Sunday, July 20, 2025
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आजादी का सन्दर्भ : ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज का साझा आयोजन

कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज द्वारा पश्चिम बंग हिन्दी अकादमी एवं पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी का विषय ‘आजादी का सन्दर्भ : ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’’ था।
समारोह का उद्घाटन कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डा. सत्या उपाध्याय, विशिष्ट अतिथि एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की संचालन समिति के अध्यक्ष देवाशीष मल्लिक, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के प्रिंसिपल सुबीर कुमार दत्त, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की जीबी की सदस्य मैत्रेयी भट्टाचार्य ने किया एवं अपने विचार रखे। स्वागत भाषण कलकत्ता गर्ल्स की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने दिया। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के सर्व भारतीय आयोजन में कलकत्ता गर्ल्स कालेज की अपनी भूमिका और अपने उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कॉलेज में इस कार्यक्रम की यह छठीं कड़ी है। आजादी के अमृत महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनमानस के पुनरविवेचन और पुनरनिरीक्षण के लिए इसकी महती आवश्यकता है। महाविद्यालयी स्तर पर यह अपने ढंग का अनूठा और अकेला आयोजन है। बंगाल में किसी भी कॉलेज में इस तरह का कार्यक्रम नहीं आयोजित किया गया है।
संगोष्ठी में बीज वक्तव्य विश्वभारती, शांति निकेतन की प्रो. डॉक्टर मंजूरानी सिंह ने दिया। उन्होंने कहा कि देश और समाज के साथ खुद के लिए भी आजादी का महत्व समझना आवश्यक है। भारत – भारती में मैथिली शरण गुप्त ने अतीत में जाकर प्राचीन वेदो एवं पौराणिक साहित्य के माध्यम से भारत के अतीत का गौरव गान किया है। गुप्त जी भारतीय संस्कृति के सच्चे उपासक हैं। वहीं रामनरेश त्रिपाठी ‘पथिक’ लिखते हैं और यह गाँधी जी के उदित होने का समय है। इन दोनों कृतियों से यह स्पष्ट है कि युद्ध और हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
उत्तर बंग विश्वविद्यालय के प्रो. सुनील कुमार द्विवेदी ने कहा कि रचनाकार भी इतिहासकार होता है जो वर्तमान की जमीन पर बैठकर लिखता है और भविष्य को दृष्टि देता है। गुप्त जी ने ईश वंदना के माध्यमसे देश की वंदना की है। ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ एक दूसरे से जुड़ी हुई कृतियाँ हैं। अध्यक्षीय वक्तव्य में कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने कहा कि ‘भारत – भारती’ ने हिन्दी के कवियों की भाषिक सोच एवं चिन्तन को आधार दिया। पथिक अपने समय की महत्वपूर्ण कृति है जो ‘भारत – भारती’ की चिन्तन धारा को आगे ले जाती है। ‘भारत – भारती’ एवं ‘पथिक’, दोनों ही कृतियाँ भौतिकता से आगे बढ़कर आध्यात्मिकता की बात करती हैं।
उद्घाटन सत्र का संचालन कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय साव एवं प्रथम अकादमिक सत्र का संचालन नवारुणा भट्टाचार्य ने किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में गोविन्द यादव, प्रो. कमल कुमार, विक्रम साव, दिव्या प्रसाद, मधु सिंह, डॉ. पलाशी विश्वास, राहुल गौड़, नवारुणा भट्टाचार्य, डॉ. विजया शर्मा, पुष्पा मिश्रा ने शोध पत्र वाचन किया।
संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रो. ऋषिभूषण चौबे ने ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी वर्तमान परेशान करे तब पीछे जाकर संघर्ष को देखने की जरूरत है। इस परिप्रेक्ष्य में ये दोनों कृतियाँ महत्वपूर्ण है।
ऋषि बंकिम चन्द कॉलेज के प्रो. ऋषिकेश सिंह ने कहा कि वह बौद्धिकता किसी काम की नहीं जो स्वाधीनता न दिलाए। वहीं ‘पथिक’ में अभिव्यक्ति के अधिकार की बात की गयी है। ‘भारत – भारती’ एवं ‘पथिक’ दोनों ही युग बोध से परिपूर्ण कृतियाँ हैं।
इस अकादमिक सत्र की अध्यक्षता करते हुए रामनरेश त्रिपाठी संस्थान के प्रो. डॉ. ओंकारनाथ द्विवेदी ने ‘पथिक’ पर केन्द्रित अपने व्याख्यान में कहा कि मैथिली शऱण गुप्त की ‘भारत – भारती’ चिन्तन की पृष्ठभूमि देती है और ‘पथिक’ उस राह पर चल देते हैं। रामनरेश त्रिपाठी ‘पथिक’ के माध्यम से स्थितियों का अवगाहन कर आँखों देखा हाल बताते हैं। पथिक को गाँधी ने पढ़ा था, स्वीकार किया, यह स्वाधीनता सेनानियों एवं युवाओं के हाथ में रहती थी। इसके 90 संस्करण निकल चुके हैं जो इस कृति की लोकप्रियता का उदाहरण हैं। सत्र का संचालन मधु सिंह ने किया।
रेवेंसा विश्वविद्यालय की प्रो. अंजुमन आरा ने कहा कि मैथिली शरण गुप्त निराश मन में आशा का संचार करते हैं। उनमें जनजागरण की भावना, युगबोध विद्यमान है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद कुमार साव ने कहा कि हमें अपने रचनाकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने पथिक की पँक्तियों का पाठ करते हुए कहा कि ‘पथिक’ हमारे पराधीन भारत की गीता है। भारत – भारती के साथ हम चिन्तन कर रहे हैं और पथिक के साथ यात्रा कर रहे हैं। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय कुमार साव ने कहा कि इतिहास दृष्टि का अर्थ अतीत जीवी होना नहीं है। ‘भारत – भारती’ के माध्यम से गुप्त जी ने पराधीन ‘भारत – भारती’ की समीक्षा की है और इसके लिए इतिहास, पुराण एवं लोक की सहायता ली है। सत्र की अध्यक्षता डॉ. मंजूरानी सिंह ने की। इस अवसर पर प्रख्यात रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला ने भारत – भारती एवं पथिक की पँक्तियों का पाठ किया। सत्र का संचालन राहुल गौड़ ने किया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में युवा एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन सबके प्रति आत्मीय आभार के साथ डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने किया।

मित्रता पर दो कविताएं

पीयूष साव

अमूल्य संपत्ति वहीं है, जिसे लूट न कोई पाता है। एक रिश्ता धन ऐसा है, जो मित्रता कहलाता है?

अटूट विश्वास नींव इसकी है। अटल प्रेम पहचान जिसकी है

ऐसा जाता है यह जो सामान्य से परे है मित्र वही है जो संकट में साथ खड़े है:

मुख पर जो उत्तम – उत्तम कह जाते हैं,

पर पीछे निटक बड़े बनाते है;

सर्प से भी भयंकर चाल जो चल जाते हैं, वे कपटी मित्र कहाँ बन पाते है:

मित्रता रिश्ता ऐसा है,

जिसे हर जाते से जोड़ा जाता है,

और सबसे उत्तम मित्र, कृष्ण को माना जाता है;

एक दूजे का पूरक बन जाना स्वाभाव जिसका है, थोड़ा खट्टी – थोड़ी मीठी परिभाषा इसकी है।


 

मित्र किसे कहते हैं?

बिन बोले जो बात समझ लें,

मित्र उसे कहते हैं।

चेहरे की चमक में भी,

दिल का हाल समझ ले, मित्र उसे कहते है।

आपकी उत्सुकता को जो आपसे पहले जान ले ! नाराजगी को आपकी, देखते ही पहचान ले; मित्र उसे कहते है।

खुद पर आपका, और आप पर खुद का अधिकार बताएँ, मित्र उसे कहते हैं।

जो सुख में भी साथ निभाये : दुःख कठिनाइयों में हँसना सिखाये

कुछ कहने से न कतराए

मित्र उसे कहते हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर तिरंगा लगाया

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर मंगलवार को ‘तिरंगा’ लगाया और लोगों से भी ऐसा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि ‘आजादी का अमृत महोत्वस’ जन आंदोलन में बदल रहा है और उन्होंने लोगों से दो अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया खातों पर प्रोफाइल तस्वीर के रूप में ‘तिरंगा’ लगाने को कहा था।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘दो अगस्त का आज का दिन खास है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा देश तिरंगे का सम्मान करने की सामूहिक मुहिम के तहत ‘हर घर तिरंगा’ के लिए तैयार है। मैंने मेरे सोशल मीडिया पेज पर डीपी (डिस्प्ले तस्वीर) बदल दी है और मैं आप से भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं।’’
मोदी ने तिरंगे का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मोदी ने कहा, ‘‘ हमारा देश हमें तिरंगा देने के उनके प्रयासों के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा। हमें अपने तिरंगे पर बहुत गर्व है। मैं कामना करता हूं कि तिरंगे से ताकत एवं प्रेरणा लेते हुए हम राष्ट्र की प्रगति के लिए काम करते रहें।’’

जुलाई में जीएसटी संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये

नयी दिल्ली । आर्थिक सुधार और कर चोरी को रोकने के लिए किए गए उपायों के कारण जुलाई में जीएसटी संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई, 2021 में 1,16,393 करोड़ रुपये था।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से यह दूसरा सबसे बड़ा मासिक संग्रह है।
इससे पहले अप्रैल, 2022 में संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
मंत्रालय ने कहा कि यह छठा मौका है और मार्च, 2022 से लगातार पांचवां महीना है, जब मासिक जीएसटी संग्रह 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
समीक्षाधीन अवधि में वस्तुओं के आयात से राजस्व में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक था।
जुलाई में जमा किए गए 1,48,995 करोड़ रुपये के जीएसटी में केंद्रीय जीएसटी 25,751 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 32,807 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी 79,518 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्रित 41,420 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 10,920 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात पर एकत्र किए गए 995 करोड़ रुपये सहित) है।
सरकार ने आईजीएसटी से 32,365 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 26,774 करोड़ रुपये एसजीएसटी की मद में तय किए हैं। नियमित निपटान के बाद जुलाई में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व क्रमश: 58,116 करोड़ रुपये और 59,581 करोड़ रुपये है।
जून, 2022 में 7.45 करोड़ ई-वे बिल सृजित हुए, जो मई 2022 के 7.36 करोड़ के मुकाबले मामूली अधिक हैं।
बयान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जुलाई, 2022 तक जीएसटी राजस्व में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि बेहतर कर अनुपालन सुनिश्चित करने के चलते यह वृद्धि हुई है। जीएसटी के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि संग्रह में एक स्वस्थ रुझान देखने को मिला है, जिसमें सालाना आधार पर 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘जुलाई 2022 में जीएसटी संग्रह इस साल के मासिक औसत अनुमान 1.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। हमें इसमें सीजीएसटी संग्रह के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के मुकाबले बढ़ोतरी की उम्मीद है।’’
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उच्च संग्रह उन राज्यों को कुछ राहत देगा जो गारंटीकृत मुआवजे की अवधि से बाहर आ गए हैं और अपनी राजस्व जुटाने की क्षमताओं के बारे में चिंतित हैं।

5जी स्पेक्ट्रम नीलामी से रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये मिले

बोली लगाने में जियो रही अव्वल
नयी दिल्ली । भारत में अबतक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी सोमवार को खत्म हो गई। सात दिन तक चली इस नीलामी में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 5जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम की रिकॉर्ड बिक्री हुई।
इस नीलामी में अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूत करने के लिए सबसे अधिक बोली लगाई। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक कुल 1,50,173 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई गईं।

अत्यधिक उच्च गति के मोबाइल इंटरनेट संपर्क की पेशकश करने में सक्षम 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की यह राशि पिछले साल बेचे गए 77,815 करोड़ रुपये के 4जी स्पेक्ट्रम से लगभग दोगुना है। यह राशि 2010 में 3जी नीलामी से मिले 50,968.37 करोड़ रुपये के मुकाबले तीन गुना है।

रिलायंस जियो ने 4जी की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक तेज गति से संपर्क की पेशकश करने वाले रेडियो तरंगों के लिए सबसे अधिक बोली लगाई।
इसके बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का स्थान रहा। बताया जाता है कि अडाणी समूह ने निजी दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए 26 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है। सूत्रों ने कहा कि किस कंपनी ने कितना स्पेक्ट्रम खरीदा, इसका ब्योरा नीलामी के आंकड़ों के पूरी तरह आने के बाद ही पता चलेगा।
सरकार ने 10 बैंड में स्पेक्ट्रम की पेशकश की थी, लेकिन 600 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए कोई बोली नहीं मिली।
लगभग दो-तिहाई बोलियां 5जी बैंड (3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज) के लिए थीं, जबकि एक-चौथाई से अधिक मांग 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में आई। यह बैंड पिछली दो नीलामियों (2016 और 2021) में बिना बिके रह गया था।
पिछले साल हुई नीलामी में रिलायंस जियो ने 57,122.65 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम लिया था। भारती एयरटेल ने लगभग 18,699 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी और वोडाफोन आइडिया ने 1,993.40 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदा था।
इस साल कम से कम 4.3 लाख करोड़ रुपये के कुल 72 गीगाहर्ट्ज रेडियो तरंगों को बोली के लिए रखा गया था।

संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा त्रिपुरा महल

अगरतला । त्रिपुरा के एक तत्कालीन महाराजा द्वारा निर्मित एवं एक सदी पुराने पुष्पबंता पैलेस को राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
राज्य की राजधानी में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित इस महल का निर्माण 1917 में महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य द्वारा किया गया था। वह खुद एक चित्रकार थे और इस महल को एक स्टूडियो के रूप में इस्तेमाल करते थे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर का शाही परिवार से घनिष्ठ संबंध था। उन्होंने सात बार त्रिपुरा का दौरा किया था। वर्ष 1926 में राज्य के अपने अंतिम दौरे के दौरान, टैगोर पुष्पबंता पैलेस में रुके थे।
विशेषज्ञों ने कहा कि टैगोर का 80वां जन्मदिन यहां महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य द्वारा मई 1941 में एक कार्यक्रम के दौरान मनाया गया था।
टैगोर के पुष्पबंता पैलेस आगमन से संबंधित दस्तावेज और उनके काम के अंश प्रस्तावित संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे।
वर्ष 1949 में रियासत के भारतीय संघ में विलय होने के बाद, 4.31 एकड़ में फैले महल को मुख्य आयुक्त के बंगले और फिर राजभवन में तब्दील कर दिया गया था। यहां 2018 तक राजभवन रहा, जिसे बाद में एक नये भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।
राज्य के पर्यटन मंत्री प्रणजीत सिन्हा रॉय ने बताया कि महल को महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 40.13 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभी पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध विरासत, दक्षिण-पूर्व एशियाई ललित कला और समकालीन फोटोग्राफी के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार को प्रदर्शित करेगा।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 384 परियोजनाओं की लागत 4.66 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी – रिपोर्ट

नयी दिल्ली । बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 384 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.66 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की जून 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,514 परियोजनाओं में से 384 की लागत बढ़ गई है जबकि 713 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,514 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,21,471.79 करोड़ रुपये थी लेकिन अब इसके बढ़कर 25,87,946.13 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 21.99 प्रतिशत यानी 4,66,474.34 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, जून 2022 तक इन परियोजनाओं पर 13,30,885.21 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 51.43 प्रतिशत है। हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 552 पर आ जाएगी।
वैसे इस रिपोर्ट में 523 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 713 परियोजनाओं में से 123 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 122 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 339 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 129 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी से चल रही हैं।
इन 647 परियोजनाओं में हो रहे विलंब का औसत 42.13 महीने है। इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।
इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से भी परियोजनाओं में विलंब हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि परियोजना एजेंसियां कई परियोजनाओं के लिए संशोधित लागत और चालू होने के समय की जानकारी नहीं दे रही हैं। इससे पता चलता है कि लागत में बढ़ोतरी के आंकड़े को ‘कम’ दिखाया जा रहा है।

अभिनेता रसिक दवे का 65 साल की उम्र में निधन

मुम्बई । हिंदी, गुजराती फिल्मों और टेलीविजन शो में नज़र आने वाले अभिनेता रसिक दवे का लंबी बीमारी के बाद गत 30 जुलाई को निधन हो गया। वह 65 वर्ष के थे।
दवे की सास और अभिनेत्री सरिता जोशी ने बताया कि पिछले चार साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे दवे ने शुक्रवार शाम को अंतिम सांस ली। जोशी ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, “दवे कमज़ोरी महसूस कर रहे थे। उन्हें रक्तचाप और गुर्दे की समस्या थी। वह डायलिसिस पर थे और बीते 15-20 दिनों से अस्पताल में थे। उन्हें घर लाया गया था और मैं उनसे मिली और वह मुझे देखकर मुस्कुराए, लेकिन शुक्रवार शाम साढ़े सात बजे उनका निधन हो गया।”
दवे का अंतिम संस्कार शनिवार सुबह करीब सात बजे परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में किया गया। अभिनेता ने अपने करियर की शुरुआत 1982 में एक गुजराती फिल्म “पुत्र वधू” से की थी। हिंदी फिल्मों और टीवी शो में दवे निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म “झूठी”, “महाभारत”, “संस्कार-धरोहर अपनों की” के लिए प्रसिद्ध रहे।
रसिक दवे के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।

2017 से अब तक विज्ञापनों पर 3,339.49 करोड़ रुपये खर्च : अनुराग ठाकुर

नयी दिल्ली । सरकार ने वर्ष 2017 से जुलाई 2022 के बीच प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर कुल 3,339.49 करोड़ रुपये खर्च किए है। हालांकि इस दौरान सरकार ने विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर कोई खर्च नहीं किया है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सरकार द्वारा वर्ष 2017 से केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के माध्यम से प्रिंट ओर इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर किए गए व्यय का ब्योरा देते उन्होंने बताया कि 12 जुलाई 2022 तक प्रिंट मीडिया पर 1756.48 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 1583.01 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
उनके मुताबिक सरकार ने वर्ष 2017-18 के दौरान प्रिंट मीडिया पर सबसे अधिक 636.09 करोड़ रुपये और 2018-19 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सबसे अधिक 514.28 करोड़ रुपये खर्च किए।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के किसी मंत्रालय या विभाग द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर कोई व्यय नहीं किया गया है।’’

सरकारों से यूजर की जानकारी की मांग बढ़ी, ट्विटर ने किया खुलासा

वाशिंगटन । ट्विटर ने खुलासा किया कि दुनियाभर की सरकारें कंपनी से यूजर अकाउंट्स से सामग्री हटाने या उनके निजी विवरणों की जासूसी करने को कह रही हैं। सोशल मीडिया कंपनी ने एक नयी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि उसने पिछले साल छह महीने की अवधि के दौरान स्थानीय, राज्य या राष्ट्रीय सरकारों की रिकॉर्ड 60,000 कानूनी मांगों पर कार्रवाई की। रिपोर्ट के अनुसार, ये सरकारें चाहती थीं कि ट्विटर अकाउंट से या तो सामग्री हटाई जाए या कंपनी यूजर की गोपनीय जानकारी यथा- प्रत्यक्ष संदेश या यूजर के स्थान, का खुलासा करे।
ट्विटर की सुरक्षा और अखंडता मामलों के प्रमुख योएल रोथ ने साइट पर प्रसारित बातचीत में कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि सरकारें हमारी सेवा का उपयोग करने वाले लोगों को बेनकाब करने के लिए कानूनी रणनीति का उपयोग करने, अकाउंट के मालिकों के बारे में जानकारी एकत्र करने और कानूनी मांगों का उपयोग करने की कोशिश करने और लोगों को चुप कराने के तरीके के रूप में अधिक आक्रामक हो जाती हैं।’’
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से सबसे अधिक 20 प्रतिशत अनुरोध आए, जिसमें अकाउंट की जानकारी, उसकी सूचना मांगी गई थी, जबकि भारत इस मामले में काफी पीछे है। ट्विटर का कहना है कि उसने मांगी गई सूचना के हिसाब से लगभग 40 प्रतिशत यूजर के अकाउंट की जानकारी साझा की।
जापान की ओर से अकाउंट की जानकारी पाने का अनुरोध लगातार किया जाता है और वह अकाउंट से सामग्री हटाने के लिए ट्विटर से सबसे अधिक अनुरोध करता है। सामग्री को हटाने के लिए जापान ने सभी अनुरोधों का आधा 23,000 से अधिक अनुरोध किए। रूस भी इसमें पीछे नहीं रहा।
फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक मेटा ने भी इसी समय सीमा के दौरान सरकार द्वारा निजी यूजर डेटा की मांग में वृद्धि की सूचना दी।
ट्विटर ने 2021 की अंतिम छमाही के दौरान सत्यापित पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स को निशाना बनाकर सरकारों के अनुरोधों में भारी वृद्धि की भी सूचना दी।
सरकारों ने पिछले साल जुलाई और दिसंबर के बीच दुनिया भर में सत्यापित पत्रकारों या समाचार आउटलेट्स की जानकारी पाने के लिए 349 अकाउंट के खिलाफ कानून का सहारा लिया, जो 103 प्रतिशत अधिक है।
ट्विटर ने इस बात का विवरण नहीं दिया कि किन देशों ने पत्रकारों के अकाउंट के लिए अनुरोध किए या उन्होंने कितने प्रश्नों का अनुपालन किया। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के कार्यकारी निदेशक रॉब महोनी ने एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को एक ईमेल में दिए गए बयान में कहा कि सरकार आलोचकों और पत्रकारों को चुप कराने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।