Friday, July 18, 2025
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कैंसर की रोकथाम या इलाज में भी कारगर हो सकती है मुलेठी – अध्ययन

कैंसर के इलाज के लिए रासायनिक पदार्थों से लेकर वनस्पतियों तक में संभावनाएं ढूंढी जा रही हैं। इस सूची में अब मुलेठी का नाम भी शामिल हो गया है। मुलेठी के बारे में तो हम सभी जानते हैं।
सेहत के लिए ये काफी फायदेमंद होती है। आयुर्वेद में तो इसका उपयोग औषधि के तौर पर किया जाता है। अब एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि कुछ विशिष्ट प्रकार के कैंसर की रोकथाम या इलाज में मुलेठी की अहम भूमिका हो सकती है. शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी का निष्कर्ष ‘फार्मोकोलॉजिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
दरअसल, मुलेठी कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर होती है। इसमें खासतौर पर प्रोटीन, एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम भी मौजूद होता है। सर्दी, खांसी होने पर घर के बड़े बुजुर्ग हमें मुलेठी खाने की सलाह देते हैं क्योंकि मुलेठी का रस इन बीमारियों में काफी फायदा पहुँचाती है। कई लोग मुलेठी के गुणों को देखते हुए उसका ज्यादा उपयोग करने लगते हैं। ऐसा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या कहते हैं जानकार
रॉकफोर्ड के कॉलेज ऑफ मेडिसिन में डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर ज्ञानेश्वर मुनिरथिम और उनकी रिसर्च टीम ने इस बात की स्टडी कि क्या मुलेठी से प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम की जा सकती है. उन्होंने लिकरिस (मुलेठी) से मिलने वाले ग्लाइसीर्रिजिन को लेकर प्रयोग किया है और कहा है कि इसके क्लिनिकल यूज को लेकर और स्टडी होने चाहिए. उन्होंने बताया कि जब हमने स्टडी डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि ग्लाइसीर्रिजिन और व्युत्पन्न ग्लाइसीरिर्जिन एसिड में सूजन रोधी और कैंसर रोधी एजेंट बनने का प्रचुर संभावना है।
हालांकि, उन्होंने आगाह किया है कि इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी मुलेठी चबाने लगे, क्योंकि इससे प्रेशर भी प्रभावित होता है और कुछ दवाओं के साथ इसकी प्रतिक्रिया गंभीर साइड इफेक्ट पैदा कर सकती है जो कभी-कभी मौत का भी कारण बन सकती है।

धूप से आँखें हो जाएं लाल, कुछ ऐसे रखें ख्याल

तेज धूप या धूल और गंदगी के संपर्क में आने से आंखों में लालिमा आ सकती है। इसके अलावा कभी-कभी आंखों की रक्त वाहिकाओं में खुजली या सूजन या संक्रमण के कारण लाल दिखाई देता है।
ऐसे में आंखों में जलन, चुभन आदि की समस्या भी परेशान करने लगती है। ऐसे में आज इस लेख में हम आपको लाल आंखों के कुछ घरेलू उपचार और उनसे बचने के उपाय के बारे में बताएंगे।
इससे आंखों से जुड़ी समस्याएं होती हैं
, अधिक समय तक धूप में रहें
, धूल, गंदगी, कीचड़ आंखों में चली जाती है
आंखों के आसपास रक्त वाहिकाओं की सूजन
, आँखों को किसी भी प्रकार की एलर्जी
, बैक्टीरिया या वायरस आंखों की लाली और सूजन का कारण बन सकते हैं
, सर्दी, फ्लू या बुखार
, शुष्क हवा चल रही है
आँखों की लाली दूर करने के घरेलू उपाय

आइस पैक

यदि आपकी आंखें लाल या चिड़चिड़ी और खुजली कर रही हैं तो आप आइस पैक का उपयोग कर सकते हैं। यह आपको बाजार में आसानी से मिल जाएगा। इसे करीब 3-5 मिनट के लिए बंद आंखों पर भिगो दें। इससे आपकी आंखों की जलन, जीभ, खुजली शांत हो जाएगी। आंखों के लाल होने और सूजन की समस्या से भी राहत मिलेगी।

खीरा
आंखों की समस्या से राहत पाने के लिए आप खीरे का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए खीरे को गोल स्लाइस में काट लें और कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लें। इस प्रक्रिया को दिन में 2-3 बार दोहराएं। खीरे के ठंडे गुण रक्त वाहिकाओं में सूजन को कम करेंगे और आंखों की लाली को खत्म करेंगे।

शहद और दूध
आंखों की लाली की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप शहद और दूध का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए एक कटोरी में 1-1 चम्मच ठंडा दूध, शहद लें। इसके बाद इस मिश्रण में एक कॉटन पैड डुबोएं और इसे 5-10 मिनट के लिए बंद आंखों पर रखें। फिर अपने चेहरे को एक नम कपड़े या ठंडे पानी से धो लें। ऐसा दिन में 2-3 बार करने से आपको आराम महसूस होगा।

एलोवेरा जेल
एलोवेरा जेल का पौधा हर घर में आसानी से मिल जाता है। ऐसे में अगर यह आपके घर में है तो भी आंखों में सूजन, आंखों में जलन, दर्द, लालिमा आदि की समस्या को खत्म कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए एक कटोरी में 2 चम्मच एलोवेरा जेल और थोड़ा सा पानी डालकर मिक्सर में पीस लें। फिर 2 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। इसके बाद रुई को इस मिश्रण में डुबोकर 10 मिनट के लिए बंद आंखों पर रखें। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल गुण लाल आंखों से जुड़ी समस्या से राहत दिलाने में मदद करेंगे।

आलू
आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए आप आलू का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके कसैले गुण आंखों के आसपास की रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने में मदद करते हैं। इस तरह यह आंखों में जलन, चुभन, आंखों का लाल होना आदि से छुटकारा दिलाता है। ऐसा करने के लिए आलू को पतला-पतला काट लें और 10 मिनट के लिए आंखों को बंद करके रख दें। इस प्रक्रिया को दिन में 2 बार दोहराएं। कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा।

आई फोन 13 भी होगा मेड इन इंडिया फोन, ऐपल ने शुरू किया निर्माण

चेन्नई । ऐपल अपने इस फोन आईफोन 13 का निर्माण चेन्नई स्थित फॉक्सकॉन प्लांट में शुरू करेगी। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एपल ने सिर्फ आईफोन 13 के स्टैंडर्ड मॉडल का उत्पादन शुरू किया है जबकि आईफोन 13 प्रो मॉडल का उत्पादन भारत में शुरू नहीं हुआ है। आईफोन 13 से पहले आईफोन 12 और आईफोन 11 सीरीज का उत्पादन पहले ही भारत में हो रहा है। साल 2021 में एपल ने भारत में लगभग 5 मिलियन आईफोन की बिक्री की थी। इसके बाद भारत में 4 प्रतिशत की हिस्सेदारी हो गई थी, साथ ही कंपनी ने बीते कुछ साल से भारतीय बाजार में ध्यान देना शुरू किया है।
आईफोन की विशेषताएं
आईफोन 13 (512जीबी) अमेजन पर 1.03 लाख रुपये में सूचीबद्ध है। इसमें 6.1 इंच का सुपर रेटीना एक्सडीआर डिस्प्ले दिया गया है। इस आईफोन में सिनेमैटिक मोड दिया गया है, साथ ही इसमें बैक पैनल पर डुअल कैमरा सेटअप है, जिसमें 12 मेगापिक्सल का कैमरा दिया है।

यूजीसी ने बदले नियम – अब एक साथ करें दो पूर्णकालिक डिग्री कोर्स

नयी दिल्‍ली । यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने घोषणा की कि छात्र अब एक ही विश्‍वविद्यालय या अलग-अलग विश्वविद्यालयों से एक साथ फिजिकल मोड में दो पूर्णकालिक यानी फुल टाइम डिग्री कोर्स कर सकेंगे।
हालांकि इस बारे में आयोग ने फिलहाल कोई दिशा निर्देश नहीं जारी किया है लेकिन जल्‍द ही जारी करने की संभावना है। उन्‍होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि नयी राष्‍ट्र‍ीय श‍िक्षा नीति(एनईपी) जारी कर दी गयी और छात्रों को विभिन्‍न कौशल यानी स्किल से परिपूर्ण करने की दिशा की ओर बढने के लिए यूजीसी नयी गाइडलाइन्‍स के साथ आया है। इसके तहत छात्र एक साथ दो फुल टाइम कोर्स कर सकते हैं और अगर वो चाहे तो दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से पढाई कर सकते हैं। बता दें कि यह नियम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड के लिए लागू होगा। इस निर्णय के साथ ही छात्र यूजी और पीजी दोनों के दो-दो कोर्स एक साथ पूरा कर सकेंगे, यह फिजिकल मोड में हो सकता है, यह ऑनलाइन प्‍लस फिजिकल मोड में किया जा सकता है, यह ऑनलाइन प्‍लस ऑनलाइन मोड में किया जा सकता है। कुमार ने कहा कि शीर्ष विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन डिग्री कोर्स चलाने के चयन का अवसर दिया गया है। अगले दो सप्‍ताह में इसे लेकर गाइडलाइन्‍स भी भेज दी जाएंगी. इससे संबंधित जानकारी यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की जाएगी। उम्‍मीदवार यूजीसी की वेबसइट पर अपडेट देखते रहें।

बेंगलुरु में पहली भारतीय शुद्ध-शून्य ऊर्जा आवास परियोजना बनाएगी महिंद्रा लाइफस्पेसेज

नयी दिल्ली । महिंद्रा समूह की रियल्टी शाखा महिंद्रा लाइफस्पेसेज डेवलपर्स लिमिटेड ने कहा कि वह बेंगलुरु में भारत की पहली शुद्ध-शून्य ऊर्जा आवास परियोजना बनाएगी, जिसके लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस आवासीय परियोजना में 550 इकाइयां शामिल हैं।
कंपनी ने यह घोषणा भी की कि वह 2030 से केवल शुद्ध-शून्य ऊर्जा आवास परियोजनाओं का विकास करेगी और समूह पेरिस समझौते के लक्ष्य से दस साल पहले 2040 तक कार्बन निरपेक्ष बन जाएगा। शुद्ध-शून्य का अर्थ उत्सर्जन को कम करके और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके मानव गतिविधि द्वारा उत्पादित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को पूरी तरह से समाप्त करना है।
इस मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित एक कार्यक्रम में महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट रूप से एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर सकता हूं, जहां आने वाली पीढ़ी के बच्चे हर सांस के लिए लड़ रहे हैं, और वे मेरी ओर मुड़कर कहते हैं- आप इस बारे में कुछ कर सकते थे, लेकिन आपने नहीं किया।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसलिए मैं आज यहां अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहा हूं कि एक समूह के रूप में हम पेरिस समझौते के लक्ष्य से दस साल पहले, वर्ष 2040 तक कार्बन निरपेक्ष हो जाएंगे।’’

वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 66,440 हुई पेटेंट आवेदनों की संख्या

नयी दिल्ली । वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि पेटेंट दाखिल करने की संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 42,763 से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 66,440 हो गई। मंत्रालय ने कहा है कि सरकार द्वारा देश में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं जिसकी वजह से पेटेंट आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

मंत्रालय ने कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2014-15 में 5,978 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 30,074 पेटेंट प्रदान किए, जो लगभग पांच गुना ज्यादा है। 2016 में पेटेंट की समीक्षा में जहां 72 महीनों का समय लगता था वह अब घटकर 5-23 महीने रह गया है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘पिछले 11 वर्षों में पहली बार, घरेलू पेटेंट दाखिल करने की संख्या ने जनवरी-मार्च, 2022 की तिमाही में भारतीय पेटेंट (आईपी) कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय पेटेंट दाखिल करने के आंकड़े को पार कर लिया है।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग और आंतरिक व्यापार (डीपीआईआईटी) और आईपी कार्यालय को बढ़ावा देने के लिए विभाग के समन्वित प्रयासों से समाज के सभी वर्गों में जागरूकता बढ़ी है। इन प्रयासों से एक ओर आईपीआर फाइलिंग की संख्या में वृद्धि हुई है और दूसरी ओर पेटेंट आवेदनों के लंबित होने में कमी आई है।

 

आ गया टाटा का सुपर ऐप ‘टाटा न्यू’, एक ही जगह मिलेंगी कई सुविधाएं

नयी दिल्ली । टाटा समूह ने अपना सुपर ऐप ‘टाटा न्यू’ लॉन्च कर दिया है। यह ऐप टाटा ग्रुप के सभी ब्रांड्स को एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगा। इस सुपरऐप का लंबे वक्त से इंतजार किया जा रहा था। इस ऐप के जरिए समूह का उद्देश्य ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट के प्रभुत्व वाले घरेलू ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाना है।

टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि टाटा, न्यू प्रौद्योगिकी के आधुनिक स्वभाव के साथ समूह के पारंपरिक ‘उपभोक्ता सबसे पहले’ के दृष्टिकोण को प्रौद्योगिकी के आधुनिक लोकाचार के साथ जोड़ता है। उन्होंने कहा, ‘आज एक ‘न्यू डे’ है। टाटा परिवार के सबसे छोटे सदस्य टाटा डिजटल ने टाटा न्यू ऐप पेश किया है।’

इन कामों के लिए ‘ऑल इन वन’ प्लेटफॉर्म
टाटा के सुपरऐप पर टाटा समूह के सभी ब्रांड एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। एयर एशिया, बिग बास्केट, क्रोमा, आईएचसीएल, क्यूमिन, स्टार बक्स, टाटा 1 एम जी, टाटा क्लिक, वेस्टसाइड इस सुपरऐप पर पहले से मौजूद हैं। आगे चलकर टाटा न्यू पर विस्तारा, एयर इंडिया, टाइटन, तनिष्क, टाटा मोटर्स भी जुड़ेंगे। इसका अर्थ है कि यूजर ग्रॉसरी ऑर्डर करना, फ्लाइट टिकट बुक करना, दवा ऑर्डर करना, इलेक्ट्रॉनिक्स व कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आइटम्स की खरीद आदि टाटा न्यू ‘ऑल इन वन’ प्लेटफॉर्म की मदद से कर सकेंगे।

पिछले एक साल से चल रही थी टेस्टिंग
टाटा सन्स पिछले साल से ऐप का परीक्षण कर रही थी क्योंकि यह तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाना चाहती है। समूह ने इस कड़ी में कई क्षेत्रों की ऑनलाइन कंपनियों का भी अधिग्रहण किया है। इसमें किराना का सामान आपूर्ति करने वाले मंच बिग बास्केट और ऑनलाइन फार्मेसी कंपनी 1एमजी शामिल हैं। टाटा सुपरऐप को टाटा डिजिटल संभाल रही है।

अब बिना कार्ड के निकलेगा एटीएम से पैसा – आरबीआई

करोड़ों ग्राहकों को मिली बड़ी सौगात
नयी दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक ने गत शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति जारी की है। आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस तरह रेपो रेट चार फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसद पर बरकरार है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के फैसलों के बारे में जानकारी दी है। आरबीआई ने ग्राहकों को आज एक बड़ी सुविधा भी दी है। केंद्रीय बैंक ने कार्डलेस पेमेंट की सुविधा के विस्तार की घोषणा की है। इससे आप बिना कार्ड के भी एटीएम से पैसा निकाल सकेंगे। आरबीआई ने देश के सभी बैकों के एटीएम में कार्डलेस निकासी की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही है। इससे पहले यह सुविधा कुछ बैकों के एटीएम तक ही सीमित थी।
कार्डलेस निकासी की सुविधा के विस्तार से देश के करोड़ों ग्राहकों को फायदा होगा। दास ने कहा कि ग्राहकों को यह सुविधा यूपीआई  के जरिए मिलेगी। दास ने कहा, ‘इस समय एटीएम से कार्डलेस नकदी निकासी की सुविधा कुछ बैंकों तक ही सीमित है। अब यूपीआई नेटवर्क का उपयोग करने वाले देश के सभी बैकों के एटीएम में इस सुविधा को उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया गया है।’

बिना कार्ड के निकलेगा पैसा
दास ने आगे कहा, ‘इससे लेनदेन में आसानी बढ़ेगी और इस तरह के लेनदेन में फिजिकल कार्ड्स की आवश्यकता नहीं होने से धोखाधड़ी में भी कमी आएगी, क्योंकि कार्ड स्किमिंग और कार्ड क्लोनिंग आदि से धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं।’ इस सुविधा से अब लोग बिना कार्ड के ही एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं।
बैकों द्वारा दी जा रही सुविधाओं की होगी समीक्षा
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई बैंकों द्वारा दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों के चलते डिजिटल प्लेटफॉर्म का काफी विस्तार हो रहा है। केंद्रीय बैंक उससे संबद्ध बैंकों की स्थिति की जांच करेगा और समीक्षा करेगा। इसमें बैंकों द्वारा ग्राहकों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा की जाएगी और खामियों का पता लगाया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव रखा गया है।

कार्डलेस निकासी की सुविधा कोरोना काल में हुई थी शुरू
बैंक एटीएम से बिना कार्ड के नकदी निकासी की सुविधा कोरोना काल से शुरू हुई थी। कोरोना काल में संक्रमण को फैलने से रोकने के उद्देश्य से इस सुविधा को शुरू किया गया था। देश के प्रमुख बैंकों एसबीआई, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस सुविधा को शुरू किया था।

बुन्देलखंड के ‘माझी’ : संत ने 3 साल में अकेले ही खोद डाला 10 बीघे का तालाब

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक संत ने अकेले ही सूखे प्राचीन तालाब की तीन साल तक खुदाई कर ये बुन्देलखंड का मांझी बन गया है। लगातार फावड़े चलाकर इसने तालाब की सूरत ही बदल दी है जिससे अब साल भर तक तालाब पानी से लबालब रहता है। गांव के लोगों की भी इस तालाब से जरूरतें पूरी हो रही है। इसीलिए इस संत को सरकार से भी सम्मान मिला है।
हमीरपुर जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के पचखुरा बुजुर्ग गांव में एक बुजुर्ग संत ने प्राचीन तालाबों की सूरत बदलने के लिए बड़ा काम किया है। इस गांव में 10 बीघे क्षेत्रफल में एक तालाब स्थित है। ये तालाब भी सैकड़ों साल पुराना है जो कलारन दाई नाम से प्रसिद्ध भी है। तालाब की कभी खुदाई न कराए जाने से यह खेत की तरह तब्दील हो गया था। गांव के लोगों के मुताबिक किसी जमाने में यह तालाब पूरे साल तक पानी से भरा रहता था। लेकिन पिछले कुछ दशक से इस प्राचीन तालाब में धूल उड़ रही थी।
सर्दी के मौसम में गांव के नौजवान इस सूखे तालाब को क्रिकेट का मैदान बना लेते थे जिससे तालाब भी मानचित्र से ही गायब हो चुका था। फिर भी कोई तालाब की दुर्दशा को लेकर आगे नहीं आया। तालाब के खेत में तब्दील होने के कारण ग्रामीणों और मवेशियों के सामने पानी की संकट खड़ा हो गया था। इस गांव में गर्मी के मौसम में पानी को लेकर कई सालों तक संकट बना रहा लेकिन गांव के कृष्णा नंद महाराज ने इस संकट को चुनौती के रूप में लेकर फावड़े चलाए तो तीन साल में ही तालाब की सूरत बदल गई।
संत ने तालाब की खुदाई के लिए वर्षों तक चलाए फावड़े
पचखुरा बुजुर्ग गांव के रहने वाले संत कृष्णा नंद महाराज ने वर्ष 1982 में संन्यास लिया था। इन्होंने 1986 में हरिद्वार में ही आयोजित कुंभ मेला में महा मण्डलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि महाराज से गुरुदक्षिणा लेकर वहीं पर धुनी जमाई थी। वर्ष 2014 में हरिद्वार से गांव लौटकर आए और गांव के ही रामजानकी मंदिर को अपना आसरा बनाया। उन्होंने मंदिर के पास ही प्राचीन तालाब की दुर्दशा देख बड़ा फैसला लिया और वर्ष 2015 में फावड़ा उठाकर अकेले ही तालाब की खुदाई में जुट गए। सूखे तालाब की खुदाई लगातार तीन सालों तक कर गांव के इस संत ने तीन हजार से अधिक ट्राली मिट्टी तालाब की तलहटी से खोदकर दोबारा इसे तालाब में तब्दील किया गया है।
संत कृष्णा नंद महाराज अब बुन्देलखंड के बन चुके है मांझी
संत कृष्णा नंद महाराज के समाजसेवा के जज्बे को आज हर कोई सलाम कर रहा है। तीन साल के अंदर सूखे तालाब की खुदाई कर इसे पुराने स्वरूप में लाने पर ग्रामीणों ने इन्हें अब बुन्देलखंड का मांझी कहते है। पिछले साल यह तालाब गर्मी के मौसम में पानी से लबालब रहा है। इस बार तालाब में पानी कम होते देख संत ने फिर से फावड़े उठाए है। पिछले जनवरी माह से ये बीच तालाब में फावड़े से लगातार खुदाई कर रहे है। जिससे भीषण गर्मी में इसके सूखने की संभावनाएं अब खत्म हो गयी है। गांव के इन्दल सिंह सहित तमाम ग्रामीणों ने बताया कि यह तालाब सैकड़ों साल पुराना है जिसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया था। लेकिन बाबा कृष्णा नंद महाराज ने तीन साल के अंदर अपने बलबूते अकेले ही फावड़े चलाकर तालाब की सूरत ही बदल डाली है। इस उपलब्धि के लिए उनको कई सम्मान मिल चुके हैं।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

6 दशक में नगालैंड की दूसरी महिला सांसद बनीं फांगनोन कोन्याक

 छात्र राजनीति से बढ़ीं आगे
कोहिमा । आजादी के 75 सालों में संसद के दोनों सदनों में महिलाओं की तादाद बढ़ी है, लेकिन पिछले दिनों राज्यसभा में देश के सुदूर नगालैंड से आने वाली महिला ने जब सदन की सदस्यता ली, तो वह अपने आप में इतिहास बन गया। दरअसल, लगभग छह दशक के नगालैंड के इतिहास में एस फांगनोन कोन्याक राज्य की दूसरी ऐसी महिला बनीं, जिन्होंने देश के लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
इससे लगभग साढ़े चार दशक पहले 1977 में रानो एम शाजा लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। नगालैंड में महिलाओं के लिए यह छलांग कितनी अहम है, यह बात इसी से समझ में आती है कि वहां अभी तक कोई महिला विधायक तक नहीं बन पाई है। कोन्याक को भाजपा ने राज्यसभा तक पहुंचने का मौका दिया। कोन्याक नगालैंड की भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं।

पारंपरिक वेशभूषा में शपथ लेने पहुंची
कोन्याक एक तरह से निर्विरोध ही राज्यसभा पहुंचीं। उनके सामने किसी ने पर्चा ही नहीं भरा था। कोन्याक हाल ही में संपन्न बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में अपनी परंपरागत वेशभूषा में सदस्यता की शपथ लेने राज्यसभा पहुंची थीं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि उनकी पारंपरिक वेशभूषा और संस्कृति उन्हें संसद के भीतर अपने लोगों की आवाज उठाने की हिम्मत और प्रेरणा देगी।

छात्र राजनीति से शुरुआत
कोन्याक ने सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की। राजनीति के अलावा, वह सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। 2017 में वह भाजपा से जुड़ीं और कई भूमिकाओं में संगठन के लिए काम किया। 2020 में उन्हें राज्य में महिला मोर्चा को जमीनी तौर पर मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी।

मोन जिले से आती हैं कोन्याक
44 वर्षीय कोन्याक नगालैंड के मोन जिले से आती हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से 2002 में इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया था। इससे पहले उन्होंने दीमापुर के होली क्रॉस हायर सेकेंडरी स्कूल से स्कूलिंग की थी। गौरतलब है कि कोन्याक मोन जिले के उसी गांव ओटिंग से आती हैं, जहां बीते दिसंबर में हुए एक हादसे में स्थानीय आदिवासी मारे गए थे। कोन्याक भी उसी आदिवासी समुदाय से आती हैं। कोन्याक का कहना है कि उनकी प्राथमिकता में अगले साल नगालैंड में होने वाले चुनाव हैं, जहां उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि वह अपने प्रदेश की महिलाओं को जीत दिलवा कर उनमें असेंबली पहुंचने का हौसला भर सकें।