Saturday, July 19, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 221

सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में बिखरे होली के रंग

कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में प्राथमिक विभाग की छात्राओं ने जमकर होली मनायी। नर्सरी एवं किंडरगार्टन की छात्राओं ने अपने प्रिय रंग से एक नया रंग बनाना सीखा। एम एस पेंट से छात्राओं ने कई वाटरगन डिजाइन किये। शिक्षिकाओं ने उनको भक्त प्रह्लाद की कहानी सुनायी। पहली एवं दूसरी कक्षा की छात्राओं ने कविताएं व गीत सुनाकर होली मनायी। तीसरी और चौथी कक्षा की छात्राओं ने होलिका दहन की कहानी सुनी। पाँचवीं कक्षा की छात्राओं को पर्य़ावरण के अनुकूल होली खेलने के तरीके बताये गये।

भारतीय होम्योपैथी दवाओं का प्रयोग करें : एस.एन. राय

कोलकाता । एसोचैम आयुष नेशनल टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ सुदीप्त नारायण रॉय ने कहा कि भारतीय होम्योपैथी क्षेत्र आयुष उत्पादों के निर्यात में अग्रणी हो सकता है। गत 27 मार्च को रथिंद्र मंच, जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में डॉ साहिदुल इस्लाम, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, एचओएमएआई के नेतृत्व में आयोजित पीसीएम अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के पहले एलुमनी सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आयुष एक उभरता क्षेत्र है।
डॉ रॉय ने कहा कि विश्व स्तर पर होम्योपैथी उद्योग 14 फीसदी सीएजीआर से बढ़ रहा है और 2027 तक 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
उन्होंने सम्मेलन में शामिल 450 से अधिक होम्योपैथी चिकित्सकों से भारत में निर्मित होम्योपैथिक दवाओं को बढ़ावा और संरक्षण देकर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की। उन्होंने आश्वासन दिया कि, भारतीय होम्योपैथी दवाओं के गुणवत्ता मानक आयातित यूरोपीय दवाओं के बराबर हैं।
उन्होंने कहा, उद्योग में 20 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर के साथ भारत को होमियोपैथी का होम माना जाता है। 3 लाख से अधिक होम्योपैथ के साथ, भारत निकट भविष्य में समग्र स्वास्थ्य देखभाल का एक गंतव्य होगा।

भारत में पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में ब्लॉक -चेन तकनीक लाया संकल्पतरू फाउंडेशन

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाला पहला भारतीय एनजीओ बना

कोलकाता । भारत के प्रमुख आईटी इनेबल्ड एनजीओ में से एक, संकल्पतरु फाउंडेशन ने आज ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने के लिए पॉलीगॉन के साथ जुड़ने की घोषणा की, जिसके बाद संकल्पतरु फाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाला पहला भारतीय एनजीओ बन जाएगा। इससे संकल्पतरु फाउंडेशन के दानदाताओं को साझा की जाने वाली जानकारियों और पेड़ों के डाटा की सत्यता की जाँच करने में मदद मिलेगी, जिससे फाउंडेशन के प्रति उनका विश्वास बढ़ेगा।

कहा जाता है कि एक प्रमुख कृषि उत्पादक के रूप में, पश्चिम बंगाल में खेती का अच्छा हस्तक्षेप है, इसके बावजूद राज्य के सीमांत किसानों को कम बिक्री दरों के कारण अपनी फसलों पर अच्छा लाभ नहीं मिलता है। संकल्प तरु ने स्थायी वृक्षारोपण कार्यक्रम के विकास के माध्यम से राज्य में जैव विविधता को बढ़ावा देने की प्रतिज्ञा के साथ परियोजना श्यामोलीमा की शुरुआत की, इस प्रकार परियोजना लाभार्थियों के लिए कुशल और प्रभावी आत्म-उत्साही मॉडल तैयार किया।

इस अवसर पर, संकल्पतरु फाउंडेशन के संस्थापक अपूर्व भंडारी ने कहा, “संकल्पतरु ने हमेशा विभिन्न रचनात्मक प्रयासों के जरिए अग्रणी भूमिका निभाई है और तकनीक को इस उद्देश्य के करीब लेकर लाया है। ब्लॉक-चैन ट्री यूआरएल जैसी डिजिटल जानकारी इकठ्ठा करने में मदद करता है, जिसमें ट्री इमेज, ट्री आईडी और उसकी जियो-लोकेशन जैसी बुनियादी जानकारी होती है। इसकी खासियत यह है कि एक बार इसमें जानकारी दर्ज करने के बाद उसमें अनधिकृत व्यक्ति द्वारा किसी तरह का बदलाव करने या उसे हटाने की कोई गुंजाइश नहीं होती है। ब्लॉक-चैन के जरिए हम अपने दानदाताओं और प्रायोजकों के बीच विश्वास पैदा करेंगे और उन्हें जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए लाखों पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”

ब्लॉक-चैन एक इनफार्मेशन मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी है जो अनधिकृत व्यक्ति द्वारा डाटा में किसी भी तरह के बदलाव करने, उसे हैक और करप्ट करने से रोकने के लिए डिस्ट्रिब्यूटेड प्रोसेसिंग आर्किटेक्चर का उपयोग करती है। यदि कोई डेटाबेस में किसी भी एक रिकॉर्ड को बदलने या उससे छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है तो सिस्टम बाकी जानकारियों के साथ उसे क्रॉस-रेफरेंस करेगा, इस तरह आसानी से गलत जानकारी को खोजकर ठीक किया जा सकता है। यह सिस्टम घटनाओं को सटीक और पारदर्शी तरीके से दर्ज करता है। इस तरह, संकल्पतरु यह सुनिश्चित करेगा कि उसके व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट दानदाताओं द्वारा लगाए गए पेड़ कभी भी डुप्लिकेट या किसी और को फिर से नहीं सौंपे जाते हैं। डिजिटल फ़ॉरेस्ट में लगाए गए प्रत्येक पेड़ पर यूनिक डेटा और दानदाताओं को दी गई जानकारी को क्रॉस-वेरीफाई करने के लिए एक प्लेसहोल्डर होगा।

ग्रीन पेट्रोंस पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और अपने ग्रह पर जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपना भरोसा बनाये रखते हुए समय और पैसा दोनों ही देकर अपने हिस्से का कर्तव्य पूरा करते हैं। संकल्पतरु और पोलीगोनकी ब्लॉक-चेन पहल यह सुनिश्चित करती है कि हर व्यक्ति के पेड़ की जानकारी पूरी तरह से सही हो और उसमें किसी भी तरह से बदलाव करने संभावना ना हो। यह इंटीग्रेशन डेटा को इकठ्ठा करने और एक्सेस करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है। यह इंटीग्रेशन तकनीकी दुनिया में नए पर्यावरण संरक्षण के लिए नए अवसर लाने का एक बेहतरीन उदाहरण है।

 

भवानीपुर कॉलेज में वार्षिक इंटर कॉलेज प्रबंधन उत्सव ‘बॉनफायर 22’ 

कोलकाता । शिक्षा तथ्यों की सीख नहीं है, बल्कि दिमाग द्वारा सोचने का प्रशिक्षण है। इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए, भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने छात्रों को अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए, जिओआ द्वारा प्रायोजित अपने वार्षिक इंटर-कॉलेज प्रबंधन उत्सव, ‘बोनफायर’ की मेजबानी की।
बॉनफायर 22की परिकल्पना होलिका दहन में बुराइयों के विनाश के आधार पर की गई है। बॉनफायर बॉन्डिंग-ऑर्गनाइजिंग-नेगोशिएशन-फोकस-इंट्यूशन-रिस्पॉन्सिबिलिटी और एंटरप्राइज का संक्षिप्त रूप है। तीन दिवसीय उत्सव का उद्घाटन समारोह ललित ग्रेट इस्टर्न में आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य छात्रों की प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बाहर लाना और उन्हें परखना है।उद्घाटन समारोह 24 मार्च, 2022 को आयोजित किया गया था। कॉलेज के डायरेक्टर जनरल डॉ. सुमन मुखर्जी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। साथ में, प्रमुख अतिथियों में रजवाड़ा समूह के प्रवीण अग्रवाल, वुडलैंड्स मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लिमिटेड की निदेशक डॉ रूपाली बसु और ईज़ी नोट्स स्टेशनरी प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक शालिनी एस विश्वास रहीं।

उद्घाटन समारोह की शुरुआत भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज, देवज्योति बनर्जी और माधव मोहता के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के छात्र अध्यक्षों के परिचय भाषण के साथ हुई। एम्सीस अदा बक्स और अनुषा अकबर द्वारा एक उद्घाटन भाषण दिया गया जिसमें उन्होंने सभी कॉलेजों का स्वागत किया और कॉर्पोरेट संस्कृतियों के सभी आयामों से होने वाले तीस से अधिक होने वाले आयोजनों के बारे में चर्चा की। गणमान्य अतिथियों का परिचय कराया गया और उन्हें गिफ्ट हैम्पर्स देकर सम्मानित किया गया।
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के महानिदेशक प्रो. डॉ. सुमन कुमार मुखर्जी ने उद्घाटन भाषण देते हुए उन्होंने “बोनफायर” नाम के महत्व पर प्रकाश डाला और कॉलेज की ओर से कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के लिए छात्रों की सराहना की। प्रमुख अतिथियों में रजवाड़ा समूह के युवा उद्यमी प्रवीण अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में उद्यमशीलता की दुनिया में अपने जीवन के अनुभवों के बारे में और रियल एस्टेट की दुनिया को धन्यवाद संभालने में किन- किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, बातें विद्यार्थियों से साझा की । उन्होंने महत्वाकांक्षी युवा उद्यमियों के लिए आज की दुनिया में मौजूद प्रतियोगिताओं के साथ-साथ व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए अपने नेतृत्व कौशल को सही जगहों पर कैसे इस्तेमाल किया जाए, इस पर भी चर्चा की।
वुडलैंड्स मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लिमिटेड की निदेशक और सीईओ डॉ रूपाली बसु ने देश के चिकित्सा मुद्दों पर चर्चा करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की और वर्तमान समय में अपने अनुभवों और संघर्षों की चर्चा की उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि वे कठिन समय में अपने रोगियों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं और समय के साथ कैसे एक व्यवसाय का संचालन और संगठन सुचारू रूप से करते हैं। शिक्षा ग्रहण करने के बाद आपको कर्म क्षेत्र में अलग ही चुनौतियाँ आती हैं, कॉर्पोरेट जगत तो बिल्कुल ही भिन्न हैं।
ईज़ी नोट्स स्टेशनरी प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक शालिनी एस विश्वास व्यापारिक जगत में एक किंवदंती की तरह हैं और भारत के सबसे सफल उद्यमियों में से एक है। उनका संबोधन व्यवसाय और स्टार्ट-अप के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की चर्चा के साथ शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि महामारी कोरोना के दौरान अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए हाउसिंग सोसाइटियों में स्टेशनरी कैंप लगाए। अपनी प्रबंधन टीम को समझाया कि किसी व्यवसाय या संगठन के लिए अतिरिक्त विचारों को प्रबंधित करना और उसको कार्य में परिणत करवाना महत्वपूर्ण होता है।
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बीबीए विभाग के समन्वयक डॉ त्रिदीब सेनगुप्ता ने निम्नलिखित जुनून के बारे में अपने बहुमूल्य विचार सामने रखे और गणमान्य अतिथियों का परिचय दिया और बताया कि उनकी भूमिका छात्र जीवन में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कॉलेज के महानिदेशक प्रो डॉ. सुमन कुमार मुखर्जी द्वारा पूर्व अध्यक्ष दीक्षा झा और खिजिर जाफरी का अभिनंदन किया गया। बोनफायर’22 का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘फैशन शो’ ने धमाकेदार शुरुआत की और प्रतियोगियों और दर्शकों दोनों को उत्साहित किया। फैशन शो के प्रतिभागियों में द हेरिटेज एकेडमी, सिस्टर निवेदिता यूनिवर्सिटी, लोरेटो कॉलेज, द एडमास यूनिवर्सिटी और लैक्मे अकादमी के मेकअप कलाकारों द्वारा सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी को खूबसूरत दिन में तब्दील कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने अपने मॉडलिंग कौशल का प्रदर्शन रैंप शो द्वारा किया।
समारोह के इवेंट मैनेजमेंट टीचर कोऑर्डिनेटर प्रो. कौशिक बनर्जी और प्रशासन का पूरा संयोजन रहा। स्वयंसेवकों, कॉलेज के प्रतिनिधियों और इवेंट मैनेजमेंट टीम का सहयोग रहा। ज्ञान को व्यावहारिक उपयोग में लाने के बाद ही ज्ञान बनता है। भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इंटर-कॉलेज मैनेजमेंट फेस्ट – बोनफायर’22 कोलकाता के आसपास के विभिन्न कॉलेजों ने भाग लिया।
फेस्ट के सभी आयोजनों में मार्केटिंग, मानव संसाधन प्रबंधन से लेकर वित्त तक की प्रतिभाओं के सभी आयामों को शामिल किया गया। सभी छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाई और स्वयं को जीतने की भावना के साथ प्रस्तुति दी। बोनफायर’22 का समापन समारोह जुबली हॉल में आयोजित किया गया था। समारोह की शुरुआत छात्र अध्यक्ष माधव मोहता और देवज्योति बनर्जी ने छात्रों और पूरी इवेंट मैनेजमेंट टीम के साथ-साथ इवेंट मैनेजमेंट टीचर – कोऑर्डिनेटर, प्रो कौशिक बनर्जी को धन्यवाद दिया।
वैभव शर्मा और दिशा रूपानी ने छात्रों को एक खेल का आयोजन किया जिसमें बोर्ड की बैठक, वाद-विवाद और एआईपीपीएम जैसे प्रमुख सार्वजनिक कार्यक्रमों से लेकर खजाने की खोज जैसे मनोरंजक कार्यक्रमों थे जिसमें प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इसके बाद विजेताओं को प्रमाण पत्र देकर भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के छात्र मामलों के डीन प्रो दिलीप शाह अपने वक्तव्य में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में बोलना बहुत ही महत्वपूर्ण है और छात्रों को भागीदारी के लिए प्रेरित किया जो उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है सभी विजेताओं को प्रो. दिलीप शाह द्वारा ट्राफियाँ प्रदान की गईं। फेस्ट में तृतीय स्थान जेडी बिड़ला इंस्टीट्यूट, द्वितीय स्थान सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय और प्रथम स्थान भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग को प्राप्त हुआ जिसने सभी आयोजनों में बेहतर प्रदर्शन और समन्वय किया। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

सिलीगुड़ी के फूलबाड़ी में मनाया गया बांग्लादेश का 51वाँ स्वाधीनता दिवस

भारत – बांग्लादेश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के पंचगुड़ा में आयोजित हुआ समारोह

सिलीगुड़ी । सिलीगुड़ी के फुलबाड़ी में स्थित अंतरराष्ट्रीय भारत-बांग्लादेश सीमा पर गत 26 मार्च को बांग्लादेश के 51 वे स्वाधीनता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भारत एवं बांग्लादेश के उच्चाधिकारी उपस्थित थे। दोनों देशों के जवानों ने दोनों देशों का ध्वज फहराया एवं सलामी दी। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच एक दूसरे को सम्मानित करने के साथ-साथ मुंह भी मीठा करवाया।

उत्तर बंगाल फ्रंटियर के आईजी अजय सिंह ने दोनों देशों की आपसी मैत्री को और मजबूत करने पर जोर दिया। इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में दोनों देशों की सहयोग की बात कही। वही बांग्लादेश के बीजेबी के कर्नल ने अपने वक्तव्य में इस दिन को विशेष बताया। गौरतलब है कि पिछले 2 सालों से कोरोना नामक के कारण भारत बांग्लादेश सीमा पर सभी गतिविधियां बंद थीं।अधिकारियों ने कहा कि अब सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का पालन करते हुए सभी गतिविधियां बहाल कर दी जायेंगी। इस अवसर पर भारत तथा बांग्लादेश के आम लोग मौजूद थे ।

सीमा सुरक्षा बल को मिलीं 355 महिला प्रहरी नव – आरक्षक

लक्ष्मी शर्मा की रपट

राज्यपाल ने किया एसटीसी बैकुंठपुर में सत्यापन परेड का निरीक्षण

सिलीगुड़ी । बैकुण्ठपुर के सहायक प्रशिक्षण केन्द्र में सीमा सुरक्षा बल के 355 महिला प्रहरी नव-आरक्षक बैच संख्या – 211 व 212 के सत्यापन परेड (पासिंग आउट परेड) का आयोजन किया गया। इस भव्य परेड में मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़, एवं राज्य की प्रथम महिला डाॅ सुदेश धनखड़ भी मौजूद थीं। इस अवसर पर राज्यपाल ने महिला प्रहरी नव-आरक्षक बैच संख्या – 211 व 212 को सफलता पूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने एवं उत्कृष्ट दर्जे की परेड का प्रर्दशन करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन महिला नव-आरक्षकों की आंखों में जो चमक और मजबूत इरादे देखे है वह आगामी भविष्य में बदलते भारत का परिचायक है। उन्होंने अजय सिंह, महानिरीक्षक, सहायक प्रशिक्षण केन्द्र, बैकुन्ठपुर एवं उत्तर बंगाल सीमान्त मुख्यालय और उनके अनुभवी अनुदेशकों की टीम को इस भव्य परैड को इस मुकाम पर पहुँचाने के लिये भूरी-भूरी प्रशंसा की।

सहायक प्रशिक्षण केन्द्र, बैकुण्ठपुर, सीमा सुरक्षा बल के पश्चिम बंगाल के सीमा क्षेत्र का एक मात्र ऐसा प्रशिक्षण केन्द्र है, जिसने अभी तक 32367 सीमा सुरक्षा बल के नव-आरक्षकों और अन्य बल के 2573 कार्मिकों को प्रशिक्षित किया है। बैच संख्या- 211 में कुल 180 महिला नव-आरक्षक ने शपथ ग्रहण की है, जिनमें से 21 आन्ध्र प्रदेश से, 12 छत्तीसगढ़ से, 22 झारखण्ड से, 05 जम्मू-कश्मीर से, 19 मध्य प्रदेश से, 10 पंजाब से, 17 राजस्थान से, 31 उत्तर प्रदेश से, 25 ओडिशा से व 18 देश के विभिन्न प्रान्तों से है। जबकि, बैच संख्या- 212 में कुल 175 महिला नव-आरक्षक ने शपथ ग्रहण की है, जिनमें से 20 आन्ध्र प्रदेश से, 11 छत्तीसगढ़ से, 20 झारखण्ड से, 07 जम्मू-कश्मीर से, 17 मध्य प्रदेश से, 12 पंजाब से, 19 राजस्थान से, 29 उत्तर प्रदेश, 24 ओडिसा से व 16 देश के विभिन्न प्रान्तों से है।

बैच सं 211 से महिला नव-आरक्षक सुर्बना प्रधान और बैच सं 212 से महिला नव-आरक्षक सुमन गोदारा प्रशिक्षण के सभी क्रिया कलापों में प्रथम स्थान पर रहीं और इन दोनों को माननीय श्री जगदीप धनखङ, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल ने सम्मानित किया । इसके साथ ही प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न गतिविधियों में अलग-अलग प्रतिस्पर्द्धाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कुल 10 महिला नव-आरक्षकों को भी राज्यपाल ने ट्रॅाफी प्रदान कर सम्मानित किया।

44 सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण के बाद ये महिला नव-आरक्षक इस मुकाम पर पहूँची है। इस रंगारंग पैरेड को देखने के लिये सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारी, अन्य बलों और संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी, प्रतिष्ठित हस्थियां, प्रशिक्षुओं के माता-पिता व परिवारजन और गणमान्य अतिथि शामिल हुए। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं ने धीरे-धीरे अभ्यास कर विभिन्न प्रकार के हथियारों को चलाने, चांदमारी कुशलता, सीमा प्रबंधन, कानूनी प्रावधान, ड्रिल एवं बल की अन्य गतिविधियों में दक्षता प्राप्त की। इसके अतिरिक्त सहायक प्रशिक्षण केन्द्र, बैकुण्ठपुर के प्रशिक्षकों की सख्त मेहनत से इनकी शारीरिक दक्षता में भी बढ़ोतरी हुई है जिसके परिणामस्वरूप यह सभी महिलानव-आरक्षक शारीरिक, मानसिक एवं व्यावसायिक तौर पर पूरी तरह से देश की सुरक्षा एवं देश विरोधी तत्वों का सामना करने के लिये तैयार हैं।

परेड के समापन के बाद ई गुल्म की महिला नव-आरक्षकों ने मोबाईल के दुष्प्रभाव पर एक शानदार प्रस्तुति दी और साथ ही ई गुल्म की लद्दाख क्षैत्र की रहने वाली महिला नव-आरक्षकों ने लद्दाख क्षैत्र की पारम्परिक वेशभूषा में लोक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया और संस्थान के पी.टी. अनुदेशकों ने शारीरिक दक्षता और विभिन्न कलाबाजियाँ दिखायीं। परेड के दौरान उपस्थित प्रशिक्षुओं के माता-पिता एवं परिवारजनों को इस यादगार परेड पर गर्व की अनुभूति हुई, जिसे वे जीवन भर अपनी यादों में संजो कर रखेंगे। सहायक प्रशिक्षण केंद्र, बैकुंठपुर में 818 महिला एवं पुरुष नव आरक्षक प्रशिक्षणरत थे, जिनमें से आज 355 महिला नव आरक्षक पास आउट हो चुकी हैं और अभी वर्तमान समय में 463 महिला एवं पुरुष नव आरक्षक प्रशिक्षणरत हैं।

गुजरात में कारखाना लगायेगी सुजुकी

नयी दिल्ली । जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन ने भारत में 1.26 बिलियन डॉलर के निवेश  की योजना बनाई है। इस निवेश से यहां इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों के निर्माण के लिए फैक्ट्री लगाई जाएगी।
गुजरात में लगेगी फैक्ट्री
जापान के दैनिक समाचार पत्र ‘निक्केई’ की एक खबर में इस बारे में बताया गया है। इस खबर के मुताबिक गुजरात में सुजुकी की ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के पास ही बैटरी यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव है। इस नई यूनिट पर कुल लगभग 150 बिलियन येन (1.26 अरब अमेरिकी डॉलर) के निवेश का अनुमान है। इसके अलावा भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
शिखर वार्ता के दौरान घोषित निवेश का हिस्सा
खबर में कहा गया है कि यह निवेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान घोषित जापान के कुल निवेश में शामिल है। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार को भारत आ गए हैं।

विज्ञान का चमत्कार: ऐसा कपड़ा, जिसे पहनने वाला सुन सकेगा अपने दिल की धड़कनें

अभी तक आप अपने दिल की धड़कनों, पल्स व अन्य तरह की चीजों की निगरानी के लिए स्मार्टवॉच का ही उपयोग करते थे, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऐसा कपड़ा बनाने में सफलता हासिल की है, जिसकी मदद से आप आसानी से दिल और सांसों की निगरानी कर सकेंगे। दरअसल, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और रोड आइलैंड स्कूल ऑफ डिज़ाइन (आरआईएसडी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फैब्रिक(कपड़ा) बनाया है, जिसकी मदद से हम अपनी दिल की धड़कनों और सांसों को आसानी से सुन सकते हैं। इसके अलावा आस-पास की धीमी आवाजों को भी सुना जा सकता है। यह फैब्रिक माइक्रोफ़ोन व स्पीकर दोनों की तरह काम करता है।
त्वचा के साथ करता है इंटरफेस
यह शोध एक नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है। प्रमुख वैज्ञानिक एमआईटी के वेई यान कहते हैं कि “यह कपड़ा मानव त्वचा के साथ स्पष्ट रूप से इंटरफेस कर सकता है, जिससे पहनने वाला अपने दिल और श्वसन की स्थिति पर निगरानी कर सकता है।” वह कहते हैं कि हम इसे और भी ज्यादा अपग्रेड करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे यह स्पेसफ्लाइट और यहां तक कि बिल्डिंग-क्रैक तक को मॉनीटर कर सके।
कैसे सुनाई देती है आवाज
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जिस तरह से एक माइक्रोफोन काम करता है ठीक वैसे ही यह कपड़ा ध्वनि को यांत्रिक कंपन में परिवर्तित करता है। इसके बाद इन कंपन को विद्युत संकेतों में बदल लेता है, जिस तरह से हमारे कान काम करते हैं। एमआईटी के वैज्ञानिक योएल फिंक कहते हैं कि, हम मानव शरीर के कान के पर्दे ने इस तरह का कपड़ा बनाने के लिए प्रेरित हुए बाद में यह सामने आया कि कान का पर्दा भी एक तरह के फैब्रिक से ही बना होता है।

सेव स्पैरो फाउंडेशन ने देशभर में बांटे 70 हजार घरौंदे

संजोया चिड़ियों का घोंसला तो घरों में गूंजने लगी चहचहाहट
हमारे आसपास गौरैया यानी घरेलू चिड़िया की चहचहाहट की गूंज कम सुनाई देने लगी है। इसकी एक वजह है घरेलू चिड़िया के सिमट रहे प्राकृतिक आवास। ऐसे में विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए सेव स्पैरो फाउंडेशन आगे आया। इसके प्रयासों ने न केवल गौरैया की आबादी बढ़ी, बल्कि घर के अंदर ही चहचहाहट बढ़ गई है।

फाउंडेशन ने ऐसे घोंसले तैयार किए, जिन्हें गौरैया ने अपना आशियाना बनाने के लिए चुना। यह सब संभव हुआ तोशाम के राहुल बंसल की बदौलत। उसने सेव स्पैरो फाउंडेशन का गठन कर अब तक देशभर में करीब 70 हजार चिड़ियों के घोंसले बांट दिए। फाउंडेशन अब हर छह माह के दौरान करीब 25 से 30 हजार घोंसले बांटकर चिड़िया की आबादी बढ़ाने में जुटा है।

हरियाणा के भिवानी जिले के तोशाम निवासी राहुल बंसल इनकम टैक्स और जीएसटी के सलाहकार हैं। उन्होंने पांच वर्ष पहले सेव स्पैरो फाउंडेशन की स्थापना की थी। उनका मकसद अपने आसपास गौरैया की आबादी बढ़ाना था। उन्होंने चिड़िया के घोंसले बनाने के लिए कई प्रयोग किए।

शुरूआत में सफल नहीं हुए। बाद में उसने बिना केमिकल युक्त रंगों और प्लायवुड से घोंसला तैयार किया, जो कुछ समय बाद गौरैया को बहुत पसंद आया और उसमें उसकी आबादी फलने-फूलने लगी। ये घोंसले घर के किसी भी हिस्से में आसानी से लगाए जा सकते हैं।

हानिकारक कीड़ों से दिलाती है निजात, किसानों की भी है मित्र
राहुल बंसल बताते हैं कि उनके साथ अमृत अग्रवाल, यश, लक्ष्य, नंदिनी, काव्यांश, नरेंद्र गोयल भी इसी मुहिम में जुड़े हैं। हमारा प्रयास रहता है कि गौरैया को अपने आसपास ही आवास मुहैया कराया जाए। गौरैया हानिकरक कीड़ों को खाती है। इसलिए यह किसान की भी मित्र है। गौरैया का पर्यावरण पर भी सीधा असर पड़ता है। यह ऐसा पक्षी है, जो मनुष्य यानी मानव आबादी के साथ ही रहना पसंद करती है। इसलिए यह हमारे घरों में ही अपना छोटा सा आशियाना बनाने की तलाश में रहती है।

ऐसे लगाएं अपने घरों के अंदर गौरैया के घोेंसले
घोंसले को कम से कम सात से आठ फूट ऊंचाई पर लगाएं।
छायादार स्थान व बारिश से बचाव के स्थान पर लगाएं।
बंदरों व बिल्ली से बचाव के लिए छज्जों के नीचे की जगह व बालकनी उपयुक्त है।
घोंसलों के अंदर खाने-पीने के लिए कुछ नहीं डालें।
दाना व पानी की व्यवस्था घोंसलों से कम से कम आठ से 10 फुट दूर ही रखें।
घोंसलों के ऊपर किसी भी तरह का अलग से पेंट न करें।
घोंसलों की आपस में दूरी कम से कम तीन फूट रहे।
घोंसलों में किसी भी तरह की घास फूस न डालें।
एक बार लगाने के बाद घोंसलों से छेड़छाड़ न करें।
घोंसलों को छत के पंखों से दूर लगाएं।
ये भी ध्यान रखें कि रात के समय इनके घोंसलों के आसपास तेज रोशनी न जलाएं।
जब इनके अंडे देने का समय हो (मार्च से सितंबर) तब इनके 8-10 फुट दूर सूखी घास डाल सकते हैं।
घोंसलों को लगते समय यह भी ध्यान रखे कि इनके ऊपर गर्मियों में दोपहर व शाम की धूप सीधी न पड़े।

बेहतर ‘मार्केटिंग’ से बढ़ाया जा सकता है जीआई उत्पादों का निर्यात : वाणिज्य मंत्रालय

नयी दिल्ली । वाणिज्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि विभिन्न राज्यों में क्षेत्र विशेष की विशिष्ट खासियत और गुणवत्ता वाले (भौगोलिक संकेतक) कई उत्पाद हैं, जिन्हें वैश्विक बाजारों में संभावित खरीदारों तक पहुंचाने के लिए समुचित विपणन (मार्केटिंग) की जरूरत है।
मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्राप्त कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सरकार नये उत्पादों और गंतव्यों की पहचान कर रही है।
सरकार कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के जरिये प्रयोग के तौर पर कुछ उत्पादों को नये बाजारों में भेजने की राह को सुगम बना रहा है। इन उत्पादों में काला नमक चावल, नगा मिर्च, शाही लीची, जलगांव का केला आदि शामिल हैं।
भौगोलिक संकेतक उन उत्पादों को दिया जाता है, जिनकी उत्पत्ति विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में होती है और इसके कारण उन उत्पादों की विशिष्ट गुणवत्ता तथा एक अलग पहचान होती है। ऐसे उत्पाद गुणवत्ता का गारंटी और विशिष्टता का आश्वासन देते हैं।
दार्जिलिंग की चाय, महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति का लड्डू जैसे उत्पादों को जीआई संकेतक प्राप्त हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ दार्जिलिंग चाय और बासमती चावल भारत के दो लोकप्रिय भौगोलिक संकेतक वाले कृषि उत्पाद हैं। इन उत्पादों के लिये दुनियाभर में तैयार बाजार हैं। देश के विभिन्न भागों में भौगोलिक संकेतक दर्जा प्राप्त उत्पाद हैं, जिनके पास विशिष्ट लेकिन ऐसे ग्राहक हैं, जो उसे पसंद करते हैं। ऐसे उत्पादों को अधिक-से-अधिक संभावित खरीदारों तक पहुंचाने के लिये सही तरीके ‘मार्केटिंग’ की आवश्यकता है।’’देश में अभी की स्थिति के अनुसार 417 पंजीकृत भौगोलिक संकेतक वाले उत्पाद हैं। इनमें से 150 कृषि और खाद्य उत्पाद हैं।