कोलकाता। श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय एवं सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में जयशंकर प्रसाद केंद्रित काव्य-आवृत्ति एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इस साहित्यिक प्रतियोगिताओं में कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। काव्य -आवृत्ति प्रतियोगिता में 35 से अधिक प्रतिभागियों ने जयशंकर प्रसाद की कविताओं की शानदार प्रस्तुति की। दूसरी तरफ प्रसाद साहित्य पर केन्द्रित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भी 17 कॉलेज और विश्वविद्यालय की टीमों ने भाग लिया। काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में सेंट पॉल कैथेड्रल मिशन कॉलेज ने बाजी मारते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में इस कॉलेज के विवेक तिवारी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर कलकत्ता विश्वविद्यालय की कीर्तिका सुरोलिया एवं तृतीय स्थान पर सेठ आनन्दराम जयपुरिया कॉलेज मॉर्निंग की मुस्कान गिरि रही। सेठ सूरजमल जालान गर्ल्स कॉलेज की महिमा भगत एवं कांचरापाड़ा कॉलेज की शीतल कुमारी को प्रोत्साहन पुरस्कार मिला। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम में विवेक तिवारी, पवन कुमार गोस्वामी एवं विवेक कुमार चौधरी थे। द्वितीय स्थान पर रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय की श्वेता यादव, प्रियंका प्रजापति एवं सरोज चौहान रहीं। तृतीय स्थान पर प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की स्मृति सिंह, सौरभ कुमार सिंह एवं दीपक पासवान की टीम रही। प्रोत्साहन पुरस्कार ऋषि बंकिमचंद्र कॉलेज को मिला। इस टीम में सुताबी कोइरी, स्वप्ना कुमारी ठाकुर एवं राहुल साव रहे। काव्य-आवृत्ति के निर्णायकों में डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. काजू कुमारी साव एवं डॉ. रीना कुमारी रहे। प्रश्नोत्तरी के निर्णायकों में डॉ. हृषिकेश कुमार सिंह, डॉ. अजीत तिवारी एवं डॉ. पीयूष द्विवेदी रहे।
समारोह की अध्यक्षता कुमारसभा पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि प्रो. लोढ़ा ने अपनी वाग्मिता से कलकत्ता के साहित्यिक क्षेत्र को नई दिशा दी थी, ऐसे प्रणम्य विभूति को याद करना अपनी परंपरा को प्रणाम करना है। विशिष्ट अतिथि मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश तिवारी ने कहा कि इस तरह के आयोजन विद्यार्थियों में साहित्यिक चेतना का प्रसार करते है। कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस तरह के आयोजन बच्चों को साहित्यकारों की रचनाओं से जोड़ने में सहायक होगा। जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने कहा कि काव्य आवृत्ति से व्यक्तित्व का विकास होता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ मारवाड़ी विद्यालय की छात्राओं की प्रस्तुति अरुण यह मधुमय देश हमारा से हुआ।
दो सत्र में चले इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र काव्य आवृत्ति का कुशल संयोजन एवं संचालन डॉ. कमल कुमार एवं दिव्या प्रसाद ने किया। द्वितीय सत्र प्रश्नोत्तरी का संचालन परमजीत कुमार, पूजा प्रसाद, मनीषा गुप्ता एवं अरविंद तिवारी ने किया।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत कुमार जालान ने भविष्य में इस तरह के और आयोजन करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी।
इस समारोह में डॉ. वसुमति डागा, सागरमल गुप्त, अरुण मल्लावत, अनिल ओझा नीरद, रामपुकार सिंह, डॉ. रामप्रवेश रजक, डॉ श्रीपर्णा तरफदार, डॉ बृजेश सिंह, डॉ स्वाति शर्मा, दीक्षा गुप्ता, यवनिका तिवारी, रमाकांत सिंह, नेहा जायसवाल, कंचन रजक उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम के संयोजक श्रीमोहन तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जयशंकर प्रसाद केन्द्रित काव्य – आवृत्ति एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित
द हेरिटेज अकादमी में आयोजित हुआ कर्न्वजेंस 2022
कोलकाता । द हेरिटेज अकादमी का इंडक्शन एवं ओरिएंटेशन प्रोग्राम कर्न्वजेंस 2022 हाल ही में आयोजित हुआ। गत 2 सितम्बर को आयोजित इस समारोह को मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन रेसिडेंशियल कॉलेज के प्रिंसिपल स्वामी एकचित्तानंद एवं विशिष्ट अतिथि रीतम कम्यूनिकेशन की सीईओ रीता भिमानी ने सम्बोधित किया। उद्घाटन भाषण में रीता भिमानी ने सम्पर्क, संयोग और सृजन को विद्यार्थियों के लिए आवश्यक बताया। स्वामी एकचित्तानंद ने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को साथ रहने, मिलकर रहने, अनेकता में एकता और निःस्वार्थ रहने का महत्व समझाया और नकारात्मकता से दूर रहने को कहा। समारोह में द हेरिटेज अकादमी के प्रिंसिपल प्रो, गौर बनर्जी, मीडिया साइंस विभाग की डीन डॉ. मधुपा बक्सी, हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल प्रो. बासव चौधरी, हेरिटेज बिजनेस स्कूल के निदेशक प्रो. के. के. चौधरी समेत कई शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
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द हेरिटेज कॉलेज,कोलकाता में कनेक्शंस 2022
कोलकाता । द हेरिटेज कॉलेज, कोलकाता का इंडक्शन एवं ओरिएंटेशन प्रोग्राम कनेक्शंस 2022 गत 31 अगस्त को आयोजित हुआ। इस अवसर पर आईसीएआई की पूर्वी भारत की क्षेत्रीय परिषद के पूर्व चेयरमैन एवं आईसीएआई की केन्द्रीय परिषद के सदस्य सीए रंजीत अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने मल्टीटास्किंग होने पर जोर दिया और कहा कि विद्यार्थियों में लगन और उद्देश्य के साथ दृढ़ता का होना जरूरी है।
उद्घाटन भाषण विशिष्ट अतिथि ब्रिटिश काउंसिल के निदेशक (पूर्व एवं उत्तर – पूर्व भारत) देवांजन चक्रवर्ती ने कहा कि एक अच्छा पेशेवर बनने के लिए जिज्ञासु, साझेदारी और करुणा का होना जरूरी है। कार्यक्रम में द हेरिटेज कॉलेज के टीचर इन्चार्ज अमिताभ घोष, इकोनॉमिक्स विभागाध्यक्ष देवाशीष मजुमदार, एचआईटीके के प्रिंसिपल प्रो, बासव चौधरी समेत अन्य अतिथि उपस्थित थे। हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ पी.के. अग्रवाल ने कहा कि कम समय में ही संस्थान ने अपनी उपस्थिति उत्कृष्ट संस्थानों में दर्ज करवा ली है और यह प्रसन्नता की बात है।
एमसीसीआई में भारत – चीन व्यापार पर चर्चा
कोलकाता । मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) द्वारा हाल ही में भारत एवं चीन के व्यापारिक सम्बन्धों पर एक परिचयात्मक सत्र आयोजित किया गया। चीन के इकोनॉमिक एवं कर्मशियल कौंसुल झांग होंग्जी इस अवसर पर उपस्थित थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि भारत – चीन का व्यापार 2021 में 125.6 बिलियन डॉलर का रहा और इसमें 42.3 प्रतिशत की वृद्धि रही। उन्होंने चीनी उत्पादों की गुणवत्ता को सराहते हुए वर्तमान समय को भारत के विकास का सर्वश्रेष्ठ दौर बताया। उन्होंने पड़ोसी देशों से व्यापारिक सम्बन्ध मजबूत करने का परामर्श दिया। एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने अपने स्वागत भाषण में पश्चिम बंगाल में चीन की साझेदारी में चल रहे दुर्गापुर की एरोट्रोपिलस परियोजना की चर्चा की। धन्यवाद एमसीसीआई के उपाध्यक्ष नमित बाजोरिया ने दिया।
एमसीसीआई में स्टार्टअप और उद्यमिता के मनोविज्ञान पर परिचर्चा
कोलकाता । एमसीसीआई में स्टार्टअप और उद्यमिता के मनोविज्ञान पर परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा को ओलम इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक एवं सीएचआरओ जयदीप बोस ने कहा कि उद्यमी के पास दूरदृष्टि, प्रेरणा, रणनीतिक विचार और रणनीति का क्रियान्वयन होना चाहिए। काफी हद तक, उद्यमी के लिए मूल्य महत्वपूर्ण हैं और व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मूल्यों पर विचार किया जाना चाहिए।
इंस्टीट्यूट ऑफ साइक्रेटरी के आरएमओ एवं क्लिनिकल ट्यूटर वरिष्ठ मनोचिकित्सक सुबीर हाजरा चौधरी ने कहा कि व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में एक आदर्श बदलाव आया है। उद्यमिता को उद्यम पूंजी पारिस्थितिकी तंत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है।
सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बासव दासगुप्ता ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों नए उद्यम के लिए बहुत से सुविधाजनक व्यावसायिक समर्थन के साथ आए हैं। एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, ई-कॉमर्स आदि जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने के बड़े अवसर हैं। नए उद्यमी को संरचनात्मक के अलावा असंरचित गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। व्यवसाय में मूल्य उद्यमी के लिए सफलता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
एमसीसीआई की स्टार्टअप एवं स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष स्मरजीत मित्रा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि एमसीसीआई स्टार्ट अप कम्युनिटी और भावी उद्यमियों को मेंटरिंग और हैंड होल्डिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए जल्द ही एमसीसीआई स्टार्ट अप हेल्प डेस्क के साथ आएगा।
शिक्षक दिवस पर विशेष : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को प्रणाम
आज, 5 सितंबर 2022 को पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है। हर साल पूरे भारत में शिक्षकों, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों सहित शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों को पहचानने और देश व समाज के विकास में उनके योगदान को उजागर करने के लिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। 5 सितंबर, 1888 को जन्मे डॉ राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। डॉ. राधाकृष्णन एक शिक्षक, दार्शनिक और विद्वान के रूप में अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा और छात्रों के प्रति डॉ राधाकृष्णन के उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करने के लिए 1962 से, 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। आइए उनके जीवन से जुड़ी रोचक बाते जानतें हैं:-
- डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तानी शहर में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। इस परिवार की आर्थिक पृष्ठभूमि कमजोर थी। डॉ. राधाकृष्णन विरले छात्रों में से एक थे और उन्हें जीवन भर कई छात्रवृत्तियां प्राप्त कीं। उन्होंने तिरुपति के स्कूलों में पढ़ाई की और फिर वेल्लोर चले गए।
- डॉ. राधाकृष्णन को भारत के इतिहास में अब तक के सबसे महान दार्शनिकों में से एक माना जाता है। उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में समकालीन दर्शन में धर्म का शासन, रवींद्रनाथ टैगोर का दर्शन, जीवन का हिंदू दृष्टिकोण, कल्कि या सभ्यता का भविष्य, जीवन का एक आदर्शवादी दृष्टिकोण, हमें जिस धर्म की आवश्यकता है, भारत और चीन और गौतम बुद्ध शामिल हैं।
- डॉ राधाकृष्णन क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास में दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया। उन्होंने अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, वे मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और बाद में मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बन गए। वे 1939 से 1948 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चांसलर भी रहे।
- डॉ राधाकृष्णन अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। जब उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय भेजा रहा था, उस समय उनके एक छात्र ने व्यवस्था की और रेलवे स्टेशन पर एक फूलों से सजी गाड़ी उनके लिए भेजी।
- डॉ राधाकृष्णन ने 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रहे। डॉ राधाकृष्णन ने चौथे उप-राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया। वर्ष 1984 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
शी ने प्रदान किये टीचर्स एक्सिलेंस अवार्ड्स
कोलकाता । शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शी की ओर से शिक्षकों को सम्मानित किया गया। गत 3 सितंबर को श्री शिक्षायतन परिसर में भुवलका हॉल में शिक्षायतन फाउंडेशन, मीनू साड़ी द्वारा संचालित और धनवंतरी द्वारा सह-संचालित इस कार्यक्रम में कई शैक्षणिक पेशेवरों, शिक्षकों, संस्थागत प्रमुखों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, उद्यमियों, फैशन जगत के लोगों ने भाग लिया। शी की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम का यह दूसरा वर्ष था।
शी की संस्थापक शगुफ्ता हनाफी ने कहा, “शिक्षक छात्रों के लिए मार्गदर्शक शक्ति हैं, जो उन्हें अच्छा मनुष्य एवं समाज के लिए मूल्यवान सदस्य बनाते हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय स्वर्गीय जुनैद आलम, रक्षिता जबीन और मीना खातून को देते हुए कहा कि टीचर्स एक्सीलेंस अवार्ड मेरे शिक्षकों और उन सभी शिक्षकों के लिए मेरी गुरु दक्षिणा है, जो अपने विद्यार्थियों में विश्वास करते हैं।
शिक्षायतन फाउंडेशन की महासचिव ब्रतती भट्टाचार्य ने कहा, ‘ कोविड के कारण शिक्षा में परिवर्तन आया है। शिक्षा और तकनीक का मेल समय की जरूरत है। शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए द्वितीय शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कार’ इस दिशा में एक ऐसा ही कदम है। इसका उद्देश्य राज्य के कुछ सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को पहचानना और उनका सम्मान करना है। विजेताओं को कल पुरस्कार शाम को ज्ञान सेनानियों के रूप में याद किया गया है।
समारोह में प्राथमिक, मिडिल, सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी स्तर के 16 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इनमें से 4 मानद पुरस्कार थे जबकि शेष शिक्षकों का चुनाव नामांकन के आधार पर किया गया। निर्णायकों में श्री शिक्षायतन फाउंडेशन की महासचिव ब्रतती भट्टाचार्य, बी डी मेमोरियल की निदेशक सुमन सूद, सेंट जेवियर्स स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका जयता बसु, बेस्ट फ्रेंड्ज की 2022-2023 की चेयरपर्सन पायल वर्मा एवं वैश्विक कलाकार ओंकार दर्दाकर।
सम्मानित होने वालों में प्रदीप चोपड़ा (आयरन मैन ऑफ द इयर), इमरान जाकी (आईकॉन एडुप्रेनियर), मामून अख्तर (एडुकेशन हीरो अवार्ढ), एस.के. सिंह (एक्सिलेंस इन स्कूल लीडरशिप), आरवीन अहमद (उर्दू के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड), सीमा बाहरी (विशेष जरूरतमंदों के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान), अपाला दत्ता (प्रिंसिपल ऑफ द इयर), यश अग्रवाल (फिट एंड वेलनेस कोच ऑफ द इयर), जोसफ चाको (बियॉन्ड इकोनॉमिक्स), राजकुमारी सहारिया (वेलबिंग कोच), वसीम अहमद खान (उत्कृष्ट संगीत शिक्षक), सुधा जायसवाल (पर्य़ावरण शिक्षा के क्षेत्र में इनोवेशन), सुतपा दत्ता दासगुप्ता (टीचर ऑफ द इयर), पत्राली बनर्जी (मेकअप प्रशिक्षण में उत्कृष्टता), नीशत तबस्सुम (उत्कृष्ट बेकिंग उद्यमी), गजाला यास्मीन (उत्कृष्ट मीडिया प्रबंधन)
समारोह में विशेष अतिथि के रूप में धन्वन्तरि के निदेशक राजेंद्र खंडेलवाल,अभिनेता सुप्रतिम रॉय, शिक्षाविद् इंद्राणी गांगुली, अभिनेत्री पापिया अधिकारी, टेक्नो इंडिया के निदेशक प्रो. डॉ सुजय विश्वास, ओडिशी नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य, साउथ सिटी इंटरनेशनल के प्रिंसिपल जॉन बगुल समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रो. कल्याणमल लोढ़ा शताब्दी व्याख्यान
कोलकाता । कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में गत 2 सितम्बर को प्रो. कल्याणमल लोढ़ा शताब्दी व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर लखनऊ से पधारे विशिष्ट विद्वान प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने यह शताब्दी व्याख्यान दिया ।उनके व्याख्यान का विषय था – “हिंदी का निजी काव्यशास्त्र” । कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हुए विभागीय अध्यक्ष प्रो. राजश्री शुक्ला ने स्वागत भाषण करते हुए प्रो कल्याणमल लोढ़ा के अवदानों का उल्लेख किया । उन्होंने हिन्दी में सर्वप्रथम पी एच डी करने वाले डॉ.नलिनी मोहन सान्याल जी की चर्चा भी की ।28 सितम्बर 1921 में जन्में लोढ़ा जी छायावाद के विशेषज्ञ थे और कक्षा में कामायनी पढ़ाते थे । विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग की गरिमा को बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था ।
प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने अपने वक्तव्य का प्रारम्भ करते हुए आचार्य ललिता प्रसाद सुकुल , आचार्य विष्णु कांत शास्त्री को नमन किया जिनसे वो अतीत में यहाँ जुड़े थे । हिन्दी के निजी काव्यशास्त्र पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी के अपने काव्यशास्त्र को स्थापित करने की ज़रूरत है। हिन्दी भाषा के विकास की अपनी परिस्थिति और शैली के अनुरूप साहित्य शास्त्रीय विवेचन हिन्दी साहित्यकारों ने किया है । आचार्य रामचंद्र शुक्ल , जयशंकर प्रसाद जैसे साहित्यकारों ने इन विषयों पर मौलिक विचार व्यक्त किए हैं । उन्होंने कहा कि कविता रचना के लिए हृदय को सिंधु की तरह विस्तृत, अनंत, बुद्धि को ग्रहणशील होना होगा ।इसके बिना कविता रची नहीं जा सकती। शब्द से ही रस, छंद, करुणा, भाव आदि उत्पन्न होते हैं । प्रो दीक्षित ने कहा कि हिन्दी साहित्य के काल में काव्य हेतु ,काव्य प्रयोजन , काव्य लक्षण , काव्य के रूप इत्यादि सभी बदल गए हैं , अतः संस्कृत काव्यशास्त्र और पाश्चात्य काव्यशास्त्र के मानदंडों से इतर हिन्दी के निजी काव्यशास्त्र की चर्चा होनी चाहिए ।इस अवसर पर प्रो रामप्रवेश रजक , प्रो बिजय कुमार साव उपस्थित थे। बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधार्थी इस व्याख्यान से लाभान्वित हुए ।अंत में प्रो बिजय कुमार साव ने विद्यार्थियों में मौलिक चिंतन को उत्पन्न करने वाले व्याख्यान के लिए प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित जी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया ।
इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी का 50वां राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
कोलकाता । इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी (आईसीएसआई) की तरफ से कोलकाता में कंपनी सचिवों के लिए 50वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से 1100 से अधिक प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए, जबकि 4,500 सदस्य वर्चुअली इस सम्मेलन का हिस्सा बने। इस वर्ष के सम्मेलन का थीम ‘कंपनी सेक्रेटरी: ए विश्वगुरु इन गवर्नेंस एंड सस्टेनेबिलिटी’ रखा गया था। इसमें वातावरण की बदलती गतिशीलता के जवाब में कंपनी सचिवों (सीएस) की नई भूमिका और जिम्मेदारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
सम्मेलन के दूसरे सत्र का विषय था “सीएस: फोस्टरिंग गवर्नेंस एंड कॉरपोरेट एक्सीलेंस इन इंडिया इंक” आईसीएसआई की ओर से आयोजित 50वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन पैनलिस्ट में सीएस (डॉ.) ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई), सीएस बी मुरली (जनरल काउंसल और कंपनी सचिव नेस्ले इंडिया लिमिटेड), सीएस एम ई वी सेल्वम (पूर्व कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी ओएनजीसी लिमिटेड) की मौजूदगी में सत्र का संचालन किया गया। इस मौके पर सीएस विनीत के चौधरी (परिषद सदस्य, आईसीएसआई) और सीएस देवेंद्र देशपांडे (अध्यक्ष,आईसीएसआई) ने इस सत्र में गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करायी।
इस अवसर पर सीएस डॉक्टर ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई) ने कहा, शासन और स्थिरता किसी भी कॉर्पोरेट कल्चर के वास्तविक मूल्य को अनलॉक करने और इसका उजागर करने की मूल कुंजी होती है। यह समय दुनिया के बदलते कल्चर को देखने का है। द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के 50वें राष्ट्रीय अधिवेशन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के लिए मेरी ओर से संस्था के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई और इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम के लिए कलकत्ता शहर को चुनने के लिए दिल से सभी का आभार प्रकट करती हूं।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुझे जीएसटी पर एक पुस्तक और वित्तीय संपत्तियों और प्रतिभूतियों के मूल्यांकन पर एक सर्टिफिकेट कोर्स का शुभारंभ करते हुए सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। आईसीएसआई अपने सदस्यों से व्यावहारिक इनपुट के साथ-साथ अनुसंधान का एक पावर हाउस होने के कारण सफलतापूर्वक ऐसी सामग्री लॉन्च कर रहा है, जो इस संस्थान से जुड़े सभी सदस्यों के पढ़ने लायक है।
भारतीय भाषा परिषद ने शिक्षकों को दिया ‘शिक्षा सम्मान’
कोलकाता । पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जयंती और शिक्षक दिवस के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद ने आज राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के चार, कालेजों के नौ और विद्यालयों के सात शिक्षक-शिक्षिकाओं को ‘हिंदी शिक्षा सम्मान से पुरस्कृत किया| इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और विद्वान डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि आज हाशिए पर आ चुके साहित्य को पुनर्जीवित किया जाए| साहित्य का प्रयोजन उद्दात्तीकरण है| इन्होंने साहित्य के उद्गम, प्रभाव और विस्तार पर चर्चा की| कहा कि साहित्य मनुष्यता की भलाई की बात करता है|
स्वागत भाषण देते हुए परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा ने कहा कि हिंदी शिक्षा के क्षेत्र को विकसित तकनीक से जितना जल्दी जोड़ा, विद्यालयों का हित होगा|
साहित्य अकादेमी के पूर्वी क्षेत्र के प्रभारी और भारतीय भाषा परिषद के कार्यकारिणी सदस्य मिहिर साहू ने कहा परिषद की तरफ से आज का यह आयोजन एक छोटा सा प्रयास है| आगामी दिनों में केवल हिंदी ही नहीं अन्य विषयों और भाषाओं के शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाएगा| आगे कहा कि एक शिक्षक को न केवल पढ़ाना चाहिए बल्कि नैतिक ज्ञान देना भी आवश्यक है|
डॉ. कुसुम खेमानी ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि हमारे शिक्षक देश के बौद्धिक निर्माता हैं| उनको सम्मानित करते हुए भारतीय भाषा परिषद गौरव का बोध कर रहा है|
संचालन करते हुए डॉ.राजश्री शुक्ला ने कहा कि सितंबर का महीना हिंदी साहित्य के लिए एक विशेष महत्व रखता है| इसी महीने में शिक्षक दिवस और हिंदी दिवस का आयोजन होता है| उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा परिषद ने एक शुभ शुरुआत की ही हिंदी शिक्षा सम्मान की|
सम्मान समारोह के अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि शिक्षा का मुख्य साधन गुणी अध्यापक हैं| समाज को सिद्धावस्था के शिक्षकों की जगह साधनावस्था के शिक्षकों की जरूरत है जो खुद नए ज्ञान से अपने को लगातार संपन्न करते रहें| ‘सा विद्या विमुक्तये’ का अर्थ है कि विद्या व्यक्ति को अहंकार, अशालीनता और विद्वेष से मुक्त करके अंधकार से रोशनी में लाती है| पश्चिम बंगाल में हिंदी शिक्षा का सांस्कृतिक सेतु का काम करना है|
सम्मान समारोह का उद्बोधन केरल की नृत्यांगना डॉ. लक्ष्मी मोहन ने भरतनाट्यम की सुंदर प्रस्तुति से हुआ|
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि परिषद द्वारा हिंदी शिक्षा सम्मान का सिलसिला जारी रहेगा| परिषद द्वारा सम्मानित किए गए शिक्षकों में- प्रो. दामोदर मिश्र : कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा, प्रो. मनीषा झा : प्रोफेसर, हिंदी विभाग, नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, सिलीगुड़ी, प्रो. तनूजा मजुमदार : प्रोफेसर, हिंदी विभाग, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, डॉ. सत्या उपाध्याय : प्रिंसिपल, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता, डॉ. गीता दूबे : एसोसिएट प्रोफेसर, स्काटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता, डॉ. इतु सिंह : एसोसिएट प्रोफेसर, खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता, डॉ. कुलदीप कौर : एसोसिएट प्रोफेसर, गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता, डॉ. कमलेश पांडेय : एसोसिएट प्रोफेसर, सेंट पॉल्स कॉलेज, कोलकाता, डॉ. आशुतोष कुमार : एसोसिएट प्रोफेसर, बंगवासी मॉर्निंग कॉलेज, कोलकाता, डॉ. रिंकू घोष : एसोसिएट प्रोफेसर, लेडी ब्रेबार्न कॉलेज, कोलकाता, डॉ. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव : एसोसिएट प्रोफेसर, आसनसोल गर्ल्स कॉलेज, आसनसोल, डॉ. सुनीता साव : असिस्टेंट प्रोफेसर, सावित्री गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता, डॉ. राजेंद्रनाथ त्रिपाठी : वरिष्ठ अध्यापक, सेंट जेवियर्स स्कूल, पार्क स्ट्रीट, कोलकाता, श्री सुरेश शॉ : वरिष्ठ अध्यापक, ग्रेस लिंग लियांग इंग्लिश स्कूल, कोलकाता, श्री सौमित्र जायसवाल : अध्यापक, द हेरिटेज स्कूल, कोलकाता, श्री उत्तम कुमार ठाकुर : अध्यापक, गवर्नमेंट हाई स्कूल, कलिंपोंग, डॉ. सोनम सिंह : अध्यापिका, हावड़ा शिक्षा सदन फॉर गर्ल्स, हावड़ा, श्री कपिल कुमार झा : अध्यापक, सेंट जोसेफ स्कूल, कोलकाता, डॉ. सुनीता प्रसाद : अध्यापिका, रामाशीष हिंदी हाई स्कूल, बर्दवान
अपने सारे सपने पूरे कर रही हैं आज की बुजुर्ग महिलाएं

आधुनिकता और मोबाइल युग में हमारे समाज की बुजुर्ग महिलाओं ने भी स्वयं को बहुत बदल लिया है। अब वह बुढ़ापे को बहुत ही अच्छे से बिता रही हैं। पूरे उत्साह और आनंद से अपना समय गुजार रही हैं। चाहे गृहिणी हो या रिटार्यड, अब वह बुढ़ापे का रोना नहीं रोती, बल्कि अपने सपने को पूरा करने का अच्छा समय समझ रही हैं। अच्छी जिंदगी जी रही हैं। इसमें इनको बच्चों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। कोलकाता के सॉल्टलेक, न्यूटाउन इलाके में आपको ऐसी बहुत बुजुर्ग महिलाएं दिख जायेंगी जो बहुत खुशी-खुशी अकेले रह रही हैं और अपनी जिंदगी के इस पड़ाव का आनंद ले रही है। उनके बच्चे अलग रहते हुए भी अपनी माँ का पूरा ख्याल रखते हैं। इनके बारे में सुनने और दूर से देखने पर बहुत अजीब सा लगता है। लेकिन जब आप इन महिलाओं से बातचीत करेंगे और उनके इस व्यवस्था में उनको खुश देखेंगे तो आपको यह व्यवस्था अच्छी लगेगी। इस बाबत मैंने बहुत सी बुजुर्ग महिलाओं से बातचीत कीं। उनकी खुशी देख मुझे भी बहुत खुशी हुई। जब मैं न्यूटाऊन में रह रही रीता सामंत से बातचीत की, तो वह बोली मैं खुद को अपनी स्थिति के अनुसार बदल लेती हूँ। एक समय था जब परिवार में बहुत सदस्य थे, घर की जिम्मेदारी थी। मैं पूरी तरह से उसमें रम गई थी। बेटी को पढ़ाने के लिए भी बहुत मेहनत की। लेकिन अब जब हमारे पति शिशिर सामंत नहीं रहे, और हमारी बेटी विदेश में अपनी जिंदगी जी रही है। तो मैं कोलकाता के फ्लैट में खुशी-खुशी रह रही हूँ। मुझे बचपन से पढ़ने, गाना गाने का बहुत शौक था, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के कारण मैं नहीं कर पा रही थी।
अब मेरे पास बहुत समय है, इसलिए मैं अपने सारे शौक को पूरा कर पा रही हूँ। बेटी विदेश में रहते हुए भी, मेरे लिए सारी व्यवस्था की हुई है। मैं अकेलेपन को बोझ नहीं समझती, बल्कि अपने समय का सदुपयोग कर रही हूँ। उन्होंने बताया कि वह अकेले सफर कर लेती हैं, और अभी कुछ दिन पहले ही वियतनाम में रह रही बेटी के यहाँ से लौटी हैं। वहीं बीएसएनएल से रिटार्यड हुई सीमा जी ने बताया कि उनका बेटा-बहू साल्टलेक में रहते हैं। पति अब इस दुनिया में नहीं है। वह कोलकाता के न्यूटाउन इलाके में एक छोटा सा फ्लैट खरीदकर अपने मनमुताबिक जिंदगी जी रही है। वह कभी-कभार बेटे के यहाँ चली जाती हैं और वो लोग भी माँ के पास आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते तो साथ में भी रह सकते थे, लेकिन आपस में रहकर मनमुटाव हो सकता था, इसलिए हमलोगों ने मिलकर यह फैसला लिया और हमलोग अपने फैसले पर बहुत खुश है। वहीं 90 वर्षीय मासी माँ (सभी इसी नाम से पुकारते हैं) अपने पाँच-पाँच बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छी जिंदगी जीने के लायक बनाईं। सभी अच्छे पद पर कार्यरत हैं। मासी माँ और उनका छोटा बेटा एक कॉम्लेक्स में रहते हैं। बेटा-बहू एक फ्लैट में और मासी माँ अपने पति के साथ दूसरे फ्लैट में रहती हैं। कई साल पहले उनके पति का देहांत हो गया। अब वह अकेले ही रह रही है। बहू दोनों समय का खाना बना कर दे देती हैं। बेटा घर की व्यवस्था कर देता हैं। घर में काम करने के लिए और मासी माँ की देखभाल के लिए एक आया की भी व्यवस्था की गई है। मासी माँ दिन में अखबार-किताबें पढ़कर समय बिताती है। वह साहित्य, राजनीति में घंटों चर्चा कर सकती हैं, पर पिछले कई महीनों से उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं रह रहा है, लेकिन फिर भी अपनी दिनचर्या में बहुत व्यस्त रहती है और अपनी जिंदगी से पूरी तक संतुष्ट है। वहीं मुज्जफरपुर की रहने वाली ऋतु अग्रवाल जिसकी कोलकाता में शादी हुई है। वह अकेली संतान है। इसलिए वह अपनी माँ को कोलकाता ले आई है और उनके लिए यहाँ अपने पास ही एक अलग फ्लैट की व्यवस्था कर दी है। बेटी ऋतु अपने ससुराल, नौकरी के साथ-साथ माँ की भी देखभाल कर पा रही है और इस व्यवस्था से माँ-बेटी दोनों बहुत खुश हैं।
फिल्म समीक्षा : माई
एक दौर ऐसा था, जब अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी और उनकी हेयर स्टाइल दोनों की काफी धूम थीं। उनकी फैन पद्मिनी कोल्हापुरी की तरह साइड में चोटी करती। उनके अभिनय का जादू सिर चढ़कर बोलता था। उनकी ‘वो सात दिन’, ‘प्रेम रोग’, ‘सौतन’, ‘प्यार झुकता नहीं, ‘प्यार के काबिल हो’ या फिर ‘स्वर्ग से सुंदर’ – इन सभी फिल्मों में पद्मिनी कोल्हापुरी का याद रखने लायक अभिनय है। बंबई में 01 नवंबर, 1965 को जन्मी पद्मिनी कोल्हापुरी महज सात साल की छोटी-सी उम्र में रूपहली दुनिया में आ चुकी थी। वह हर तरह के किरदार को खूबी जीती थी। उनकी ‘वो सात दिन’ अभी भी जेहन से नहीं उतरती। इस फिल्म में एक चुलबुली लड़की की भूमिका को पद्मिनी ने जीवंत बना दिया था। इसी तरह फिल्म ‘प्रेम रोग’ का किरदार आज भी नहीं भूलता। 1990 से 1995 तक उनकी फिल्मों ने काफी धूम मचाया। उसके बाद वह पर्दे से गायब हो गई। लेकिन, यूट्यूब खंगालने पर पता चलता है सिनेमा को पद्मिनी ने कभी अलविदा नहीं कहा, बल्कि वह आज भी सक्रिय हैं। कई सालों के अंतराल पर फिल्मों में अभिनय करती रहीं, लेकिन हाँ, उनकी फिल्मों की चर्चा ज्यादा नहीं हुई और बाक्स ऑफिस पर शायद उतना छा भी नहीं पायी। उसी के बाद 2012 में बनी और 2013 में रिलीज हुई ‘माई’ फिल्म के वीडियो पर मेरी नजर पड़ी। उसके स्क्रीन पर पद्मिनी, रामकपूर और गायिका आशा भोंसले जी दिखीं। अब इस फिल्म को देखने की इच्छा प्रबल हो गयी। देखने के पीछे तीन मुख्य कारण थे। पहला आशा जी 79 की उम्र में अभिनय की दुनिया में प्रवेश कर रही हैं। दूसरा बड़ा कारण बड़े अच्छे लगते हैं के रामकपूर को देखना सही में बहुत अच्छा लगता है और तीसरा सबसे मुख्य कारण पद्दिमनी कोल्हापुरी की फिल्म देखना बेहद पसंद है। इसके लिए मोबाइल को स्टैंड पर लगा कर, कान में इयर फोन लगाकर बैठ गई फिल्म देखने। वैसे आजकल शार्ट फिल्म, वेब सीरिज के जमाने में दो-ढ़ाई घंटे की फिल्म को देखना बहुत बड़ा काम है। वैसे यह फिल्म केवल पौने दो घंटे की ही थी।
चलिए, अब बात करते हैं इस फिल्म के बारे में। इस फिल्म का पहला सीन बहुत ही ऊर्जावान था। पद्मिनी कोल्हापुरी रसोई संभालकर ऑफिस जाने की तैयारी कर रही है। एकदम फिट। चुस्त दुरुस्त। घर, परिवार के साथ-साथ कार्यालय में भी कर्मठ कर्मचारी के रूप में दिखीं। आजकल की लड़कियों को टक्कर देता पहनावा और वैसा ही व्यक्तित्व। कहीं से उम्र उनपर हावी नहीं दिखा। फिल्म में केंद्र की भूमिका में आशा भोंसले दिखीं, जो माई के रूप में है। उनका अभिनय जीवंत रहा। फिल्म में वह बहुत मेहनत कर अपने बच्चों को संभालती, पढ़ाती हैं। लेकिन अब वह बूढ़ी हो चुकी है। बीमार है। उन्हीं इसी समस्या को लेकर फिल्म की कहानी लिखी गई हैं। और पूरी फिल्म इन्हीं के इर्द-गिर्द है। पति, पिता, दामाद के साथ-साथ एक अच्छे पत्रकार के रूप में दिखें रामकपूर। उनके अभिनय की क्या बात। वह सांक्षी तंवर हो या पद्दिमनी सब के साथ फिट हो जाते हैं। उनका हैंडसम लुक की क्या बात करूँ। बड़े अच्छे लगते हैं, करके तू भी मुहब्बत से ही उनको पसंद किया जा रहा है।
ऐसे बेटा-बेटी जो आज बूढ़े या बीमार माँ या पिता को अपने जीवन से अलग कर देना चाहते हैं। अपनी कामयाबी के लिए अपने परिवार में उनको जगह नहीं दे पाते हैं। उन्हें लगता है कि वृद्धा आश्रम ही उनके लिए सही जगह है। ऐसे बच्चों को यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ एक माँ और बेटी के प्यारे रिश्ते को भी दिखाया गया है। 2012 में बनी इस फिल्म में चित्रहार और बुधवार का भी जिक्र होकर उस समय की याद दिला दी। 10 साल पहले बनी इस फिल्म में दिखाई गई समस्या समाज में आज भी बरकरार है। निसंदेह यह समस्या बढ़ी ही है, इसलिए इस फिल्म की जरूरत आज भी बहुत है। पर अफसोस है कि ऐसी फिल्म को आज का युवा समाज देखना नहीं चाहता, इसलिए यह बाक्स ऑफिस पर अपना परचम नहीं लहरा सकी। फिल्म के गाने बहुत ही अच्छे हैं। आशा जी की मधुर आवाज कानों को बहुत अच्छी लगी। इस फिल्म के गाने ने मुझे बचपन की यादें दिला दी। इस फिल्म के निर्देशन का कार्यभार महेश कोडियार ने बखूबी किया है। यह उनकी पहली निर्देशित फिल्म है। फिल्म के एक प्रथम दृश्य से लेकर अंतिम दृश्य तक मैं उठ भी नहीं पाई। संगीत नितिन शंकर का है। मैं इस फिल्म को देखकर बोर तो नहीं महसूस की, लेकिन हाँ कई जगहों पर भावुक तो जरूर हो गई।