Monday, July 21, 2025
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जन समर्थ पोर्टल पर 13 सरकारी योजना के तहत मिलेंगे ऋण, प्रक्रिया जानें

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज क्रेडिट-लिंक्ड सरकारी योजनाओं के लिए ‘जन समर्थ पोर्टल’ लॉन्च किया। इससे सरकारी स्कीम के तहत लोन लेना आसान हो जाएगा। इस पोर्टल से 13 सरकारी स्कीम के तहत लोन लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जा सकेंगे। फिलहाल, चार श्रेणी के लोन के लिए आवेदन करने की सुविधा होगी। इनमें शिक्षा, कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर, कारोबार शुरुआत एवं जीवनयापन लोन शामिल हैं। लोन के आवेदन से लेकर उसकी मंजूरी तक, सब काम जन समर्थ पोर्टल से ऑनलाइन होगा। पोर्टल में आवेदक अपने लोन की स्थिति भी देख सकेंगे। आवेदक लोन नहीं मिलने पर उसकी शिकायत भी आनलाइन कर सकेंगे। इस पोर्टल पर सरकार 125 से अधिक लोन दाताओं को एक साथ लेकर आई है।
क्या है जन समर्थ पोर्टल?
जन समर्थ पोर्टल एक डिजिटल पोर्टल है, जहां 13 क्रेडिट लिंक्ड सरकारी योजनाएं मौजूद होंगी। इस पोर्टल के जरिए लोन लेने के इच्छुक व्यक्ति आसान तरीके अपनी पात्रता यानि एलिजिबिलिटी की जांच कर सकते हैं। अगर कर्ज लेने का इच्छुक लोन के लिए पात्र है तो वो पोर्टल पर अप्लाई भी कर सकता है। इसके साथ ही उसे हाथों-हाथ डिजिटली अनुमति भी मिल जाएगी। इसके साथ कोई भी आवेदक, अप्लाई करने के बाद अपने लोन के स्टेटस की जानकारी भी हासिल कर सकता है।
जन समर्थ पोर्टल से कैसे होगा आवेदन?
फिलहाल इस पोर्टल पर लोन के लिए चार श्रेणियां बनाई गई हैं। इन कैटेगरी के नाम एजुकेशन लोन, एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर लोन, बिजनेस एक्टिविटी लोन और लिवलीहुड लोन है। हर लोन की कैटेगरी में कई योजनाएं लिस्ट की गई हैं। लाभार्थी जिस कैटेगरी के तहत लोन लेना चाहता है, उसके लिए पहले उसे इससे जुड़े कुछ सवालों के जवाब देने होंगे। इन जवाबों के जरिए लाभार्थी अपनी योग्यता की भी जांच कर सकेंगे। अगर ग्राहक लोन के लिए पात्र हैं तो उन्हें ऑनलाइन ही मंजूरी मिल जाएगी।
कौन से दस्तावेज जरूरी हैं?
लोन लेने के लिए आम तौर पर कई जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है। इन दस्तावेजों में वोटर आईडी, पैन, बैंक स्टेटमेंट, आधार नंबर जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। आप अगर लोन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो आपको इन दस्तावेजों की जानकारी देनी होगी।

आवेदन का स्टेटस कैसे पता करें
इस पोर्टल के जरिए कोई भी व्यक्ति लोन ले सकता है लेकिन उसे लोन मिलेगा या नहीं ये बात पात्रता यानि एलिजिबिलिटी के आधार पर तय की जाएगी। अगर आप पात्र हैं तो लोन मिल जाएगा। साथ ही लोन के आवेदन का स्टेटस भी आप इस पोर्टल के जरिए जान सकते हैं। आपका लोन कौन से चरण में है, इसकी जानकारी भी आपको मिल जाएगी। आवेदन करने वाला जन समर्थ पोर्टल पर लोन आवेदन का स्टेटस भी देख सकता है। इसके लिए आवेदक को रजिस्ट्रेशन की डिटेल्स भरकर साइन-इन कीजिए, इस स्टेटस को जानने के लिए डैशबोर्ड पर माई एप्लीकेशन टैब पर क्लिक करना होगा। 3 दिन में होगा समस्या का समाधान

तीन दिनों में आवेदक की शिकायत का निपटान करना होगा। जानकारों के मुताबिक, जन समर्थ पोर्टल पर आवेदक के साथ बैंक एवं लोन देने वाली विभिन्न प्रकार की छोटी-बड़ी संस्थाएं भी उपलब्ध होंगी, जो लोन के लिए आने वाले आवेदन पर अपनी मंजूरी देंगी। अभी इस पोर्टल से बैंक समेत 125 से अधिक वित्तीय संस्थाएं जुड़ चुकी हैं।

सभी स्टेक होल्डर शामिल
इस पोर्टल पर लोन से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर को शामिल किया गया है। इनमें लाभार्थी, लोन दाता और वित्तीय संस्थान, सेंट्रल/राज्य सरकार से जुड़े मंत्रालय, नोडल एजेंसी और फैसिलिटेटर्स शामिल होंगे।

कोलकाता का पेन हॉस्पिटल, जहाँ होता है पुरानी कलम का इलाज

77 साल पुरानी दुकान 1945 में स्थापित हुई
कभी सुना है कलम के अस्पताल के बारे में..? नहीं ना..? तो जान लीजिए ऐसा अस्पताल है और वो भी अपने ही देश में। कोलकाता की गलियों में एक ऐसा पेन हॉस्पिटल है, जहां पुरानी से पुरानी बिगड़े हुए कलमों को ठीक किया जाता है। यह दुकान 77 साल पुरानी है।
 इतिहास- पेन के लगातार इस्तेमाल या ऐसे भी वो रखे-रखे खराब हो जाते हैं। जिस आम लोग कूड़े में डाल देते हैं, लेकिन कोलकाता में एक समय था, जब लोग अपनी कलम को सही करवाने के लिए ‘पेन अस्पताल’ ले जाते थे। यह सुनने में भले ही अविश्वसनीय लगे लेकिन उस वक्त पेन अस्पताल वास्तव में शहर में काफी संख्या में मौजूद थे। हालांकि अब ऐसे अस्पताल समय के साथ खत्म गए हैं, लेकिन कोलकाता के बीचों-बीच अभी भी एक अस्पताल चल रहा है।
कहां है ये दुकान- जैसे ही आप धर्मतला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 4 से बाहर निकलते हैं, आपको फुटपाथ के बाईं ओर एक ‘पेन हॉस्पिटल’ बोर्ड लटका हुआ दिखाई देगा। संकरी गली के एक तरफ, डॉ मोहम्मद इम्तियाज एक छोटी सी दुकान में बैठे रहते हैं। यहां वो पुराने और टूटी हुई कलमों का ‘इलाज’ करते हैं। इम्तियाज के दादा समसुद्दीन ने 1945 में इस दुकान को शुरू किया था। आज इसकी हालात भले ही खराब हो गई हो लेकिन इस अव्यवस्थित दुकान में आज भी कई बेशकीमती कलम रखे हुए हैं। इम्तियाज बताते हैं कि जब ‘पेन अस्पताल’ की शुरूआत हुई थी, तब वाटरमैन, शेफर्ड, पियरे कार्डा और विल्सन जैसे बेशकीमती पेन विदेशों से लाए जाते थे, लेकिन इसके खराब होने के बाद इसे ठीक करने वाला कोई नहीं था। जिसके बाद पेन अस्पताल शुरू हुआ”।
दुकान की कमाई पर निर्भर परिवार- इम्तियाज और उनके भाई मोहम्मद रियाज ने अपने पिता मोहम्मद सुल्तान के साथ रहकर काम सीखा था। अपने छोटे भाई की मृत्यु के बाद इम्तियाज ने अस्पताल को संभाला। आज भी उनका परिवार इसी ‘अस्पताल’ की कमाई पर निर्भर है। इम्तियाज कहते हैं- “आजकल, स्याही और कलम से लिखना खत्म हो गया है। ज्यादातर लोग एक बार पेन का इस्तेमाल करते हैं और उसे फेंक देते हैं। अब कंप्यूटर का जमाना है। अभी भी कुछ लोग हैं जो स्याही से लिखते हैं। वे टूटे हुए पेन को ठीक करने आते हैं। कुछ लोग शौक के लिए भी पुराना पेन खरीदते हैं।”

ऐसे ही एक ‘पेन ऑपरेशन’ के दौरान पेन हॉस्पिटल के डॉक्टर ने कहा- “विदेशी पेन बहुत महंगे होते हैं। लोग अभी भी मरम्मत के लिए 10,000-12,000 रुपये के पेन लाते हैं। पेन में स्याही भरने का तरीका अलग-अलग होता है। सभी पेन पार्ट्स हमेशा आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। ऐसे में पुरानी कलम को ठीक करते ही उसे एक नया जीवन मिल जाता है।”
इम्तियाज आगे बताते हैं कि उनके पास कलेक्शन में 20 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक के पेन हैं। कई प्रसिद्ध प्रोफेसर, लेखक और पत्रकार इस पेन अस्पताल में अपनी पसंदीदा कलम की बीमारी का इलाज कराने आ चुके हैं।
(साभार – जनसत्ता)

विश्व के शीर्ष 10 प्रेरक स्कूलों में शामिल हुआ हावड़ा का सेमिरिटन मिशन

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्थित सेमेरिटन मिशन स्कूल दुनिया के टॉप 10 प्रेरणादायक स्कूलों में शामिल हुआ है। यूके केंद्रित संस्थान टी-4 एजुकेशन ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्थाओं के साथ मिलकर दुनिया भर में ऐसे स्कूलों पर एक शोध किया है और उसकी सूची तैयार की है। उक्त सूची में दुनिया के शीर्ष दस स्कूलों में हावड़ा के स्कूल को शामिल किए जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जाहिर करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।

उन्होंने शुक्रवार को ट्विटर पर लिखा है, “यह जानकारी साझा करते हुए मुझे खुशी हो रही है कि हावड़ा का सेमेरिटन मिशन स्कूल दुनिया भर के 10 शीर्ष प्रेरणादायक स्कूलों में से एक है। यूके स्थित शोध संस्थान टी-4 ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित निकायों के साथ साझेदारी में विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों को पुरस्कार के लिए चुना है। उन स्कूलों को चुना गया है जो प्रतिकूल परिस्थितियों को काबू पाने में प्रेरणादायक रहे हैं और उसमें हावड़ा का यह स्कूल टॉप टेन में शामिल है। इसके लिए बधाई और शुभकामनाएं।’’

( साभार – सलाम दुनिया डिजिटल)

88 प्रतिशत रहा उच्च माध्यमिक परीक्षा का परीक्षाफल

कूचबिहार की अदिशा अव्वल

कोलकाता : पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 12वीं परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को जारी कर दिया है। इस बार 88.44 प्रतिशत परीक्षार्थी सफल रहे हैं। परिषद के अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने शुक्रवार की सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर टॉप 10 छात्रों की सूची जारी की। उन्होंने बताया कि कूचबिहार जिले की दिनहटा स्थित सनीदेवी जैन हाई स्कूल की छात्रा अदिशा देवशर्मा ने पूरे राज्य में टॉप किया है। उसे 500 में से 498 नंबर मिले हैं। पश्चिम मेदिनीपुर के जलचक्र नटेश्वरी नेताजी विद्यायतन के छात्र सायनदीप सामंत 497 नंबर हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे। चार छात्र तृतीय आए हैं जिन्हें 496 नंबर मिले हैं। 495 नंबर हासिल कर 8 छात्र चौथे स्थान पर हैं जबकि 494 नंबर के साथ 11 छात्र पांचवें स्थान पर हैं। शीर्ष 10 की सूची में कुल 272 छात्र अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे हैं। इनमें 144 लड़के और 128 लड़कियाँ शामिल हैं। जिलों में पूर्व मेदिनीपुर का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है। इसके अलावा पश्चिम मिदनापुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया, बांकुड़ा, कालिमपोंग सहित सात जिलों में 90 फ़ीसदी छात्र पास हुए हैं। इस बार भी राजधानी कोलकाता का प्रदर्शन जिलों के मुकाबले निराशाजनक रहा है।

पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक परीक्षा के परिणाम शुक्रवार को जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही अगले साल होने वाली उच्च माध्यमिक परी्क्षा की समय सूची भी घोषित कर दी गई है। उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने बताया कि अगले साल 14 मार्च से उच्च माध्यमिक की परीक्षाएं शुरू होंगी। उन्होंने बताया कि पूरे पाठ्यक्रम के अनुसार ही परीक्षाएं होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में होम सेंटर पर परीक्षा नहीं होगी।

जैसे कोरोना से पहले छात्रों को परीक्षा देने के लिए अपना स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता था वैसे ही अगले साल दूसरे स्कूलों में जाकर परीक्षा देनी होगी। उल्लेखनीय है कि उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के एक सूत्र ने पहले ही बताया था कि कोरोना की वजह से होम सेंटर पर परीक्षा देने में काफी खर्च हुआ है और अस्थाई तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना पड़ा है। इसीलिए अगले साल से होम सेंटर से अलग स्कूलों में जाकर पहले की तरह परीक्षाएं ली जायेंगी।

माध्यमिक के नतीजे घोषित, 86.60% परीक्षार्थी सफल

इसके पूर्व गत 3 जून को माध्यमिक शिक्षा परिषद य़ानी वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने माध्यामिक परीक्षा के परिणाम घोषित किए। माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. कल्याणमय गांगुली ने संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से परीक्षा परिणामों की घोषणा की। इस बार भी जिलों ने कोलकाता को पछाड़ दिया है। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पूर्व मिदनापुर जिले ने जिलों में सबसे ज़्यादा सफलता दर्ज की है। कलिंपोंग ने दूसरा स्थान जबकि पश्चिम मिदनापुर जिले ने तीसरा स्थान दर्ज किया है। वहीं, कोलकाता चौथे स्थान पर रहा। 692 नंबर (99%) लाने वाले अर्णव घोराई (बांकुड़ा, रामहरिपुर रामकृष्ण मिशन स्कूल) और रौनक मंडल (पूर्व बर्दवान, बर्दवान सीएमएस स्कूल)

(साभार – सलाम दुनिया डिजिटल)

सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार करेंगे मैसूरू के मूर्तिकार

इंडिया गेट पर की जाएगी स्थापित

नयी दिल्ली । मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज सुभाष चंद्र बोस की 30 फुट ऊंची प्रतिमा को तैयार करेंगे, जिसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल के पीछे भव्य छतरी के नीचे स्थापित किया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची प्रतिमा भी तैयार की थी, जिसका अनावरण पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि स्वतंत्रता आंदोलन में बोस के योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
छतरी को 1930 के दशक में सर एडविन लुटियन द्वारा शेष स्मारक के साथ बनाया गया था। इसमें एक समय इंग्लैंड के पूर्व राजा जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा रखी गई थी। प्रतिमा को 1960 के दशक में मध्य दिल्ली में कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था। एक बड़े काले जेड ग्रेनाइट पत्थर का चयन किया गया है और प्रतिमा बनाने के लिए इसे तेलंगाना से दिल्ली लाया गया है। प्रतिमा का डिजाइन संस्कृति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) की एक टीम द्वारा किया गया है, जिसके प्रमुख अद्वैत गडनायक हैं।
संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि योगीराज एक जून को दिल्ली आने पर मूर्ति का चेहरा तराशेंगे और यह काम 15 अगस्त तक पूरा होने वाला है। प्रधानमंत्री ने इससे पहले जब उन्हें पिछले महीने दो फुट की प्रतिकृति भेंट की गई थी तो योगीराज द्वारा बनाई गई प्रतिमा के संस्करण को मंजूरी दी थी । मोदी ने बाद में मॉडल की तस्वीर के साथ योगीराज से मुलाकात के बारे में ट्वीट किया था। केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के अलावा, योगीराज के अन्य कार्यों में मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की आदमकद सफेद संगमरमर की प्रतिमा शामिल है।

यूपीएससी – प्रेरणा देती हैं इन मेधावी युवाओं की कहानियाँ

नयी दिल्ली। सफलता के लिए एक कीमत अदा करनी होती है। संघर्ष करना होता है। कुर्बानियां देनी होती हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा संघ लोक सेवा आयोग ने इस परीक्षा का अंतिम परिणाम जारी किया। इस रिजल्ट में देश के वैसे इलाकों से भी युवा पास हुए हैं जिनको अपने जीवन में कई झंझावातों का सामना करना पड़ा। कोई मजदूर का बेटा है तो किसी के घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह इस परीक्षा की तैयारी कर सके। लेकिन कहते हैं न सोना तपकर ही ‘कुंदन’ बनता है। तो इस परीक्षा में भी ऐसे कई कुंदन निकले हैं जिन्होंने मुसीबतों का सामना करके, छोटे शहरों के होकर भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

कर्ज लेकर परिवार का गुजारा, अब आईएएस
बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले विशाल कुमार को संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 484वां स्थान मिला है। विशाल के पिता मजदूरी किया करते थे। बाद में उनके पिता का साया भी सिर से उठ गया। ऐसे में मां ने परिवार का पेट पालने के लिए कर्ज लिया और अपने बेटे की पढ़ाई को जारी रखा। शुरू से ही विशाल काफी तेज तर्रार छात्र रहे हैं। उन्होंने 10वीं में अपने जिले में पहला स्थान हासिल किया था। मां ने अपने बेटे को आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। विशाल ने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर आईआईटी जैसे परीक्षा में भी सफलता हासिल की और IIT कानपुर से केमिकल इंजीनयरिंग में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा की जमकर तैयारी की और इसमें सफलता का परचम लहरा दिया।

लेखपाल की नौकरी, 1 साल की छुट्टी..केदार की सफलता की कहानी 
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर सदर तहसील में तैनात लेखपाल केदारनाथ शुक्ल ने आईएएस बनने की कहानी किसी सपने के जैसा है। नौकरी करते हुए केदारनाथ को तैयारी करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन केदारनाथ ने मन में ठान लिया था तो ऊपर वाले ने भी उनकी मदद की। केदारनाथ के आईएएस बनने का सपना साकार करने के लिए जिले के आईएएस अधिकारी कुलदीप मीना और सुमित महाजन ने प्रेरित किया। यही नहीं, केदारनाथ के वरिष्ठों ने उन्हें तैयारी करने के लिए एक साल की छुट्टी तक दे दी। आपने मां-बाप के एकलौते बेटे केदारनाथ ने यूपीएससी में 465वीं रैंक हासिल की है। लेखपाल पद का निर्वहन करते हुए केदारनाथ शुक्ल के बारे में आईएएस व जॉइंट मैजिस्ट्रेट कुलदीप मीना व सुमित महाजन को पता चला तो उन्होंने केदारनाथ से बात की, उन्हें प्रेरित किया और तैयारी के लिए एक साल की छुट्टी दिलाई। अधिकारियों का बल मिला तो केदारनाथ ने जुनून के साथ तैयारी शुरू कर दी। मेहनत रंग लाई और केदारनाथ ने आखिरकार संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।

अंशु प्रिया, असफलता से सफलता की कहानी
बिहार के मुंगेर की रहने वाली अंशु प्रिया पेशे से चिकित्सक हैं। लेकिन अब उनका नया पेशा लोक सेवक का होगा। यूपीएससी परीक्षा में उन्हें 16वीं रैंक मिली है। हालांकि, अंशु के लिए ये सब इतना आसान नहीं था। डॉक्टर की नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाली अंशु को शुरुआत के दो प्रयास में असफल रही थीं। लेकिन उन्होंने इससे बिना घबराए तीसरी बार प्रयास किया और इस बार उन्होंने इस परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। अंशु के पिता शिक्षक हैं जबकि मां गृहिणी हैं। अंशु ने अपनी सफलता से साबित किया कि अगर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें तो कुछ भी असंभव नहीं है।

एमपी के कृष्णपाल की कहानी
मध्य प्रदेश के कृष्णपाल राजपूत के आईएएस बनने की कहानी आपको प्रेरित करेगी। वकील पिता और आंगनवाड़ी सहायिका के बेटे कृष्णपाल शुरू से ही प्रतिभावान रहे हैं। निवाड़ी जिले के ओरछा के रहने वाले कृष्णपाल ने अपना लक्ष्य पाने के लिए चार साल तक तपस्या की और अपने पहले ही प्रयास में 329वीं रैंक हासिल कर ली। पिता रामकुमार ने बताया कि उनके बेटे ने छोटी उम्र में ही प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य बना लिया था। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद से वे अपनी कॉलेज की पढृाई के साथ सिविल सर्विसेज परीक्षा से संबंधित जानकारियां जुटाने लगे थे। इसीलिए वे परिवार की सुख-सुविधा को छोड़ ग्वालियर गए थे।

15 साल तक ‘संन्यास’, तब आईएएस परीक्षा में सफलता
बिहार के नवादा जिले के रोह प्रखंड के रहने वाले आलोक रंजन ने यूपीएससी परीक्षा में 346वीं रैंक पाई है। आलोक की इस परीक्षा को पास करने की यात्रा काफी मुश्किलों वाली रही है। आलोक 15 साल तक घर नहीं गए थे। उनकी जिद थी कि जबतक वह आईएएस नहीं बनेंगे घर नहीं आएंगे। आलोक के पिता नरेश यादव और मां सुशीला देवी शिक्षक हैं। आलोक ने 2007 में मैट्रिक नवादा के जीवनदीप पब्लिक स्कूल से किया था। उसके बाद वह कोटा चले गए थे, जहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नई दिल्ली से स्नातक किया। आलोक ने 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। कड़ी मेहनत के बाद सातवें प्रयास में आलोक को सफलता मिली

दिल्ली की आयुषी, ‘बंद’ आंखों से सफलता
सफलता के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है। दिल्ली की आयुषी शर्मा इसका जीता जागता उदाहरण हैं। यूपीएससी की परीक्षा में 48वां रैंक हासिल करने वाली आयुषी 100 प्रतिशत दृष्टिहीन हैं। लेकिन उनकी सफलता में ये मुश्किल बाधा नहीं बन सकी और उन्होंने मेहनत के जरिए देश की इस सबसे प्रतिष्ठित सेवा में सफलता हासिल की। अपने चौथे प्रयास में सफल होने वाली आयुषी अपने स्कूल में हमेशा से टॉपर रही हैं। वह मुबारकपुर स्थित स्कूल में इतिहास की लेक्चरर रही हैं। वह अपनी तैयारी के लिए रात में कम सोती थीं।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

भवानीपुर कॉलेज में नारी प्रोडक्शन द्वारा शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला 

कोलकाता ।  भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला आयोजन किया गया जिसमें ‘वर्तमान में समाज और स्त्री की अस्मिता ‘विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। 8 एवं 9 जून को आयोजित कार्यशाला में सत्रह छात्राओं को प्रशिक्षण दिया गया। भरतनाट्यम के गुरु पद्मश्री चित्रा विश्वेश्वरन और डॉ पद्मा सुब्रमण्यम की शिष्या अनुसुइया घोष बनर्जी के निर्देशन में छात्राओं ने स्त्री की अस्मिता को एक नए रूप में नृत्य के द्वारा अपनी आवाज को अभिव्यक्ति और भाव से पूर्ण प्रस्तुति को रूप दिया। पितृसत्तात्मक समाज में स्त्री को हमेशा ही अत्याचार सहना पड़ा है। आज तक समाज में उसकी आवाज़ को दबाया गया है। अब स्त्री अपनी अस्मिता को पहचानने लगी है और अब वह अपनी आवाज को बुलंद करती है। वह स्वयं प्रश्न उठाती है और समाज की आवाज बनती है। स्त्री का मानना है कि उसकी लड़ाई वह स्वयं लड़ेगी और समाज के अत्याचारों से लड़ते हुए उसे अपना स्थान बनाना होगा।
नृत्य में भरतनाट्यम, ओडिसी और कत्थक तीनों शास्त्रीय नृत्य के संयोजन को इस नृत्य में आकार दिया गया । इस कार्यशाला में विद्यार्थियों की सहनिदेशक नृत्यांगना संचयिता मुंशी साहा रहीं जिनकी गुरु प्रसिद्ध कोरियोग्राफर अनुसुइया घोष बनर्जी हैं।चेन्नई के गुरुकुल से जुड़ी नृत्य गुरु अनुसुइया दिल्ली, गाजियाबाद में खेतान पब्लिक स्कूल में परफार्मिंग आर्ट की कल्चरल हेड हैं और उन्हें आर्ट इनटिग्रिशन और सी लर्निंग से जुड़े कार्यक्रम में महारत हासिल है।
इस कार्यशाला का आयोजन किया कोआर्डिनेटर प्रोफ़ेसर मीनाक्षी चतुर्वेदी ने और जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

साहित्य कुंभ छंदशाला के रचनाकारों द्वारा पर्यावरण दिवस पर काव्य पाठ 

कोलकाता । साहित्य कुंभ छंदशाला के रचनाकारों द्वारा ऑनलाइन काव्य पाठ का आयोजन किया गया। आ.धर्मपाल धर्म नीमराना की अध्यक्षता में दिनांक पांच मई को हुआ जिसमें तेरह रचनाकारों ने पर्यावरण विश्व दिवस के अवसर पर मिलीजुली रचनाओं की प्रस्तुति दी। पर्यावरण सहित कई विषयों पर रचनाएँ पढी़ गईं। कार्यक्रम का संचालन हिम्मत चौरडिया ने एवं सरस्वती वंदना इन्दु चांडक द्वारा की गई साथ ही तकनीक व्यवस्था का कार्य किया । आ.धर्मपाल ने गजल ‘धड़कनें दिल की छिपाकर देख लो’,व हास्य रचना ‘चोरी करने के लिए घुसा एक घर’, कल्पना सेठिया दिल्ली ने ‘अनिवार्य वही अब मेरे लिए जो जीवन सार्थक बनाता है’ कविता, सुशीला चनानी ने रास लीला रचाते वे दुनिया को खूबसूरत बनाने के लिए, प्रकृति के अवदान व गीत मेघा बरसो-2 गीत,शशि कंकानी ने ‘उत्थान हो या पतन विचलित ना होना’, इन्दु चांडक ने ‘कोई गीत गायें, चलो गुनगुनाएँ, दिशायें सुरों से सजायें ‘मधुर प्रस्तुति दी गई। मीना दूगड़ ने ‘एक और भौतिकता का विकास दूसरी तरफ मानवता का संहार’, कुसुम अग्रवाल दिल्ली द्वारा ‘निरर्थक बातों में जीवन गुजर न जाये प्रेरक रचना पढ़ी गई। प्रभा जी लोढ़ा मुम्बई ने ‘फिर से मैं उडा़न भरूँगी , आसमान से ऊँची होगी उडा़न’ पढ़ी गई ।सरोज दूगड़ आसाम ने ‘राजस्थानी नर हीरों की कहाँ होती चमक पुरानी’ ओज पूर्ण काव्य पाठ किया गया। मंजू शर्मा ने ‘मैं चैतन्य हूँ-ऐसा जानती हूँ लेकिन समझती नही हूँ मैं,शायद अभी मोह में हूँ-अध्यात्म से परिपूर्ण कविता , उषा सराफ ने ‘प्रेम तो ढ़ाई आखर का /पर सितम कितना ढहाता है’ कविता सुनाई। हिम्मत चोरडि़या ने मारवाड़ी भाषा में आज वास्तविकता पर चोट करती कविता ‘मिलावट की तो बात छोड़ नकली पर असली रो लेबल लग जावे’ सुनाई । अंत में, सुशीला चनानी ने सभी रचनाकारों को धन्यवाद दिया ।

गुरुओं को स्मरण करना परम्परा से जुड़ना है – डॉ. किरण सिपानी

कोलकाता । ‘प्रो. कल्याणमल लोढ़ा ने बंगाल जैसे अहिन्दीभाषी प्रदेश में हिन्दी भाषा, साहित्य, अध्ययन एवं शिक्षण की मजबूत नींव तैयार की। उनका अध्ययन व्यापक एवम् अध्यापन कौशल विशिष्ठ था।’ सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह के अर्न्तगत आयोजित एक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आचार्य जगदीश चन्द्र बोस कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. किरण सिपानी ने यह बात कही। ‘प्रो. कल्याणमल लोढ़ा – संस्मरणों में’ विषयक संगोष्ठी में अपने गुरु प्रो. कल्याणमल लोढ़ा से जुड़ी स्मृतियों को अभिव्यक्त करते हुए डॉ. किरण सिपानी ने कहा कि अपने गुरुओं को स्मरण करना अपनी परम्परा से जुड़ना है। उनकी स्मृतियों से रस लेकर हम नयी पीढ़ी को तैयार करते हैं। प्रो. कल्याणमल लोढ़ा को याद करते हुए काजी नजरुल इस्लाम महाविद्यालय, वर्द्धमान के पूर्व आचार्य डॉ. संतराम ने कहा कि लोढ़ा जी का व्यक्तित्व सभी को प्रभावित करता था। और जीवन में परिवर्तन लाता था। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने लोढ़ा जी की शिक्षण शैली की सराहना की और कहा कि उनकी स्मृति में और अधिक आयोजन एवं शोध कार्य होने चाहिए जिससे नयी पीढ़ी उनको और अधिक जान सके। यह हम सबका दायित्व है। उमेशचन्द्र कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार शुक्ल ने कहा कि प्रो. कल्याणमल लोढ़ा की हिन्दी साहित्य के प्रति निष्ठा और उनकी साधना अनुकरणीय है।

वे हिन्दी को अपना कार्यक्षेत्र नहीं बल्कि मिशन मानते थे। भवानीपुर गुजराती एजुकेशन सोसायटी की प्राध्यापिका डॉ. वसुंधरा मिश्र ने कहा कि लोढ़ा जी के साथ काम करना बहुत कुछ सिखाने वाला था। वे अभिभावक की तरह नयी पीढ़ी को आगे ले जाते थे। स्वागत भाषण देते हुए श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि लोढ़ा जी ने महानगर की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों को नेतृत्व प्रदान कर हिंदी भाषी समाज को नई दिशा एवं दृष्टि दी थी। हिंदी के सम्मान एवं स्वाभिमान के लिए वे सदैव तत्पर रहे। कार्यक्रम का आरम्भ तारा दूगड़ द्वारा सरस्वती वन्दना के गायन से हुआ। संचालन सुरेन्द्रनाथ सान्ध्य कॉलेज की प्राध्यापिका दिव्या प्रसाद ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत कुमार जालान ने किया।

इस अवसर पर जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास, छपते–छपते के संपादक एवं ताजा टीवी के निदेशक श्री विश्वंभर नेवर, अनुराधा जालान, दूरदर्शन में कोलकाता जोन के अपर महानिदेशक श्री सुधांशु रंजन, प्रो. विमलेश्वर द्विवेदी, भागीरथ चांडक, अरुण प्रकाश मल्लावत, डॉ शुभ्रा उपाध्याय, डॉ कमलेश जैन, योगेश उपाध्याय, संजय बिन्नानी, डॉ. ऋषिकेश राय, निर्भय देवयांश, अनिल ओझा ‘नीरद’, रामपुकार सिंह, श्यामा सिंह, रामेश्वरनाथ मिश्र ‘अनुरोध’, डॉ.बृजेश सिंह, दीक्षा गुप्ता, परमजीत पंडित आदि सहित कोलकाता महानगर के साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, विवेक तिवारी, राहुल उपाध्याय, संदीप, उत्तम, राहुल, दिव्या गुप्ता, मनीषा गुप्ता समेत कई अन्य लोगों का योगदान रहा।

पर्यावरण रहा, धरती रही…तब ही हम भी रह सकेंगे

जून का महीना हमें याद दिलाता है कि पर्यावरण की रक्षा हमारे लिए कितनी आवश्यक है। हम एक बार ही सचेत होते हैं, पौधे लगाते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं और अगले दिन के बाद यह चिन्ता 365 दिन के लिए आराम करने चली जाती है। यह सही है कि हर बात के अच्छे और बुरे..दोनों ही पक्ष होते हैं पर खुद से एक सवाल तो बनता है कि हमारे पूर्वजों ने जो हरी – भरी धरती दी…विकास के नाम पर हमने उसकी दुर्दशा तो कर दी मगर हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे? सोचने में अजीब लगता है मगर यह एक गम्भीर सवाल है जिसका हल किसी सेमिनार में नहीं होने वाला, इसका समाधान तो तब ही निकलेगा जब हम अपनी आदतों में पर्यावरण रक्षा को शामिल करेंगे। अब कई ऐसी चीजें आ गयी हैं जो इस दिशा में मदद कर सकती हैं। जब भी सुविधाओं की बात हो..एक बार सोचिएगा..क्या इनके बगैर जीना इतना कठिन है? क्या जब फ्रिज या एसी नहीं था तो हम जीते नहीं थे? दरअसल कहीं न कहीं ..हमने लक्जरी को जरूरत मान लिया है…लक्जरी बुरी बात नहीं लेकिन अगर यह प्राकृतिक उपादानों को लेकर हो तो सोने में सुहागा हो सकता है। हर घर में एक बालकनी हो, जहाँ ढेर सारे पौधे हों…बहुत से पौधे ऐसे भी होते हैं जिनको बहुत देखभाल की जरूरत भी नहीं पड़ती। अगर हर कमरे की खिड़की में एक पौधा भी हो तो जरा सोचिए हम कितनी हरियाली अपने घर ले आए हैं। मिट्टी के क्षरण को रोकने की जरूरत है। वाहन चलें तो बायोडीजल इस्तेमाल हो…बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी हो…मिट्टी के दो बर्तन लेकर बड़े बर्तन में रेत भरकर उसमें छोटा पात्र रखकर सब्जियाँ और फल रखी जा सकती हैं..बस बीच – बीच में पानी के छींटे मारते रहिए और यह फ्रिज की जरूरत को एक हद तक कम कर देगा। घड़े का पानी पीजिए और यह आपका गला सुरक्षित रखेगा…ऐसी कई छोटी – छोटी बातें हैं जिनका ध्यान रखकर हम पर्यावरण के साथ अपना रिश्ता मजबूत कर सकते हैं। यह रिश्ता बहुत जरूरी है…सिर्फ धरती के लिए ही नहीं…हमारे लिए भी क्योंकि पर्यावरण रहा, धरती रही…तब ही हम भी रह सकेंगे।