श्रीप्रकाश गुप्ता आदि शामिल रहें।
लोढ़ा जी की सुपुत्री सुषमा सिंघवी ने कहा कि हिंदी की वीणा में मेरा भी स्वर शामिल है। विश्वंभर नेवर ने कहा कि 27 वर्षों से जारी यह मेला इससे जुड़े संस्कृति कर्मियों की भावात्मक मजबूती का उदाहरण है। यूको बैंक के महाप्रबंधक नरेश कुमार ने कहा कि हिंदी मेला ऐसी जगह है जहां से सैकड़ों नौजवान उभरकर देश की सेवा कर रहे हैं।  उद्घाटन समारोह का संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि 27 दिसंबर से 1 जनवरी तक हिंदी मेला भरतीय भाषा परिषद में प्रतिदिन 11 बजे शुरू होगा। हिंदी मेला भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों का आंगन है। मिशन के महासचिव डॉ राजेश मिश्र ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता डॉ. शंभुनाथ ने की। इस अवसर पर विशेष तौर पर उपस्थित थे रामनिवास द्विवेदी, मीरा सिन्हा, मृत्युंजय श्रीवास्तव। लघु नाटक प्रतियोगिता के निर्णायक महेश जायसवाल, मंजू श्रीवास्तव और गणेश सर्राफ शामिल रहें। इस मौके पर रंग शिल्पी की ओर से मुर्दों का गांव नाटक की अतिथि प्रस्तुति हुई।

सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल और मलेशिया के स्कूल के के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान

कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल ने 14 साल पहले अपना अंतरराष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया था और एक दर्जन से अधिक देशों के स्कूलों के साथ साझेदारी की है। इन कार्यक्रमों के पीछे का ध्येय छात्राओं को न केवल विभिन्न देशों की शिक्षा प्रणालियों बल्कि उनके सामाजिक मानदंडों और सांस्कृतिक प्रथाओं से परिचित कराना था। यह स्कूल के मिशन और छात्रों को वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए है।
मलेशिया के कुआलालंपुर के एसके तिआरा परमाई स्कूल के साथ वर्तमान महामारी की स्थिति के दौरान कक्षा चार की छात्राओं द्वारा एक परियोजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य छात्राओं में जागरूकता पैदा करना और उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व गुणों को विकसित करना था।
सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल के आठवीं कक्षा के छात्र और मलेशिया के एसके टियारा परमाई स्कूल के छह ग्रेड के विद्यार्थी इस परियोजना में शामिल थे, जो सितंबर 2021 में शुरू हुआ था। बच्चों ने तथ्य एकत्र किए और भारत और मलेशिया में त्योहारों पर पावरपॉइंट प्रस्तुतियां दीं। छात्रों ने शोध किया और अपनी पसंद के किन्हीं दो भारतीय त्योहारों को प्रस्तुत किया।
गत 8 दिसंबर को आयोजित एक परिचयात्मक सत्र के साथ परियोजना का समापन हुआ, जिसमें दोनों देशों के बच्चों ने अपने जीवंत और सूचनात्मक शोध कार्य को प्रस्तुत करते हुए आत्मविश्वास से बात की। रथ यात्रा, ईद-उल-फितर, भारत में मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा और मलेशिया में मनाए जाने वाले थाईपुसम, हरि राया एदिल फितरी, चीनी नव वर्ष जैसे त्योहारों को वीडियो और स्पष्ट व्याख्या के माध्यम से खूबसूरती से चित्रित किया गया था। संवादात्मक सत्र ने विभिन्न परंपराओं की समझ और अपने से बाहर की संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान की भावना पैदा की। इस गतिविधि ने अंतरराष्ट्रीय मित्रता और सद्भावना को बढ़ावा दिया। भोजन की कोई सीमा नहीं होती, क्योंकि छात्रों में से एक ने मलेशिया के अपने दोस्तों को बंगाल की मिठाई ‘संदेश’ बनाने के तरीकों का प्रदर्शन करके अपने पाक कौशल का प्रदर्शन किया। चतुर्थ श्रेणी की श्रीनिथि चटर्जी ने कहा, “विनिमय कार्यक्रम बहुत जानकारीपूर्ण था। हमें पता चला कि हमारी संस्कृतियां कितनी समान हैं। हमें मलेशिया के व्यंजनों और परंपराओं के बारे में पता चला। परियोजना ने हमें यह जानने में मदद की कि विभिन्न विश्वासों और मूल के लोग सद्भाव में रह सकते हैं। यह हमारे लिए सीखने का एक बड़ा मौका था।”
“यह एक आभासी मंच पर एक अलग देश के विद्यार्थियों से मिलने का एक शानदार अवसर था। हमने अपने विचारों और विश्वासों का आदान-प्रदान किया। इस एक्सचेंज कार्यक्रम ने अन्य संस्कृतियों और उनके विभिन्न त्योहारों के बारे में मेरे ज्ञान को समृद्ध किया है। मैंने यह भी पता लगाया कि अन्य जगहों पर रहने वाले लोगों के साथ हमारे बीच कितनी समानता है। इसने मेरे दिमाग को हमारे ग्रह पर अद्भुत विविधता के लिए खोल दिया। ” चतुर्थ श्रेणी की मायरा बसु ने कहा। एसकेटीपी मलेशिया से अर्दियाना मार्सिया को उद्धृत करने के लिए “मैंने इस एक्सचेंज प्रोग्राम के माध्यम से भारत के त्योहारों, संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में सीखा। इससे भारत के अपने दोस्तों के साथ बातचीत करने का मेरा आत्मविश्वास बढ़ा।
हेडमिस्ट्रेस विदिशा पांजा को उद्धृत करने के लिए “इसने हमारी छात्राओं को नई परंपराओं सहित विभिन्न संस्कृतियों और दृष्टिकोणों का अनुभव करने की अनुमति दी, क्योंकि वे नए लोगों से मिली थीं । कुल मिलाकर, यह छात्रों के लिए एक समृद्ध अनुभव था।” संक्षेप में, त्यौहार किसी देश की गौरवशाली विरासत, संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाने का एक अभिव्यंजक तरीका है। आने वाली पीढ़ी, बच्चों की नजर से त्योहार के चश्मे से देखने से अच्छा क्या था।