कोलकाता । आरआर अग्रवाल ज्वेलर्स कोलकाता ने इस साल ज्वैलर्स इंडस्ट्री में 45वां साल पूरा किया है। वर्षगांठ समारोह के अवसर पर आर. आर. अग्रवाल ज्वैलर्स ने अपना नया खंड दुबई गोल्ड कलेक्शन पेश किया। आर. आर. अग्रवाल के निदेशक रतन लाल अग्रवाल ने कहा कि “वर्तमान समय में ग्राहक एक छत के नीचे सब कुछ चाहते हैं इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए हमने अपने शोरूम का विस्तार किया है”।
प्रतिष्ठान के एक अन्य निदेशक रेवती रमन अग्रवाल ने डायमंड पोल्की, कुंदन जड़ाऊ, डायमंड, एंटीक गोल्ड ज्वैलरी सेट और जेम स्टोन्स का विशेष संग्रह पेश करने की जानकारी दी। इस बार उन्होंने दुबई गोल्ड डिजाइन का खास कलेक्शन पेश किया है। आर. आर. अग्रवाल ज्वैलर्स पूरे शहर में लालित्य, शैली और परिष्कार और बेजोड़ शिल्पकार के सही मिश्रण के साथ उत्कृष्ट स्वाद के प्रतिबिंब के लिए जाना जाता है। निदेशक रेवती रमन अग्रवाल के पुत्र ऋषभ अग्रवाल ने ग्राहक के लिए अपनी 45 वीं वर्षगांठ पर शानदार पेशकशों की घोषणा की, जैसे कि मेकिंग चार्ज पर 50% तक की छूट और पहला पुरस्कार जीतने का मौका दुबई की सैर, दूसरा पुरस्कार टू व्हीलर है, तीसरा पुरस्कार स्मार्ट फोन और कई अन्य विशिष्ट पुरस्कार हैं। ऑफर कोलकाता के तीनों शोरूम में 26 से 4 सितंबर तक ही उपलब्ध है और इस दौरान रविवार को तीनों शोरूम खुले रहेंगे. वे वर्तमान में कैमक स्ट्रीट, सिटी सेंटर, बड़ाबाजार और जयपुर में हैं।
45वीं वर्षगांठ पर आर. आर.अग्रवाल ज्वेलर्स ने पेश किया दुबई कलेक्शन
हेक्सागोन इंडिया के प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में रियलिटी कैप्चर का प्रदर्शन
कोलकाता । हेक्सागोन इंडिया द्वारा प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन गत शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसमें राज्य भर के दूर दराज इलाकों से आए गणमान्य लोग शामिल हुए। जिन्हे सम्मेलन के दौरान हेक्सागोन के संपूर्ण सर्वेक्षण, वास्तविकता कैप्चर, खनन और भू-स्थानिक उत्पाद और समाधान पोर्टफोलियो के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
हेक्सागोन इंडिया समिट का उद्घाटन आईएएस रणधीर कुमार (सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, पश्चिम बंगाल और वेबेल के प्रबंध निदेशक ने किया। इस मौके पर प्रमोद कौशिक (अध्यक्ष हेक्सागोन इंडिया), मनोज शर्मा (निदेशक विपणन और बिक्री उत्कृष्टता), भास्कर जेवी (आईएफएस, मुख्य वन संरक्षक, कार्य योजना और जीआईएस सर्कल, पर्यावरण और वन विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), आशीष कुमार जेना (संयुक्त सचिव और संयुक्त निदेशक, राजस्व अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान, ओडिशा सरकार), डॉ. बिभास चंद्र बर्मन, उप निदेशक (हाइड्रोलिक), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), दीपांकर रॉय चौधरी (उप निदेशक (जल विज्ञान), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार) के अलावा कई अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
इस शिखर सम्मेलन में नवीनतम तकनीक, जिसकी मदद से कम संसाधनों और उत्कृष्ट गुणवत्ता के साथ ग्राहकों की जरूरतों को पूरा किया जाए, उसे भी प्रस्तुत किया गया। इस आयोजन में हेक्सागोन के जीआईएस, रिमोट सेंसिंग और फोटोग्रामेट्री सॉफ्टवेयर के पावर पोर्टफोलियो में नवीनतम प्रौद्योगिकी के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
भारत में, हेक्सागन के 2100 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनका कार्यालय 14 शहरों और दो अनुसंधान एवं विकास केंद्रों (हैदराबाद और पुणे) में हैं। कोलकाता के साल्टलेक के इको सेंटर में हेक्सागन इंडिया ने 25 अगस्त को एक अत्याधुनिक सर्विस सेंटर के रूप में नया कार्यालय खोला।
इस मौके पर हेक्सागोन इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कौशिक ने कहा, अत्याधुनिक डेटा हेक्सागोन के डीएनए में है। हम इन 20 वर्षों के सफर में सेंसर समाधान में एक लीडर बनकर उभरे हैं। दशकों से हम रक्षा और सुरक्षा, कानून प्रवर्तन, मानचित्रण संगठनों, तेल और गैस, औद्योगिक निर्माण, खनन, वन और कृषि, ऑटोमोबाइल उद्योग, परिवहन, शहरी परिवर्तन, आदि में अपने ग्राहकों की सेवा कर उनका समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। भारत में शीर्ष विकास परियोजनाओं जैसे भूमि प्रबंधन और अभिलेखों का डिजिटलीकरण, बांध की निगरानी, रेलवे का विकास, लोगों के लिए सुरक्षित शहर के लिए अपनी स्मार्ट सिटी परियोजना का समर्थन करके राष्ट्र को स्मार्ट बनाने के हेक्सागन देश की मदद कर रहा है।
मनोज शर्मा (निदेशक, मार्केटिंग एंड सेल्स) ने कहा, हेक्सागन जियोसिस्टम सॉल्यूशंस देश भर के कई राज्यों में लीका स्मार्टट्रैक और तकनीक के साथ सटीक 3डी पोजिशनिंग के लिए पसंदीदा तकनीक है। यह डिजिटल इंडिया के लिए आधार बनाता है। इसने रियलिटी कैप्चर या स्कैनिंग उद्योग में नए आयाम जोड़े हैं। हमारे स्थान-आधारित डेटा और व्यावसायिक बुद्धिमत्ता को मिलाकर, ये समाधान शहरी नियोजन, जनगणना, परिवहन, उपयोगिताओं, संपत्ति मूल्यांकन, आग और बचाव, नागरिक जुड़ाव, अचल संपत्ति, सार्वजनिक सुरक्षा, और के लिए डेटा स्रोतों की एक अनंत मात्रा को सपोर्ट करते हैं।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलेंगी व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएं
नयी दिल्ली । ट्रांसजेंडर वर्ग के लोगों को अब आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के तहत समग्र स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा और इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को एमओयू की सराहना करते हुए इसे देश में अपनी तरह का पहला करार बताया और कहा कि यह ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए अधिकार तथा सम्मानपूर्ण स्थान सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा कि एमओयू से देशभर में ट्रांसजेंडर वर्ग के उन लोगों को सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा जिनके पास नेशनल पोर्टल द्वारा जारी ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय प्रति वर्ष प्रति ट्रांसजेंडर के लिए पांच लाख रुपये का बीमा कराएगा।
मांडविया ने कहा कि ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए मौजूदा आयुष्मान भारत के साथ ही एक समग्र पैकेज तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत इस श्रेणी से जुड़े लोग देशभर में ऐसे किसी भी अस्पताल में उपचार करा सकेंगे जो आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के पैनल में हैं और जहां संबंधित पैकेज उपलब्ध है।
इस योजना में उन सभी ट्रांसजेंडर लोगों को शामिल किया जाएगा जिन्हें केंद्र और राज्य प्रायोजित अन्य ऐसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा हो।
सितंबर में 13 दिन बंद रहेगा बैंकों में कामकाज
कोलकाता । अगस्त महीने में बैंकिंग हॉलिडे के कारण सरकारी और प्राइवेट बैंकों में कामकाज बंद रहा, जिसके चलते आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
आपको बता दे कि अगस्त महीना में अब 7 दिन शेष है, इसके बाद सितम्बर का महीना शुरू होने जा रहा है। इस खबर में हम आपको बताने जा रहे है कि आखिर सितम्बर माह में कितने दिन बैंक बंद रहेंगे। सितंबर में 13 दिन बैंकों में कामकाज बंद रहेगा।
इतने दिन बैंक रहेंगे बंद
सितंबर में अगले महीने 13 दिन बैंक बंद रहेंगे। हालाँकि आपको बता दे कि देशभर के सभी बैंक इतने दिनों तक बंद नहीं रहेंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जो छुट्टियां तय की हैं, उनमें से कुछ क्षेत्रीय भी हैं। किस राज्य में बैंक बंद रहेंगे और कहां खुले रहेंगे। इसके आधार पर अपने बैंक से जुड़े काम-काज आप समय पर निपटा ले. जिससे आपको कोई समस्या न हो और किसी भी काम में रुकावट न आए।
देखें बैंक की छुट्टियों की पूरी सूची
1 सितंबर: गणेश चतुर्थी (दूसरा दिन)- पणजी में बैंक बंद
4 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
6 सितंबर: कर्मा पूजा- रांची में बंद बैंक
7 सितंबर: पहला ओणम- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
8 सितंबर: थिरूओणम- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
9 सितंबर: इंद्रजात्रा- गंगटोक में बैंक बंद
10 सितंबर: शनिवार (महीने का दूसरा शनिवार), श्री नरवण गुरु जयंती
11 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
18 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
21 सितंबर: श्री नरवण गुरु समाधि दिवस- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
24 सितंबर: शनिवार (महीने का चौथा शनिवार)
25 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
26 सितंबर: नवरात्रि स्थापना/लैनिंगथोऊ सनमाही का मेरा चाओरेन हाउबा- इंफाल और जयपुर में बैंक बंद.
कुल 13 दिन की हैं छुट्टियां
आपको बता दें सितंबर महीने में त्योहारों के चलते बैंक की कुल 13 दिन की छुट्टियां हैं। इसमें शनिवार और रविवार का साप्ताहिक अवकाश शामिल है। बता दें बैंक की छुट्टियों के चलते भी आप ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा ले सकते हैं यानी आप ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए पैसों का लेनदेन छुट्टी वाले दिन भी कर सकते हैं।
अब बिजली बिल की नो टेंशन, सटीक ‘मीटर रीडिंग’ के लिये टाटा लाया ओसीआर
नयी दिल्ली । बिजली मीटरों की गड़बड़ी से जुड़ी खबरें हर दिन अखबार के पन्नों पर छपती हैं। अक्सर आप और हम भी मीटर की गलत रीडिंग के चलते नुकसान झेलते हैं। लेकिन अब आने वाले वक्त में आपको मीटर की गलत रीडिंग से निजात मिल सकती है। बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. टीपीडीडीएल ने दिल्ली के अपने ग्राहकों को एकदम सटीक बिजली बिल उपलब्ध कराने के लिये कदम उठाया है। इसके तहत कंपनी मीटर रीडिंग के लिये ‘ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन’ (ओसीआर) का उपयोग करेगी।
कंपनी ने बयान में कहा कि इससे एक तरफ जहां ग्राहकों को सही बिजली बिल मिलेगा वहीं कंपनी का गैर-तकनीकी घाटा कम होगा। उसने अपने कार्य क्षेत्र उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली में ग्राहकों के लिये कृत्रिम मेधा एआई) आधारित ‘ओसीआर’ प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिये एनीलाइन के साथ भागीदारी की है। टाटा पावर डीडीएल के अनुसार इस भागीदारी के तहत तकनीक की पूरी जांच-परख के बाद उसे उत्तरी दिल्ली में संबंधित कर्मचारियों को उपलब्ध कराया गया है।
इस नये ‘स्कैनिंग’ समाधान को ‘मीटर रीडिंग’ के लिये कर्मचारियों के मोबाइल उपकरणों जोड़ा गया है। इससे ये कर्मचारी जब अपने मोबाइल कैमरों से बिजली मीटर को स्कैन करेंगे तो तत्काल मीटर रीडिंग का ब्योरा प्राप्त कर सकते हैं। इस मीटर रीडिंग ब्योरे का टाटा पावर-डीडीएल सत्यापन करेगी ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि आंकड़ा और कैमरों में ली गयी मीटर की तस्वीर वास्तविक होने के साथ-साथ सटीक भी हैं।
कंपनी ने कहा कि यह कदम ‘मीटर रीडिंग’ की प्रक्रिया में होने वाली मानवीय गड़बड़ियों को दूर कर बिजली बिल को सटीक बनाएगा और इसे वितरण कंपनी के गैर-तकनीकी घाटे भी कम होंगे।
टाटा पावर डीडीएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गणेश श्रीनिवासन ने कहा, ”हम नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाकर उपभोक्ताओं के बेहतर सेवाएं देने को प्रतिबद्ध हैं इस नये समाधान से हम अपने उपभोक्ताओं के लिये बेहतर पेशकश करने के साथ-साथ इस्तेमाल की जाने वाली बिजली के बदले सटीक बिल सुनिश्चित कर सकते हैं।”
बिहार का रिक्शावाला एप बनाकर दे रहा 50 प्रतिशत सस्ती कैब सर्विस
टीम में आईआईटी,आईआईएम प्रोफेशनल भी
पटना । बिहार की प्रतिभा का डंका ऐसे ही देश भर में नहीं बजता। यहां का रिक्शावाला भी कमाल कर सकता है। रिक्शा चलाकर जीवन यापन करने वाले सहरसा के युवक दिलखुश ने ऐसा एप तैयार किया है जिससे कैब बुकिंग किराये में आप 40 से 60 प्रतिशत की बचत कर सकते हैं।
इतना ही नहीं कैब संचालकों की कमाई भी 10 से 15 हजार बढ़ सकती है। कैब सेवाओं से जुड़े इस ऐप का नाम रोडबेज है। एक तरफ कैब बुकिंग की सुविधा देने वाला रोडबेज की लोकप्रियता को इसी से समझा जा सकता है कि मात्र डेढ़ महीने में इस ऐप को 42 हजार लोगों ने इंस्टॉल किया।
दिल्ली में रिक्शा चलाता था दिलखुश
हर दिन सैंकड़ों लोग इस सेवा का लाभ ले रहे हैं। कभी खुद दिल्ली में रिक्शा चलाकर जीवन बसर करने वाले दिलखुश की टीम में आज आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईटी से पढ़ाई पूरी करने वाले इंजीनियर और मैनेजर जुड़े हैं। दिलखुश का यह स्टार्ट अप चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान पटना के इंक्यूबेशन सेंटर से इंक्यूबेटेड है। दिलखुश ने बताया कि अभी राज्य में तीन हजार वाहनों का उसका नेटवर्क है और अगले छह महीने में 15 हजार वाहनों का नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य है। दिलखुश की टीम में आज 16 लोग हैं, जिनमें भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों से चार लोगों ने उच्च शिक्षा ली है।
गरीबी में नहीं कर सका पढ़ाई
पिता बस ड्राइवर, अभाव में नहीं कर पाया पढ़ाई थर्ड डिविजन से मैट्रिक पास दिलखुश के पिता एक बस ड्राइवर हैं। अभावों में दिलखुश का बचपन गुजरा। मैट्रिक तक की ही पढ़ाई कर पाया। इसके बाद दिल्ली चला गया। रूट का आइडिया न होने से दिलखुश ने रिक्शा चलाना शुरू किया। लेकिन हफ्ते दस दिन बाद बीमार पड़ गया। इसके बाद घर लौट गया। कुछ दिनों बाद पटना आया और मारुति 800 चलाने लगा। एक कंपनी में चपरासी की नौकरी इसलिये नहीं मिली क्योंकि इंटरव्यू में एप्पल के लोगो को नहीं पहचान सका। इसी बीच दिलखुश को रोडबेज का आइडिया आया। कुछ समय पूर्व दिलखुश को जोश टॉक में इनावेशन पर बात करने और अन्य युवाओं को स्टार्ट अप के लिये प्रेरित करने को बुलाया गया था।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आया आइडिया
दिलखुश ने बताया कि हाल के महीने में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से हर कोई प्रभावित हुआ है। विश्लेषण से पता चला कि 60 प्रतिशत लोग एक शहर से दूसरे शहर में एकतरफा जाना होता है। लेकिन कैब संचालक या ड्राइवर किसी भी उपभोक्ता से आने और जाने का पैसा लेता है। ऐसे में दिलखुश ने एक नेटवर्क तैयार किया और एक ऐसा ऐप डेवलप किया जो एकतरफा कैब की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस ऐप से बुकिंग कर किराये में 40 से 60 प्रतिशत की बुकिंग शुल्क में बचत की जा सकती है। हालांकि लंबी दूरी की सुविधा देने वाले इस ऐप पर आपको पांच घंटे पहले बुकिंग करनी होगी।
सीआईएमपी बिजनेस इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन फाउंडेशन के सीईओ कुमोद कुमार कहते हैं कि दिलखुश के रोडबेज ऐप की लोकप्रियता हर दिन बढ़ रही है। यह सस्ता, सुलभ और सुरक्षित सेवा देने वाली कैब सर्विस है। लोगों को इस सेवा का लाभ लेना चाहिए।
इतिहास के पन्नों में सिमट रही मारवाड़ी गद्दियां
कोलकाता । पश्चिम बंगाल के मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर बड़ाबाजार की खास पहचान मारवाड़ी गद्दियां इतिहास के पन्नों में सिमट रही हैं। कोलकाता में निवासरत प्रवासी राजस्थानियों में होली, दिवाली जैसे त्यौहार हो या अन्य अवसर एक दूसरे के हर सुख-दुख में साथ रहकर सारी बातें यहां साझा होती है।
बड़ाबाजार के व्यापार जगत में अपनी अलग छवि संजोए मारवाड़ी गद्दियां आज अतीत का हिस्सा बनती जा रही हैं। ये गद्दियां साड़ी, होजियरी, सूटिंग, शर्टिंग से लेकर कपड़ों के थोक व्यवसाय का स्थान होती हैं। जहां काम करने के साथ रहने की निःशुल्क सुविधा है।
बड़ाबाजार की पहचान कही जाने वाली गद्दियों में बरसों पुरानी व्यवस्था आज भी चल रही है, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या हजारों से सिमट कर सैकड़ों में रह गई है। एक अनुमान के मुताबिक इन गद्दियों की संख्या आज लगभग 200 रह गई है। हर वक्त गुलजार रहने वाली बड़ाबाजार की मारवाड़ी गद्दियों में पहले की अपेक्षा काफी कम लोग रहते हैं। मालिक और कर्मचारियों के सामंजस्य से सैकड़ों बरस पुरानी इस व्यवस्था का निर्वहन अभी भी हो रहा है। पर कम। कपड़े के हब के रूप में विख्यात बड़ाबाजार गद्दी बाहुल्य क्षेत्र है।
आपसी तालमेल से शुरू गद्दी में रहने का सिलसिला
पहले जब लोग काम के सिलसिले में राजस्थान से कोलकाता आते थे तो नौकरी मिलने के बाद खाने की व्यवस्था राजस्थानी बासा में आसानी से हो जाती थी। लेकिन रहने की काफी असुविधा होती थी। वहीं मालिकों को रात में गद्दी की चिंता रहती थी। इसी बीच यह रास्ता निकला कि जो व्यक्ति गद्दी में अथवा उस गद्दी मालिक की खुदरा व्यापार की दुकान में काम करेगा वह उस गद्दी में रह सकता है। इसका लाभ मालिक और कर्मचारी दोनों को मिला। जहां प्रवासी कर्मचारियों को रहने की निशुल्क सुविधा मिल गई वहीं गद्दी के मालिक, गद्दी की सुरक्षा से भी आश्वस्त हो गए।
क्या है गद्दी?
गद्दी मालिकों की बाजार में खुदरा व्यवसाय की दुकानें होती हैं जिसका ज्यादातर माल गद्दियों में रखा जाता है। इन्हीं गद्दियों में थोक व्यापार होता है। इन गद्दियों में औसतन करोड़ों रुपये सालाना का व्यापार होता है। विभिन्न चीजों का व्यवसाय करने वाली इन गद्दियों में ज्यादातर ग्रामीण तथा उपनगरीय क्षेत्रों के व्यापारी थोक खरीददारी करने आते हैं।
बोले प्रवासी राजस्थान
कई वर्षों तक बड़ाबाजार की गद्दी में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी लीलाधर शर्मा ने पत्रिका को बताया कि गद्दी में साथ रहने वाले एक दूसरे के भाई, ताऊ, चाचा होते हैं। उत्सव, त्यौहार या फिर कोई दुख-सुख, सबसे पहले आपस में साझा करते थे। साथ रहने वालों को एक दूसरे की पूरी जानकारी रहती थी।
उन्होंने बताया कि पहले इन गद्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी रहते थे लेकिन आज इनकी संख्या काफी कम हो गई है। इसका मुख्य कारण उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों ने कोलकाता, हावड़ा या आसपास के लिलुआ, बेलूर, हिंदमोटर, रिसड़ा आदि उपनगरीय क्षेत्रों में घर लेकर परिवार बसा लिया और यहां रहना छोड़ दिया है।
यहां है गद्दियां
यहां पारख कोठी, सदासुख कटरा, कमेटी कोठी, बिलासराय कटरा जैसे कई वाणिज्यिक मकानों में पहली या उससे ऊपर मंजिल की गद्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी के अलावा बिहार, उत्तरप्रदेश और ओडिशा के लोग रहते हैं। जो ज्यादातर इन्हीं गद्दी मालिकों के यहां काम करते हैं।
लॉकडाउन में सुनी पड़ गई थी गद्दियां
2020 में कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी लोगों के अपने प्रदेश लौट जाने से बड़ाबाजार की मशहूर गद्दियां सुनी पड़ गई थी। सन्नाटे की चादर में लिपटी ये गद्दियां बाजार खुलने पर वापस चहक उठी लेकिन कम होती गद्दियों की संख्या से यह प्रथा अब गाहे बगाहे सिमटती जा रही है।
(साभार – राजस्थान पत्रिका)
नए अवतार में फिर हुगली नदी में फिर दिखेगा 1940 का पैडल स्टीमर
कोलकाता । पैडल स्टीमर ‘पीएस भोपाल’ जल्द ही हुगली नदी में एक बार फिर नजर आ सकता है। इसे ब्रिटेन के डंबर्टन पोत कारखाने (शिपयार्ड) में 1940 में बनाया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि महानगर के पास एक निजी यार्ड में 62.6 मीटर लंबे और 2.4 मीटर चौड़े जहाज को नया रूप देने के लिए उस पर काम किया जा रहा है।
कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के अध्यक्ष विनीत कुमार ने कहा कि जहाज के नवीनीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसके जल्द ही हुगली नदी पर लौटने की उम्मीद है। शायद अगले कुछ महीनों में…। स्टीमर का संचालन शुरू होने से हमारे ‘विरासत यात्रा कार्यक्रम’ को गति मिलेगी क्योंकि नए ‘पीएस भोपाल’ में बाकी जहाजों (ऐसी यात्राओं के लिए इस्तेमाल होने वाले) की तुलना में अधिक लोग यात्रा करना चाहेंगे।
तीन करोड़ की अधिक लागत से किया जा रहा नवीनीकरण
उन्होंने बताया कि इस जहाज के नवीनीकरण एवं संचालन में शामिल निजी कंपनी बंदरगाह अधिकारियों को 50,000 रुपये की ‘रायल्टी’ का भुगतान करेगी और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल करेगी। उन्होंने कहा कि 80 साल पुराने जहाज का नवीनीकरण तीन करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जा रहा है।
कैंसर ने छीना महानगर के युवा टीवी पत्रकार का निधन
कोलकाता । कोलकाता के युवा टीवी पत्रकार स्वर्णेन्दु दास के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख जताया है। 40 वर्ष से कम उम्र के स्वर्णेन्दु का कैंसर की वजह से मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन पर मीडिया जगत में शोक की लहर पसरी हुई है। ढ़ाई साल की बेटी के नाम सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट पढ़कर हर किसी का दिल भर आता है। इतनी कम उम्र में एक साथी का यूं चले जाना महानगर के मीडिया कर्मियों के लिए सदमे से कम नहीं है।
स्वर्णेन्दु बेहद ऊर्जावान पत्रकार थे। फील्ड में रिपोर्टिंग के समय साथियों से हमेशा मुस्कुरा कर बातें करना, एक दूसरे की मदद और हर जरूरत पर खड़े रहने वाले स्वर्णेन्दु हर किसी के अजीज थे। उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, “कोलकाता के एक युवा पत्रकार स्वर्णेन्दु दास के निधन की खबर दिल दहलाने वाली है। पत्रकारिता की दुनिया ने एक काफी प्रतिभाशाली शख्स को खो दिया है। मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं तथा उनके परिजनों, दोस्तों, शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।”
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से वह अस्पताल में भर्ती थे। कैंसर का दर्द उनके लिए असहनीय हो चला था। इसी बीच 15 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी के साथ सोशल मीडिया पर एक फोटो डाली थी और लिखा था, (हिंदी में अनुवाद) “यह तस्वीर इस साल की नहीं पिछले साल की है। बेटी की उम्र दो वर्ष से थोड़ी अधिक है। सुबह-सुबह इलाके में झंडा फहराने के लिए मैं निकला था। स्कूटर पर सामने बेटी कुहू को बैठाकर इलाके के स्कूल, क्लब सहित कई जगहों पर झंडोत्तोलन में मैं शामिल हुआ। मेरे साथ मेरी बेटी ने हाथ में पुष्प लेकर वीर स्वतंत्रता सेनानियों नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि को श्रद्धांजलि दी। क्षमा करना बेटी इस बार मैं तुम्हें साथ लेकर ऐसा नहीं कर पाया। तुम्हें कहीं लेकर भी नहीं जा सका। पिछले साल की बातें तो तुम्हें याद भी नहीं होंगी लेकिन यह तस्वीर सारे दिन मेरी आंखों से आंसू बहाती रही। मेरी प्यारी लाडली मैं नहीं जानता कि जीवन में तुमको फिर कभी कहीं घुमा सकूंगा, झंडा फहराने ले जा सकूंगा या नहीं। अगर नहीं ले जा पाऊं तो मेरी बातें सुनकर कम से कम आज का दिन गुजार लेना।”
विभाजन पर आधारित डिजिटल संग्रहालय की कोलकाता में होगी शुरुआत
कोलकाता। बंगाल की राजधानी कोलकाता में अगले सप्ताह तक देश के विभाजन पर आधारित एक डिजिटल संग्रहालय की शुरुआत होगी। इस संग्रहालय में भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाने वाली कला और साहित्य जगत की कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय में प्रदर्शित की जाने वाली कृतियां विभाजन की त्रासदी और उसके परिणामस्वरूप सीमा के दोनों ओर लोगों को हुईं परेशानियों और उनकी पीड़ा को भी दर्शाएंगी।
कोलकाता पार्टिशन म्यूजियम प्रोजेक्ट (केपीएमपी) का नेतृत्व कर रहीं रितुपर्णा राय ने कहा कि संग्रहालय का निर्माण करने का उद्देश्य विभाजन के दौरान पूर्वी भारत के बंगाल के अनुभव के अलावा विभाजन के बाद लोगों के जीवन और उनकी परिस्थितियों को यथासंभव व्यापक रूप से यादगार बनाना है। विभाजन संबंधी विषयों पर शोध करने वालीं राय ने कहा, इस परियोजना के जरिए हम भी समान रूप से विभाजन को लेकर किए जाने वाले विचार-विमर्श को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि विभाजन से हम बिछडऩे, हिंसा और लोगों के अपना घर छोड़कर जाने की पीड़ा को समझते हैं।
बीते सात दशकों से लगातार विभाजन और उसके परिणामों को लेकर चर्चा की जाती रही है। हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन, अब इससे बाहर निकलने का समय भी आ गया है। उन्होंने कहा, विभाजन का एक और पहलू निरंतरता भी है। मौजूदा समय में हम जिस विभाजनकारी दौर में रह रहे हैं, उसके मद्देनजर हम विभाजन को भी याद रखना चाहते हैं।
रितुपर्णा राय के मन में यूरोप में रहने और वहां युद्ध स्मारकों और संग्रहालयों के दौरे के दौरान विभाजन को लेकर एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार अंकुरित हुआ। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद के दौर के बाद बंगाल और बांग्लादेश की परिस्थितियां पूरी तरह से अलग रही हैं। उन्होंने कहा, हम इस बात से इन्कार नहीं कर रहे हैं कि विभाजन हुआ था और उसके कुछ कारण थे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम जर्मनी की तरह फिर से एकजुट हो जाएंगे। हम विभाजन को याद रखेंगे और इससे जुड़े सभी सिद्धांतों को भी सामने रखेंगे।
राय ने कहा कि विभाजन के बावजूद बंगाल और बांग्लादेश में भाषा, साहित्य, खान-पान, कला और लोगों के पहनावे तथा रहन-सहन में काफी समानता है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय भारत में केंद्र की तत्कालीन सरकार ने पंजाब और बंगाल के साथ अलग-अलग व्यवहार किया। उनका मानना है कि विभाजन के बाद पंजाब में आए लोगों को बेहतर सुविधाएं और मुआवजा दिया गया जबकि पूर्वी भारत की ओर सरकार ने उतना ध्यान नहीं दिया।
राय ने कहा, यहूदियों का नरसंहार और भारत का विभाजन एक ही दशक में हुआ था। होलोकास्ट को समर्पित बहुत सारे स्मारक हैं, ऐसा क्यों है कि हमारे पास विभाजन का कोई सार्वजनिक स्मारक नहीं है? हमारे पास इतिहास लेखन, साहित्य, फिल्में हैं लेकिन सार्वजनिक स्मारक नहीं था?
डिजिटल विभाजन संग्रहालय केपीएमपी और वास्तुकला शहरीकरण अनुसंधान (एयूआर) के सहयोग से निर्मित किया जा रहा है। टाटा स्टील भी इसमें योगदान दे रहा है।