Thursday, July 17, 2025
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उत्तराखंड में चारधाम तीर्थयात्रियों के लिए अनिवार्य हुआ पंजीकरण

हेल्थ एडवाइजरी के पालन का दिया गया निर्देश

कोलकाता । उत्तराखंड सरकार ने देश भर से चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को यात्रा आरंभ करने से पूर्व अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करने की सलाह दी है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुखद एवं सुरक्षित हो सके इसके लिए विभिन्न धामों की वहन क्षमता के अनुरूप रजिस्ट्रेशन की सीमा तय की गयी है। अत: तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन की उपलब्धता की जांच करने के बाद ही यात्रा आरंभ करें। इसके साथ ही सभी यात्रियों को चार धाम यात्रा हेतु प्रस्थान के पूर्व हेल्थ एडवाइजरी का अध्ययन एवं अनुपालन करने की हिदायत दी गई है। पर्यटन विभाग ने प्रदेश में तीर्थयात्रियों के रजिस्ट्रेशन की एक निश्चित सीमा निर्धारित की है। बिना रजिस्ट्रेशन कराये उत्तराखंड पहुंचने वाले यात्रियों को रजिस्ट्रेशन उपलब्ध ना होने की दशा में ऋषिकेश से आगे जाने की इजाजत नहीं होगी। विभाग ने यह भी कहा है कि तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन कराने के बाद नियत तारीख पर ही यात्रा आरंभ करने के लिए उत्तराखंड पहुंचे। साथ ही रहने के लिए होटल आदि की बुकिंग भी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही करें। सचिव पर्यटन श्री दिलीप जावलकर ने कहा है कि जिन तिथियों में निर्धारित सीमा तक रजिस्ट्रेशन हो चुका है उनके लिए कोशिश कर रहे तीर्थयात्रियों को अगली उपलब्ध तिथियों पर रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजीकरण करते समय श्रद्धालु उपलब्धता की जांच करने के बाद ही अपना टूर प्लान करें। यात्रा के लिए पंजीकरण registrationandtouristcare.uk.gov.in पर कराया जा सकता है। ज्ञात हो कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन के पर्यटकों को चार धाम यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है विभाग का कहना है कि चारधाम की यात्रा पर आने से पूर्व तीर्थयात्रियों को अपने स्वास्थ्य की पूर्ण जांच करानी चाहिए ताकि उन्हें ऊंचे हिमालय क्षेत्र की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े। चारधाम यात्रा में समस्त तीर्थ स्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। इन स्थानों पर तीर्थयात्री अत्यधिक ठंड, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव और कम ऑक्सीजन की मात्रा से प्रभावित हो सकते हैं। तीर्थयात्रियों की सुगम एवं सुरक्षित यात्रा हेतु स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य संबंधी एडवाइजरी जारी की गई है। यह उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूट्यूब, लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया अकाउंट सहित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट uttarakhandtourism.gov.in पर भी उपलब्ध है। विभाग ने यात्रियों को यात्रा शुरु करने से पहले हेल्थ एडवाइजरी पढ़ने की सलाह दी है।

नहीं रहे प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा

मुम्बई ।  भारत के मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का गत मंगलवार को निधन हो गया। 84 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली है। इस खबर ने संगीत के चाहने वालों को झकझोर कर रख दिया है। बताया जा रहा है कि शिवकुमार शर्मा का निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई। वह पिछले 6 महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे।

वाद्य यंत्र संतूर को विश्व विख्यात बनाने में इन्होने अहम योगदान दिया। संतूर वाद्य यंत्र कभी जम्मू-कश्मीर का एक अल्पज्ञात वाद्य था, लेकिन पंडित शर्मा के योगदान के संतूर को एक शास्त्रीय संगीत वाद्य यंत्रदर्जा दिया और इसे अन्य पारंपरिक और प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों जैसे सितार और सरोद के साथ ऊंचाई पर पहुंचा दिया। पंडित शिवकुमार शर्मा ने सिलसिला, लम्हे और चांदनी जैसी फिल्मों के लिए बांसुरीवादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के साथ संगीत तैयार किया।

 पंडित शिवकुमार शर्मा पिछले सात दशकों से देश में संतूर के पर्याय बने हुए थे। उनका जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पांच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने 13 वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। उनका जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था।

आजादी के बाद पहली बार असम के चाय बागानों में खुला पहला स्कूल

97 स्कूलों में शुरू हुई पढ़ाई
गुवाहाटी । असम सरकार की घोषणा के बाद मंगलवार को चाय बागानों का पहला हाई स्कूल खुला। भारत की आजादी के 75 सालों में यह पहला ऐसा मौका रहा जब असम के चाय बागानों को पहला स्कूल मिला । इसे असम सरकार का एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। राज्य सरकार के मुताबिक, बागानों में कुल 119 स्कूल खुलेंगे, जिसमें 97 हाई स्कूल 10 मई को अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू कर चुके हैं।
बाकी 22 स्कूल का निर्माण अलग-अलग चरणों में किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले साल 2023 तक इन स्कूलों में भी पढ़ाई शुरू हो जाएगी।
200 चाय बागानों में 119 स्कूल खोलने का प्रस्ताव
2017-18 के राज्य बजट में असम सरकार ने 200 चाय बागानों में 119 हाई स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा था। एक न्यूज वेबसाइट के अनुसार, साल 2020 में असम सरकार ने स्कूलों के लिए प्राइमरी डेवलपमेंट फंड की स्थापना की थी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी को स्कूलों के निर्माण के लिए कुल 142.50 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। इसमें प्रत्येक स्कूलों को 1.19 करोड़ रुपये का काम सौंपा गया था।
बागानों में काम करने वाले 80% बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित
प्लांटेशन लेबर एक्ट-1951 के अनुसार, चाय बागानों के प्रबन्धन की यह जिम्मेदारी है कि वह 6 से 12 साल की उम्र के बच्चों को लोअर प्राइमरी एजुकेशन (कक्षा 1-5 तक) दी जाए, लेकिन मैनेजमेंट का इस पर काफी ढ़ीला रवैया है। असम स्टेट चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन सिस्टम ( एएसपीसीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे कम से कम 80% बच्चों से अवैध तरीके से चाय बागानों में काम कराए जा रहे हैं।
असम सरकार की हर विधानसभा क्षेत्र में स्कूल खोलने की योजना
पिछले महीने मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार स्कूलों के छात्रों को मिड डे मिल के अलावा सुबह का नाश्ता उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाय बागान के क्षेत्रों में 81 मॉडल हाई स्कूल स्थापित करने जा रही है और इन्हें हायर सेकेंडरी लेवल तक अपग्रेड किया जाएगा। सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार इसे देश के बाकी हिस्सों के लिए एक सफल मॉडल के रूप में विकसित करना चाहती है। सीएम के मुताबिक, सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मॉडल स्कूल स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।

 

15 साल की आर्याही ने बच्चों के लिए बनाया शुद्ध ऑर्गेनिक परफ्यूम 

3 महीने में कर चुकी हैं एक लाख का व्यवसाय

मुम्बई । 15 साल की आर्याही मुम्बई की रहने वाली हैं, जो ऑर्गेनिक परफ्यूम बनाती हैं। करीब दो-तीन महीने में ही उन्होंने एक लाख से अधिक का व्यवसाय कर लिया है।
परफ्यूम आइडिया को लेकर आर्याही बताती हैं, ‘साल 2020 में जब लॉकडाउन लगा तो कॉस्मेटिक मार्केट बंद हो गए। उस वक्त मैं सिर्फ 13 साल की थी। दुकानें बंद होने की वजह से अच्छी क्वालिटी के परफ्यूम नहीं मिल पा रहे थे।’
वह कहती हैं, ‘मार्केट में उपलब्ध परफ्यूम वैसे भी केमिकल से बने होते हैं। यह हमारी बॉडी के लिए हार्मफुल भी होता है। मैं और मेरी दोस्तों को जब ये लगने लगा कि जो परफ्यूम हम खरीद रहे हैं, उसकी गंध बहुत हार्ड है या ये हमारे लिए महंगा है।’
इसके बाद आर्याही ने खुद से परफ्यूम बनाने की ठानी। करीब 6 महीने तक उन्होंने इस पर वर्क किया। कई परफ्यूम बनाने वाले स्टार्टअप, कंपनियों से बातचीत की। इसके बाद उन्होंने बेला फ्रेगरेंस नाम से परफ्यूम बनाना शुरू किया। यह छोटे बच्चों के इस्तेमाल के लिए बेहतर है।

आर्याही बताती हैं कि जब उन्होंने इसे बनाना शुरू किया तो कोई इसे गम्भीरता से ले ही नहीं रहा था। वो कहती हैं, लोग कच्चे माल की आपूर्ति नहीं करना चाह रहे थे। उन्हें लग रहा था कि ये छोटी सी बच्ची क्या करेगी। कैसे अपना स्टार्टअप रन करेगी।

आर्याही तीन तरह के परफ्यूम बनाती हैं। जिसका नाम उन्होंने बेला ऑर्गेनिक, बेला नेचुरल और बेला रोजा रखा है। यह 100% केमिकल फ्री है और वातावरण के अनुकूल है।
वह कहती हैं कि एसेंशियल ऑयल, फूड ग्रेड अल्कोहल और गुलाब से इसे तैयार किया जाता है। यह मार्केट के मुकाबले सस्ता भी है। जब आर्याही उत्पाद पर काम कर रही थीं तो परिवार वालों से सहयोग मिल रहा था, वहीं कई लोग कह रहे थे कि ये परफ्यूम नहीं बना पाएगी।
मां रजनी अग्रवाल कहती हैं, ‘जब आर्याही अपने परफ्यूम का फॉर्मूला तैयार कर रही थी तो हर तीसरे दिन रोने लगती थी। कहती थी कि मुझसे नहीं हो पाएगा, लेकिन मुझे विश्वास था कि वह प्रोडक्ट तैयार कर लेगी।’
आर्याही बताती हैं कि अब तक वो 200 से अधिक उत्पाद बेच चुकी हैं। सभी प्रोडक्ट्स उन्होंने ऑनलाइन ही बेचे हैं। उनकी मां कहती हैं, लॉकडाउन में ज्यादा समय मिल जाता था, लेकिन अब स्कूल खुल चुके हैं इसलिए बेटी सप्ताह में 3-4 घंटे ही इसमें दे पाती है।’
रजनी कहती हैं, ‘माता-पिता को लगता है कि पढ़ाई के साथ-साथ दूसरी गतिविधि से पढ़ाई पर प्रभाव पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है। अगर बच्चे कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं तो हमें उनका साथ देना चाहिए। जब आर्याही 11 साल की थी तो स्कूल में एक प्रोजेक्ट था, इसमें हर बच्चे को नया प्रोडक्ट बनाना था। आर्याही ने पुरानी स्कूल यूनिफॉर्म से पैड तैयार किए थे। आर्याही का मानना था कि पुरानी यूनिफॉर्म का हम इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसे कई लोग फेंक देते है। उसे बचपन से ही कुछ न कुछ करते रहने की चाहत रही है।’

अखबारों पर बना है भरोसा, सबसे ज्यादा 82 प्रतिशत लोगों का प्रिंट पर भरोसा

डिजिटल विज्ञापन पसंद नहीं करते लोग
लंदन । अखबार में छपे विज्ञापनों की विश्वसनीयता सर्वाधिक होती है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार- ग्राहक सोशल मीडिया एडवर्टाइजिंग की तुलना में आज भी अखबार, टीवी, रेडियो पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। इन सभी माध्यमों में भी अखबार सबसे आगे है। जहां सबसे ज्यादा 82% लोगों ने प्रिंट पर भरोसा जताया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह अध्ययन इसलिए भी चौंकाता है, क्योंकि जहां पिछला दशक डिजिटल मार्केटिंग टेक्नोलॉजी के नाम रहा। वहीं अब इंटरनेट से अपनी सौ फीसदी बिक्री करने वाली कंपनियां भी परंपरागत विज्ञापनों (अखबार, टीवी-रेडियो) पर अपना खर्च अगले 12 माह में 11.7% बढ़ाने वाली हैं। विज्ञापनों के परंपरागत माध्यमों में इन वजहों से विकास होगा।

डिजिटल विज्ञापन लोगों को पसंद नहीं आते
हब स्पॉट का सर्वे कहता है 57% लोग वीडियो से पहले विज्ञापन को नापसंद करते हैं। 43% तो इसे देखते भी नहीं हैं। जब वे कोई आर्टिकल पढ़ते हैं या वेबसाइट पर जाते हैं तो डिजिटल विज्ञापन बाधा खड़ी करता है। इससे ब्रांड के प्रति नकारात्मकता खड़ी हो जाती है।
थर्ड पार्टी कुकीज का अंत निकट
थर्ड पार्टी कुकीज… जिससे यूजर के लिए उसकी रुचि, सर्च के आधार पर विज्ञापन दिखते हैं। थर्ड पार्टी कुकीज का अंत अब निकट है। गूगल 2023 के अंत तक क्रोम से इन्हें हटा देगा। एपल भी ऐसा कर रहा है। सीएमओ सर्वे कहता है कि यही वजह है कि 19.8% कंपनियों ने अब परंपरागत विज्ञापनों में ज्यादा निवेश किया है।
ब्रांड की विश्वसनीयता में अखबार सबसे आगे
मार्केटिंग शेरपा के सर्वे के मुताबिक- आज भी विज्ञापनों के मामले में अखबारों पर सर्वाधिक लोगों का भरोसा है। एबिक्यूटी की रिसर्च के अनुसार- अखबार, टीवी और रेडियो डिजिटल चैनल्स की तुलना में रीच, एंगेजमेंट और अंटेशन के स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
जहां ऑनलाइन विज्ञापनों की दर बढ़ी है, परंपरागत मीडिया में घटी है। मार्केटिंग शेरपा की रिपोर्ट बताती है- आधे से ज्यादा कंज्यूमर अखबार में छपने वाले विज्ञापनों को रुचि के आधार पर देखते हैं। वहीं डिजिटल विज्ञापनों से यूजर परेशान होता है।

1500 करोड़ से ज्यादा में बिकी ‘मर्लिन मुनरो’ की शानदार पेंटिंग

20वीं सदी के सबसे महंगी कलाकृतियों में शामिल
आइकॉनिक अमेरिकन एक्ट्रेस मर्लिन मुनरो की पेंटिंग 1500 करोड़ रुपये ($195 मिलियन) से ज्यादा में बिकी है। इस पेंटिंग को न्यूयॉर्क ऑक्शन में सबसे मंहगी कीमत में बेचा गया। पेंटर एंडी वारहोल ने एक्ट्रेस के निधन के 2 साल बाद 1964 में इसे पेंटिंग को बनाया था। नीलामी से मिलने वाले फंड को अनाथ बच्चों की मदद के लिए लगाया जाएगा।

1500 करोड़ में बिकी पेंटिंग
मर्लिन मुनरो की पेंटिंग का नाम “शॉट सेज ब्लू मर्लिन” है। ये आर्टवर्क मैनहट्टन के क्रिस्टी हैडक्वार्टर में केवल चार मिनट में ही 1500 करोड़ से ज्यादा कीमत में बिका। इसके साथ ही ये 20 वीं सदी का सबसे मंहगा आर्टवर्क हो गया है। हालांकि, पोर्ट्रेट खरीदने वाले की पहचान अभी तक सामने नहीं आई है। नीलामीकर्ता ने कहा किसी अनजान खरीदार ने इस आर्टवर्क को खरीदा।

प्रदर्शनी के पैसे अनाथ बच्चों के लिए
पोर्ट्रेट की बिक्री का पैसा थॉमस एंड डोरिस अम्मान फाउंडेशन ज्यूरिख को जाएगा। यह फाउंडेशन पेंटिंग्स को नीलामी में प्रदर्शनी करती है। इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य पेंटिंग्स से आए पैसों से अनाथ बच्चों की सहायता करना है। ये अनाथ बच्चों को स्वास्थ्य एवं शिक्षा मुहैया करवाती है।

20 वीं सदी की सबसे महंगी कलाकृति
क्रिस्टी के मुताबिक, सेल से पहले पोर्ट्रेट की कीमत लगभग 200 मिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन इससे थोड़ी कम कीमत में बिकने के बाद भी इसने 20 वीं शताब्दी के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इससे पहले यह रिकॉर्ड पाब्लो पिकासो की ‘वूमन ऑफ अलजीयर्स’ के नाम था, जो 2015 में 1385 करोड़ ($179.4 मिलियन) से ज्यादा में बिकी थी। 20 और 21वीं सदी के आर्ट डिपार्टमेंट के चेयरमैन एलेक्स रॉटर ने कहा, “ये एक बहुत अच्छी कीमत है।”

कौन हैं मर्लिन मुनरो?
मर्लिन मुनरो का जन्म 1926 में लॉस एंजलिस, कैलिफोर्निया में हुआ था। मर्लिन एक अमेरिकन एक्ट्रेस और मॉडल थीं। उन्होंने तीन शादियां की थीं, उनकी पहली शादी महज 16 साल की उम्र में हुई थी। मर्लिन मुनरो का नाम अमरीकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी से लेकर सिंगर फ्रैंक सिनात्रा और बेसबाल खिलाड़ी जो डिमैगियो तक से जुड़ा। एक्ट्रेस की मृत्यु 1962 में ड्रग ओवरडोज की वजह से हुई थी। कुछ लोग इसे हत्या भी कहते हैं, लेकिन आज तक मर्लिन की मौत सिर्फ एक रहस्य बनकर रह गयी है।

F1 से F12 तक, कम्प्यूटर कीबोर्ड के शॉर्टकट्स आसान करेंगे काम

आपके कंप्यूटर के की-बोर्ड के सबसे ऊपरी बटनों पर नजर दौड़ाएं। वहां F सीरीज के बटन मिलेंगे. जैसे F1, F2 . ऐसे 12 बटन हैं। इन्हें क्विक फंक्शन की कहते हैं और इससे कंप्यूटर पर आपका काम काफी आसान हो जाता है.
अलग-अलग ब्राउजर में इनका इस्तेमाल आपका वक्त बचाता है। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक कई यूजर मानते हैं शॉर्ट-कट के साथ एक्सटर्नल की-बोर्ड माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में काम करने में सहूलियत भरा होता है.

माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि चलते-फिरते काम करने वालों या जिन्हें देखने में दिक्कत होती है, उनके लिए ये शॉर्ट-कट काफी उपयोगी हैं और इस्तेमाल करने में आसान। टच स्क्रीन या माउस की तुलना में उनके लिए ये इस्तेमाल में ज्यादा आसान हैं।

एप्पल के कंप्यूटर में भी F फंक्शन मौजूद हैं। एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम में ये स्पेशल फंक्शन को अंजाम देते हैं – जैसे स्क्रीन की ब्राइटनेस एडजस्ट करने और वॉल्यूम कम-ज्यादा करने में ये काम आते हैं लेकिन आप उन्हें शॉर्ट-कट की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
आइए जानते हैं कि F सीरीज के अलग-अलग बटन का क्या इस्तेमाल है.
F1 – विंडो में हेल्प मीनू खोलें। यह एक्सेल और वर्ड, विंडो स्ट्रिप में ऑप्शन मीनू को छिपाता या दिखाता है।
अगर आप Ctrl+F1 करते हैं तो आपको शो फॉरमेटिंग टास्क पैन दिखेगा.
एप्पल में F1 पर एक लाइट बल्ब का आइकन दिखेगा जो स्क्रीन की चमक को कम करता है.
वर्ड में Fn दबाने से आपकी ओर से अब तक किया गया काम अनडु यानी मिट जाएगा.

F2
Alt + Ctrl + F2 दबाएं। आपके सामने माइक्रोसॉफ्ट की डॉक्यूमेंट लाइब्रेरी खुल जाएगी। अगर आप वर्ड में हैं और Ctrl + F2 करते हैं तो आप जिस फाइल पर काम कर रहे है उसका प्रिंट प्री-व्यू आ जाएगा.
विंडो एक्सप्लोरर में इससे आप किसी फोल्डर या फाइल को रीनेम कर सकते हैं। अगर आप एक्सेल इस्तेमाल करते हैं तो इसे दबा कर एक्टिव सेल को एडिट कर सकते हैं। अगर आप एपल इस्तेमाल कर रहे हैं तो F2 का इस्तेमाल स्क्रीन की चमक बढ़ाने में की जा सकती है।
F1 और F2 से आप मेनू खोल सकते हैं। एक्सेल में सेल एडिट कर सकते हैं और फाइल री-नेम कर सकते हैं।
F3

F3 का इस्तेमाल विंडो एक्सप्लोरर, फायरफॉक्स और क्रोम में सर्च फंक्शन खोलने के लिए होता है। अगर आप शिफ्ट की तरह इसे उसी समय दबाते हैं तो आप अपरकेस या लोअर केस में जा सकते हैं।
मैक में मिशन कंट्रोल के ऑफ या ऑन करने से आप सभी ओपन विंडों पर एक नजर डाल सकते हैं। अगर आप मैक पर वर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो F3 का इस्तेमाल कर किसी सेलेक्टेड कंटेंट को कॉपी कर क्लिपबोर्ड में डाला जा सकता है.

F4

F4 आपको ब्राउजर के एड्रेस बार में कर्सर रखने की इजाजत देता है. Alt+F4 का इस्तेमाल कर आप विंडो बंद कर सकते हैं। अगर आप एप्पल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो F4 से लॉन्चपैंड को ऑफ या ऑन कर सकते हैं.
मैक पर ऐप खोजने और खोलने में इसका इस्तेमाल होता है। इस शॉर्ट-कट का इस्तेमाल कर आप क्लिपबोर्ड पर कंटेट पेस्ट कर सकते हैं.

F5

अगर आप अपने वेब ब्राउजर या खोले हुए फोल्डर को अपडेट या रिफ्रेश करना चाहते हैं, तो F5 दबाएं। ब्राउजर अपडेट करने के अलावा आप कैशे (अस्थायी रूप से स्टोर होने वाले डेटा) क्लियर करना चाहते हैं तो Ctrl + F5 दबाएं।

अगर आप पावर प्वाइंट इस्तेमाल कर रहे हैं तो और प्रजेंटेशन शुरू करना चाहते हैं तो भी इससे काम चल जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में इसे ‘फाइंड एंड री-प्लेस’ खोलने के इस्तेमाल किया जाता है। एप्पल में ये बटन (Key) की लाइट इंटेंसिटी घटाने में इस्तेमाल होता है। वर्ड में इस शॉर्ट-कट से ‘गो टू’ डॉयलॉग बॉक्स खुल जाता है।

F6

विंडोज में ये वर्ड में स्पिल्ट स्क्रीन में पन्ने पलटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। [Ctrl + Shift + F6] से आप आसान से वर्ड डॉक्यूमेंट के बीच स्विच कर सकते हैं। मैक में इसे बटनों (Key ) की लाइट इंटेसिटी बढ़ती है। जब एप्पल से वर्ड एक्सेस किया जाता है तो ये डॉक्यूमेंट, टास्क पैन, स्टेटस बार और मीनू बार के बीच स्विच करने में काम आता है।

F7

अगर आप वर्ड डॉक्यूमेंट स्पेलिंग और ग्रामर चेक करना चाहते हैं तो विंडोज पर Alt + F7 का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप मैक का इस्तेमाल करते हैं तो सिर्फ F7 का इस्तेमाल करें। अगर आप पर्यायवाची खोजना चाहते हैं और विंडोज कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो +F7 दबाने पर थिसारस मिल सकते हैं।

F8
अगर विंडोज पर काम कर रहे हैं तो F8 दबाएं. आपका सेफ मोड शुरू हो जाएगा। एक्सेल में इससे एक्सटेंडेंट मोड में खुल जाता है. एप्पल पर इससे आईट्यून पर गाने रुकने या चलने लगते हैं। एप्पल पर वर्ड इस्तेमाल करते हुए वक्त F8 का इस्तेमाल किसी सेक्शन को बड़ा करने में होता है.

F9

F9 का इस्तेमाल कुछ एप्लीकेशन में ईमेल रिसीव करने और भेजने में होता है। अगर विंडोज इस्तेमाल करते हैं तो वर्ड में Ctrl + F9 का इस्तेमाल खाली जगह इनसर्ट करने में होता है। एप्पल में यह सेलेक्टेड फील्ड को अपडेट करने में इस्तेमाल होता है। मैक में आप इससे आईट्यून प्ले लिस्ट में अगले गाने की ओर बढ़ सकते हैं.

F10

F10 से आप एक्विट विंडो में एलिमेंट को चिन्हित कर सकते हैं। यह अलग-अलग टैब पर जाने की इजाजत देता है। साथ यह विंडोज में कर्सर या की तक जाने में मदद करता है। Shift + F10 से विंडोज में कॉन्टेक्स्ट मीनू खुल जाता है. डेस्कटॉप या फाइल या फोल्ड पर राइट क्लिक से यह मीनू खुल जाता है। जब आप एप्पल का इस्तेमाल करते हैं यह विंडोज मैक्सिमाइज करता है. मैक में इससे ऑडियो बंद और खुल जाता है.

F11

अगर आप पर्सनल कंप्यूटर पर फुल स्क्रीन मोड से बाहर आना और इसमें जाना चाहते हैं तो F11 दबाएं। अगर आप शिफ्ट की दबा रहे हों और एक्सेल इस्तेमाल कर रहे हों तो स्प्रेडशीट एक्टिवेट हो जाता है। अगर आपके पास एप्पल है तो इसका इस्तेमाल ऑडियो वॉल्यूम कम करने में कर सकते हैं. वर्ड में इसका इस्तेमाल नेक्स्ट फील्ड में जाने के लिए होता है।

F12

F12 का इस्तेमाल वर्ड में “Save As” को खोलने के लिए होता है. इससे आप सीधे डॉक्यूमेंट सेव कर सकते हैं। अगर [Ctrl + Shift + F12] करते हैं तो आप प्रिंट फंक्शन खोल सकते हैं। अगर आप एप्पल का इस्तेमाल करते हैं तो F12 का इस्तेमाल कर ऑडियो वॉल्यूम बढ़ा सकते हैं।

गर्मियों में कीजिए पैरों की देखभाल, बनाइए खूबसूरत और मुलायम

गर्मियों में यूवी किरणों के कारण त्वचा को काफी नुकसान होता है. हानिकारक यूवी किरणों के कारण त्वचा पर टैन जमा हो जाता है. हम अपने चेहरे और हाथों को टैन से बचाने के लिए कई तरह के सौन्दर्य उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं.
ऐसे में हम अपने पैरों को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं जब पैर देखते हैं तो अच्छा नहीं लगता। पैरों की देखभाल के लिए आप कई तरह के घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं –
स्क्रब से मृत त्वचा हटाएं – हर हफ्ते अपने पैरों को एक्सफोलिएट जरूर करें. ऐसा करने से पैरों पर जमा गंदगी से छुटकारा मिलेगा। ये मृत त्वचा को हटाने में मदद करेंगे। इससे आपके पैर मुलायम होंगे। आप घर के बने स्क्रब का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप एक चम्मच ओट्स में 1 से 3 चम्मच शहद मिलकर पैरों को स्क्रब कर सकते हैं। इससे पैरों को मुलायम बनाने में मदद मिलेगी।
प्यूमिक स्टोन का इस्तेमाल करें – पैरों को साफ करने के लिए प्यूमिक स्टोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये पैरों की मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है। आप पैरों की सफाई के लिए नियमित रूप से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
पैरों को मॉइस्चराइज करें – हमारी एड़ियां बहुत ही रूखी होती हैं। चलने-फिरने के दौरान हमारी एडियों पर ज्यादा जोर पड़ता है। ऐसे में एडियों को मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी है। आप एड़ियों को मॉइस्चराइज करने के लिए लोशन या तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये पैरों की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें – तेज धूप के कारण पैरों पर टैन जमा हो जाता है। सनस्क्रीन की जरूरत केवल हमारे चेहरे और हाथों को नहीं बल्कि पैरों को भी पड़ती है। नियमित रूप से पैरों पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. ये आपके पैरों को टैन से बचाने में मदद करेगी।

पैरों को खुला रखें – गर्मियों में हर समय शूज पहने रहने से पैरों से दुर्गंध आने लगती है। ज्यादा टाइट जूते या चप्पल पहनने से बचें। अगर आप शूज पहनते हैं तो कोशिश करें कि इन्हें दिन में एक बार खोले। इससे आपके पैरों को थोड़ी राहत मिलेगी।

घटती रफ्तार: भारत में कुल प्रजनन दर में लगातार हो रही कमी

नयी दिल्ली । देश की जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार लगातार कम हो रही है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि ये रफ्तार आबादी के प्रतिस्थापन स्तर से भी कम हो गयी है। दरअसल, देश में कुल प्रजनन दर (यानी टीएफआर) 2 हो गई है। किसी देश की मौजूदा आबादी को बनाए रखने के लिए प्रतिस्थापन की दर 2.1 होनी चाहिए।

सरकार की ओर से हुए पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे या एनएफएचएस -5) में आंकड़े सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार समेत केवल पांच राज्य ऐसे हैं जहां कुल प्रजनन दर 2.1 से ज्यादा है। बिहार में प्रजनन दर सबसे ज्यादा 2.98 है, दूसरे नंबर पर मेघालय में 2.91 का टीएफआर है। तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां टीएफआर 2.35 है। झारखंड में 2.26 तो मणिपुर में 2.17 का टीएफआर है।
पूर्व स्वस्थ्य सचिव ए आर नंदा कहते हैं कि सभी राज्यों में प्रजनन दर घट रही है। लेकिन, हमारी जनसंख्या का आकार काफी बड़ा है। जैसे चलती गाड़ी पर ब्रेक लगाने से वो तुरंत नहीं रुकती, उसे रुकने में थोड़ा वक्त लगता है। वैसे ही जनसंख्या का मोमेंटम तुरंत नहीं रुकेगा। आने वाले 20-30 साल तक हमारी आबादी बढ़ेगी। अभी ये करीब 140 करोड़ है। अगले 20-30 साल में जब ये 160 या 170 करोड़ हो जाएगी। उस वक्त हमारी जनसंख्या विकास दर शून्य हो जायेगी। उसके बाद इसमें कटौती होगी यानी उसके बाद जनसंख्या में कमी आनी शुरू होगी।

बीते तीन दशक में एनएफएचएस के पांच सर्वे आए हैं। 1992-93 में आए पहले सर्वे से अब आए पांचवें सर्वे के दौरान मुस्लिमों में प्रजनन दर में सबसे ज्यादा कमी आई है। 1992-93 में मुस्लिम महिलाओं में टीएफआर 4.41 था। जो नए सर्वे में घटकर 2.36 रह गया है। हालांकि, अभी ये ये सभी धर्मों में सबसे ज्यादा है। वहीं, हिन्दू महिलाओं में इसी दौरान टीएफआर 3.30 से घटकर 1.94 हो चुका है।

पिछली बार के मुकाबले सिख और जैन समुदाय की प्रजनन दर में इजाफा हुआ है। 2015-16 में सिख समुदाय में प्रजनन दर 1.58 थी जो अब बढ़कर 1.60 हो गई है। वहीं, जैन समुदाय में प्रजजन दर 1.20 से बढ़कर 1.60 हो गई है। ए आर नंदा कहते हैं मेरा हमेशा से मानना है कि जनसंख्या धर्म के आधार पर नहीं बढ़ती घटती है। ज्यादातर प्रजनन दर कम पढ़ी-लिखी और अनपढ़ आबादी में होती है। गरीब और अति गरीब हिन्दू आबादियों में प्रजजन दर और गरीब मुस्लिम आबादी में प्रजनन दर करीब-करीब एक ही रहती रही है। ऐसा हमेशा से दिखाई देता रहा है।

एआर नंदा कहते हैं कि देश के ज्यादतर राज्यों में टोटल फर्टिलिटी रेट यानी टीएफआर 2.1 या उससे कम हो चुका है। जो यूएन के मुताबिक किसी भी आबादी के रिप्लेसमेंट पॉपुलेशन का स्टैंडर्ड है। यानी हमारे देश की जनसंख्या वृद्धि की दर सही दिशा में जा रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, जैसे कुछ ही राज्य हैं, जहां टीएफआर 2.1 से ज्यादा है। लेकिन, इन राज्यों में भी TFR तेजी से कम हो रहा है। आने वाले तीन से चार साल में यहां भी टीएफआर 2.1 तक पहुंच जाएगा।

एआर नंदा कहते हैं कि एक या दो बच्चों के लिए कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा करने से कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले बढ़ेंगे। नंदा कहते हैं कि चीन जहां सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण जैसा कानून लागू हुआ उसे इसका बहुत नुकसान हुआ। खासतौर कन्या भ्रूण हत्या में बहुत इजाफा हुआ। इस कानून से हो रहे नुकसान की वजह से चीन को पहले एक से दो अब दो से तीन बच्चों की छूट देनी पड़ी।

वहीं, भारत में ओडिशा जैसा राज्य जहां इस तरह का कानून सबसे करीब 28 साल से लागू है। वहां, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को इससे नुकसान हुआ है। ये लोग राज्य की पंचायत राज व्यवस्था की चुनाव प्रक्रिया से भी दूर हो गए। वहीं जिन राज्यों में ये पॉलिसी लागू की गई है, वहां इसके असर को लेकर कभी कोई रिपोर्ट नहीं जारी की गई।

2006 में पूर्व आईएएस ऑफिसर निर्मला बुच ने इस पॉलिसी को लागू करने वाले पांच राज्यों पर अध्ययन किया था। इस स्टडी में बताया गया कि दो बच्चों का नियम आने के बाद इन राज्यो में लिंग चयन तथा असुरक्षित गर्भपात बढ़े हैं। कुछ मामलों में पुरुषों ने लोकल बॉडी इलेक्शन लड़ने के लिए पत्नी को तलाक दे दिया। इसके साथ ही कुछ मामलों में अयोग्यता से बचने के लिए बच्चों को गोद दे दिया गया।

बेटा पैदा होने की चाह में ज्यादा बच्चे होने की बात होती है उसका क्या?

बेटे की चाह में ज्यादा बच्चे पैदा करने के चलन में भी कमी आई है। ताजा सर्वे बताता है कि 65 फीसदी महिलाएं जिनके दो बेटियां है वो बेटे की चाह में तीसरा बच्चा नहीं करना चाहती हैं। गांवों के मुकाबले शहरों में प्रजनन दर काफी कम हो गई है। शहरों में ये घटकर 1.6 हो गई है। वहीं, गांवों में ये आंकड़ा 2.1 पर है। यानी, गांवों में भी प्रजनन दर प्रतिस्थापन के स्तर पर आ चुकी है। कुल प्रजनन दर 2 हो गई है। जो पिछली बार के 2.2 से भी कम है। शहर हो या गांव हर सर्वे में  टीएफआर लगातार कम हो रही है। 1992-93 में हुए पहले सर्वे एनएफएचएस -1 में गांवों में कुल प्रजनन दर 3.7 शहरों में ये 2.7 थी। 1992-93 में कुल टीएफआर 3.4 था।

(साभार – अमर उजाला)

व्हाट्सएप का नया अपडेट : 2 GB फाइल शेयर होगी, ग्रुप में जोड़ सकेंगे 512 सदस्य

नयी दिल्ली। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के व्हाट्सएप इमोजी रिएक्शन को लेकर बड़े ऐलान के बाद व्हाट्सएप में एक और बड़ा फीचर जुड़ने जा रहा है। इससे एक ही व्हाट्सएप ग्रुप में 512 लोगों को जोड़ा जा सकेगा। फिलहाल इस नए फीचर की टेस्टिंग बीटा वर्जन पर हो रही है।
कम्युनिटीज फीचर की घोषणा के बाद व्हाट्सएप मैसेजिंग ऐप ने नए इमोजी रिएक्शन को रोल आउट करना शुरू कर दिया है। इससे अपग्रेटेड एक्सप्रेशंस के साथ रिएक्शन के लिए स्मार्ट फीचर उपलब्ध होंगे। हाल ही में व्हाट्सएप की ओर से यह घोषणा की है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर एक नया इमोजी रिएक्शन फीचर जोड़ने जा रहे हैं। व्हाट्सएप को बेहतर यूजर एक्सपीरिएंस के लिए लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। इसके साथ एप में नए फीचर्स भी जोड़े जा रहे हैं। हाल ही व्हाट्सएप में एक नया इमोजी रिएक्शन फीचर जोड़ने की बात कही जा रही है। व्हाट्सएप की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस नए फीचर से उपयोगकर्ता आगे फाइलों को एक आकार के साथ साझा करने में सक्षम होंगे जिसे बढ़ाकर 2GB कर दिया गया है। इसके अलावा यूजर व्हाट्सएप ग्रुप में अब अधिक सदस्यों को जोड़ सकेगा।
नए अपडेट के बाद उपयोगकर्ता व्हाट्सएप ग्रुप में 512 सदस्यों के साथ अधिक सदस्य रख सकता है। व्हाट्सएप ने अपने प्लेटफॉर्म पर 2GB जितनी बड़ी फाइलों को भेजने की क्षमता को और जोड़ने की बात कही है। जो कि एक बड़ा अपग्रेड होगा। इससे पहले यूजर केवल केवल 100 एमबी साइज की फाइल ही भेज या प्राप्त कर पाते थे। व्हाट्सएप के नए फीचर यूजर्स को जरूरी टूल्स के साथ उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन ग्रुप में बड़ी घोषणा करने के लिए चैटिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकेंगे।