Friday, March 21, 2025
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दुनियाभर में हर तीसरे बच्चे में मायोपिया का खतरा

आंखों की बीमारियां हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। बच्चों में भी ये खतरा बढ़ता जा रहा है। आपने भी अपने आस-पास कई बच्चों की आंखों पर नजर का चश्मा लगा देखा होगा। आंखों की रोशनी कमजोर होने की दिक्कत क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी प्रभावित करती है।
बच्चों में आंखों की एक बढ़ती बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। वैश्विक स्तर पर किए गए एक विश्लेषण से पता चलता है कि बच्चों में दृष्टि से संबंधित समस्याओं का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। हर तीन में से एक बच्चा निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से पीड़ित पाया गया है।
आंखों की इस बीमारी में दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होने लगती है। विशेषज्ञों की चिंता है कि जिस तरह से साल-दर-साल ये बीमारी बढ़ती जा रही है ऐसे में साल 2050 तक लाखों और बच्चे इसके शिकार हो सकते हैं।
एशियाई देशों में खतरा अधिक – ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बच्चों में मायोपिया की बढ़ती समस्या को लेकर अलर्ट किया गया है। 50 देशों में पांच मिलियन (50 लाख) से अधिक बच्चों और किशोरों पर किए गए शोध में पाया गया है कि एशियाई देशों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जा रहा है। जापान में 85 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में 73 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से ग्रस्त हैं, जबकि चीन और रूस में 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हैं। बच्चों में बढ़ रहे हैं मायोपिया के मामले – पैराग्वे और युगांडा में मायोपिया का स्तर सबसे कम था, जहां लगभग 1 प्रतिशत बच्चों में ये दिक्कत पाई गई है। यूके, आयरलैंड और यूएस में यह लगभग 15 प्रतिशत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड महामारी के बाद इस समस्या में और तेजी से वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मायोपिया आमतौर पर स्कूल के वर्षों के दौरान शुरू होता है और लगभग 20 वर्ष की आयु तक इसके लक्षण काफी बिगड़ सकते हैं। कई कारण हैं जो इस समस्या का खतरा बढ़ाते जा रहे हैं। अपने शुरुआती वर्षों में जिन बच्चों का स्क्रीन पर अधिक समय बीतता है उनमें इस बीमारी का खतरा अधिक हो सकता है।
स्मार्ट डिवाइस बढ़ा रहे हैं खतरा – इससे पहले ‘द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया था कि स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके साथ ही कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण यह जोखिम बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गया है।
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) से संबंधित समस्या है, जिसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप से देखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। इसमें आंख का आकार बदल जाता है। सामान्यतौर पर आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है।

मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली पाठ है दुर्गा सप्तशती

मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं तो आपको कई नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है इस कड़ी में आज हम आपको दुर्गा सप्तशती के पाठ के बारे में बता रहे है। यह मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली पाठ में से एक होता है इसे पढ़ना आसान नहीं होता है क्योंकि इस कई पाठ होते हैं जो हर कोई आसानी से पूरा नहीं करता है। यहां पर दुर्गा सप्तशती का पाठ अगर आप करने वाली हैं तो हम आपको आसान तरीका बताते हैं जिससे आप इस खास पाठ को पढ़ पाएंगे। आपको मात्र उन 7 श्लोकों को पढ़ना जिनमें दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का सार छुपा हुआ है। इन श्लोकों के जाप से इस संपूर्ण पाठ को पढ़ने जितना ही फल मिलता है और अनेकों लाभ भी पहुंचते हैं।
इन 7 श्लोकों में समाया हैं पाठ का पूरा सार – अगर आप प्रभावशाली पाठ में से एक दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा करना चाहते हैं तो, इन 7 श्लोकों को आसानी से पढ़ सकते है। इन श्लोकों के जाप से इस संपूर्ण पाठ को पढ़ने जितना ही फल मिलता है और अनेकों लाभ भी पहुंचते हैं।
1- ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।1।।
2- दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।2।।
3- सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥3॥
4- शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥
5-सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥5॥
6- रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥6॥
7-सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥7॥
जानिए 7 श्लोकों को पढ़ने के फायदे
-यहां पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां हल दूर हो जाएगा।
-जीवन में आ रही कठिनाईयों को दूर करने की शक्ति इस पाठ से मिलती है।
-महिलाओं को इस सप्तशती का पाठ करने से जीवन में सफलता (जीवन में सफलता पाने के वास्तु टिप्स) का उच्च पद मिलता है।
-इन श्लोकों का पाठ करने से संतान, वैवाहिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा में मदद मिलती है।
कहा जाता है कि, इन सातों श्लोकों में भगवान शिव (भगवान शिव की विशेष स्तुति) ने माता पार्वती के रूप का वर्णन और उनके अवतारों के बारे में बताया है। यह 7 श्लोक दुर्गासप्तश्लोकी के हैं। यानी कि सात श्लोकों से बना दुर्गासप्तशती पाठ का छोटा भाग। इन श्लोकों में मां दुर्गा के दिव्य तेज, उनके सौंदर्य और उनके साहस का संपूर्ण वर्णन मिलता है।

शुभजिता दुर्गोत्सव 2024 : महानगर में सजने लगे मंडप

दुर्गापूजा आरम्भ हो गयी है और दिखने लगे मनोहारी मंडप । शुभजिता दुर्गोत्सव के माध्यम से हम ऐसे ही मंडप आपके सामने ला रहे हैं जो कला के माध्यम से बहुत कुछ कह रहे हैं –
यंग बॉयज  क्लब की थीम एक टुकड़ो आकाश
सेंट्रल कोलकाता में सुप्रसिद्ध यंग बॉयज़ क्लब की ओर से 55वें वर्ष में “एक टुकड़ों आकाश” थीम रखी गयी है।“एक टुकड़ों आकाश” थीम कोलकाता में शहरी विकास से जुड़ी चिंताओं पर प्रकाश डालती है, खास तौर पर ऊंची इमारतों के निर्माण पर, जिन्होंने शहर के क्षितिज को बदल दिया है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता को धुंधला कर दिया है। जबकि इस विकास ने बढ़ती आबादी को रहने का आशियाना प्रदान किया है, इसने खुली जगहों के साथ प्राकृतिक प्रकाश को भी कम किया है, इसके कारण नीला आकाश अब कंक्रीट की संरचनाओं के पीछे छिपता जा रहा है। यंग बॉयज क्लब के मुख्य आयोजक राकेश सिंह ने कहा, इस वर्ष हम अपने आयोजन का 55वां वर्ष मना रहे हैं, हम इस आयोजन में न केवल अपनी परंपराओं का सम्मान कर रहे हैं, बल्कि शहरीकरण के बीच हमारे शहर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में  ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता पर भी प्रकाश डाल रहे हैं। ‘एक टुकड़ो आकाश’ हमें उस सुंदरता की याद दिलाता है, जो हम निरंतर विकास के कारण खो रहे हैं। हम सभी को उन जगहों पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करता है जहाँ हम रहते हैं। इस अवसर पर यंग बॉयज़ क्लब के युवा अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा, हमारी थीम युवा पीढ़ी को साथ गहराई के साथ जोड़ रही है, जो हमारे पर्यावरण में हो रहे बदलावों के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं।  यंग बॉयज़ क्लब के सह-आयोजक विनोद सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि ‘एक टुकड़ो आकाश’ हमारे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना समाज के हर वर्ग को के साथ हर पीढ़ी को प्रेरित करेगा और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
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भवानीपुर 75 पल्ली द्वारा हीरक  की “तोबुओ तोमार काचे आमार हृदय” 
भवानीपुर 75 पल्ली दुर्गापूजा कमेटी की ओर से इस वर्ष अपने हीरक जयंती के आयोजन में “तोबुओ तोमार काचे आमार हृदय” नामक एक जीवंत थीम पर मंडप का निर्माण किया है। यह पूजा कमेटी दक्षिण कोलकाता की सबसे लोकप्रिय पूजा कमेटियों में से एक है। सोमवार को पूजा कमेटी द्वारा बने भव्य मंडप का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर समाज की कई अन्य विशिष्ठ हस्तियां इसमें शामिल थे। इस मंडप में कोलकाता की स्थायी भावना और विकसित होती संस्कृति से जुड़े दृश्यों को दर्शाया गया है। प्रसिद्ध कलाकार शिवशंकर दास द्वारा तैयार की गई थीम पर आधारित इस उत्सव में एक भव्य मंडप होगा, जिसमे लोहे और एस्बेस्टस शीट जैसी पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करते हुए एक देहाती सौंदर्यबोध को दर्शाया गया है। इस मंडप की कलात्मक दृष्टि को विश्व प्रसिद्ध कलाकार सनातन डिंडा द्वारा जटिल मूर्ति डिजाइन द्वारा किया गया है, जो परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण सुनिश्चित करता है। कवि जीबनानंद दास के शब्दों में, “तोबुओ तोमार काचे आमार हृदय” (“फिर भी मेरा दिल तुम्हारे साथ है”) कोलकाता के निवासियों की भावनाओं के साथ प्रतिध्वनित है, जो अपने जीवंत शहर में खुद की पहचान स्थापित कर पाते हैं। मीडिया से बात करते हुए, क्लब के सचिव सुबीर दास ने कहा कि, इस वर्ष भवानीपुर 75 पल्ली दुर्गापूजा कमेटी 60वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। यह पल हमे हमारे राज्य की उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती है, जिसने हमेशा हमे आपस में एक दूसरे को एक समुदाय में बांधकर रखना और रहना सिखाया है।
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हाजरा पार्क  दुर्गोत्सव की थीम शुद्धिकरण
हाजरा पार्क दुर्गापूजा कमेटी द्वारा अपने 82वें वर्ष में “शुद्धि” थीम पर मंडप का निर्माण किया गया है, जिसका अर्थ है शुद्धिकरण। इस आकर्षक मंडप का उद्घाटन रविवार को सुब्रत बख्शी (सांसद), शोभनदेब चट्टोपाध्याय (कृषि मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार) एवं सायन देब चटर्जी हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर समाज के कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए। पिछले कुछ वर्षों में यह पूजा एक छोटे से आकर से बढ़कर भव्य आयोजन बन गई है, जिसमें पूरे राज्य से श्रद्धालु आते हैं। मुख्य रूप से दलित समुदाय से आने वाले आयोजक इस आयोजन में सामाजिक न्याय और समानता के महत्व पर जोर देते रहते हैं। इस वर्ष पूजा का विषय “शुद्धि” है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह याद दिलाता है कि समाज में बहुत प्रगति हुई है, फिर भी आपसी समानता के लिए संघर्ष अब भी जारी है। यह पूजा उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी, जो अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह पूजा समानता और मानवाधिकारों के संघर्ष में सबसे आगे रही है। मुख्य रूप से दलित समुदाय द्वारा आयोजित यह पूजा सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को प्रदर्शित करती है। यह पूजा कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। पूजा की उत्पत्ति 1940 के दशक के सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों में गहराई से निहित है। हाजरा पार्क दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है। यह मानवीय भावना और आशा की शक्ति का एक प्रमाण है। हाजरा पार्क दुर्गापूजा के मंडप का थीम दर्शकों के लिए आशा की किरण पेश करती है। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा, इस वर्ष की थीम ‘शुद्धि’ हमारे समाज को भेदभाव और असमानता से मुक्त करने का संदेश देती है।
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मोहम्मद अली पार्क में यूथ एसोसिएशन  की थीम “व्हाइट हाउस” 
मोहम्मद अली पार्क में यूथ एसोसिएशन 56वें वर्ष में निर्मित प्रतिष्ठित व्हाइट हाउस, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास और कार्यस्थल से प्रेरित थीम पर निर्मित मंडप का निर्माण किया गया है। इस आकर्षक और भव्य पूजा मंडप का उद्घाटन रविवार को चतुर्थी के दिन लोकसभा सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने किया। इस वर्ष दुर्गा प्रतिमा प्रसिद्ध कलाकार कुश बेरा ने बनाया है जिसमे जल संरक्षण के महत्वपूर्ण विषय को उजागर किया गया है। इस मंडप की मूर्ति बंगाल में बढ़ते जल संकट के मद्देनजर जल को जीवन के रूप में दर्शाकर जल प्रदूषण और बर्बादी के खिलाफ जागरूकता और कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है। मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन के महासचिव सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा, मेदिनीपुर के प्रतिभाशाली कारीगर गोपाल दास द्वारा तैयार की गई कलात्मक दृष्टि ने मंडप में बंगाली हस्तशिल्प की प्रतिभा को मंडप में बिखेरा गया है, जिसमें जटिल जूट के काम और हस्तनिर्मित सजावट शामिल हैं। इस साल की दुर्गा मां की प्रतिमा को प्रसिद्ध कलाकार कुश बेरा ने बेहतरीन कलात्मक तरीके से गढ़ा है। मूर्ति में पानी को एक महत्वपूर्ण जीवन स्रोत के रूप में दर्शाया गया है, जो जल प्रदूषण और इसी बर्बादी के खिलाफ जागरूकता और कार्रवाई के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर देता है। यह पूजा कमेटी इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता को जागरूक करने के लिए समर्पित है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उत्सव भविष्य की पीढ़ियों के लिए सार्थक संदेश पहुंचाने में सफल हो सके। हर साल हम परंपरा को समकालीन प्रासंगिकता के साथ मिलाने का प्रयास करते हैं। प्रसिद्ध कलाकार कुश बेरा द्वारा कुशलता से बनाई गई इस वर्ष की मूर्ति, जल संरक्षण पर केंद्रित एक शक्तिशाली संदेश लेकर आएगी, जो बंगाल के बढ़ते जल संकट को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालेगी।
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एनआईपी एनजीओ द्वारा नेत्रहीनों के लिए ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड 
एनआईपी एनजीओ- दिव्यांगों के लिए शिक्षा और सांस्कृतिक केंद्र ने इस दुर्गापूजा में फोरम फॉर दुर्गोत्सव, सैनी इंटरनेशनल स्कूल और रोटरी क्लब ऑफ डिस्ट्रिक्ट 3291 के सहयोग से उन पूजा समितियों के लिए पुरस्कार आयोजित करने का फैसला किया है, जो अपने पंडालों को वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाने का प्रयास किए हैं, इस प्रतियोगिता में 250 दुर्गापूजा कमेटियां भाग लें रही है। उन्होंने इस दौरान तीन पूजा पंडालों में नेत्रहीनों के लिए ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड को लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित हस्तियां मौजूद रहीं, जिसमे विश्वजीत चक्रवर्ती (अभिनेता), बॉबी चक्रवर्ती (टॉलीवुड अभिनेता), पार्थ घोष (अध्यक्ष, फोरम फॉर दुर्गोत्सव), तपन पटनायक सीईओ (सैनी ग्रुप), सिबब्रत राय (भूतपूर्व अध्यक्ष, रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3291), आशिफ शाह (भूतपूर्व अध्यक्ष, रोटरी क्लब ऑफ बल्लीगंज) के साथ एनआईपी एनजीओ के सचिव देबज्योति रॉय के साथ समाज की  कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए। एनआईपी एनजीओ के सचिव देबज्योति रॉय ने कहा, समाज में समावेशी माहौल बनाना सिर्फ़ एक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हमारे लिए सामूहिक मानवता का उत्सव है। ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड की शुरुआत के साथ हम यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक सार्थक कदम उठा रहे हैं कि, हर कोई, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, वे दुर्गा पूजा के आनंद और भावना में खुद को डुबो सके। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि, जब हम सहानुभूति और एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए एक साथ आगे आते हैं, तो हम क्या-क्या हासिल कर सकते हैं। कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए रोटरी क्लब ऑफ बल्लीगंज के भूतपूर्व अध्यक्ष आशिफ शाह ने कहा, जैसा कि हम इस त्यौहारी सीज़न की शुरुआत कर रहे हैं, इसमें हम सभी को यह याद रखना ज़रूरी है कि, एक सच्चे उत्सव की सफलता सबको साथ लेकर चलने में हीं है। ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड यह सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि, हर कोई दुर्गा पूजा के आनंद में भाग ले सके। हम सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना सकते हैं, जहाँ हर व्यक्ति, चाहे उसकी योग्यताएँ कुछ भी हों, खुद को मूल्यवान और सम्मानित महसूस करे। इस अवसर पर सैनी ग्रुप के सीईओ तपन पटनायक ने कहा, दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार है। पश्चिम बंगाल के लोग इस त्योहार का बहुत धूमधाम से आनंद लेते हैं। लेकिन इनमें कुछ लोग समाज के दूसरे तबके को भूल जाते हैं, जिनमे दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक भी आते हैं। उन लोगों को सरलता से पंडालों में पहुँच के लिए पूजा पंडालों में कुछ व्यवस्थाएँ की जानी चाहिए। हम पूजा समितियों से अनुरोध करते हैं कि वे इस मिशन में पूरे दिल से हमारा साथ दें।

दुर्गा के देश में खुद को तलाशती दुर्गा

सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया
दुर्गा के देश में दुर्गा खुद को ही खोजने निकली है। हर साल नवरात्रि आती है..साल में दो बार आती है। इस दौरान हर स्त्री में दुर्गा दिखती है। लोग देवी को पूजते हैं..अलौकिक…चमत्कार से भरी देवी। दस भुजाओं और दस शस्त्रों वाली देवी जिसे बल देवताओं से मिला। देवताओं ने क्या अपनी इच्छा से देवी को सशक्त बनाया या फिर अपनी रक्षा के लिए अपने – अस्त्र -शस्त्र देवी को दिए और देवी ने उनकी रक्षा करते हुए महिषासुर का वध किया । महिषासुर को अहंकार था अपने पौरुष का…उसे लगता था कि कोई स्त्री उसका क्या बिगाड़ लेगी इसलिए उसने जब वरदान मांगा तो यही मांगा कि उसका वध कोई स्त्री ही करे। महिषासुर को लगा था कि स्त्री में इतनी शक्ति ही नहीं होती कि वह उस जैसे बलशाली असुर के प्राण ले सके। वह स्त्रियों को अपनी भोग-लिप्सा का साधन मात्र समझता था। उसे स्त्री नहीं बल्कि सुन्दर स्त्री चाहिए थी..वह भूल गया था कि स्त्री में सौन्दर्य ही नहीं, बुद्धि, तेज, साहस, ममता, बल भी होते हैं । उसे याद ही नहीं रहा कि स्त्री सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि अपने आप में पूरी सृष्टि है। संसार का संचालन क्या पुरुष अकेले कर सकता है भला? महिषासुर नहीं समझा यह बात…स्त्री उसके लिए पैर की जूती मात्र थी। उसे नहीं पता था कि शक्ति शिव का बल हैं..लक्ष्मी वैकुण्ठ की समृद्धि और सरस्वती हैं ब्रह्मलोक का ज्ञान । वेदों की अनगिनत ऋचाएं स्त्रियों ने ही रची हैं मगर ऋषिकाएं ही नहीं मिलतीं। अपने दम्भ में पुरुष इतना फूल गया कि वह स्त्री के हक के फैसले भी खुद ही करने लगा । वह यह तय करने लगा कि स्त्री क्या खाएगी, स्त्री क्या पहनेगी..स्त्री क्या करेगी…किससे बात करेगी..कहां जाएगी..। उसने यह तक तय कर डाला कि अगर वह नहीं रहा तो स्त्री को जीने का अधिकार ही नहीं । वह स्त्री की कोख पर अधिकार जताने लगा..यहाँ तक कि उसे पता चलता कि स्त्री की कोख में स्त्री है तो वह उस स्त्री को मार देता । पुरुष ने अपना अधिकार समझ लिए कि स्त्री जिए तो उसके लिए जीए। उसने मान लिया कि दैहिक सुख के लिए वह किसी दूसरी स्त्री के पास जाता है तो यह न्यायसंगत है, उसकी प्रेरणा है.. मगर स्त्री के मन में यह आकांक्षा हो तो वह चरित्रहीन है । पुरुष तुम तो सहचर थे प्रकृति के, आखिर कैसे तुमने प्रकृति का नियंता समझ लिया। कैसी पीढ़ी तैयार की युगों से दम्भ के कारागार में बंदी एक स्वार्थी जीवन जी रही है। तुम उस शक्ति को बंदी बनाने की बात सोच लेते हो जिसने तुमको रचा, जिसमें असीम ब्रह्मांड छिपा है। तुम खुद को इतना महान समझने लगे कि तुम्हें आदि शक्ति की महत्ता तक का ध्यान ही नहीं रहा । जिस शक्ति को खुद शिव सम्मान देते हैं..तुमने उसे कमजोर समझ लिया । इस पृथ्वी पर आकर दुर्गा अपनी शक्ति को विखंडित होते देखती है और दुःख से भर उठती है । वह माता है और माता के समक्ष तुम उसकी बेटियों को प्रताड़ित करते हो, उसके अधिकारों का दमन करते हो और यह समझ लेते हो कि तुम्हारे पाखंड को शक्ति समझेंगी नहीं…तुम सच में मूर्ख है। देखती हूँ कि एक महिषासुर सबके भीतर बैठा है और सृष्टि की रक्षा के लिए हर एक असुर का वध कर देना ही दुर्गा का धर्म है । यही समय की मांग है क्योंकि सृष्टि के संचालन के लिए विश्वास का होना अनिवार्य है परन्तु पाप बढ़ता ही रहा तो वह विश्वास खंडित होगा..निराशा होगी । मनुष्य की चेतना नष्ट होगी इसलिए समय आ गया है कि वह महिषासुर का वध करे जो अपने दंभ में घूम रहा है।
हम सब उत्सव मना रहे हैं मगर देखा जाए तो उत्सव प्रतिवाद का माध्यम बन गया है। अभी भी जूनियर डॉक्टर सड़क पर हैं । आरजी कर का मामला सिर्फ एक अस्पताल का मामला भर नहीं है बल्कि स्त्री सुरक्षा के साथ समाज के मानवीय ढांचे की अस्मिता की रक्षा का प्रश्न है । यह शहर प्रतिवाद करना भूल गया था । यहां तक कि संदेशखाली की वीभत्स घटना के बावजूद लोगों की चेतना नहीं जागी । महिलाओं के प्रतिवाद को भी तमाशा बना दिया गया मगर आरजी कर की अभया ने जैसे मुर्दा दिलों में अग्नि को फिर से जला दिया है। अपनी बात करूं तो इतनी सुन्दर तरीके से बगैर किसी राजनीतिक प्रपंच के अहिंसक और सृजनात्मक प्रतिवाद याद रहते तो नहीं देखा । जूनियर डॉक्टरों के प्रतिवाद में मौलिकता अद्भभुत रही । एक बार सीपी को मेरुदंड तो दूसरी बार स्वास्थ्य भवन में मष्तिष्क प्रदान कर प्रशासन के मुंह पर जो करारा थप्पड़ मारा है, वह हमेशा याद किया जाएगा ।
उत्सव का आनंद पहले जैसा शायद नहीं भी रहे और इसका प्रभाव आर्थिक स्तर पर भी पड़ेगा, यह तय है। कांकुड़गाछी इलाके में श्री श्री सरस्वती और काली माता मंदिर परिषद द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में आर.जी. कर पीड़िता के दर्द को दर्शाने वाली एक अनूठी मूर्ति का अनावरण किया गया है। इस मूर्ति का नाम ‘लज्जा’ रखा गया है, जिसमें देवी दुर्गा को अपने हाथों से चेहरा ढकते हुए दिखाया गया है, और उनके सामने एक महिला का शव रखा गया है।

पूजा समिति के प्रवक्ता ने बताया कि जब श्रद्धालु पंडाल में प्रवेश करेंगे, तो वे देखेंगे कि देवी अपने चेहरे को ढक रही हैं जबकि उनके सामने महिला का शव रखा हुआ है। देवी के साथ रहने वाला शेर भी महिला के शव के सामने सिर झुकाए शोक में बैठा है। मूर्ति के पास एक सफेद एप्रन और स्टेथोस्कोप रखा गया है, जो चिकित्सा पेशे का प्रतीक है। समिति के प्रवक्ता ने कहा, “यह हमारी ओर से उन महिलाओं पर हो रहे हमलों और हिंसा के खिलाफ विरोध की अभिव्यक्ति है, जो कामदुनी और हंसखाली से लेकर आरजी कर की हालिया त्रासदी तक की घटनाओं को दर्शाता है। यह घटना, जिसने पूरे देश की चेतना को हिला दिया है, के खिलाफ उठ रही आवाज़ें अब तक थमी नहीं हैं। हम चाहते हैं कि इस दुर्गा पूजा के माध्यम से हम अपनी पीड़ा और दुख को व्यक्त करें।”इसके बावजूद, पंडाल के अंत में देवी की पारंपरिक मूर्ति को बनाए रखा गया है। प्रवक्ता ने बताया, “हम ‘साबेकी’ (पारंपरिक) रूप से मां के लुक को नहीं बदलना चाहते थे। यह थीम इस साल समकालीन स्थिति के कारण जोड़ी गई है।” इस बीच, प्रसिद्ध संतोष मित्रा स्क्वायर पूजा पंडाल, जिसने पहले अपने लास वेगास की प्रतिकृति पर लेजर शो की योजना बनाई थी, ने आरजी कर की त्रासदी के मद्देनजर अपने थीम में बदलाव किया है। इस आयोजन के सचिव साजल घोष ने बताया, “अब हम गोलाकार सतह पर ‘आरजी कर के लिए न्याय’ और ‘अभया के लिए न्याय’ जैसे नारे और जलते हुए दीपों की छवियां प्रदर्शित करेंगे।” पिछले 40 वर्षों से, कोलकाता और बाहर के दुर्गा पूजा पंडालों ने अपने मंच पर सांस्कृतिक धरोहर, कला और सामाजिक मुद्दों जैसे पर्यावरण संरक्षण, मानव तस्करी और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को उजागर किया है।
आर जी कर कांड के विरोध में उत्सव का बहिष्कार करने की मांग बढ़ रही है, जिससे शहर के उत्सव के उत्साह पर असर पड़ रहा है। 9 अगस्त को राज्य द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर की हत्या ने पूरे राज्य में गहरी भावनात्मक उथल-पुथल मचा दी है, क्योंकि दुर्गा पूजा का उत्साह शक्ति और सुरक्षा की देवी की पूजा करने के परेशान करने वाले विरोधाभास से फीका पड़ गया है, जबकि वास्तविक जीवन में महिलाओं को गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है जबकि कलकत्ता इस त्रासदी से जूझ रहा है, शहर परंपरा और बदलाव के बीच एक चौराहे पर खड़ा है, शक्ति, सुरक्षा और न्याय का प्रतीक देवी दुर्गा की भक्ति और महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली दैनिक हिंसा और अन्याय की कठोर वास्तविकता के बीच फंसा हुआ है। “ऐसा प्रतीत होता है कि आरजी कर घटना और चल रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण इस साल की दुर्गा पूजा बहुत अधिक फीकी रहेगी। कई लोग पूजा में भाग ले सकते हैं, लेकिन उत्सव मनाने से बचना पसंद करते हैं। कई लोग पीड़िता और उसके परिवार से खुद को जोड़ सकते हैं, यही वजह है कि विरोध प्रदर्शन इतने सहज रूप से सामने आए हैं,” समाजशास्त्री प्रशांत रॉय ने बताया। इस घटना ने पूरे राज्य में, खासकर पूर्वी महानगर में, जहाँ लगभग 3,000 दुर्गा पूजा आयोजित की जाती हैं, भावनात्मक आक्रोश पैदा कर दिया।कई कलकत्तावासियों के लिए, इस साल की दुर्गा पूजा एक मात्र त्यौहार से न्याय के लिए चल रहे संघर्ष के प्रतीक में बदल गई है, जिससे देवी की पूजा करने के महत्व पर चिंतन होता है, जब वास्तविक जीवन में उनकी आत्मा का प्रतीक बनी महिलाएँ असुरक्षित रहती हैं। “शहर एक ऐसा त्यौहार कैसे मना सकता है जो दिव्य स्त्रीत्व का महिमामंडन करता है, जबकि वास्तविक जीवन में पीड़ित महिलाओं की ओर से आँखें मूंद लेता है? इस साल, दुर्गा पूजा न केवल एक उत्सव हो सकता है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के बारे में व्यापक बातचीत का एक मंच भी हो सकता है। यह बातचीत लंबे समय से लंबित थी,” एक सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर ने कहा, जो विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं, लेकिन नाम नहीं बताना चाहते थे। दुर्गा पूजा से पहले के दिनों में, कोलकाता में आमतौर पर तैयारियों का माहौल रहता है – सड़कों पर पंडाल लगे होते हैं, रोशनी की जाती है और हवा में त्योहारी व्यंजनों की खुशबू फैली होती है – लेकिन इस साल, शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है, और शहर भर में “हमें न्याय चाहिए” के नारे गूंज रहे हैं। दुर्गा पूजा न केवल बंगाल का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक चालक भी है, जो 2019 की ब्रिटिश काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 32,377 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है, और 2024 में यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है, जिससे मंडप एवं मूर्ति निर्माता, ढाकी (पारंपरिक ढोल वादक), इलेक्ट्रीशियन और विक्रेताओं सहित हजारों आजीविका को महत्वपूर्ण समर्थन मिलेगा। “उत्सवों से दूर रहने के इस आह्वान के दो आयाम हैं। हालांकि शहरी और अर्ध-शहरी लोग इस आह्वान पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं, लेकिन ग्रामीण लोगों के उत्सव में भाग लेने की संभावना है।सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने बताया, “लेकिन उत्सवों से दूर रहने के इस आह्वान का दुर्गा पूजा के दौरान अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की संभावना है – चाहे वह विभिन्न क्लबों के लिए विज्ञापन राजस्व हो या छोटे व्यापारी, खाद्य स्टॉल मालिक, स्ट्रीट फूड विक्रेता, ढोल बजाने वाले और सजावट करने वाले जो साल भर दुर्गा पूजा का इंतजार करते हैं।”लोकप्रिय बाजारों में पूजा से पहले की खरीदारी में तेजी से कमी आई है, जिससे वे विक्रेता जो अपनी वार्षिक आय के एक बड़े हिस्से के लिए दुर्गा पूजा पर निर्भर हैं, उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। आरजी कर कांड के मिदनापुर, जयनगर जैसी जगहों में फिर से इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं और इसके साथ ही प्रतिवाद भी दिखा। मिदनापुर में महिलाओं ने ही आरोपित को पीटकर मार डाला। दुर्गा जाग रही है। दुर्गा के देश में दुर्गा खुद को तलाश रही है….माँ….अपनी संतानों के भीतर छिपी अपनी आभा को अभिव्यक्ति दो…यही कामना है

यदि राम मंदिर बन सकता है तो हिंदी राष्ट्रभाषा भी हो सकती है

-समर्पण ट्रस्ट द्वारा आयोजित हिंदी के उत्थान में हिंदीत्तर प्रांतों का अवदान विषयक संगोष्ठी व सम्मान समारोह संपन्न

कोलकाता । हिंदी अभी तक राजभाषा है। केंद्र सरकार यदि बहुप्रतीक्षित राम मंदिर का निर्माण कर सकती है तो हिंदी भी राष्ट्रभाषा बन सकती है। मैं चाहूंगा कि केंद्र सरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रस्ताव लाये और इसे राष्ट्रभाषा बनाया जाय। यह कहना है तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता, पूर्व विधायक, अंतरराष्ट्रीय मारवाड़ी सम्मेलन तथा समर्पण ट्रस्ट के अध्यक्ष दिनेश बजाज का। श्री बजाज ने उक्त बाते समर्पण ट्रस्ट के तत्वावधान में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत हिंदी के उत्थान में हिंदीत्तर प्रांतों का अवदान विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी में कहीं। ट्रस्ट की सक्रिय सदस्य प्रीति ढेडिया ने ट्रस्ट की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने भविष्य में इस तरह के और आयोजनों पर जोर दिया। बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर शिक्षा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डा. सोमा बंद्योपाध्याय ने संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि हिंदी रोजगार की भाषा है। हिंदी के विकास में बंगाल के साथ-साथ गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र का भी उल्लेखनीय योगदान है। बांग्ला और हिंदी में आत्मीय संबंध है और अन्य भाषा के लेखक जब तक हिंदी में अनुदित नहीं होते तब तक भारतीय लेखक नहीं होते। प्रो. बंद्योपाध्याय ने ट्रस्ट को भविष्य पुस्तक लेखन कार्य़शाला आयोजित करने की सलाह दीं। इसके प्रतिउत्तर में ट्रस्ट के महासचिव प्रदीप ढेडिया ने जल्द ही इस आशय का कार्य़शाला आयोजित करने का आश्वासन दिया। संगोष्ठी के प्रधान वक्ता प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर वेदरमण ने कहा कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि एक संस्कृति है, एक जातीयता है। हिंदी के विकास में स्थापितों व विस्थापितों की महत्ती भूमिका है। विद्यासागर कालेज फार वुमन के सहायक प्राध्यापक डा. अभिजीत सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि समर्पण ट्रस्ट ने इस संगोष्ठी में संस्थाओं का एक कुंभ लगाया है अर्थात शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा का कुंभ, जिसमें श्रोता डुबकी लगाकार खुद को धन्य महसूस कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार श्री कौशल किशोर त्रिवेदी ने कहा कि राजनेताओं ने हिंदी का बहुत नुकसान पहुंचाया है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार संजय हरलालका ने हिंदी के शब्दों की व्यवहारिकता पर प्रकाश डाला। पूर्व प्रधानाचार्य तथा हिंदी सेवी दुर्गा व्यास ने कहा कि हिंदी के विकास में बंगाल का बड़ा योगदान रहा है। इसके साथ पंजाबी व अन्य गैरहिंदी भाषी लेखकों का बड़ा योगदान रहा है। काजी नजरूल विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डा. काजू कुमारी साव ने कहा कि हिंदी जीवन जीने की आस्था जगाती है। पंचानन वर्मा विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक रीता चौधरी ने कहा कि हिंदी हमारी मां है तो भारत की अन्य भाषाएं हमारी मौसी है। वरिष्ठ उद्योगपति व हिंदी सेवी ईश्वरी प्रसाद टांटिया ने भी हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी में शिक्षाव्रती सरदारमल कांकरिया को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार 2024, डा. ऋषिकेश राय को साहित्य सेवी सम्मान 2024 तथा अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी को राजभाषा सेवा सम्मान 2024 दिया गया। इस मौके पर श्री कांकरिया ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकती है लेकिन राजनीति ने इसका बेड़ा गर्क किया है। वर्तमान सरकार चाहे तो हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकती है। वहीं डा. ऋषिकेश राय ने कहा कि लेखक सम्मान के लिए नहीं लिखता परंतु इससे उसे आश्वस्ति मिलती है। लेखन के लिए सामाजिक स्वीकार्यता भी आवश्यक है। इस मौके पर विभिन्न समाचार पत्रों के संवाददाताओं को समर्पण पत्रकार गौरव सम्मान 2024 तथा स्कूलों को सम्मान प्रदान किया गया। संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उद्योगपति राजेंद्र खंडेलवाल, जय प्रकाश सिंह, जय प्रकाश सेठिया, ज्योतिषाचार्य राकेश पांडे, कैलाशपति तोदी तथा ललित-शशि कांकरिया उपस्थित थे। संगोष्ठी का कुशल संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया। संस्था के सलाहकार डा. जयप्रकाश मिश्र ने धन्यावद ज्ञापन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के सभापति श्यामलाल अग्रवाल, अशोक ढेडिया, जन-संपर्क अधिकारी अभ्युदय दुग्गड़, पंकज भालोटिया, पवन बंसल, महेश भुवालका, पवन खेतान, सावित्री रावत, राकेश मिश्र, आनंद ढेडिया, राजेश सिंघानिया, संदीप खंडेलिया, पंकज अग्रवाल, पवन मोर, मनोज पांडे, अमन ढेडिया सक्रिय रहे।

कोलकाता में खुला तस्वा का नया स्टोर

कोलकाता ।  भारतीय पुरुषों के लिए शादी के अलावा विशेष अवसरों पर पहनने के लिए अत्याधुनिक ब्रांड तस्वा, जिसे एबीएफआरएल ने दिग्गज कॉउचरियर तरुण तहिलियानी के सहयोग से लॉन्च किया है। इस ब्रांड ने कोलकाता के मध्य में अपने शानदार फ्लैगशिप स्टोर के दरवाजे खोले हैं। एल्गिन रोड में स्थित 2400 वर्ग फीट में बने इस नए स्टोर में अत्याधुनिक तरीके से तैयार किए गए कपड़ों की एक अद्वितीय श्रृंखला पेश की गई है। जो इसकी भव्यता को दर्शाता है। इस फ्लैगशिप स्टोर के भव्य उद्घाटन के मौके पर बॉलीवुड सेलिब्रिटी हर्षवर्धन राणे और तसवा के ब्रांड हेड श्री आशीष मुकुल भी मौजूद थे। कोलकाता के इस स्टोर में फैशन प्रेमियों को खरीददारी करने का बेहतरीन अनुभव प्राप्त होगा। भारत के महानगरीय पुरुषों के बदलते फैशन के तरीके को दर्शाने के लिए डिजाइन किए गए इस स्टोर को भारत के इतिहास और विरासत से प्रेरणा लेते हुए परंपरा और समकालीन सौंदर्यशास्त्र के सामंजस्य के साथ बनाया गया है।
इस फ्लैगशिप स्टोर में तस्वा के त्यौहारी कलेक्शन को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें शानदार कुर्ता सेट और कुर्ता बंडी सेट शामिल हैं। जिसमें जीवंत स्क्रीन प्रिंट और आधुनिक सिल्हूट हैं जो पारंपरिक पोशाक में एक नया लुक लाते हैं।  तस्वा के ब्रांड हेड आशीष मुकुल ने कहा, हम चाहते थे कि कोलकाता में हमारा प्रमुख स्टोर अपने ब्रांड के सिद्धांतों – शैली, परंपरा और शिल्प कौशल के प्रतीक के प्रतिबिंब के रूप में खड़ा हो। “स्टोर के डिजाइन और लेआउट को एक सहज और शानदार खरीदारी यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक क्यूरेट किया गया है, जो हमारे ग्राहकों को एक अनूठा तस्वा अनुभव प्रदान करता है। हमारे इस ब्रांड ने पहले ही सिलीगुड़ी, पटना, भुवनेश्वर और हाल ही में गुवाहाटी में अत्याधुनिक फ्लैगशिप आउटलेट के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जिससे पूर्वी क्षेत्र में इसकी पकड़ और मजबूत हुई है।
मुकुल ने कहा, हमारा मानना ​​है कि इस शहर के समझदार ग्राहक तस्वा की शिल्प कौशल, गुणवत्ता और शैली की सराहना करेंगे, जिसके लिए वह जाना जाता है।
लॉन्च का हिस्सा बनने के बारे में अपनी खुशी व्यक्त करते हुए हर्षवर्धन राणे ने कहा, कोलकाता में होना मेरे लिए एक विशेष एहसास है, खासकर जब दुर्गा पूजा बस आने ही वाली है। यह त्यौहार सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और मेरा मानना ​​है कि तस्वा का संग्रह इस उत्सव के लिए एकदम सही है। तस्वा पूरे देशभर में एक प्रसिद्ध नाम बन गया है, जिसकी मौजूदगी प्रमुख शहरों में है और गुणवत्ता और शिल्प कौशल के लिए एक प्रतिष्ठा है। चाहे पूजा हो, शादी हो या कोई खास अवसर-विशेष दिन तस्वा सभी का पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गया हैं!

सौरभ गांगुली बने राफ्ट कॉस्मिक ईवी के ब्रांड एंबेस्डर

कोलकाता । देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग के छेत्र में अग्रणी कंपनियों में से एक राफ्ट कॉस्मिक ईवी ने दिग्गज भारतीय क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली को विश्व ईवी दिवस के मौके पर सोमवार को कोलकाता के ताज बंगाल होटल में एक भव्य कार्यक्रम में अपना ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने की घोषणा की। अपने अभिनव और उच्च प्रदर्शन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मशहूर राफ्ट कॉस्मिक ईवी ने इस साल की शुरुआत में अपने अत्याधुनिक ईवी उत्पादों को बाजार में उतारा था, जिसमें ऑटोमोटिव परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने के लिए चार असाधारण ईवी मॉडल लॉन्च किया गया था। प्रत्येक मॉडल एक अलग चरित्र का प्रतीक है। राफ्ट कॉस्मिक ईवी वॉरियर (स्ट्रीट फाइटर), ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बनाया गया है, वॉरियर लचीलापन और शक्ति का प्रतीक है। राफ्ट कॉस्मिक ईवी इंडस (रेंज किंग), रेंज दक्षता में नए मानक स्थापित करते हुए इंडस लंबी यात्राओं के लिए योग्य और भरोसेमंद साथी माना जाता है। राफ्ट कॉस्मिक ईवी मैग्नेटिक (क्लास और सादगी, सादगी के साथ परिष्कार का सहज मिश्रण, मैग्नेटिक गति में लालित्य बिखेरता है। राफ्ट कॉस्मिक ईवी ज़ांस्कर वैभव और प्रतिष्ठा का संचार करते हुए, ज़ांस्कर विलासिता और प्रदर्शन का प्रतीक है। इस ब्रांड ने प्रत्येक मॉडल के साथ अलग-अलग प्राथमिकताओं के अनुरूप एक अनूठा ड्राइविंग अनुभव प्रदान करके लोगों का महत्वपूर्ण ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
भव्य कार्यक्रम में राफ्ट कॉस्मिक ईवी ने, वॉरियर (स्ट्रीट फाइटर) के नए फेसलिफ्ट संस्करण का अनावरण किया गया, जो एक नए और बेहतर डिजिटल डायल, आकार में बड़ा और त्वरण के दौरान लैग-फ्री और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए नई पीढ़ी की मांग के मुताबिक मोटर और नियंत्रक के साथ बनाया गया है। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले विशिष्ट अतिथियों में- आदित्य विक्रम बिड़ला (अध्यक्ष ओर एमडी, कॉस्मिक बिड़ला समूह और राफ्ट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष और मेंटर, सीओओ), सौरव गांगुली (पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष), कुशल चौधरी (मुख्य उत्पाद अधिकारी, सीपीओ), राजीव शिशिर नागर (मुख्य विपणन अधिकारी सीएमओ), कुमार सुदर्शन (मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, सीटीओ) के साथ कार्यक्रम की शुरुआत आदित्य विक्रम बिड़ला के परिचय के साथ हुई। जिसके बाद इस ब्रांड के सभी एवी का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर दर्शकों ने सौरव गांगुली का बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया।
अपने संबोधन में कॉस्मिक ईवी लिमिटेड और कॉस्मिक बिड़ला समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री आदित्य विक्रम बिड़ला ने साझेदारी और राफ्ट कॉस्मिक ईवी की टिकाऊ परिवहन के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, राफ्ट कॉस्मिक ईवी में हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का अनुभव करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने का पूर्ण प्रयास किए हैं। हमारा मिशन उच्च प्रदर्शन वाले पर्यावरण के अनुकूल वाहन बनाना है, जो न केवल आपकी अपेक्षाओं को पूरा करते हैं, बल्कि उनसे भी कहीं अधिक बढ़कर आपके भरोसे पर खरा उतरते हैं। हम अपने द्वारा उत्पादित प्रत्येक वाहन में बेहतर गुणवत्ता और बेजोड़ प्रदर्शन देने का वादा करते हैं। हमारे इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिकतम दक्षता, विश्वसनीयता और स्टाइल सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीक और नवाचार के साथ डिज़ाइन किया गया है। आकर्षक डिज़ाइन से लेकर शक्तिशाली मोटर तक हर एक उत्पाद को बेहतरीन ड्राइविंग अनुभव प्रदान कराने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।
सौरव गांगुली ने इस ब्रांड के प्रति अपने उत्साह और हरित भविष्य की राह पर में इस दृष्टिकोण को साझा किया। इस साझेदारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, राफ्ट कॉस्मिक ईवी हरित भविष्य बनाने की राह में यह इलेक्ट्रिक वाहन उस विश्वास का प्रमाण हैं। राफ्ट कॉस्मिक ईवी चुनकर हर कोई न केवल अत्याधुनिक तकनीक का विकल्प चुन रहा है, बल्कि एक स्वच्छ, अधिक टिकाऊ पर्यावरण के निर्माण में योगदान भी दे रहा है।
राफ्ट कॉस्मिक ईवी के बारे में: राफ्ट कॉस्मिक ईवी से एक सेहतमंद और हरित भविष्य की यात्रा शुरू होती है। इस कंपनी की स्थापना परिवहन के भविष्य को बदलने के दृष्टिकोण के साथ की गई थी। उत्साही इंजीनियरों, डिजाइनरों और उद्योग विशेषज्ञों की एक टीम के साथ इस कंपनी ने आपको इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में सर्वश्रेष्ठ बनाने की यात्रा शुरू की है।

गणेश चतुर्थी पर बागुईआटी में दिखी13 फीट की भव्य आदियोगी की प्रतिकृति

“एग्जीक्यूटिव पैलेस कॉम्प्लेक्स” ने किया आयोजन
कोलकाता । वीआईपी रोड में स्थित बागुईआटी के “एग्जीक्यूटिव पैलेस कॉम्प्लेक्स” में इस साल गणेश चतुर्थी समारोह के मौके पर आदियोगी की 13 फीट की एक शानदार प्रतिकृति प्रदर्शित की गई। यह भव्य प्रतिमा भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और आदियोगी की दार्शनिक शिक्षाओं दोनों पर जोर देती है। यह पहल हमारी संस्कृति और परंपरा के साथ आध्यात्मिकता के एक विचारशील एकीकरण को दर्शाती है, जिसमें आदियोगी प्रतिकृति दोनों के बीच एक प्रतीकात्मक सेतु के रूप में कार्य करती है। भगवान शिव और भगवान गणेश के बीच पिता-पुत्र का बंधन एक गहन आध्यात्मिक और भावनात्मक संबंध का उदाहरण है, जो हिंदू दर्शन में प्रतीकात्मकता और गहरी शिक्षाओं से समृद्ध है। भगवान शिव, जिन्हें अक्सर आदियोगी के रूप में संदर्भित किया जाता है, वह परम चेतना और ज्ञान का प्रतीक हैं, जबकि उनके पुत्र गणेश, किसी काम की नई शुरुआत में बाधाओं को दूर करने के साथ दिव्य बुद्धि का प्रतीक हैं। यह संबंध ब्रह्मांडीय ज्ञान को व्यावहारिक मार्गदर्शन के साथ एकीकृत करने पर जोर देता है, जो हमारे उत्सव को उनके आध्यात्मिक महत्व की गहरी समझ के साथ समृद्ध करता है।

इस अवसर पर, एग्जीक्यूटिव पैलेस कॉम्प्लेक्स के सचिव अंकित अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष हमारा उत्सव आदियोगी की गहन शिक्षाओं को समर्पित किया गया है, जो भगवान शिव और गणेश के बीच के दिव्य बंधन का सम्मान करता है। हम छह दिनों तक गणेश चतुर्थी का आयोजन कर रहे हैं, जिसका समापन, प्रतिमा विसर्जन से पहले एक भव्य हवन के बाद होगा। जिसमें इस कॉम्प्लेक्स में रहनेवाले सभी निवासी भाग लेंगे। इस योजन के दौरान कॉम्प्लेक्स के बाहर रहनेवाले 3,000 से अधिक लोगों में भगवान गणेश का महाप्रसाद भोग वितरित किया जाएगा। कॉम्प्लेक्स में रहनेवालों के साथ अन्य लोगों को इस अनूठे और भव्य उत्सव का अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, यह उत्सव 7 सितंबर से 12 सितंबर तक चलेगा। इस आयोजन को सफल बनाने में एम पी अग्रवाल (कोषाध्यक्ष), संजीव दुदानी (अध्यक्ष), अंकित अग्रवाल (सचिव), राम अवतार अग्रवाल, मनोज बिनानी, कृष्ण अवतार अग्रवाल, आशीष टेकरीवाल, अरुण कुमार अग्रवाल, अभिषेक जैन, अभिनव बसु, अमित अग्रवाल, ललित डागा, अमन अग्रवाल, शैंकी जैन, मिठू चंदा, गौतम बसाक के साथ अन्य कई अन्य लोगों ने सक्रिय भूमिका अदा की। कोलकाता के बागुईआटी के वीआईपी रोड पर स्थित एग्जीक्यूटिव पैलेस अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन अपने अभिनव सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है, जो हर उत्सव को एक जीवंत सामुदायिक माहौल के साथ परंपरा और आधुनिकता दोनों का जश्न मनाता है।

टाटा मोटर्स ओएसएल फ्यूचर के साथ कोलकाता में

कोलकाता । टाटा मोटर्स ने कोलकाता में अपनी नई एक्सक्लूसिव डीलरशिप ओएसएल फ्यूचर के साथ भव्य शोरूम का उद्घाटन किया। 18,000 वर्ग फीट के इस शोरूम के साथ 54,000 वर्ग फीट एरिया में बना विशाल वर्कशॉप भी इसमें शामिल है। प्रीमियर सुविधा के साथ टाटा मोटर्स का यह शोरूम रणनीतिक विस्तार में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कोलकाता के बेलियाघाटा क्रॉसिंग के पास स्थित रायकवा में स्थित नई टाटा पैसेंजर व्हीकल्स डीलरशिप के उद्घाटन समारोह में अमित सिन्हा (जोनल मैनेजर, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड), गुमीत पाल सिंह (जोनल कस्टमर केयर मैनेजर, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड), चर्चित मिश्रा (डीलर प्रिंसिपल, ओएसएल फ्यूचर प्राइवेट लिमिटेड) के साथ समाज की अन्य कई प्रतिष्ठित हस्तियां इस मौके पर मौजूद थे।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड के जोनल मैनेजर अमित सिन्हा ने कहा कि कोलकाता में ओएसएल फ्यूचर डीलरशिप खोलकर हम काफी रोमांचित हैं, यह हमारी विस्तार यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह अत्याधुनिक सुविधा न केवल असाधारण सेवा प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, बल्कि ऑटोमोटिव उद्योग में नई दिशा के प्रति हमारे समर्पण को भी उजागर करती है। कर्व.ईवी की शुरुआत एवं इसके जरिये बेजोड़ ग्राहकों के प्रति अनुभव प्रदान करने पर हमारे ध्यान के साथ हम इस जीवंत बाजार में उत्कृष्टता और ग्राहक संतुष्टि में नए मानक स्थापित करने के लिए काफी उत्साहित हैं।

शुभजिता दुर्गोत्सव 2024 : हाजरा पार्क दुर्गोत्सव इस बार समाज में देगा शुद्धिकरण का संदेश 

कोलकाता । लोगों की सेवा करने के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी और सामुदायिक सशक्तिकरण का प्रतीक माने जाने वाले हाजरा पार्क दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्य इस बार अपने 82वें वर्ष में “शुद्धि” थीम जिसका अर्थ है “शुद्धिकरण”। इस थीम के जरिए कमेटी की तरफ से समाज में शुद्धिकरण का संदेश देंगे। इस उत्सव के जरिए समाज में दिया जाने वाला संदेश मौजूदा समय में हाशिए पर पड़े समुदायों के संघर्षों से जुड़ा होगा। आयोजक, मुख्य रूप से इस वर्ष पूजा की थीम, “शुद्धि” के जरिए इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने की कोशिश किए है, जो यह याद दिलाता है कि, भले ही समाज में बड़े स्तर पर प्रगति हुई है, लेकिन यहां समानता की लड़ाई अब भी जारी है। यह पूजा उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी, जो अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज को गढ़ने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
यह पूजा समानता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जारी प्रयास में सबसे आगे रही है। मुख्य रूप से यह पूजा दलित समुदाय की शक्ति को प्रदर्शित करती है। यह पूजा कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। इस पूजा की शुरुआत 1940 के दशक के सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों में गहराई से निहित है। हाजरा पार्क दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है; यह एक आंदोलन भी है। यह मानवीय भावना और आशा की शक्ति का प्रमाण है। जब दुनिया असमानता के मुद्दों से जूझ रही है, तब हाजरा पार्क दुर्गा पूजा की यह थीम आशा की किरण पेश कर रही है। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा, हमारी पूजा केवल आस्था का उत्सव हीं नहीं है बल्कि यह हमारी सामूहिक शक्ति और लचीलेपन का उत्सव है। यह याद दिलाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम एक साथ मिलकर एक अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं। इस वर्ष के थीम का विषय भेदभाव के विरुद्ध एक सशक्त समाज का गठन करना है। वर्ष 1942 में स्थापित हाजरा पार्क दुर्गोत्सव पूजा की शुरुआत कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के दलित कर्मचारियों द्वारा एक छोटे तौर पर की गई थी। परंपरावादियों के विरोध का सामना करने के बावजूद आयोजकों ने दृढ़ता से काम किया और अंततः इस आयोजन को सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। इस पूजा की शुरुआत उस समय कोलकाता में व्याप्त जाति-आधारित भेदभाव को मिटाने का संदेश देने के रूप में की गई थी। आज यह पूजा  बड़े आकार में समाज में हर वर्ग के नागरिकों का पहला पसंद बन गया है।