नयी दिल्ली : राज्य सभा में अब पांच और स्थानीय भाषाओं में अपनी बात कहने का मौका सांसदों को मिलने लगा है। राज्यसभा सभापति वैंकया नायडू ने सदन को सूचित किया कि अब सांसद पांच और भाषाओं में अपनी बात कह सकेंगे। यह भाषाएं हैं डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी। सभापति ने बताया कि सदस्यों को इसके लिए सदन को पूर्व में सूचित करना होगा।
राज्यसभा में अब तक ऊपरी सदन में सदस्यों को 17 भाषाओं में दुभाषियों की सुविधा थी। सदस्य असमिया, मलयालम, बंगाली, मराठी, हिंदी, पंजाबी, तमिल, तेलुगू,गुजराती, असमिया, कन्नड़, मराठी में अपनी बात रख सकते थे। लेकिन अब वह अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में अपनी बात रख सकेंगे। इसके लिए राज्यसभा में 22 भाषाओं के दुभाषियों की सेवाएं गत बुधवार से शुरु हो गई हैं।
सभापति ने इस मौके पर कहा कि कोई सांसद भाषा की समस्या के चलते अगर अपनी बात सदन के पटल पर नहीं रख पाता तो यह चिंता की बात है। इसलिए पांच नई भाषाओं को जोड़कर सासदों को अपनी मातृभाषा में बोलने की सुविधा दी गई है। ताकि सांसद अपनी भाषा के चलते अपनी बात कहने से वंचित न रह जाएं।
इसके अलावा लोकसभा में भी पांच भाषाओं के लिए बोडो मैथिली मणिपुरी मराठी और नेपाली भाषा के दुभाषियों को तैनात किया जा रहा है। इस सदन में इस मौकेपर सभापति ने कहा कि मानसून सत्र में इस शुरुआत से उन्हें काफी हर्ष हो रहा है।