कोलकाता । पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने सरकार के लेखे-जोखे में सुधार की वकालत करते हुए कहा जवाबदेही लाने और आर्थिक विकास के लिए शुरू किए गए कार्यक्रमों के नतीजों पर नजर रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है। प्रभु ने यहां एमसीसीआई द्वारा आयोजित परिचर्चा सत्र में कहा कि जवाबदेही और आर्थिक विकास के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के नतीजों पर निगरानी के लिए सरकारी लेखा-जोखा में सुधार जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत सरकार के लेखा-जोखा में सुधार की है। प्रभु नागर विमानन, वाणिज्य, रेल के अलावा कई अन्य मंत्रालयों का प्रभार संभाल चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैं रेल मंत्री था, मैंने रेलवे के खातों में सुधार शुरू किया था। कई ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद 2017 में मैंने रेल मंत्रालय छोड़ दिया था।
उन्होंने कहा कि भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध होने के लिए किसी विशेष आर्थिक मॉडल की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वहीं कुछ अपनाने की जरूरत है, जो देश के लिए सर्वश्रेष्ठ हो। 1991 में अच्छे उपाय किए गए थे, जिन्होंने बाद में आर्थिक नीतियों की दिशा में बदलाव किया। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि रोजगार भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है और सरकार की स्टार्टअप इंडिया पहल रोजगार सृजन के लिए एक अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव की वजह से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। एनसीएईआर के इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड अथॉरिटी (आईईपीएफ), चेयर प्रोफेसर डॉ. मृदुल सागर ने कहा कि भारत तेजी से विकास कर रहा है, विश्व आर्थिक व्यवस्था में बढ़ती ऊंचाईयों की सराहना करेगा। उदारीकरण ने भारत के विकास में मदद की। उम्मीद है कि 2027 में भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर जर्मनी को पछाड़ देगा और 2030 में भारत के जापान को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।
इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के उप प्रबंध निदेशक पवन के कुमार ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ महीनों में कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे मौद्रिक और राजकोषीय नीतिगत उपायों में बदलाव आया है। यद्यपि भारत को एक ही समय में उत्पादन और उपभोग दोनों घर होने का एक विशिष्ट लाभ है, भारत सरकार की पहल जैसे कि आत्मानिर्भर भारत, पीएलआई योजना, पीएम गति शक्ति विश्व स्तर पर विकास को गति प्रदान करेगी।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की प्रधान सलाहकार रूपा दत्ता ने कहा कि सरकार धन सृजन पर जोर दे रही है। सरकार का जोर कौशल को बढ़ाने, गुणवत्ता को प्रोत्साहित करने, डिजिटलीकरण और स्टार्टअप को आगे ले जाने पर है। देश में अभी 83 बिलियन अमरीकी डॉलर एफडीआई है। स्वागत भाषण एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने दिया। सत्र का संचालन एमसीसीआई की एमएसएमई काउंसिल के चेयरमैन संजीव कुमार कोठारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई की स्टार्टअप और स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन समरजीत मित्रा ने किया।
सरकार के लेखे-जोखे में सुधार जरूरी – सुरेश प्रभु
‘हिट : द फर्स्ट केस’ का प्रचार करने कोलकाता आए राजकुमार राव
कोलकाता । अभिनेता राजकुमार राव अपनी नयी फिल्म ‘हिट : द फर्स्ट केस’ का प्रचार करने कोलकाता पहुँचे। फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर है और राव ने निर्देशक डॉ. शैलेश कोलानू की सराहना करते हुए कहा कि फिल्म को बनाने में पूरी टीम ने मेहनत की है। उम्मीद है फिल्म लोगों को पसन्द आएगी। फिल्म के निर्माता भूषण कुमार हैं। राजकुमार राव के साथ सान्या मल्होत्रा फिल्म में दिखेंगी। 15 जुलाई को फिल्म ‘हिट : द फर्स्ट केस’ प्रदर्शित होगी।
मोहम्मद अली पार्क में खूंटी पूजन संपन्न
कोलकाता । मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन का बुधवार को एमजी मेट्रो स्टेशन के पास मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा का खूंटी पूजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर, मुख्य अतिथि के रूप में विधायक विवेक गुप्ता, पार्षद व बोरो चेयरमैन रेहाना खातून के अलावा संस्था के चेयरमैन मनोज पोद्दार, मुख्य संरक्षक रामचंद्र बडोपलिया, उपाध्यक्ष ओम प्रकाश पोद्दार, कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद चांडक, उपाध्यक्ष दुलाल मोइत्रा, जी.सी. साव, बिमल झुनझुनवाला, मो. शाहिद, आयोजक विजय अग्रवाल, पवन बंसल, देवकी नंदन ढेलिया, अशोक ओझा, गणेश शर्मा, संयुक्त सचिव पवन शर्मा, कोषाध्यक्ष सुभाष चंद्र गोयनका, सचिवसुरेंद्र शर्मा समेत अन्य गण्यमान्य उपस्थित रहे। मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन की यह 54वीं दुर्गा पूजा है। मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा के महासचिव सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि वर्षों में इसकी बड़ी सफलता के बाद, जहां हम विभिन्न क्षेत्रों से कई पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं, मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन की पूरी टीम इस वर्ष भी एक बार फिर से उत्साहित है । पिछले वर्षों में हमारी पूजा ने हर दिन कई लाख आगंतुकों को आकर्षित किया है। हर तरफ थीम पूजा के बीच, बस इंतज़ार करें और हमारे हिस्से की चमक-दमक देखें। हमें विश्वास है कि लोग इस साल भी हमारे प्रयास की सराहना करेंगे।” उन्होंने सभी को परिवार और दोस्तों के साथ पूजा में आने के लिए आमंत्रित किया।
प्रकृति की रक्षा करना अपनी रक्षा करना है
कोई भी संस्कृति, कोई भी सभ्यता तभी बची रह सकती है जब हम उसका महत्व समझें। यह बात समझने के लिए जरूरी है कि हम उसकी जड़ों को समझें। भारत की संस्कृति ऐसी है कि इसका सीधा रिश्ता प्रकृति से है। हम प्रकृति में ईश्वर को देखते हैं मगर ईश्वर की भक्ति में भी दायित्व बोध का होना जरूरी है। ऐसा कहने के पीछे एक प्रसंग है। अभी गंगा को लेकर एक कार्यक्रम में संगीतबद्ध प्रस्तुति देखने को मिली और कथाओं के सूत्र में पिरोकर गंगा के शब्दों में गंगा की व्यथा भी सामने आई। सच में, सोचने को विवश हो गयी। बात तो सही है कि धार्मिक आचरण और कर्मकांड में वाले देश में प्रकृति के प्रति और यूँ कहें कि ईश्वर के प्रति भक्ति भी दायित्व से रहित हो गयी है। हिमालय पर प्लास्टिक, गंगा में प्रदूषण, वन को लगातार काटने और हाई वे में तब्दील करने की संस्कृति जड़ पकड़ चुकी है। गंगा को माँ कहते – कहते हमने उसे कूड़ेदान बना दिया, बाकी नदियों की भी स्थिति यही है। अब जब सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगा है तो उम्मीद की जानी चाहिए हम पर्यावरण के प्रति सजग और सचेत होंगे और तभी हम अपने परिवेश का महत्व समझेंगे और प्रकृति सचमुच हमारी रक्षा करेगी। इस पर आगे जो होगा, वह सामने आएगा मगर इसकी शुरुआत मजबूत तभी होगी जब हम सजग होंगे और प्रकृति की रक्षा करना अपनी रक्षा करना है।
नागार्जुन जयंती पर कवि पर्व का आयोजन
कोलकाता। कोलकाता की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से नागार्जुन जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद में कवि- पर्व का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के अध्यक्ष शंभुनाथ ने नागार्जुन जयंती को कवि पर्व के रूप में मनाए जाने की प्रशंसा की। उन्होंने नागार्जुन के कलकत्ता प्रवास के कई संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि नागार्जुन कविता में ज्येष्ठ का ताप और पूर्णिमा का सौंदर्य होना चाहिए। कवियों का स्वागत करते हुए प्रो.संजय जायसवाल ने कहा कि नागार्जुन सहजता और प्रतिबद्धता के कवि हैं। कवि पर्व का यह आयोजन नागार्जुन के चिंतन और स्वप्न को आकार देने का प्रयास है। प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि इन दिनों नागार्जुन को लेकर कुछ पाठकों में विरोधाभास है बावजूद इसके वे बड़े कवि हैं। वे हमेशा मेहनतकश वर्ग के पक्ष में खड़े रहें। इस अवसर पर चर्चित कवि सेराज खान बातिश ,प्रियंकर पालीवाल, अभिज्ञात, राज्यवर्धन, आनंद गुप्ता, पूनम सोनछात्रा, इबरार खान, सूर्यदेव राय, राजेश सिंह, रेशमी सेनशर्मा, मुकुंद शर्मा, अभिषेक पांडे ने अपनी कविताओं का पाठ किया।इन कविताओं में प्रेम, प्रकृति और प्रतिरोध का स्वर सुना गया।इस अवसर पर महेश जायसवाल, मृत्युंजय जी,अवधेश सिंह,जीतेंद्र सिंह, जीतेंद्र जीतांशु,आदित्य गिरि,संजय दास,अनवर हुसैन,सुशील पांडे, श्रीप्रकाश गुप्ता सहित कोलकाता के साहित्य और संस्कृतिप्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन राहुल गौड़ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महासचिव राजेश मिश्र ने दिया।
जिन्होंने बनाया दुनिया का पहला मोबाइल वो खुद करते हैं कम इस्तेमाल
हर काम और मनोरंजन के लिए हम अपने मोबाइल फोन पर निर्भर करते हैं लेकिन क्या आपको बता है कि जिसने स्मार्टफोन बनाया था, वो इसे कितना यूज करता है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सेल फोन या मोबाइल फोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर एक दिन में कितना स्मार्टफोन यूज करते हैं. इस बात का खुलासा उन्होंने खुद ही एक इंटरव्यू में किया है..
हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि जिस इंसान ने 1973 में मोबाइल फोन बनाया था, वो आज के समय में, एक दिन में कितनी देर इसका इस्तेमाल करता है। दुनिया के पहले सेलफोन को बनाने वाले मार्टिन कूपर इस समय 93 वर्ष के हैं और हाल ही में उन्होंने बीबीसी ब्रेकफास्ट के साथ एक इंटरव्यू किया। इस इंटरव्यू के दौरान मार्टिन कूपर ने खुद यह स्वीकार किया कि वो 24 घंटों में 5 प्रतिशत से भी कम समय अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं।
बीबीसी ब्रेकफास्ट के साथ इंटरव्यू के दौरान मार्टिन कूपर को जब होस्ट, जेन मैककबिन ने कहा कि वो दिन में पांच घंटों के लिए अपने स्मार्टफोन को यूज करते हैं, तो मार्टिन कूपर चौंक गए। उन्होंने जेनमैक कबिन से कहा, ‘गेट अ लाइफ!’ और फिर हंसने लगे. मार्टिन कूपर ने इंटरव्यू के माध्यम से भी स्मार्टफोन यूजर्स को यह सलाह दी है कि उन्हें फोन का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए और वर्चुअल जिंदगी को छोड़कर असल जिंदगी में जीना चाहिए. उन्हें लगता है कि स्मार्टफोन का जितना इस्तेमाल होता है उससे बहुत कम इस्तेमाल होना चाहिए और इससे अलग भी एक दुनिया है.
आपको बता दें कि मार्टिन कूपर ने 3 अप्रैल, 1973 को दुनिया का पहला सेलफोन कॉल मिलाया था और इस मोबाइल को बनाने के लिए मार्टिन को केवल तीन महीनें लगे थे। ये फोन, मोटरोला डायना टीएसी 8000 एक्स मोटोरोला के कई कर्मचारियों ने मिलकर बनाया था और खबरों की मानें तो इस प्रोडक्ट में कंपनी ने तब $100 मिलियन निवेश किए थे।
(साभार – जी न्यूज)
एक पेड़ पर 300 से ज्यादा प्रजाति के आम उगाते हैं ‘मैंगो मैन’ कलीमुल्लाह खान
लखनऊ । लखनऊ के पास स्थित मलिहाबाद में रहने वाले कलीमुल्लाह आम का ऐसा पेड़ भी तैयार कर चुके हैं जिसमें 300 तरह की प्रजाति के आम उगते हैं। मलिहाबाद के आम देश ही नहीं, विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं। जब भी यहां के आमों का जिक्र होता है तो कलीमुल्लाह की चर्चा जरूर होती है। कलीम लगभग हर साल आम की नई प्रजाति विकसित करते हैं और नाम देते हैं। कोरोना काल में उन्होंने आम की नई प्रजाति विकसित की और नाम दिया ‘डॉक्टर आम’. जानिए कलीम कैसे बने मैंगो मैन।
कलीमुल्लाह अपने प्रयोग से आम के एक ही पेड़ पर अलग-अलग प्रजाति को विकसित करते चले आ रहे हैं। जैसे- आम की एक डाल पर केसर आम है तो दूसरी पर दशहरी। तीसरी पर तोतापरी तो चौथी पर अल्फांसो है. पद्मश्री विजेता कलीमुल्लाह 15 साल के थे, जब उन्होंने दोस्त के बगीचे में क्रॉस ब्रीड के गुलाब को देखा था। एक पौधे में गुलाब के अलग-अलग फूलों को देखकर वो प्रेरित हुए. यहीं से उन्होंने एक पेड़ में अलग-अलग प्रजाति के आम को उगाने के लिए प्रयोग शुरू किया।
कई सालों की कोशिशों के बाद उन्होंने कलम विधि से आम की खेती शुरू की। एक प्रजाति के आम की डाल को दूसरी प्रजाति के आम की डाल से जोड़ा। 1987 में अपने प्रयोग के लिए उन्होंने आम के 100 साल पुराने पेड़ को चुना। यहां से उनकी सफलता का जो रास्ता खुला वो आज भी जारी है।
कलीमुल्लाह के आमों की बगिया की खासियत है कि यहां मौजूद आमों के पेड़ की सभी पत्तियां एक-दूसरे से अलग हैं। इनके हरे रंग से लेकर उनकी चमक तक में अंतर है। 80 साल के कलीमुल्लाह ने आमों की कई नई वैरायटी तैयार की है। इनके नाम देश की नामचीन शख्सियतों के नाम पर रखे हैं। इनमें योगी आम, सोनिया आम, ऐश्वर्य आम। उन्होंने आम की एक वैरायटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित की है और उसका नाम है- नमो.
अपनी उपलब्धियों पर कलीमुल्लाह कहते हैं, मैं लोगों को यह बताना चाहता है कि जैसे दो इंसान मिलकर एक इंसान का निर्माण करते हैं, ऐसा ही आम के साथ भी है। दो तरह के आम की किस्म मिलकर आम की नई किस्म को जन्म दे सकती है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आम की 700 किस्म पाई जाती हैं।
पारुल चौधरी ने लॉस एंजिलिस में बनाया 3000 मीटर में नया नेशनल रिकॉर्ड
नयी दिल्ली । भारतीय धाविका पारूल चौधरी ने लॉस एंजिलिस में साउंड रनिंग मीट के दौरान राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और महिला 3000 मीटर स्पर्धा में नौ मिनट से कम समय लेने वाली देश की पहली एथलीट बनीं। पारुल ने शनिवार रात आठ मिनट 57.19 सेकेंड के समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया।
स्टीपलचेज की विशेषज्ञ पारुल ने छह साल पहले नयी दिल्ली में सूर्या लोंगनाथन के नौ मिनट 4.5 सेकेंड के रिकॉर्ड को तोड़ा। रेस में पारुल पांचवें स्थान पर चल रही थीं लेकिन अंतिम दो लैप में जोरदार प्रदर्शन करते हुए पोडियम पर जगह बनाने में सफल रहीं।
तीन हजार मीटर गैर ओलंपिक स्पर्धा है जिसमें भारतीय खिलाड़ी ज्यादातर प्रतिस्पर्धा पेश नहीं करते। पारुल को इस महीने अमेरिका के ओरेगन में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में भी जगह दी गई है। वह महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज में चुनौती पेश करेंगी। उन्होंने पिछले महीने चेन्नई में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज का खिताब जीता था।
गन्ने की खोई बन गई प्लास्टिक का विकल्प, थाली और प्लेट ही नहीं चम्मच और गिलास भी उपलब्ध
आजमगढ़, [राकेश श्रीवास्तव]। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगते ही बाजार फिर से खुद को नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने लगा है। बाजार में फिलहाल डिस्पोजेबल थाली, प्लेट, कटोरा इत्यादि उत्पाद पहुंचने लगे हैं। गन्ने की खोई से बने उत्पाद खूबसूरत और टिकाऊ होने के कारण ग्राहक ज्यादा पसंद भी करने लगे हैं। प्लास्टिक की चम्मच और कांटे (फोर्क) के स्थान पर लकड़ी के उत्पाद विभिन्न डिजाइन में उपलब्ध होने लगे हैं। ग्राहक भी दुकान पर पहुंचते ही सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर चर्चा करते हुए नए उत्पाद देखना और खरीदना पसंद कर रहे हैं। हालांकि, बाजार में पहले से उपलब्ध कागज की थाली, प्लेट, गिलास के पांव सरकार के नए आदेश के बाद मजबूती से जमने लगे हैं।
शहर के बड़े कारोबारी जीवन बरनवाल का कहना है कि प्लास्टिक की थैली बेचे एक साल हो गए। कमोबेश थर्मोकोल के उत्पाद भी बाजार से गायब हो चुके हैं। ग्राहक भी जागरूक हुए हैं, खरीदारी से पूर्व विकल्प की चर्चा कर रहे हैं। उन्हें गन्ने की खोई से बने उत्पाद और उसकी खूबियों के बारे में बताने पर खरीद भी रहे हैं। जीवन ने कहा कि मैं खुद चाहता हूं कि ठोस रणनीति बने, सरकार अटल रहे, जिससे प्लास्टिक हमारे जीवन से दूर हो जाए। चूंकि कारोबार भी जरूर है, इसलिए सरकार को भी चाहिए कि विकल्प भी सुझाए, जिससे कारोबार भी बेपटरी न होने पाए।
चौक बाजार में दुकान सजाए मिले अशोक कुमार साहू ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को खतरा है, तो उसे सरकार बंद कर रही। हमें क्या प्लास्टिक न सही लकड़ी के चम्मच बेच दो पैसे कमा रहा हूं। एक बात जरूर है कि अधिकारियों को एक मीटिंग कर स्पष्ट करना चाहिए कि कानून के दायरे में कौन-कौन से उत्पाद हैं। बाजार में उसका विकल्प कौन सा उत्पाद बनेगा? गन्ने की खोई और लकड़ी के उत्पाद बढ़िया तो हैं, लेकिन महंगा पड़ने से कुछ ग्राहक हिचक रहे हैं। अबकी दुकानदार भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाते चलते नजर आ रहे हैं। आजमगढ़ में अधिकांश दुकानों पर एक संदेश चस्पा है कि जब ग्राहक 250 ग्राम का मोबाइल और 350 ग्राम का पावर बैंक लेकर बाजार में चल सकते हैं तो 30 ग्राम कपड़े से बने झाेले को साथ क्यों नहीं रख सकते हैं। शर्म छोड़िए, प्लास्टिक छोड़िए, साथ में लाएं थैला, न करें अपने देश को मैला …।
(साभार – दैनिक जागरण)
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी जिंदल स्टील
नयी दिल्ली । अपने कॉर्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील ने नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने और अन्य हरित पहल पर 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। कंपनी का इरादा अपने तापीय बिजली इस्तेमाल को कम कर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने का है। कंपनी के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने यह जानकारी दी है।
विभिन्न इस्पात कंपनियां अपने खुद के इस्तेमाल के लिए ताप बिजली उत्पादन के लिए कोयले का इस्तेमाल करती हैं। इस्पात मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कुल कॉर्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन में लौह एवं इस्पात उद्योग का हिस्सा करीब आठ प्रतिशत बैठता है। भारत में कुल सीओ2 उत्सर्जन में इन उद्योगों का हिस्सा करीब 12 प्रतिशत है। ऐसे में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जताई गई प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भारतीय इस्पात उद्योग को उत्सर्जन में काफी कमी लाने की जरूरत है।
जिंदल स्टील ने कहा, ‘‘हमने विभिन्न पहल से अपने कॉर्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इसके तहत हम तापीय बिजली के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाएंगे और कच्चे माल की गुणवत्ता में सुधार से अपनी ईंधन दर को बेहतर करेंगे।’’
जिंदल ने कंपनी की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमने पहले ही एक गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अनुबंध किया है। इसमें से 225 मेगावॉट अप्रैल, 2022 में परिचालन में आ गई है। शेष नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग भी चरणों में शुरू होगा।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी के विजयनगर संयंत्र की क्षमता को 1.2 करोड़ टन सालाना से बढ़ाकर 1.95 करोड़ टन करने का काम चल रहा है। इसपर जो लागत आ रही है वह वैश्विक मानकों से काफी कम है।