Saturday, July 26, 2025
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89.08 मीटर के थ्रो के साथ नीरज चोपड़ा ने जीती डायमंड लीग

खिताब जीतने वाले पहले भारतीय
ओलंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने शुक्रवार को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। नीरज चोपड़ा लुसाने डायमंड लीग 2022 जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। नीरज चोपड़ा ने 89.08 मीटर के अपने पहले थ्रो के साथ लुसाने डायमंड लीग जीती है।
हाल ही में नीरज ने भारत को वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक दिलाया था। अंजू बॉबी जॉर्ज (2003) के बाद वह ऐसा करने वाले सिर्फ दूसरे एथलीट बने। फाइनल में नीरज ने 88.13 मीटर दूर तक भाला फेंका था और रजत पदक अपने नाम किया था।
कॉमनवेल्थ गेम्स में नहीं हुए थे शामिल
वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जेवलिन फाइनल के दौरान नीरज चोपड़ा को चोट लगी थी। फाइनल में नीरज अपनी जांघ पर पट्टी लपेटते भी नजर आए थे। अब उसी चोट की वजह से नीरज कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाए थे। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले नीरज चोट की वजह से 2022 में भाग नहीं ले पाए थे।
डायमंड लीग का ताज जीतने वाले पहले भारतीय
हरियाणा में पानीपत के पास खंडरा गांव का रहने वाले नीरज चोपड़ा डायमंड लीग का ताज जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। वहीं चोपड़ा से पहले, डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा डायमंड लीग मीटिंग में शीर्ष तीन में रहने वाले एकमात्र भारतीय हैं। गौड़ा दो बार 2012 में न्यूयॉर्क में और 2014 में दोहा में दूसरे और 2015 में शंघाई और यूजीन दो मौकों पर तीसरे स्थान पर रहे थे। टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता जैकब वाडलेज्च 85.88 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि यूएसए के कर्टिस थॉम्पसन 83.72 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
चोपड़ा ने 7 और 8 सितंबर को ज्यूरिख में डायमंड लीग फाइनल के लिए भी क्वालीफाई किया। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय भी बने। उन्होंने बुडापेस्ट, हंगरी में 2023 विश्व चैंपियनशिप के लिए भी 85.20 मीटर क्वालीफाइंग मार्क को तोड़कर क्वालीफाई किया।

ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुई असमिया लघु फिल्म

दूर्बा घोष

गुवाहाटी । पंद्रह मिनट की असमिया लघु फिल्म ‘मुर घुरार दुरंतो गोटी’ (स्वर्ग का घोड़ा) ने ऑस्कर पुरस्कार की लघु फिल्म (कथा) श्रेणी में भारतीय प्रवृष्टि के रूप में शामिल होने की अर्हता प्राप्त कर ली है। लघु फिल्म के निर्देशक महर्षि तुहीन कश्यप ने यह जानकारी दी।
‘मुर घुरार दुरंतो गोटी’ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बयां करती है, जिसे लगता है कि उसके पास दुनिया का सबसे तेज रफ्तार घोड़ा है और वह शहर में होने वाली हर दौड़ में जीतना चाहता है। लेकिन उस व्यक्ति के पास वास्तव में कोई घोड़ा नहीं, बल्कि एक गधा होता है।
सत्ताइस वर्षीय कश्यप ने कहा, “अब जबकि हम भारतीय प्रवष्टि के रूप में शामिल होने के लिए अर्हता प्राप्त करने में सफल हो गए हैं तो यह एक सपने के सच होने जैसा है।”
‘मुर घुरार दुरंतो गोटी’ का निर्माण कोलकाता स्थित सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) में एक छात्र प्रोजेक्ट के रूप में किया गया था। यह लघु फिल्म हाल ही में आयोजित बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव (बीआईएसएफएफ) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवॉर्ड जीतने में कामयाब रही थी। बीआईएसएफएफ ऑस्कर पुरस्कार में भारतीय प्रवृष्टि के रूप में भेजी जाने वाली फिल्मों के चयन के लिए एक क्वालिफाइंग फिल्म महोत्सव है।
फीचर फिल्मों के विपरीत एक लघु फिल्म को ऑस्कर में भेजे जाने के लिए उसका ऑस्कर से जुड़े एक क्वालिफाइंग फिल्म महोत्सव में पुरस्कार जीतना जरूरी होता है। बीआईएसएफएफ भारत में एकमात्र ऐसा फिल्मोत्सव है, जो अंतरराष्ट्रीय और भारतीय स्पर्धा की अपनी विजेता फिल्मों को ऑस्कर की लघु फिल्म (फिक्शन) श्रेणी में नामांकन के लिए भेजने के पात्र है।
बीआईएसएफएफ के निदेशक आनंद वरदराज ने कहा, “हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि महर्षि कश्यप द्वारा निर्देशित ‘मुर घुरार दुरंतो गोटी’ बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव-2022 की भारतीय स्पर्धा श्रेणी की विजेता है और यह ऑस्कर की लघु फिल्म (फिक्शन) श्रेणी में प्रवृष्टि के लिए पात्र होगी।”
‘मुर घुरार दुरंतो गोटी’ के निर्माण दल में एसआरएफटीआई के अंतिम वर्ष के छात्र शामिल हैं। इस लघु फिल्म के ज्यादातर हिस्से एसआरएफटीआई परिसर और संस्थान के स्टूडियो में फिल्माए गए हैं, जबकि कुछ हिस्सों की शूटिंग कोलकाता के बाहरी इलाके में की गई है।
कश्यप ने बताया कि एक छात्र के रूप में वे उस लंबे सफर के बारे में ज्यादा नहीं जानते, जिससे कोई फिल्म गुजरती है और उन्हें विशेषज्ञों से मदद व मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है।
कश्यप, जिन्होंने फिल्म की पटकथा भी लिखी है, उन्होंने अपनी कहानी सुनाने के लिए असम की कहानी बयां करने वाली 600 साल पुरानी कला ‘ओजापाली’ का सहारा लिया है। ‘ओजापाली’ कलाकार गानों, नृत्य, इशारों और दर्शकों के साथ मजेदार संवाद का इस्तेमाल कर पौराणिक कथाओं से जुड़ी कहानियां सुनाते हैं।
कश्यप कहते हैं, “मुझे लगा कि फिल्म में हमारी कहानी को बयां करने के लिए यह कला बहुत दिलचस्प हो सकती है। यह कहानी कहने की पारंपरिक कला ‘ओजापाली’ को सिनेमा में पेश करने का एक औपचारिक प्रयास है।”

80 फीसदी प्रभावी पाई गयी मलेरिया रोधी टीके की बूस्टर खुराक : अध्ययन

लंदन । मलेरिया के टीके की तीन प्रारंभिक खुराक के एक साल बाद लगाई गई बूस्टर खुराक इस मच्छर जनित बीमारी के खिलाफ 70 से 80 फीसदी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। ‘द लांसेट इंफेक्शियस डिजीज’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
ब्रिटेन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने मलेरिया रोधी टीके आर21/मैट्रिक्स-एम की बूस्टर खुराक लगाए जाने के बाद प्रतिभागियों पर किए गए 2-बी चरण के अनुसंधान के नतीजे साझा किए।
इस टीके का लाइसेंस सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के पास है। वर्ष 2021 में पूर्वी अफ्रीका के बच्चों पर किए गए अनुसंधान में यह टीका मलेरिया के खिलाफ 12 महीने तक 77 फीसदी सुरक्षा मुहैया कराने में प्रभावी मिला था।
ताजा अनुसंधान में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आर21/मैट्रिक्स-एम की तीनों प्रारंभिक खुराक के एक साल बाद लगाई गई बूस्टर खुराक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मलेरिया वैक्सीन टेक्नोलॉजी रोडमैप लक्ष्य पर खरी उतरती है, जिसके तहत टीके का कम से कम 75 फीसदी प्रभावी होना जरूरी है।
अनुसंधान में बुर्किना फासो के 450 बच्चे शामिल हुए, जिनकी उम्र पांच से 17 महीने के बीच है। इन्हें तीन समूहों में बांटा गया। पहले दो समूहों में शामिल 409 बच्चों को मलेरिया रोधी टीके की बूस्टर खुराक लगाई गई। वहीं, तीसरे समूह के बच्चों के रेबीज से बचाव में कारगर टीका दिया गया।
सभी टीके जून 2020 में लगाए गए। यह अवधि मलेरिया के प्रकोप के चरम पर होने से पहले की है। अनुसंधान में मलेरिया रोधी टीके की बूस्टर खुराक लगवाने वाले प्रतिभागियों में 12 महीने बाद इस मच्छर जनित बीमारी के खिलाफ 70 से 80 फीसदी प्रतिरोधक क्षमता पाई गई।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, बू्स्टर खुराक लगाने के 28 दिन बाद प्रतिभागियों में ‘एंटीबॉडी’ का स्तर प्रारंभिक खुराक दिए जाने के स्तर जितना हो गया था। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों में बूस्टर खुराक के बाद किसी भी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए।
मुख्य अनुसंधानकर्ता हलिदू टिंटो ने कहा, “टीके की महज एक बूस्टर खुराक से एक बार फिर ऐसी उच्च प्रतिरोधक क्षमता विकसित होते देखना शानदार है। हम मौजूदा समय में बहुत बड़े पैमाने पर तीसरे दौर का परीक्षण कर रहे हैं, ताकि अगले वर्ष तक इस टीके के व्यापक इस्तेमाल के लिए लाइसेंस जारी किया जा सके।”

इगा स्वियातेक बनी अमेरिकी ओपन की न मल्लिका

न्यूयॉर्क । जिस अमेरिकी ओपन टेनिस टूर्नामेंट में शुरू से लेकर आखिर तक सेरेना विलियम्स चर्चा में रही, उस फ्लशिंग मीडोज को इगा स्वियातेक के रूप में महिला एकल की नई चैंपियन मिली।
दो बार की फ्रेंच ओपन चैंपियन स्वियातेक ने फाइनल में ओंस जाबूर को सीधे सेटों में 6-2, 7-6 (5) से हराकर अपना तीसरा ग्रैंड स्लैम खिताब जीता। स्वियातेक अमेरिकी ओपन में इससे पहले कभी चौथे दौर से आगे नहीं बढ़ पाई थी। इस बार भी नंबर एक खिलाड़ी होने के बावजूद खिताब के दावेदारों में उनके कम ही चर्चे थे।
अमेरिकी ओपन में इस बार शुरू से ही सेरेना विलियम्स आकर्षण का केंद्र थी क्योंकि यह उनका आखिरी टूर्नामेंट हो सकता है। जहां तक स्वियातेक का सवाल है तो जुलाई में 37 मैच का विजय अभियान थमने के बाद वह 4-4 के रिकॉर्ड के साथ फ्लशिंग मीडोज में उतरी थी।
आर्थर ऐस स्टेडियम में विश्व में पांचवें नंबर की खिलाड़ी जाबूर को हराने के बाद स्वियातेक ने कहा, ‘‘मुझे इससे अधिक की उम्मीद नहीं थी विशेषकर इस टूर्नामेंट से पहले मुझे जिस तरह के चुनौतीपूर्ण समय से गुजरना पड़ा था।’’
उन्होंने कहा,‘‘ निश्चित तौर पर यह टूर्नामेंट चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह न्यूयॉर्क है। यहां काफी शोर होता है। मुझे वास्तव में खुद पर गर्व है कि मैं मानसिक रूप से इन चीजों से निपटने में सफल रही।’’
ट्यूनीशिया की खिलाड़ी जाबूर टाई ब्रेकर में एक समय 5-4 से आगे थी। स्वियातेक ने इसके बाद जबरदस्त वापसी की और आखिरी तीन अंक जीत कर चैंपियन बनी।
स्वियातेक को इस जीत पर चमचमाती ट्रॉफी और 26 लाख डॉलर का चैक मिला। इस पर स्वियातेक ने मजाकिया अंदाज में कहा,‘‘वास्तव में मुझे खुशी है कि यह नकद राशि नहीं है।’’
पोलैंड की 21 वर्षीय खिलाड़ी स्वियातेक ने इस साल जून में फ्रेंच ओपन का खिताब भी जीता था। वह 2016 में एंजेलिक कर्बर के बाद एक सत्र में दो ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं।
जाबूर ने कहा, ‘‘मैंने वास्तव में अपनी तरफ से बहुत प्रयास किए लेकिन स्वियातेक ने इसे मेरे लिए आसान नहीं बनने दिया। वह वास्तव में आज जीत की दावेदार थी।’’ जाबूर भले ही फाइनल में हार गई लेकिन इससे यह 28 वर्षीय खिलाड़ी विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगी।

केरल:सिकुड़ती जा रही है वेम्बनाड झील

(हरि एम पिल्लई)

तिरुवनंतपुरम । पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) वेम्बनाड झील धीरे-धीरे सिकुड़ती जा रही है। लगभग 20 साल पहले इसे ‘रामसर’ स्थल के रूप में घोषित किया गया था और अब इसकी अनूठी जैव विविधता खतरे में है।
कुट्टनाड के किसानों और मछुआरों के समुदाय के लिए यह झील आजीविका का एक स्रोत है। इसके किनारों पर अनधिकृत निर्माण और प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव जारी हैं। विशेषज्ञों ने आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध प्रयास’’ करने का आह्वान किया है।
इस झील का क्षेत्र धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है और यह लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है तथा इसकी लंबाई लगभग 96 किलोमीटर है। यह झील केरल की सबसे बड़ी और देश की सबसे लंबी झीलों में से एक है। यह अलप्पुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम तीन जिलों से घिरी है।
पारिस्थितिकी विशेषज्ञों और वर्षों से किए गए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार बार-बार आने वाली बाढ़, बढ़ते प्रदूषण, जल प्रसार क्षेत्र में कमी और खरपतवार वृद्धि के कारण झील गंभीर पर्यावरणीय क्षरण का सामना कर रही है।
आर्द्रभूमि पर राष्ट्रीय समिति के सदस्य और जल संसाधन विकास और प्रबंधन केंद्र (सीडब्ल्यूआरडीएम) के एक पूर्व निदेशक ई. जे. जेम्स का मानना है कि राज्य सरकार जो कदम उठाने का दावा करती है, वे केवल कागजों तक ही सीमित रहते हैं और जमीनी स्तर पर इन्हें लागू नहीं किया जाता है।
हाल में जब सदन में इस मुद्दे को उठाया गया था, तब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा था कि राजस्व, सर्वेक्षण और स्थानीय स्वशासन विभाग अतिक्रमणों का पता लगाने और उन्हें हटाने और झील की सीमाओं का सीमांकन करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।
विजयन ने कहा था कि झील के पुनरुद्धार में मछुआरों और किसानों सहित स्थानीय समुदायों की भागीदारी आवश्यक है। जेम्स उस विशेषज्ञ समिति का हिस्सा थे, जिसने वेम्बनाड को ‘रामसर’ स्थल घोषित करने पर जोर दिया था।
उन्होंने कहा कि झील के समक्ष आने वाले पारिस्थितिक क्षय के खतरे का समाधान उतना आसान नहीं है, जितना कि थन्नीरमुकोम बांध में गाद जमा होने से रोकने के लिए अतिक्रमण हटाना या बाहरी बांध बनाना था।
उन्होंने दावा किया, ‘‘इसे रामसर स्थल घोषित किए जाने के बाद, आर्द्रभूमि प्रणाली की रक्षा या वहां पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए शायद ही कुछ किया गया है।’’
अलप्पुझा से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सांसद ए. एम. आरिफ ने कहा कि झील को रामसर स्थल घोषित करने के बाद इसकी सुरक्षा या संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है। राज्य सरकार कदम उठा रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। झील के संरक्षण के संबंध में कई परियोजनाओं की घोषणा की गई थी, लेकिन उन्हें अभी तक लागू नहीं किया गया है।’’ जेम्स ने कहा झील का प्रबंधन इस तरह से किया जाना चाहिए कि कृषि और मत्स्य पालन दोनों क्षेत्र एक दूसरे के पूरक हो सकें।

द्वारका पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आश्रम में निधन

नरसिंहपुर । ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में मशहूर द्वारका पीठ के ‘जगतगुरु शंकराचार्य’ स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले स्थित उनके आश्रम झोतेश्वर में हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। वह 99 साल के थे।
वह धार्मिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर अमूमन बयान दिया करते थे और शिरडी के साई बाबा को भक्तों द्वारा भगवान कहे जाने पर सवाल उठाया करते थे। सूत्रों के अनुसार सोमवार अपराह्न करीब तीन से चार बजे उनके आश्रम परिसर में ही उन्हें भू समाधि दी जाएगी।
आश्रम की विज्ञप्ति के अनुसार वह गुजरात स्थित द्वारका-शारदा पीठ एवं उत्तराखंड स्थित ज्योतिश पीठ के शंकराचार्य थे और पिछले एक साल से अधिक समय से बीमार चल रहे थे।
इसमें कहा गया है, ‘‘शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज 99 वर्ष की आयु में हृदय गति के रुक जाने से ब्रह्मलीन हुए। उन्होंने अपनी तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में दोपहर 3.21 बजे अंतिम सांस ली।’’ विज्ञप्ति के अनुसार शंकराचार्य ने सनातन धर्म, देश और समाज के लिए अतुल्य योगदान किया। उनसे करोड़ों भक्तों की आस्था जुडी हुई है।
इसमें कहा गया है कि वह स्वतन्त्रता सेनानी, रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले तथा रामजन्मभूमि के लिए लम्बा संघर्ष करने वाले, गौरक्षा आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही एवं रामराज्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष थे और पाखंडवाद के प्रबल विरोधी थे।
इसी बीच, आश्रम के सूत्रों ने बताया, ‘‘उन्हें नरसिंहपुर के गोटेगांव स्थित उनकी तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में कल अपराह्न करीब 3-4 बजे भू समाधि दी जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि वह डायलिसिस पर थे और पिछले कुछ महीनों से आश्रम में अक्सर वेंटिलेटर पर रखे जाते थे, जहां उनके इलाज के लिए एक विशेष सुविधा बनाई गई थी। इसके अलावा, वह मधुमेह से पीड़ित थे और वृद्धावस्था संबंधी समस्याओं से भी जूझ रहे थे।
उनके शिष्य दण्डी स्वामी सदानंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि ज्योतिष एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। उन्होंने बताया कि सरस्वती नौ साल की उम्र में अपना घर छोड़ कर धर्म यात्राएं प्रारंभ कर दी थी।
शंकराचार्य के एक करीबी व्यक्ति ने बताया कि अपनी धर्म यात्राओं के दौरान वह काशी पहुंचे और वहां उन्होंने ‘ब्रह्मलीन श्रीस्वामी’ करपात्री महाराज से वेद-वेदांग एवं शास्त्रों की शिक्षा ली। यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी। जब 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 साल की उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में प्रसिद्ध हुए।
उन्होंने कहा कि उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दो बार जेल में रखा गया था, जिनमें से एक बार उन्होंने नौ माह की सजा काटी, जबकि दूसरी बार छह महीने की सजा काटी। शंकराचार्य के अनुयायियों ने कहा कि वह 1981 में शंकराचार्य बने और हाल ही में शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन मनाया गया।

पाकिस्तान को हराकर श्रीलंका ने जीता छठी बार एशिया कप

दुबई । राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे श्रीलंका के लिये क्रिकेट के मैदान पर उसके 11 खिलाड़ी नायक बनकर उभरे जिन्होंने पाकिस्तान को 23 रन से हराकर छठी बार एशिया कप जीता और देशवासियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी ।
यह जीत सिर्फ श्रीलंका के क्रिकेट के लिये ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और राजनीतिक तौर पर भी काफी मायने रखती है । एक समय पांच विकेट 58 रन पर गंवाने के बाद भानुका राजपक्षा के 45 गेंद पर नाबाद 71 रन की मदद से श्रीलंका ने छह विकेट पर 170 रन बनाये ।
जवाब में पाकिस्तानी टीम 147 रन पर आउट हो गई जबकि एक समय उसका स्कोर दो विकेट पर 93 रन था । तेज गेंदबाज प्रमोद मधुशान ने चार ओवर में 34 रन देकर चार और लेग स्पिनर वानिंदु हसरंगा ने चार ओवर में 27 रन देकर तीन विकेट लिये ।
हसरंगा ने 17वें ओवर में तीन विकेट लेकर पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया । इससे पहले मधुशान ने बाबर आजम (पांच) और फखर जमां (0) को आउट करके श्रीलंका का शिकंजा कस दिया था । मोहम्मद रिजवान ने 49 गेंद में 55 रन बनाये जबकि इफ्तिखार अहमद ने 31 गेंद में 32 रन जोड़े ।
श्रीलंका ने क्षेत्ररक्षण में भी जबर्दस्त मुस्तैदी दिखाते हुए रन बचाये और अच्छे कैच लपके जबकि पाकिस्तानी क्षेत्ररक्षकों ने निराश किया । इससे पहले पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों के दिये शुरूआती झटकों से टीम को निकालते हुए भानुका राजपक्षा ने नाबाद 71 रन बनाकर श्रीलंका को छह विकेट पर 170 रन तक पहुंचाया ।
पाकिस्तानी कप्तान बाबर आजम ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया जो शुरूआत में सही साबित होता लग रहा था लेकिन राजपक्षा ने आखिरी चार ओवर में 50 रन बनाकर श्रीलंका को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया ।
नसीम शाह ने चार ओवर में 40 रन देकर एक विकेट लिया जबकि हारिस रऊफ ने चार ओवर में 29 रन देकर तीन विकेट चटकाये । दोनों ने पिच से मिल रही मदद का पूरा फायदा उठाकर पावरप्ले में श्रीलंकाई बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी लेकिन इसके बाद राजपक्षा ने संकटमोचन की भूमिका निभाते हुए अपने कैरियर का बेहतरीन अर्धशतक लगाया ।
स्पिनर शादाब खान ने चार ओवर में 28 रन देकर एक विकेट लिया । राजपक्षा ने 45 गेंद में छह चौकों और तीन छक्कों की मदद से नाबाद 71 और वानिंदु हसरंगा ने 21 गेंद में 36 रन बनाये । दोनों ने 58 रन की ताबड़तोड़ साझेदारी की जबकि एक समय पर श्रीलंका का स्कोर पांच विकेट पर 58 रन था ।
चामिका करूणारत्ने के साथ राजपक्षा ने 54 रन जोड़े और श्रीलंका को 160 के पार ले गए । पाकिस्तान के 19 वर्ष के तेज गेंदबाज शाह ने शानदार फॉर्म जारी रखते हुए कुसल मेंडिस को खाता खोले बिना ही पवेलियन भेज दिया । धनंजय डिसिल्वा (21 गेंद में 28 रन) ने जरूर कुछ अच्छे शॉट लगाये लेकिन ज्यादा देर टिक नहीं सके । पाथुम निसांका (आठ) को रऊफ ने पवेलियन भेजा जबकि धनुष्का गुणतिलका (एक) उनकी बेहतरीन आउटस्विंगर का शिकार हुए ।

उन्नति, अनुपमा जूनियर बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में करेंगी भारतीय चुनौती की अगुआई

नयी दिल्ली । दुनिया की नंबर एक जूनियर खिलाड़ी अनुपमा उपाध्याय और ओडिशा ओपन सुपर 100 चैंपियन उन्नति हुड्डा 17 से 30 अक्टूबर तक स्पेन के सेंटेंडर में होने वाली बीडब्ल्यूएफ विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत की चुनौती की अगुआई करेंगी।
कोविड-19 महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा है। प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम को विस्तृत चयन प्रक्रिया के बाद चुना गया है जिसमें दो अखिल भारतीय रैंकिंग टूर्नामेंट और रायपुर में चयन ट्रायल शामिल हैं।
उन्नति ने लड़कियों के एकल ट्रायल में शीर्ष स्थान हासिल किया था जिसमें एस रक्षिता श्री और अनुपमा क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहीं। गोवा और पंचकूला में दोनों अखिल भारतीय रैंकिंग खिताब जीतने वाले भरत राघव, पूर्व जूनियर विश्व नंबर एक शंकर मुथुसामी के अलावा आयुष शेट्टी लड़कों के एकल वर्ग में चुनौती पेश करेंगे।
भारत ने अब तक प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, तीन रजत और पांच कांस्य पदक जीते हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता लक्ष्य सेन 2018 में कांस्य पदक के साथ इस प्रतियोगिता में पदक जीतने वाले आखिरी भारतीय थे। भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के सचिव संजय मिश्रा ने कहा, ‘‘जूनियर विश्व चैंपियनशिप लंबे अंतराल के बाद हो रही है और नए खिलाड़ियों के उभरने के साथ व्यापक चयन ट्रायल के बाद टीम का चयन किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम मिश्रित टीम चैंपियनशिप और व्यक्तिगत स्पर्धाओं में पदक के लिए मजबूत चुनौती पेश करेंगे।’’ प्रतियोगिता की शुरुआत मिश्रित टीम स्पर्धा से होगी। भारत पुरुष और महिला युगल तथा मिश्रित युगल स्पर्धाओं में भी दो-दो जोड़ियां उतारेगा।
निकोलस नाथन राज और तुषार सुवीर के साथ अर्श मोहम्मद और अभिनव ठाकुर की नई जोड़ी पुरुष युगल में उतरेंगी। महिला युगल में गोवा में अखिल भारतीय रैंकिंग प्रतियोगिता विजेता इशरानी बरुआ और देविका सिहाग के साथ तमिलनाडु की श्रेया बालाजी और श्रीनिधि एन शामिल होंगी।
टीम इस प्रकार है:
लड़कों का एकल वर्ग: भरत राघव, शंकर मुथुसामी एस, आयुष शेट्टी।
लड़कियों का एकल वर्ग: उन्नति हुड्डा, एस रक्षिता श्री, अनुपमा उपाध्याय।
लड़कों का युगल वर्ग: अर्श मोहम्मद/अभिनव ठाकुर, निकोलस नाथन राज/तुषार सुवीर।
लड़कियों का युगल वर्ग: इशरानी बरुआ/देविका सिहाग, श्रेया बालाजी/श्रीनिधि एन।
मिश्रित युगल: समरवीर/राधिका शर्मा, विघ्नेश थथिनेनी/श्री साई श्रव्य लक्कमराजू।

एयर इंडिया अगले 15 महीनों में अपने बेड़े में 30 विमानों को शामिल करेगी

नयी दिल्ली । एयर इंडिया ने कहा कि वह इस साल दिसंबर से अपने बेड़े में 30 नए विमानों को शामिल करेगी, जिसमें चौड़ी बॉडी वाले पांच बोइंग विमान शामिल हैं। टाटा के स्वामित्व वाली एयरलाइन अपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सेवाओं को बढ़ाना चाहती है, जिसके तहत यह विस्तार किया जा रहा है। एयरलाइन ने अगले 15 महीनों में चौड़ी बॉडी वाले पांच बोइंग विमान और पतली बॉडी वाले 25 एयरबस विमानों को शामिल करने के लिए पट्टों और आशय पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।
एयर इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘इन नये विमानों से एयरलाइन के बेड़े में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी। ये विमान 2022 के अंत से परिचालन शुरू करेंगे। हाल के महीनों में परिचालन में वापस आने वाले संकरी बॉडी वाले 10 विमानों और चौड़ी बॉडी वाले छह विमानों को छोड़ दें तो ये नए विमान एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद पहले बड़े विस्तार का प्रतीक हैं।’
टाटा समूह ने इस साल इंडिया का अधिग्रहण किया था। पट्टे पर लिए जा रहे विमानों में 21 एयरबस ए320 नियो, चार एयरबस ए321 नियो और पांच बोइंग बी777-200एलआर शामिल हैं।

ट्रैफिक में फंसे तो छोड़ दी कार, 3 किमी दौड़कर सर्जरी कर डॉक्टर ने बचाई मरीज की जान

बंगलुरु । कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक डॉक्टर ने समय पर अस्पताल पहुंचकर अपने मरीज की सर्जरी करने के लिए जो रास्ता अपनाया। वह देश के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। उन्होंने रोजमर्रा के ट्रैफिक को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया।
बेंगलुरु के सरजापुर के मणिपुर अस्पताल में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी सर्जन डॉक्टर गोविंद नंदकुमार 30 अगस्त की सुबह हमेशा की तरह अपने घर से अस्पताल के लिए निकले थे। उन्हें उस दिन सुबह 10 बजे एक महिला की इमरजेंसी लेप्रोस्कोपिक गॉलब्लैडर सर्जरी करनी थी लेकिन सरजापुर-माराथली स्ट्रैच पर वह भयंकर ट्रैफिक में फंस गए।
यह भांपकर कि ट्रैफिक से होने वाली देरी के चलते उनके मरीज की समय पर सर्जरी नहीं होने से खतरा हो सकता है। डॉ. नंदकुमार बिना सोचे-समझे अपनी कार को सड़क पर ही छोड़कर पैदल अस्पताल की ओर दौड़ने लगे। यह उनकी कर्तव्यनिष्ठा ही थी कि वह महिला की सर्जरी समय पर करने के लिए तीन किलोमीटर दौड़कर अस्पताल पहुंचे और समय पर सर्जरी कर महिला की जान बचा ली।
इस पूरे मामले पर डॉ. गोविंद का कहना है, मैं रोजाना सेंट्रल बेंगलुरु से सरजापुर (मणिपुर हॉस्पिटल) तक का सफ़र कार से तय करता हूँ। मैं सर्जरी के लिए समय पर घर से निकला था। अस्पताल में मेरी टीम ने भी सर्जरी की पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन मैं इस भयावह ट्रैफिक में फंस गया. मैंने बिना देरी किए कार वहीं छोड़ दीं और बिना कुछ सोचे समझे पैदल ही अस्पताल की ओर भागने लगा।
उन्होंने कहा, इस दूरी को तय करने में आमतौर पर 10 मिनट का समय लगता है लेकिन ट्रैफिक इतना भयंकर था कि मैंने गूगल मैप में जाँच की। गूगल मैप से पता चला कि इस दूरी को पूरा करने में 45 मिनट लग सकते हैं। इसलिए मैंने कार छोड़कर पैदल दौड़कर ही अस्पताल जाने का फैसला किया। मेरे पास ड्राइवर था तो मैं गाड़ी में ड्राइवर को छोड़कर आश्वस्त होकर अस्पताल की ओर दौड़ने लगा।
उन्होने कहा, यह मेरे लिए आसान था क्योंकि मैं रोजाना जिम जाता हूँ। मैं अस्पताल पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर दौड़ा और समय पर सर्जरी की।
हालांकि, यह कोई पहली घटना नहीं है कि उन्हें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा है. वह कहते हैं, ‘मैं बेंगलुरु के अन्य इलाकों में पहले भी इसी तरह जा चुका हूँ। मैं चिंतित नहीं था क्योंकि हमारे मरीज की देखभाल के लिए अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ और संरचना है लेकिन छोटे अस्पतालों में यह स्थिति नहीं हो सकती।’
बता दें कि डॉ. गोविंद नंदकुमार सरजापुर के मणिपुर हॉस्पिटल में कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी सर्जन है। महिला को तुरंत सर्जरी की जरूरत थी क्योंकि वह लंबे समय से गॉलब्लैडर की बीमारी से जूझ रही थी। सर्जरी में विलम्ब से उनका पेट दर्द बढ़ सकता था।