आजकल प्रदूषण की वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही इससे सांस और त्वचा संबंधी बीमारियों से ग्रसित होने की आशंका बढ़ जाती है। बाहरी प्रदूषण के साथ घर के अंदर का प्रदूषण भी खतरनाक होता है। लेकिन कुछ चीजों और उपायों का अपनाकर इस मुसीबत से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि कौन-से उपायों की मदद से घर के अंदर का प्रदूषण कम किया जा सकता है।
1. घर के अंदर पौधों को लगाने से ना सिर्फ घर की सुंदरता बढ़ती है। बल्कि स्वस्थ और साफ हवा भी मिलती है। पौधें ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और घर में दूषित हवा की मात्रा को कम करते हैं। मनी प्लांट, नाग पौधा और एरेका पाम जैसे भारतीय पौधों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. घर के अंदर धूम्रपान (स्मोकिंग) नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे घर के अंदर की हवा विशुद्ध होती है और हवा में प्रदूषण के कण बढ़ जाते हैं।
3. घर की दीवारों पर कम वाष्पशील कार्बनिक यौगिक वाले रंगों का इस्तेमाल करें क्योंकि ज्यादा वाष्पशील कार्बनिक यौगिक वाले रंगों के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थ सामान्य तापमान के अंदर ही हवा में घुलकर नुकसान पहुंचाते हैं।
4. घर के अंदर पानी टपकने की समस्या नहीं होने दें। क्योंकि इससे फंगस, फफूंदी और जगह सड़ जाने जैसी समस्या होने लगती है। जो अस्थमा, साइनस (एक प्रकार का सिरदर्द) और घरघराहट जैसी समस्याओं को और बढ़ाते हैं। इसलिए नियमित अंतराल पर घर की मरम्मत करवाते रहें।
5. विद्युत उपकरणों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि फ्रिज और ओवन जैसे उपकरण हानिकारक गैस का उत्पादन करते हैं। जिससे घर का वातावरण दूषित हो सकता है। इसके लिए विद्युत उपकरणों का नियमित रखरखाव काफी अहम है।
6. घर के अंदर साफ-सफाई करना महत्वपूर्ण होता है लेकिन साफ-सफाई करते हुए अधिकतर बार छोटी और कोने वाली जगहों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। जिससे वहां पर कीटाणु एकत्रित होने लगते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए साफ-सफाई करते हुए फर्नीचर के नीचे, घर के कोनों, छोटी-छोटी जगहों पर भी अच्छी तरह सफाई करें।
7. रोजाना घर की खिड़कियां कम से कम 5-10 मिनट तक खुली रखें। क्योंकि पर्याप्त धूप और हवा ना लगने से घर के अंदर दूषित कणों और वायु-संचालन में कमी आ जाती है और घर का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
8. कीटनाशकों की जगह बायो-फ्रेंडली उत्पादों का इस्तेमाल करें। विषाक्त उत्पादों का इस्तेमाल कम करने से घर के अंदर हवा में दूषित कणों की मात्रा कम हो जाती है।