गर्मियां आते ही आइसक्रीम और आमों का ख्याल मन में आने लगता है इसके साथ
डॉ. राजश्री शुक्ला सर्बाल्टन साहित्य आज साहित्य का ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के अकादमिक
भगवतीप्रसाद वाजपेयी बहुत ही मीठे स्वरों के साथ वह गलियों में घूमता हुआ कहता –
कोलकाता -‘ साहित्यिकी ‘ के तत्वावधान में हाल ही में भारतीय भाषा परिषद् के सभागार
हमारे रूढ़िवादी समाज में अगर कोई औरत बाकी की औरतों से थोड़ा अलग हट कर
कुछ लोग सच में आत्मनिर्भर हैं, जो अपने साथ-साथ दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने की सोच रखते हैं। उन्हीं
मोनालिसा दत्त पिछले कई सालों से पर्यावरण को सुरक्षित रखने और प्रदूषण के बढ़ते खतरों
इस दुनिया को कुदरत ने बनाया है, हवा, पानी, मिट्टी, आग, और आसमान से बनी
मुस्लिम देश में महिलाओं की बदहाली किसी से छुपी नहीं अफगानिस्तान भी उन्हीं देशों की
बॉलीवुड में हंसती-मुस्कुराती खुशमिज़ाज मां के किरदारों से लोकप्रिय हुई अभिनेत्री रीमा लागू नहीं रहीं।