कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल द्वारा हाल ही में टेड एक्स प्लेटफॉर्म पर टेड टॉक आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने विभाजित समाज से जुड़े अलग – अलग विषयों पर अपने विचार रखे तथा अनुभव साझा किए। पश्चिम बंगाल सरकार में सुन्दरवन मामलों के अतिरिक्त मुख्य सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने लोकतंत्र में बहुलवाद, उद्यमी स्वाति गौतम ने कार्यस्थलों में लैंगिक असमानता, रंगमचकर्मी सोहिनी सेनगुप्ता ने पर्फॉमिंग आर्ट्स में उम्र का प्रभाव, स्पेशल एडुकेटर डॉ. रीना सेन ने एबिलिज्म इन इंडियन एडुकेशन, पत्रकार कौन्तेय सिन्हा ने सामाजिक जुड़ा और मानसिक तौर पर अलगाव पर चर्चा की । इस अवसर पर सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की निदेशक एवं शिक्षाविद् शर्मिला बोस ने विचार रखे। इस कार्यक्रम को आभासी माध्यम से भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं अभिभावकों ने देखा।
पीएम किसान योजना के तहत अब पति और पत्नी दोनों को मिलेंगे 6 हजार रुपये!
नयी दिल्ली । किसानों को मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर साल 6 हजार यानि कि 2 हजार की तीन किस्त मिलती है। लेकिन अब इस योजना में सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं। अब सरकार द्वारा इस योजना में किए गए नए बदलाव के मुताबिक अब इस योजना में पति और पत्नी दोनों को ही पीएम किसान सम्मान निधि के तहत पैसे मिलेंगे। हालांकि ऐसी बात अभी सरकार द्वारा की जा रही है। इस पर कोई सहमति बनने की जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है। तो चलिए इस बदलाव के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
जानिए किसे मिलेगा लाभ?
पीएम किसान योजना के नियम के अनुसार, पति-पत्नि दोनों पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे फर्जी करार देते हुए सरकार उससे रिकवरी करेगी। इसके अलावा भी कई ऐसे प्रावधान हैं जो किसानों को अपात्र बनाते हैं। अगर अपात्र किसान इस योजना का लाभ उठाते हैं तो उन्हें सरकार को सभी किस्तें वापस करनी पड़ेगी। इस योजना के नियम के तहत किसान परिवार में अगर कोई टैक्स देता है तो इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यानी पति या पत्नी में से कोई पिछले साल इनकम टैक्स भरा है तो उन्हें इस योजाना का लाभ नहीं मिलेगा।
कौन हैं अपात्र?
नियम के तहत अगर कोई किसान अपनी खेती की जमीन का इस्तेमाल कृषि कार्य में न कर दूसरे कामों में कर रहे हैं या दूसरों के खेतों पर किसानी का काम तो करते हैं, और खेत उनका नहीं हैं। ऐसे किसान भी इस योजना का लाभ उठाने के हकदार नहीं हैं। अगर कोई किसान खेती कर रहा है, लेकिन खेत उसके नाम नहीं होकर उसके पिता या दादा के नाम है तो उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
अगर कोई खेती की जमीन का मालिक है, लेकिन वह सरकारी कर्मचारी है या रिटायर हो चुका हो, मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक, मंत्री है तो ऐसे लोग भी किसान योजना के लाभ के लिए अपात्र हैं। अपात्रों की लिस्ट में प्रोफेशनल रजिस्टर्ड डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट या इनके परिवार वाले भी आते हैं। इनकम टैक्स देने वाले परिवारों को भी इस योजना का फायदा नहीं मिलेगा।
बच्चों को यूट्यूब की गलत वीडियो से बचाएं
आजकल बच्चों को भी मोबाइल का ज्यादा शौक लग गया है। आपने कई बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलते हुए या वीडियो देखते हुए देखा होगा। कोरोना काल के दौरान तो बच्चों में मोबाइल का उपयोग ज्यादा बढ़ गया।
बच्चों को भी मोबाइल चलाने का शौक लग गया। कोरोना काल में मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई के साथ बच्चे मोबाइल पर गेम खेलना, वीडियो देखना आदि काम भी करते थे। कई बच्चों को तो मोबाइल की ऐसी लत लग गई है कि अगर उनसे मोबाइल छीना जाता है तो वे गुस्सा हो जाते हैं। बच्चे मोबाइल या डेस्कटॉप पर पर यू ट्यूब भी देखते हैं। यू ट्रयूब हर उम्र के लोगों की बीच काफी पॉपुलर है। बच्चें हो या बड़ें हर कोई यूट्यूब पर वीडियो देखना पसंद करता है। यूट्यूब पर हर तरह के वीडियोज की भरमार है। वहीं माता—पिता हर वक्त बच्चे पर नजर नहीं रख सकते कि उनका बच्चा मोबाइल में क्या कर रहा है। जब बच्चें यूट्यूब चलाते हैं तो माता-पिता को हर समय यह डर सताता रहता है कि गलती से कोई आपत्तिजनक वीडियो न खुल जाए। ऐसे में हम आज आपको एक ऐसी ट्रिक बता रहे हैं, जिससे आपके बच्चे यूट्यूब पर एडल्ट कंटेंट नहीं देख पाएंगे।
ऐसे ब्लॉक करें एडल्ट कंटेंट
दरअसल, यूट्यूब में कई फीचर्स मौजूद हैं, इनमें से एक फीचर है जिसका नाम है Restricted Mode। यह फीचर इसलिए दिया गया है कि हर आयु वर्ग के लिए प्लेटफॉर्म को अनुकूल बनाया जा सके। यह स्पेशल फीचर यूट्यूब से सभी मैच्योर कंटेंट को ब्लॉक करता है, जिससे यह बच्चों के अनुकूल हो जाता है। हालांकि, YouTube यह दावा नहीं करता है कि इस मोड के जरिए सभी एडल्ट कंटेंट को फिल्टर कर दिया जाएगा क्योंकि कभी-कभी ये फिल्टर सटीक नहीं होते हैं। लेकिन फिर भी इस मोड के जरिए आप काफी हद तक प्लेटफॉर्म को किड्स-फ्रेंडली बना सकते हैं।
डेस्कटॉप और स्मार्टफोन पर ऐसे एक्टिवेट करें ये फीचर
आजकल बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और डेस्कटॉप पर भी काम करते हैं। ऐसे में अगर आपका बच्चा इनमें से किसी डिवाइस को यूज करता है और आप नहीं चाहते कि उसे सामने कोई एडल्ट कंटेंट आए, तो हम आपको इन डिवाइसेस पर Restricted Mode कैसे यूज कर सकते हैं यह बता रहे हैं।
डेस्कटॉप के लिए
डेस्कटॉप पर YouTube Restricted Mode को ऑन/ऑफ करने के लिए सबसे पहले वेब ब्राउजर पर YouTube.com खोलें। इसके बाद आपको एप के ऊपरी दाएं कोने में अपने प्रोफाइल आइकन पर टैप करना होगा। इसके बाद प्रोफाइल मेनू में जाकर वहां Restricted Mode पर क्लिक करना होगा। यहां Active Restricted Mode ऑप्शन के लिए टॉगल ऑन करना होगा। ऐसे करने से आपके डेस्कटॉप के वेब ब्राउजर के लिए Restricted Mode एक्टिवेट हो जाएगा।
मोबाइल के लिए
2. मोबाइल पर YouTube Restricted Mode ऑन करने के लिए आपको सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में यूट्यूब ऐप खोलना होगा। इसके बाद यूट्यूब सेटिंग्स में जनरल मेनू पर जाना होगा। यहां आपको Restricted Mode का ऑप्शन नजर आएगा। इसके बाद इसे Activate Restricted Mode के लिए टॉगल ऑन करें।
(साभार – कैच न्यूज)
इकोनॉमिक्स की क्लास से चीफ जस्टिस की कुर्सी तक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
नयी दिल्ली । जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ इस समय भारतीय न्याय व्यवस्था का सबसे चर्चित नाम। न्यायिक गलियारों में उनकी स्टार जैसी छवि है और इसके पीछे है कानूनी ज्ञान का असीम भंडार, बेबाक राय, सामाजिक मुद्दों के प्रति चेतना व संवेदना, कोर्टरूम में दोस्ताना रवैया और चेहरे पर हर समय खिली रहने वाली बाल सुलभ मुस्कान।
यूं शुरू हुआ न्याय की गलियों का सफर
वर्ष 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि लेने के साथ न्याय की गलियों में उन्होंने जो यात्रा आरंभ की थी, वह आज भारतीय न्याय व्यवस्था के शीर्ष पद तक पहुंच चुकी है। लगभग 40 वर्ष के दरमियान जस्टिस चंद्रचूड़ के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू देखने को मिलते हैं जो यह बताते हैं कि वह एक इंसान, वकील और जज के बीच बेहतरीन सामंजस्य बिठाने में न केवल सक्षम हैं, बल्कि वर्ष दर वर्ष अपनी इस अद्भुत काबिलियत को और समृद्ध भी करते रहते हैं।
कानून के लेक्चर सुन बदला मन
उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक भारत के चीफ जस्टिस रहे हैं। जब पिता सात वर्ष तक देश के चीफ जस्टिस और उसके पहले सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जस्टिस रहे हों, तो बेटे के लिए कानून को पेशे के तौर पर चुनना स्वाभाविक लग सकता है, लेकिन एेसा था नहीं। युवा डीवाई चंद्रचूड़ के लिए कानून में करियर बनाने की प्राथमिकता नहीं थी। वह तो प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कालेज में इकोनॉमिक्स आनर्स पढ़ रहे थे। दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से परास्नातक कर इसी दिशा में आगे बढ़ने का इरादा भी था, लेकिन एक संयोग ने रास्ता ही बदल दिया।
द वीक के एक लेख के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के सौ वर्ष पूरे होने पर लिखी गई एक पुस्तक में खुद जस्टिस चंद्रचूड़ इस वाकये का उल्लेख करते हैं। किताब कहती है कि जस्टिस चंद्रचूड़ को इकोनॉमिक्स में परास्नातक की पढ़ाई के लिए एडमिशन मिलने में कुछ वक्त था तो वह कैंपस ला सेंटर में कानून के व्याख्यान सुनने पहुंच गए। अध्यापकों के पढ़ाने का तरीका इतना रुचिकर था कि उन्हें कानून की पढ़ाई रास आने लगी और यहीं से भारत के 50वें चीफ जस्टिस बनने की उनकी राह की शुरुआत मानी जा सकती है।
वर्ष 1979 में इकोनॉमिक्स का छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून पढ़ने लगा और फिर परास्नातक करने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पहुंचा। ज्यूरिडिकल साइंस में डाक्टरेट की उपाधि भी ली। देश लौटे, बांबे हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। कानून इस कदर भा गया था कि 39 वर्ष की उम्र में ही सीनियर एडवोकेट का तमगा मिल गया। आमतौर पर बांबे हाई कोर्ट में 40 वर्ष से कम में सीनियर एडवोकेट का दर्जा किसी को मिलता नहीं है।
हिंदी को चुना था बतौर सहायक विषय
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इकोनॉमिक्स आनर्स में सहायक विषय के रूप में हिंदी को चुना। उनका यह चुनाव बहुत काम आया जब वह वर्ष 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। कोर्टरूम में दोस्ताना व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ वकीलों की सहजता के लिए हिंदी में भी बहस सुनने लगे। तीन वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर प्रोन्नत हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मुखर और सामाजिक मुद्दों से जुड़े जस्टिस की छवि गढ़ी है। दरअसल इसकी भूमिका उनके वकील के तौर पर कार्य करने के दौरान लिखी जा चुकी थी।
1997 में लड़ा था एचआइवी संक्रमित का केस
सुप्रीम कोर्ट आब्जर्वर के अनुसार, वर्ष 1997 में एक वकील के तौर पर उन्होंने एक ऐसे कामगार का केस लड़ा और जीता जिसे एचआइवी संक्रमित होने के कारण नियोक्ता ने आगे रोजगार देने से इनकार कर दिया था। महिलाओं से जुड़ी समस्याओं और मुद्दों पर भी बेहतर समझ का श्रेय वह जस्टिस रंजना देसाई को देते हैं। सामाजिक विषयों पर जस्टिस चंद्रचूड़ की समझ 1998 से 2000 तक एडिशनल सालिसिटर जनरल रहने और उसके बाद विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्याय देने के क्रम में जारी है।
बतौर जज उनके व्यक्तित्व का एक और दमदार पहलू है आदेश लिखने का। जस्टिस चंद्रचूड़ अब तक करियर में 513 आदेशों के ‘आथर’ रहे हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में वह सबसे अधिक आदेश लिखने वाले जज हैं। 1,057 बेंच का हिस्सा रह चुके जस्टिस चंद्रचूड़ के प्रमुख केस और फैसलों से भी झलकता है कि वह समाज को सामने रखकर सोचते हैं।
मुंबई में जन्में जस्टिस चंद्रचूड़ को कानून और संगीत विरासत के तौर पर मिला है। हालांकि उनका परिवार मूलतः पुणे से है। उनकी मां प्रभा चंद्रचूड़ के आल इंडिया रेडियो पर गायन कार्यक्रम होते थे। पिता को भी शास्त्रीय संगीत में गहरी रुचि थी। जस्टिस चंद्रचूड़ को पुस्तकें पढ़ने का शौक है, लेकिन वह पाश्चात्य संगीत जगत में लोकगीतों के राकस्टार के नाम से ख्यात बाब डिलन को भी सुनते रहे हैं। समय के साथ वह अपने शौक को अपडेट भी करते रहे हैं और स्पेनिश भाषा के वायरल गाने ‘डेस्पासिटो’ को भी सुनते हैं।
कई ऐतिहासिक फैसला दे चुके हैं 50वें चीफ जस्टिस चंद्रचूड़
कोई भारत में हो और क्रिकेट न पसंद करे, ऐसा कम ही होता है। जस्टिस चंद्रचूड़ भी क्रिकेट पसंद करते हैं। सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर से होता हुआ आजकल विराट कोहली तक उनका फैनब्वाय मोमेंट इस खेल के साथ अपडेट होता रहा है। आम भारतीयों की तरह चाय से भी जस्टिस चंद्रचूड़ का गहरा नाता है। मशहूर है कि शाम के चार बजते ही वह बहस कर रहे वकीलों से पूछ लेते हैं कि क्या आपको चाय पीने की इच्छा नहीं हो रही है।
जस्टिस केएस पुत्तास्वामी बनाम यूनियन आफ इंडियाः आधार कार्ड की वैधता से जुड़े इस चर्चित मामले की सुनवाई कर रही पीठ में असहमति जताने वाले डीवाई चंद्रचूड़ अकेले जस्टिस थे। उन्होंने कहा था कि आधार को गैरसंवैधानिक तरीके से लागू किया गया है।
सबरीमाला मंदिर केसः इस धार्मिक आस्था से जुड़े मामले में उन्होंने कहा था कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक संवैधानिक नैतिकता का हनन है।
अयोध्या केसः देश के कानूनी इतिहास के सबसे बड़े फैसलों में से एक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में भी जस्टिस चंद्रचूड़ शामिल थे। यह फैसला उन्होंने ही लिखा भी था।
निजता के अधिकार का मामलाः वर्ष 2017 के इस मामले में उन्होंने ही आदेश लिखा, जिसमें पीठ के फैसले के तहत कहा गया कि निजता संविधान में प्रदत्त अधिकार है।
धारा 377 का मामलाः इस केस में उन्होंने अलग से राय व्यक्त की थी और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से मुक्त करार दिया था।
(साभार – दैनिक जागरण)
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा में 11 हजार कर्मचारियों की छंटनी
वाशिंगटन, एजेंसी। ट्विटर के बाद फेसबुक की पैरेंट कंपनी ‘मेटा’ ने जाब कट का अहम फैसला लिया। बुधवार को मेटा प्लेटफार्म इंक ने ऐलान किया कि यह अपने 13 फीसद यानी 11 हजार से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकालने जा रहा है। फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने आज घोषणा की कि वह निराशाजनक कमाई और रेवेन्यू में गिरावट की भरपाई करने के लिए 11000 से अधिक कर्मचारियों को निकालने जा रही है। पिछले दिनों टेक जगत में व्यापक स्तर पर नौकरी में कटौती के मामले सामने आए हैं।
कंपनी के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने कहा, ‘फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा अपने 11 हजार से अधिक स्टाफ को निकालने जा रही है। यह काफी कठिन बदलाव है जो मैंने मेटा के इतिहास में किया है।’
मेटा प्लेटफार्म इंक ने बताया कि इसने अपने 13 फीसद वर्कफोर्स यानी 11 हजार से अधिक कर्मचारियों को जाब से निकालने का फैसला लिया है। दिग्गज टेक कंपनी ने व्यापक स्तर पर नौकरी की कटौती का ऐलान किया है। टेक जगत में इस साल का यह अहम फैसला है।
एलन मस्क की ट्विटर समेत दिग्गज टेक कंपनियों में नौकरी की कटौती हुई है लेकिन मेटा के 18 साल के इतिहास में इस तरह का कदम पहली बार उठाया गया है। मेटा के शेयर को इसके वैल्यू के दो तिहाई से अधिक का नुकसान हुआ है।
मेटा से निकाले गए कर्मचारियों को मिलेगी 6 सप्ताह की बेसिक सैलरी
मिलेगा 6 महीने के लिए स्वास्थ्य सेवा का खर्च
अधिक पूंजी कुशल बनाने पर मेटा का जोर
मेटावर्स परियोजना को आगे बढ़ाने पर दिया जाएगा ध्यान
तीन साल से छपने बंद हो गए हैं 2000 के नोट
नयी दिल्ली । पिछले तीन साल से 2,000 रुपये का एक भी नोट छापा ही नहीं गया है। ऐसे में यह नोट सर्कुलेशन में नहीं के बराबार है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस की तरफ से दायर एक सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जवाब में इसका खुलासा हो सका है। सरकार द्वारा 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाकर नोटबंदी की घोषणा की गई थी और फिर नए नोट आए थे जिसमें 2000 रुपये का नोट भी शामिल था ।
तीन साल में कितने छपे 2000 रुपये के नोट
आरटीआई के मुताबिक, साल 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान 2,000 रुपये का कोई नया नोट नहीं छापा गया । आरबीआई नोट मुद्रण (पी) लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2016-17 में 2,000 रुपये के 3,5429.91 करोड़ नोट छापे थे । इसके बाद 2017-18 में काफी कम 1115.07 करोड़ नोट छापे गए और 2018-19 में इसे और कम कर मात्र 466.90 करोड़ नोट छापे गए।
नकली नोटों की संख्या में तेज इजाफा
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में जब्त किए गए 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या 2016 और 2020 के बीच 2,272 से बढ़कर 2,44,834 हो गई है । आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में देश में पकड़े गए नकली 2,000 रुपये के नोटों की कुल संख्या 2,272 थी । यह साल 2017 में बढ़कर 74,898 हो गयी । इसके बाद साल 2018 में यह घटकर 54,776 रह गयी । साल 2019 में यह आंकड़ा 90,566 और साल 2020 में 2,44,834 नोट रहा ।
90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट निम्न गुणवत्ता के
आरबीआई ने 2015 में एक नए संख्या पैटर्न के साथ महात्मा गांधी सीरीज – 2005 में सभी मूल्यवर्ग में बैंक नोट जारी किए थे । विजिबल सिक्योरिटी फीचर के साथ आम जनता नकली नोट को असली से आसानी से अलग कर सकती है । बैंकिंग सिस्टम में पाए गए 90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट निम्न गुणवत्ता के थे और किसी भी प्रमुख सुरक्षा विशेषता से समझौता नहीं किया गया था । इन नोटों की सुरक्षा विशेषताओं की डीटेल आम जनता के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर शो किया जाता है।
आरटीआई में कहा गया है कि आरबीआई जाली नोटों से बचाव के उपायों पर बैंकों को अलग-अलग निर्देश जारी करता है। केंद्रीय बैंक नियमित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी का प्रबंधन करने वाले बैंकों और दूसरे संगठनों के कर्मचारियों/अधिकारियों के लिए जाली नोटों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
4060 करोड़ में मुकेश अंबानी खरीदेंगे मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया भारतीय कारोबार!
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज करीब 50 करोड़ यूरो (4,060 करोड़ रुपये) के अनुमानित समझौते में जर्मनी की रिटेल कंपनी मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया के भारत में कारोबार का अधिग्रहण करने के लिए तैयार है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस समझौते में 31 थोक वितरण केंद्र, भूमि बैंक और मेट्रो कैश एंड कैरी के स्वामित्व वाली अन्य संपत्तियां शामिल हैं। यह समझौता देश के सबसे बड़ी खुदरा कंपनी रिलायंस रिटेल को बी2बी श्रेणी में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में मदद करेगा।
सूत्रों ने बताया कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज और मेट्रो के बीच पिछले कुछ महीनों से चर्चा चल रही थी और पिछले सप्ताह जर्मनी की कंपनी रिलायंस रिटेल के प्रस्ताव पर राजी हो गई। मेट्रो और रिलायंस इंडस्ट्रीज दोनों ने संपर्क करने पर इस घटनाक्रम पर फ़िलहाल टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
भारत में 9 महीने में आए 948 भूकंप, 240 बार 4 से ज्यादा तीव्रता
भारत में जनवरी से सिंतबर तक बीते 9 महीनों में 948 बार भूकंप के झटके महसूस हैं। क्या ये किसी बड़े खतरे की चेतावनी है? भूकंप की तीव्रता जब 4 से कम होती है, तो आमतौर पर वे महसूस नहीं होते हैं। भारत में पिछले 9 महीनों में 240 ऐसे भूकंप के झटके महसूस किए गए, जो 4 तीव्रता से ज्यादा थे। बीती रात को नेपाल में आए भूकंप के झटको की तीव्रता भी 4 से अधिक थी। नेपाल में इससे पहले 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
नेपाल था भूकम्प का एपिक सेंटर, तीव्रता थी 6.3
नेपाल में मंगलवार देर रात 6.3 तीव्रता के भूकंप के झटकों का असर भारत की राजधानी दिल्ली तक महसूस किए गए। भूकंप के कारण नेपाल में 6 लोगों की जान चली गई है। भूकंप के झटके दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए, जिसके कारण लोग घरों से निकलकर भागने लगे। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि बीती रात करीब एक बजकर 57 मिनट पर आया। भूकंप का एपिक सेंटर नेपाल के मणिपुर में था।
भारत में बीते 9 महीनों में 948 बार आए भूकंप
भारत में बीती रात आए भूकंप से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। हां, भूकंप के झटकों के दौरान लोगों में दहशत का माहौल था और कुछ लोग अपने घरों से बाहर भी निकल आए। भारत में बीते 9 महीनों में अब तक 948 बार भूकंप आए हैं। हालांकि, इसमें 240 भूकंप के झटके ऐसे थे, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 से ऊपरी रही और लोगों को ये महसूस हुए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, मौजूद डेटा के मुताबिक, इस साल 152 स्टेशनों से 1090 बार भूकंप आने की जानकारी मिली। हालांकि, इनमें सिर्फ 948 बार ऐसे भूकंप दर्ज हुए जो भारत और उसके आसपास देशों आए। बता दें कि एनसीएस के पास मौजूद ये डेटा इस साल जनवरी से सितंबर तक का ही है।
अलार्म सिस्टम बनाने की जरूरत
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में इस साल अब तक आए भूकंप की संख्या 1000 के पार पहुंच गई होगी। जनवरी से सितंबर तक 948 भूकंप यानि हर महीने करीब 105 से ज्यादा भूकंप के झटके। क्या ये खतरे की घंटी है? जानकार मानते हैं कि कम तीव्रता के भूकंप से कोई खास खतरा नहीं होता है। हां, भूकंप की तीव्रता अगर ज्यादा है, तो चिंता की बात होती है। ऐसे में हमें एक अलार्म सिस्टम बनाने की जरूरत है। इससे लोगों को भूकंप आने से कुछ मिनट पहले ही जानकारी मिल जाएगी।
भारत में इस साल 2 ज्यादा तीव्रता के भूकम्प ने हिलाई धरती
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भारत में आमतौर पर ज्यादा तीव्रता के भूकंप कम ही आते हैं। देश में इस साल महसूस किए गए सबसे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप की बात करें, तो इनमें एक बीती रात नेपाल में आया 6.3 तीव्रता का भूकंप है। वहीं, दूसरा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से 431 किलोमीटर दूर उत्तरी सुमात्रा में आया 6.1 तीव्रता का भूकंप था। इस भूकंप के झटकों को भारत में सबसे ज्यादा दक्षिण के राज्यों में महसूस किया गया। इसके अलावा भारत 5 से 5.9 तीव्रता के 14 भूकंप और 4 से लेकर 4.9 तक के 224 भूकंप आए।
जानकारों की मानें तो 5 तीव्रता के ऊपर का भूकंप 10 मिनट में 500 किलोमीटर तक की धरती को हिला देता है। अगर दिल्ली में भूकंप का केंद्र है, तो 10 मिनट में वो 500 किलोमीटर दूर मौजूद किसी भी शहर को हिलाकर रख सकता है। दरअसल, भारतीय टेक्टोनिक प्लेट लगातार तिब्बत की तरफ खिसक रही है। इससे दो प्लेटों के बीच स्ट्रेस बनता है। यही स्ट्रेस निकलता है, तो भूकंप आता है।
इतिहास – महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के समान मिलेगी मैच फीस
बीसीसीआई ने की घोषणा
मुम्बई । भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भारत और नीदरलैंड के बीच मुकाबले के टॉस के दौरान ही एक बड़ा ऐलान किया है। बोर्ड ने टीम इंडिया में लैंगिक असमानता को खत्म करते हुए दोनों ही श्रेणियों में मैच फीस बराबर कर दिया है। यानी रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम इंडिया और महिला टीम के प्लेयर्स को तीनों ही फॉर्मेट में बराबर मैच फीस मिलेगी। इसका ऐलान बोर्ड के सचिव जय शाह ने ट्विटर पर किया। उन्होंने ऐतिहासिक फैसले के बारे में लिखा- महिला कैटगिरी को उनके पुरूष टीम के समान मैच फीस का भुगतान किया जाएगा। टेस्ट (15 लाख), वनडे (6 लाख), टी-20 इंटरनेशनल (3 लाख) मिलेगा। वेतन इक्विटी हमारी महिला क्रिकेटरों के लिए मेरी प्रतिबद्धता थी और मैं एपेक्स काउंसिल को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। जय हिंद। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने वल्र्ड क्रिकेट टीम को बड़ा मेसेज दिया है। वह महिला और पुरूष क्रिकेटरों को बराबर मैच फीस देने वाला दूसरा बोर्ड बन गया है। इससे पहले न्यूजीलैंड ने इसी वर्ष जुलाई में यह ऐतिहासिक फैसला किया था। उसके बाद उम्मीद थी कि दुनियाभर के क्रिकेट बोर्ड भी इसे अपनाएंगे।
जानिए क्या फर्क पड़ेगा
फिलहाल सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में शामिल महिला खिलाडिय़ों को टेस्ट मैच के लिए 4 लाख रुपये मिलते हैं। वहीं, वनडे और टी-20 दोनों की मैच फीस एक लाख रुपये है। नए फीस स्ट्रक्चर के हिसाब से अब टेस्ट मैच की फीस 15 लाख रुपये होगी। वहीं, वनडे के लिए 6 लाख और टी-20 के लिए 3 लाख रुपये मैच फीस दी जाएगी।
लेकिन, एक जगह अब भी गैर बराबरी जारी
बीसीसीआई ने भले ही मैच फीस बराबर करने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन एक गैर बराबरी अब भी जारी है। दरअसल, एनुअल सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट (हर साल किए जाने वाला करार) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एनुअल कॉन्ट्रैक्ट में अब भी महिला क्रिकेटर्स की 3 कैटेगरी ही हैं। दूसरी तरफ, पुरूष क्रिकेटरों की 4 कैटेगरी हैं। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि ए ग्रेड महिला क्रिकेटर्स को जो अमाउंट मिलता है वह सी ग्रेड पुरूष क्रिकेटरों से भी कम है। दरअसल, महिलाओं में ए ग्रेड खिलाडिय़ों को 50 लाख रुपये सालाना मिलते हैं। दूसरी तरफ, पुरूषों के सी ग्रेड में शामिल खिलाडिय़ों को एक करोड़ रूपए मिलते हैं। आसान भाषा में कहें तो ग्रेड ऊंचा होने के बावजूद महिलाओं को पुरूष क्रिकेटर्स की तुलना में आधा ही पैसा मिलता है। महिलाओं में बी ग्रेड के खिलाडिय़ों को 30 लाख और सी ग्रेड के खिलाडिय़ों को 10 लाख रुपये मिलते हैं। पुरूषों की चार कैटेगरी में सबसे ऊपर ए+ ग्रेड है। इसमें शामिल खिलाडिय़ों को 7 करोड़ मिलते हैं। ए ग्रेड के खिलाडिय़ों को 5 करोड़, बी ग्रेड के खिलाडिय़ों को 3 करोड़ और सी ग्रेड के खिलाडिय़ों को एक करोड़ रुपये मिलते हैं।
आरबीआई की डिजिटल करेंसी, पहले दिन 275 करोड़ रुपये के 50 लेन – देन
नयी दिल्ली । आरबीआई की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी की आज शुरुआत हो गई। पहले दिन कई बैंकों ने इस वर्चुअल मनी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े करीब 50 ट्रांजैक्शन किए। इनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये है। सूत्रों के मुताबिक एसबीआई , बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीएफसी बैंक ने सरकारी बॉन्ड के सेटलमेंट के लिए सीबीडीसी का पहले-पहल इस्तेमाल किया। आरबीआई ने आज से अपनी डिजिटल करेंसी- डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट परीक्षण शुरू किया। इसमें नौ बैंक हिस्सा ले रहे हैं। यह परीक्षण सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए जा रहा है।
इसमें हिस्सा लेने के लिए एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी को चुना गया है। सूत्रों के मुताबिक हर बैंक ने कम से कम चार से पांच डील सीबीडीसी में की। इस बारे में इंडिविजुअल बैंक से संपर्क नहीं हो पाया। बैंक ऑफ बड़ौदा के जनरल मैनेजर सुशांत मोहंती ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले हैं। हमारे बैंक ने एक शुरुआती डील में हिस्सा लिया। डिजिटल करेंसी को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
इसमें हिस्सा लेने वाले हर बैंक का एक डिजिटल करेंसी अकाउंट है जिसे सीबीडीसी अकाउंट नाम दिया गया है। इसे आरबीआई मेन्टेन कर रहा है। बैंकों को पहले अपने अकाउंट्स से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे। अगर एक्स बैंक किसी वाई बैंक से बॉन्ड्स खरीद रहा है तो एक्स बैंक के सीबीडीसी बैंक से डेबिट होगा और वाई बैंक के उसी अकाउंट में क्रेडिट होगा। इसमें उसी दिन डिजिटल सेटलमेंट होगा।
इसमें हिस्सा ले रहे एक बैंक के ट्रेडर ने कहा कि अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आरबीआई दूसरे होलसेल ट्रांजैक्शंस में भी सीबीडीसी के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अभी क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे विकसित होने में समय लगेगा। रिटेल ट्रांजैक्शन में सीबीडीसी के इस्तेमाल से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट बाद में शुरू किया जा सकता है। आरबीआई बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज का विरोध करता आया है।
बजट में हुई थी घोषणा
अक्टूबर में आरबीआई ने कहा था कि वह खास यूज के लिए ई-रूपी के इस्तेमाल के बारे में जल्दी ही एक पायलट लॉन्च करेगा। साथ ही केंद्रीय बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का कॉन्सेप्ट नोट भी जारी किया था। इसका मकसद इस तरह की करेंसीज के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सीबीडीसी मीडियम ऑफ पेमेंट और लीगल टेंडर होगी। इसे बैंक मनी या कैश में भी बदला जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट में घोषणा की थी कि आरबीआई इस फाइनेंशियल ईयर में एक डिजिटल रूपी लेकर आएगा।