गर्मी का मौसम आ चुका है। तापमान बढ़ते ही घरों में पंखे, कूलर और एसी चलने लगे हैं। इन उपकरणों की मदद से गर्मी से तो राहत मिल रही है लेकिन बिजली का बिल जेब पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में हम आपको बिल घटाने के कुछ तरीके बताने जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल करके आपको थोड़ी राहत मिल सकती है।
पंखों में इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर का ही इस्तेमाल करें
गर्मी में पंखे सबसे ज्यादा चलते हैं। ऐसे में समय-समय पर पंखों की सर्विसिंग कराते रहें. पंखे में इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर का ही इस्तेमाल करें। कंडेंसर और बाल बेयरिंग खराब हो रहा है तो इसको तुरंत बदलवा लें।
कूलर के पंखों और पंप की ऑलिंग-ग्रीसिंग कराएं
भारत में अधिकतर घरों में कूलर का ज्यादा इस्तेमाल होता है। कूलर के पंखे और पंप की ऑलिंग-ग्रीसिंग कराना जरूरी होता है। ज्यादा चलने से पंप ज्यादा बिजली खीचता है, ऐसे में समय-समय पर ऑएलिंग करते रहें। कूलर के पंखे के कंडेंसर और रेगुलेटर की जांच भी जरूर कराएं। इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर से भी बिजली कम खर्च होती है।
24 से 26 डिग्री के बीच सेट करें एसी
घंटों एसी चलने से बिजली की ज्यादा खपत होती है। एसी को चलाने के साथ-साथ पंखा भी चलाते रहें रखें। एसी के तापमान को 24 से 26 डिग्री के बीच सेट करें। हर 10 से 15 दिन में एयर फिल्टर को अच्छी तरह धोकर साफ करें। फिल्टर में धूल जमने से पूरी ठंडक नहीं मिलती और एसी ज्यादा देर तक चलाना पड़ता है। याद रखें कि जब एसी चल रहा हो तो खिड़की-दरवाजें बंद हो, नहीं तो एसी की ठंडी हवा बाहर ज्यादा जाएगी और कमरा ठंडा नहीं हो पाएगा।
एसी और कूलर चलाते हैं तो इस तरह कम कीजिए बिजली का बिल
टमाटर लम्बे समय तक रहेंगे ताजा इस तरह
टमाटर आपकी रसोई में बिना फ्रिज के भी लंबे समय तक ताजा बना रहेगा, बस आप इसे स्टोर करते हुए इन दो बातों का ध्यान रखें। अगर फ्रिज में रखे टमाटर का स्वाद आपको पसंद नहीं आता है, तब भी ये टिप्स काम आएंगी। टमाटर का उपयोग ज्यादातर सब्जियां और दाल बनाने में किया जाता है। खाने में जब तक टमाटर की ग्रेवी से बनी सब्जी ना हो, तब तक स्वाद नहीं आता। देसी सलाद का स्वाद भी टमाटर के बिना अधूरा रहता है लेकिन इस टमाटर को रसोई में लंबे समय तक स्टोर करके रखना बहुत टेढ़ा काम होता है।
फ्रिज में स्टोर करने पर इनका स्वाद बदल जाता है और वो बात भी नहीं रहती, जो ताजे टमाटरों में होती है। अब सवाल उठता है कि अगर फ्रिज में भी टमाटर ताजे नहीं रह पाते हैं तो इन्हें लंबे समय तक ताजा रखा कैसे जाए… क्योंकि हर बार सब्जी बनाने से पहले टमाटर खरीदने मंडी तो नहीं जाया जा सकता। तो इसका समाधान है, टमाटर रखने की ये खास ट्रिक. जब भी आप टमाटर स्टोर करें, इन बातों का ध्यान रखें –
1. टमाटर को धोते समय इसके पीछे से इसका हरा भाग, जहां से टमाटर पौधे से जुड़ा होता है, उसे ना हटाएं बल्कि उसे लगा रहने दें और टमाटर आराम से धोकर साफ करें।
2. टमाटर को जब रखें तो इसका स्टेम यानी टहनी वाला भाग नीचे की तरफ रहें और टमाटर का लाल भाग ऊपर की तरफ रहना चाहिए।
इन दोनों बातों का ध्यान रखने पर टमाटर लंबे समय तक ताजे बने रहते हैं और नर्म भी नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टेम साइड ढकी रहने के कारण टमाटर के अंदर हवा और नमी का प्रवेश बहुत ही कम मात्रा में हो पाता है। इस कारण ये जल्दी खराब नहीं होते हैं।
अगर आप अधिक लंबे समय के लिए टमाटर स्टोर करना चाहते हैं और फ्रिज में रखना चाहते हैं तो इन दोनों बातों का ध्यान रखते हुए टमाटर को पहले पेपर की थैली में रखें और फिर किसी प्लास्टिक बैग या फिर डब्बे के अंदर रखकर फ्रिज में स्टोर करें। इन टमाटर का स्वाद और टेक्सचर दोनों सही बने रहेंगे।
अवैध कॉलोनियां शहरी विकास में बाधक, कार्ययोजना बनाएं राज्य – सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली । देश भर में पनप रही अवैध कॉलोनियों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कॉलोनियां शहरी विकास में बाधक हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा, राज्य सरकारें इन कॉलोनियों को बनने से रोकने के लिए समग्र कार्ययोजना बनाएं।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन को इस मामले में न्यायमित्र भी नियुक्त किया। उन्हें यह सुझाव देने के लिए कहा है कि इन कॉलोनियों को बनने से रोकने के लिए सरकारें क्या कदम उठा सकती हैं। शीर्ष अदालत सामाजिक कार्यकर्ता जुवादी सागर राव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील श्रवण कुमार ने कहा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश की सरकारें अपने राज्यों में अवैध कॉलोनियों को नियमित कर रही हैं। पीठ ने कहा, देश के हर शहर में कुकुरमुत्तों की तरह पनप रहीं अवैध कॉलोनियों के भयावह परिणाम हो रहे हैं। हमने हैदराबाद और केरल में बाढ़ की स्थिति देखी है, यह सब अवैध कॉलोनियों के कारण हुआ। शीर्ष अदालत ने इन कॉलोनियों से संबंधित सारे रिकॉर्ड न्यायमित्र को सौंपने का निर्देश दिया। न्यायमित्र दो सप्ताह में सुझाव अदालत के सामने रखेंगे। मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद फिर होगी।
क्या कॉलोनियों का रजिस्ट्रेशन बंद कर दें
एक सुझाव यह है कि इन कॉलोनियों का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाए ताकि लोग मालिकाना हक का दावा न कर सकें। राज्य सरकारें कोई कदम उठाएं, अन्यथा हमें कोई राह निकालनी होगी। -सुप्रीम कोर्ट
कानूनों का उल्लंघन कर रहे अधिकारी
याचिका में कहा गया है कि इन शहरों के अधिकारियों ने फिर से अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए नोटिस जारी किया है। यह कानून के शासन और इमारत कानून आदि का गंभीर उल्लंघन है। ऐसा करने से अवैध निर्माण को बढ़ावा मिलता है।
उधर…राजधानी दिल्ली में झुग्गियां ढहाने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के सरोजिनी नगर इलाके में करीब 200 झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि आदर्श सरकार को मानवीय रुख अपनाना चाहिए क्योंकि यह मौलिक अधिकार से जुड़ा मसला है। शीर्ष अदालत ने झुग्गीवासियों की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। याचिका में गुहार लगाई है कि बिना उचित राहत व पुनर्वास योजना के कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने आदेश में कहा, कोई दंडात्मक या जबरन कार्रवाई नहीं होगी। सोमवार को अगली सुनवाई की जाएगी। पीठ ने कहा, जब आप आदर्श सरकार के रूप में उनसे व्यवहार करते हैं, तो आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास कोई नीति नहीं है। बस उन्हें वहां से हटा दें। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर झुग्गीवाले व्यक्ति के पास भी व्यक्तिगत अधिकार है।
सरकारी जमीन पर कब्जे से रहने का हक नहीं
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने तर्क दिया, किसी ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर मतदाता पहचानपत्र हासिल कर लिया, तो उसे रहने का अधिकार नहीं मिल सकता है। वहीं, दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा, लोगों की रक्षा की जानी चाहिए।
न्यायिक विस्टा बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा केंद्र का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत और बार की बढ़ती जरूरतों को लेकर शीर्ष अदालत के आसपास के क्षेत्र में न्यायिक विस्टा बनाए जाने को लेकर सोमवार को केंद्र का रुख पूछा। इस विस्टा में राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद सभी अधीनस्थ अदालतों, न्यायाधिकरणों, दिल्ली हाईकोर्ट, बार एसोसिएशनों के लिए न्यायिक अवसंरचना बनाने का विचार रखा गया है।
जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने न्यायपालिका की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर अनियमित निर्माण का संदर्भ देते हुए पूछा कि क्या सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर न्यायिक विस्टा के बारे में सोचा जा सकता है।
सेंट्रल विस्टा संसद, केंद्र सरकार के कार्यालयों और लुटियंस जोन की अन्य महत्वपूर्ण इमारतों की पुनर्निर्माण परियोजना है। पीठ ने कहा, हम यह निर्देश नहीं दे रहे कि आप यह करें या वह करें। लेकिन हम इस मामले में केंद्र का पक्ष जानना चाहते हैं।
बेसहारा बच्चों की सुरक्षा के लिए एसओपी लागू करें राज्य और यूटी सरकारें – सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली । सड़क पर रहने वाले बच्चों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि राज्य सरकारें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा तैयार एसओपी को लागू करें।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने ये निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा इस दिशा में अब तक उठाए गए कदम संतोषजनक नहीं हैं। पीठ ने कहा कि बच्चों को बचाने का काम अस्थायी नहीं होना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों का पुनर्वास किया जाए।
इसके साथ ही पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि आज से दो सप्ताह की अवधि के भीतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए। पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई मई के दूसरे सप्ताह में करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को बताया गया कि तमिलनाडु और दिल्ली सरकार ने पहले ही बेसहारा बच्चों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए योजना तैयार कर ली है। इस पर न्यायालय ने तमिलनाडु और दिल्ली राज्यों को एनसीपीसीआर को इसकी एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु और दिल्ली राज्यों को इस योजना को लागू करने का निर्देश देते हुए कहा है कि सरकार बेसहारा बच्चों की पहचान करने और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाए।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को बेसहारा बच्चों के लिए पुनर्वास नीति तैयार करने के सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया था। इस दौरान अदालत ने कहा था कि यह केवल कागजों पर नहीं रहना चाहिए।
तब अदालत ने कहा था कि अब तक केवल 17,914 स्ट्रीट चिल्ड्रन के बारे में जानकारी प्रदान की गई है, जबकि उनकी अनुमानित संख्या 15-20 लाख है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि संबंधित अधिकारियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के वेब पोर्टल पर आवश्यक सामग्री को बिना किसी चूक के अपडेट करना होगा।
अलौकिक कैलाश पर्वत के बारे में जानें आश्चर्यजनक तथ्य
कैलाश पर्वत को भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास माना जाता है। अधिकांश लोगों का मानना है कि भगवान शंकर अभी भी कैलाश पर्वत पर अपने परिवार के साथ हैं। वहीं, मस्त्यपुराण, स्कंद पुराण जैसे भारतीय संस्कृति के कई पुराणों में कैलाश पर्वत का अलग-अलग वर्णन किया गया है।
कैलाश पर्वत के बारे में कुछ रोचक बातें…
* अधिकांश वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश पर्वत और उसके परिवेश का वातावरण बहुत अलग है। जब वैज्ञानिक ज़ार निकोलाई रोमानोव और उनकी टीम कुछ तिब्बती पुजारियों से मिली तो उन्होंने भी कहा कि कैलाश पर्वत के चारों तरफ एक अलग तरह की अलौकिक शक्ति है।
* अधिकांश वैज्ञानिक कैलाश पर्वत को पृथ्वी का उपरिकेंद्र मानते हैं। हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी के एक तरफ उत्तरी ध्रुव और दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव है। अब हैरान करने वाली बात ये है कि इन दोनों ध्रुवों के बीच में हिमालय है और हिमालय के बीच में कैलाश पर्वत है। इसलिए अधिकांश वैज्ञानिक कैलाश पर्वत को पृथ्वी का उपरिकेंद्र मानते हैं।
* सूर्योदय के समय कैलाश पर्वत के कुछ हिस्सों में एक रहस्यमय स्वस्तिक दिखाई देता है। इसे भी आश्चर्य माना जा सकता है। स्वस्तिक चिन्ह का हिंदू संस्कृति में बहुत ही विशेष स्थान है।
* अब इस जानकारी को पढ़ने के बाद आप हैरान रह जाएंगे कि माउंट एवरेस्ट कैलाश पर्वत से 2,000 मीटर ऊंचा है क्योंकि एवरेस्ट की ऊंचाई 8850 मीटर है, कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6640 मीटर है। इसका मतलब है कि माउंट एवरेस्ट कैलाश पर्वत से भी ऊंचा है। माउंट एवरेस्ट पर आज तक हजारों लोग चढ़ चुके हैं, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है।
* अन्य पर्वतों के विपरीत कैलाश पर्वत को बहुत ही पवित्र और रहस्यमयी माना जाता है। अपनी किताब में एक पर्वतारोही कहता है कि जब उसने पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश की तो उसके बाल और नाखून बहुत तेजी से बढ़ने लगे। एक अन्य पर्वतारोही ने कहा कि जब मैं कैलाश पर्वत चढ़ने का प्रयास कर रहा था तो मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। लेकिन जब तक मैं उस पहाड़ से थोड़ा दूर होता मेरा दिमाग हल्का हो जाता और दिल की धड़कनें भी सामान्य हो जातीं। अधिकांश लोगों ने अपने अनुभवों में कहा है कि जब उन्होने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, तो उन्हें कैलाश पर्वत की चोटी दिखाई देती है। लेकिन अचानक वे अपनी दिशा खो देते हैं या उसी स्थान पर भटकते रहते हैं। कभी-कभी अचानक बर्फानी तूफान आ जाता है, जिस कारण स्थिति अचानक बिगड़ जाती है।
* कैलाश पर्वत शिवलिंग के आकार का है और कैलाश मानसरोवर के पास एक ध्वनि नियमित रूप से सुनाई देती है। यदि आप उस आवाज को बहुत ध्यान से सुनते हैं, तो वह ढोल की आवाज जैसी लगती है। वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाने की काफी कोशिश की है, लेकिन इसका जवाब नहीं मिल पाया है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार यह आवाज इस वजह से है कि पहाड़ों से आने वाली हवाएं चट्टानों से टकराती हैं और पहाड़ों पर बर्फ जम जाती है। हालांकि वह इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे सका है।
* कैलाश पर्वत की तलहटी में दो सरोवर हैं। उनमें से एक है पवित्र मानसरोवर और दूसरी है अशुभ दैत्य झील। मानसरोवर दुनिया भर के शुद्ध प्राकृतिक पानी का स्रोत है, वहीं दूसरी तरफ खारे और पीने योग्य पानी की झील है। आकाश से देखने पर मानसरोवर का आकार सूर्य जैसा दिखता है जबकि राक्षस झील को आकाश से देखने पर चंद्रमा के आकार जैसी दिखती है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने यहां महादेव की पूजा की थी और आशीर्वाद प्राप्त किया था। हालांकि ये दोनों जलाशय एक-दूसरे के बहुत करीब हैं। लेकिन इन दोनों झीलों का पानी और जैव विविधता बहुत अलग है। राक्षस क्षेत्र में कोई वनस्पति और जीव नहीं पाए जाते हैं। साथ ही इसमें पानी हमेशा अशांत रहता है। दूसरी ओर चाहे कितनी भी हवा चले, मानसरोवर में पानी हमेशा साफ और शांत रहता है।
* कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और तिब्बती बौद्ध धर्म का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। कैलाश पर्वत पर चढ़ना वर्जित है। क्योंकि भारत और दुनिया भर में लोग सोचते हैं कि यह एक पवित्र स्थान है इसलिए इस पर किसी को चढ़ने नहीं दिया जाता है।
* कैलाश पर्वत को चार महान नदियों का उद्गम स्थल माना जाता है। इनमें सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और घाघरा की पवित्र नदियां शामिल हैं। इन सभी नदियों को हिंदू संस्कृति में बहुत पवित्र माना जाता है।
* कैलाश पर्वत को ओम पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। अधिकांश लोगों का कहना है कि कैलाश पर्वत के आसपास के क्षेत्र पर ध्यान देने से ओंकारा की आवाज सुनी जा सकती है।
(साभार – न्यूज फास्ट डॉट कॉम)
बिहार के तेजस ने पास की एनडीए की परीक्षा, असम में मना जश्न
सेना में बनेंगे लेफ्टिनेंट
भागलपुर। बिहार मुंगेर के तेजस पांडेय ने पहले ही प्रयास में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए)परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। तेजस पांडेय मुंगेर के अग्रहण खड़गपुर के रहने वाले हैं। तेजस के पिता ललन कुमार पांडेय ने कहा कि तेजस शुरू से ही मेधावी छात्र रहा है। पढ़ाई के प्रति उसने कभी भी लापरवाही नहीं बरती। तेजस की प्रारंभिक शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल तेजपुर असम में हुई। इसके बाद उन्होंने भागलपुर के माउंट असीसी स्कूल से पढ़ाई की। फिर 10वीं की परीक्षा उन्होंने आर्मी पब्लिक स्कूल तेजपुर असम से ही दिया। केंद्रीय विद्यालय नाजिरा शिवसागर असम से उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की है। सभी परीक्षाओं में उन्होंने प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए।एनडीए परीक्षा में सफल होने के बाद तेजस ने बताया कि शुरू से उनकी रूचि भारतीय सेना में सेवा करने की रही है। इसलिए उन्होंने एनडीए को चुना। इसके लिए प्रो ब्रज गुप्ता ने उनका खूब मागदर्शन किया। ब्रज गुप्ता मूलत: तारापुर के रहने वाले हैं। अभी बेगलुरू में हैं। तेजस ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भाई व ब्रज गुप्ता को दिया। इस परीक्षा को पास करने के बाद उनकी संभावना भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती होने की ज्यादा हो गई है।
असम में रहने हैं तनय
तेजस का बड़ा भाई तनय पांडेय बेंगलुरू में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उनके पिता ललन कुमार पांडेय असम के चाय बगान में प्रबंधक हैं। दीपा पांडेय उनकी मां है। उनके दादा छोटे लाल पांडेय मुंगेर में अपने पैतृक गांव में रहते हैं।
90 साल की उम्र में हरभजन कौर ने शुरू किया स्टार्टअप
नयी दिल्ली। जब आप किसी काम को अपनी लगन से पूरा करते हैं तो आप कभी मात नहीं खाते। आपका जज़्बा ही आपको समाज में प्रतिष्ठा दिलवाता है। अगर आपमें अपने काम को लेकर जज्बा हो तो आपके लिए उम्र मायने नहीं रखती। चंडीगढ़ की रहने वाली हरभजन कौर ने ये बात साबित कर दी है। 94 साल की हरभजन कौर ने स्टार्टअप शुरू कर सबको चौंका दिया। उनकी कहानी सुन हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। हरभजन द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप अब ब्रांड बन चुका है। हरभजन ने अपनी लगन से बेसन की बर्फी बनाने का काम शुरू किया था लेकिन आज बेसन की बर्फी के साथ उनके अचार, शरबत और चटनियां लोगों को खूब भा रही हैं।
कैसे शुरू हुआ स्टार्टअप
हरभजन अपनी बेटी रवीना सूरी के पास रहती हैं। एक दिन रवीना ने उनसे पूछा कि आपकी कहीं जाने की इच्छा है या कोई काम जो आप नहीं कर पाई। इस पर हरभजन ने कहा कि मैं पैसे नहीं कमा पाई, मुझे बेसन की बर्फी बनानी आती है, मैं बर्फी बनाकर उसे बेचकर पैसे कमाना चाहती हूँ। यहीं से हरभजन ने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की।
लोग हुए बेसन की बर्फियों के दीवाने.
पहले तो हरभजन और उनकी बेटी द्वारा बनाई गई इन बेसन की बर्फियों को बाज़ार में मुफ्त खिलाया गया। लोगों और दुकानदारों को ये बर्फी खूब भायी जिसके बाद हरभजन कौर के पास बर्फी के ऑर्डर आने शुरू हो गए। हरभजन को पहला ऑर्डर पांच किलो की बर्फी का मिला। ये ऑर्डर उन्हें सैक्टर 18 ऑर्गेनिक बाज़ार से मिला। जब हरभजन को पहली कमाई हुई तो उन्होंने उसे अपनी बेटियों में बराबर बांट दिया। इसके बाद उनके परिजनों ने सोचा कि उनका शौक पूरा हो गया है अब वो आराम करेंगी लेकिन बेसन की बर्फियों की मांग बढ़ती गई और फिर हरभजन अपने काम में लग गयीं।
आनंद महिंद्रा ने किया ट्वीट…
महिंद्रा एंड महिंद्रा कम्पनी के मालिक आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर हरभजन की तारीफ की। आनंद महिंद्रा के इस ट्वीट के बाद तो हरभजन को धड़ाधड़ ऑर्डर मिलने लगे। जब ऑर्डर मिलने लगे तो हरभजन को घर में इतने पैमाने पर माल तैयार करना मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने मोहाली में जगह लेकर अपना काम शुरू कर दिया।
बेटी ने किया प्रोत्साहित
हरभजन अमृतसर के निकट तरण तारण की रहने वाली हैं। शादी के बाद लुधियाना आई हरभजन कौर के पति का 10 साल पहले देहांत हो गया जिसके बाद वो अपनी बेटी रवीना के पास चंडीगढ़ आ गयीं। माँ की इच्छा जानकर उनकी बेटी ने उन्हें प्रोत्साहित किया। रवीना ने अपनी मां के इस स्टार्टअप में उनका पूरा सहयोग दिया।
कोविड काल में आए ऑर्डर
कोरोना के दौरान बाहर का खाना कोई नहीं खाता था ऐसे में सब घर की बनी चीजें ही पसंद करते थे। इस दौरान उनके पास काफी ऑर्डर आए। हरभजन की बेसन की बर्फी तो प्रख्यात हो ही गयी है। इसके साथ ही अब उनकी बनाई चटनी, शरबत , दाल का हलवा और अचार भी लोगों को खूब भा रहा है। हरभजन कहती हैं कि हम जब चाहे जीवन में शुरुआत कर सकते हैं। मेहनत करने पर आप सफलता जरूर हासिल करते हैं।
एलन मस्क ने 44 अरब डॉलर में खरीद लिया ट्विटर
न्यूयार्क, एजेंसी। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने सोमवार को 44 अरब डालर (3.30 लाख करोड़ रुपये) में ट्विटर को खरीद लिया। यह पूरा सौदा नकद में हुआ है। इस सौदे के साथ ही 16 साल पहले अस्तित्व में आए इस इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म का प्रबंधन मस्क के हाथों में चला जाएगा। इस सौदे पर व्हाइट हाउस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन इंटरनेट मीडिया की ताकत तो लेकर चिंतित हैं। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अब अगर ट्विटर उनका अकाउंट बहाल भी कर देता है तो वह इस प्लेटफार्म पर नहीं लौटेंगे। बताया जाता है कि इस संबंध में रविवार सुबह भी बोर्ड मीटिंग हुई थी, जिसमें 11 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। मस्क ने ट्विटर ने शेयरधारकों के सामने अपना वित्तीय प्रस्ताव रखा था। इससे पहले, एलन मस्क ने एक ट्वीट करके कहा था, ‘मुझे उम्मीद है कि मेरे सबसे बुरे आलोचक ट्विटर पर बने रहेंगे, क्योंकि फ्री स्पीच का यही मतलब होता है।’ बता दें कि मस्क ने 54.20 डालर प्रति शेयर के भाव पर 4,300 करोड़ डालर (वर्तमान भाव पर 3.22 लाख करोड़ रुपये) की कीमत लगाई थी और नकद भुगतान की पेशकश की थी। उन्होंने कहा था कि ट्विटर में जिस तरह के प्रभावी परिवर्तनों की जरूरत है, उसके लिए पहले उसका निजी हाथों में जाना जरूरी है। मस्क व्यक्तिगत हैसियत के तहत ट्विटर को खरीदने के लिए बातचीत कर रहे थे और टेस्ला सौदे में शामिल नहीं थी। सोमवार को न्यूयार्क स्टाक एक्सचेंज में प्री-मार्केट ट्रेडिंग में ट्विटर का शेयर 4.5 प्रतिशत ऊपर 51.15 डालर पर था। सौदे का एलान होने से पहले न्यूयार्क स्टाक एक्सचेंज ने कुछ देर के लिए ट्विटर के शेयरों की ट्रेडिंग रोक दी थी। दोबारा ट्रेडिंग शुरू हुई तो ट्विटर के शेयर के भाव छह प्रतिशत बढ़ गए।
बता दें कि जब मस्क ने ट्विटर को खरीदने की पेशकश की थी तो बड़ा सवाल यह उठा था कि क्या उनके पास इसके लिए फंड है। इसके बाद इस तरह की खबरें सामने आई कि कई निजी इक्विटी फर्म ने उनके साथ भागीदारी करने की इच्छा जताई। इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने पिछले सप्ताह अमेरिकी शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि मार्गन स्टेनली और दूसरे बैंक उन्हें 13 अरब डालर कर्ज देने को तैयार हो गए हैं। इसके अलावा वह टेस्ला में अपने स्टाक की एवज में 12.5 अरब डालर का ऋण लेंगे। जबकि 21 अरब डालर के नकद भुगतान के जरिये ट्विटर की बाकी बची हिस्सेदारी खरीदेंगे। मार्गन स्टेनली ने मस्क की इलेक्टि्रक कार कंपनी टेस्ला में भी निवेश कर रखा है। ट्विटर में मस्क की पहले से थी 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी
ट्विटर में एलन मस्क की 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी पहले से ही थी। वह कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक भी थे। हालांकि कुछ दिनों पहले एसेट मैनेजमेंट फर्म वैनगार्ड ग्रुप ने पिछले दिनों यह जानकारी सार्वजनिक करके सबको चौंका दिया था कि उसके पास ट्विटर की 10.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि इस दावे की अब तक पुष्टि नहीं हो सकी थी। खास बात यह है कि जब कुछ दिनों पहले मस्क ने ट्विटर के अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया था तो कंपनी में शेयरधारक और सऊदी प्रिंस अलवलीद बिन तलाल ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि प्रस्तावित पेशकश कंपनी का सही मूल्यांकन नहीं है।
ऑरिफ्लेम ने कोलकाता में खोला नया सर्विस सेंटर
मनाया 55 साल पूरे होने का जश्न
दिया जायेगा आधुनिक प्रशिक्षण
कोलकाता । ऑरिफ्लेम ने कोलकाता में नया सर्विस सेंटर (सेवा केन्द्र) खोला है। भवानीपुर इलाके में स्थित यह सर्विस सेंटर 5500 वर्गफीट से ज्यादा के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ अलग से प्रशिक्षण एवं बैठक कक्ष मौजूद हैं, ताकि ब्राण्ड पार्टनर्स को ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षण एवं बैठकें संचालित करने की अनुमति दी जा सके।
कोलकाता के केंद्र में स्थित यह उच्च श्रेणी का सेवा केन्द्र आसानी से सभी की पहुँच में होगा, जिससे ऑरिफ्लेम अपने ब्राण्ड पार्टनर्स के परिवार में ज्यादा लोगों को शामिल कर सकेगा। सपनों को पूरी करने की अपनी यात्रा में ऑरिफ्लेम का लक्ष्य है ज्यादा लोगों तक पहुँचकर उनका उत्थान करना। ज्यादा प्रशिक्षण एवं बैठकों से इस ब्राण्ड की ग्राहक सेवा तेजी से समृद्ध होगी। इस अवसर पर ऑरिफ्लेम के वाइस प्रेसिडेंट, दक्षिण एशिया के प्रमुख सह ऑरिफ्लेम इंडिया के एमडी फ्रेडरिक विडेल ने कहा, यह नयी शुरुआत हमारे 55 साल पूरे होने के जश्न में हुआ है, जब हम उन क्षणों को संजो रहे हैं, जो हमें अपनी यात्रा में यहाँ तक लेकर आये हैं। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों की क्षमता को सामने लाना और उनके सपनों को पूरा करना
चाहते हैं और ऐसा करने के लिये सपनों के इस शहर से बेहतर कोई जगह नहीं है।”
भवानीपुर कॉलेज की लाइब्रेरी में गालिब के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा
कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज और भारतीय भाषा परिषद के साथ मिलकर कॉलेज की लाइब्रेरी में आयोजित ‘पूछते हैं वो कि ग़ालिब कौन हैं ‘कार्यक्रम में उर्दू के प्रसिद्ध शायर गालिब के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की गई। अतिथि वक्ता नाटककार, लेखक और कलाकार पलाश चतुर्वेदी ने गालिब के विभिन्न तेवरों वाली शायरी के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की। साथ ही गालिब के रहस्यवाद और अद्वैतवाद से पूर्ण संबधित शायरी की चर्चा की । दो सौ साल पुराने वली शायर गालिब अभी भी बहुत से प्रश्नों को हल करने के लिए काफ़ी हैं। गालिब ने जाति – पांति, ईश्वर,दर्शन, मद्यप माशूक आदि को नए आयाम दिए हैं। वे विरोधों को हंस हंस कर सहते रहे कोई उन्हें मुश्किल पसंद कोई मोह- मल- गो तो किसी ने सिरे से सौदाई ही कह डाला। गालिब नौ वर्ष की अवस्था से असद के नाम से लिखते थे बाद में तेरह वर्ष की उम्र से गालिब नाम से लिखने लगे।गजल की तंग गली गालिब को शेर कहने के शौक के अनुकूल सामर्थ्य नहीं रखती उनके बयान के लिए विशाल क्षेत्र की आवश्यकता है।
गालिब अपनी प्रशंसा नहीं करते हैं बल्कि वे कविता के मर्मज्ञ हैं वे कहते हैं ‘हम सुखन फ़हम हैं गालिब के तलबगार नहीं।’
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज और भारतीय भाषा परिषद के तत्वावधान में ‘ पूछते हैं वो कि ग़ालिब कौन है’/ ‘कोई बतलाओ कि हम बताएंँ क्या ‘विषय पर भवानीपुर कॉलेज की लाइब्रेरी में हुए इस कार्यक्रम में पचास से अधिक विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस इस अवसर पर अंजली अग्रवाल, उज्जवल करमचंदानी, मोहम्मद शक्र हुसैन, आयुष कुमार लोधा, प्रत्युष तिवारी, निर्जरा जैन, मुरली मनोहर सोनी, रितिका भुक्ता, दीपक अग्रवाल, और कार्यक्रम प्रतिनिधि फ़ज़ल करीम, नम्रता चौधरी ने गालिब की शायरी और अपनी कविताएँ सुनाई। डीन प्रो दिलीप शाह ने सभी विद्यार्थियों और शिक्षक गणों का स्वागत करते हुए गालिब की शायरी ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले’ गा कर सुनाया । डॉ वसुंधरा मिश्र ने हमने दुनिया में आके क्या देखा जो भी देखा एक ख्वाब सा देखा ‘गजल सुनाई। कार्यक्रम का संचालन किया । प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, प्रो दिव्या उदेशी और प्रो कृपा ने कार्यक्रम के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अतिथि वक्ता पलाश चतुर्वेदी को कॉलेज का स्मृति चिह्न प्रदान किया डॉ वसुंधरा मिश्र और डॉ केयुर मजमूदार ने ।धन्यवाद ज्ञापन दिया भारतीय भाषा परिषद के मंत्री डॉ.केयूर मजमुदार ने । कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।