ये है पुरुषों के तनाव की जड़ और समाधान

तनाव मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशान्त, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है। हम आपको पुरुषों में तनाव के कुछ प्रमुख कारणों और उससे निजात पाने के तरीके बता रहे हैं –

तनाव, खासकर अगर यह पुराना है, एक निरंतर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक अतिप्रवाह का कारण बनता है, जो अंततः एक दीर्घ अवसाद में विकसित होता है।
समाधान – अपनी समस्याओं को लेकर घुटते न रहें। आप जिनके करीब हैं, फिर वह आपके दोस्त हो, परिवार का सदस्य हो या जीवन साथी,खुलकर बात करें। अगर बोल नहीं पाते तो लिखें। जरूरत पड़े तो किसी मनोचिकित्सक से बात करें या फिर इससे जुड़ी किताबें पढ़ें।

वित्तीय कठिनाइयों जो मानव अनुभवों का कारण बनती हैं और तनाव पैदा करती हैं। कार्यस्थल के नुकसान (बर्खास्तगी) पुरुषों में अवसाद के सबसे सामान्य कारणों में से एक माना जाता है।
समाधान – हर अंत में शुरुआत होती है। मुश्किल है कि स्थितियों को अपने हिसाब से ढालना मगर नामुमकिन नहीं है। अगर शादीशुदा हैं तो इस कठिनाई से निकालने में आपकी पत्नी मदद कर सकती है मगर जरूरी है कि आप न तो इसे अहं का मुद्दा बनायें और न तो इसे अपनी कमजोरी समझें। उसे बगैर किसी कुंठा के आत्मनिर्भर बनने में मदद करें। भारतीय पत्नी की पारम्परिक छवि के उलट उसे अपने सहचर के रूप में देखें..जो आपके साथ रहती है। आप बच्चों और घर को सम्भालने में मदद कर सकते हैं। घर से ही कोई काम शुरू कर सकते हैं। यह एक स्थिति है जो हमेशा नहीं रहती, सकारात्मक रहें,,,,आने वाला समय आपका ही है। अपनी पहचान का दायरा बढ़ाएं, अपडेट रहे..अपने क्षेत्र की नयी जानकारी से रूबरू रहें…आपकी वर्तमान नौकरी से भी अच्छी नौकरी मिल सकती है…इसलिए नो चिंता।

गलत पोषण, विशेष रूप से शराब का उपयोग अक्सर शरीर में पोषक तत्वों की कमी की ओर जाता है। इसी समय, अगर किसी व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं से परेशान किया जाता है, तो समय के साथ-साथ इस तरह की जिंदगी आगे बढ़ जाती है, जिससे रोगी की हालत खराब हो जाती है।
समाधान – आप परिवार के लिए कमाते हैं मगर इसके लिए आपको अपनी सेहत का ध्यान खुद रखना होगा। हर चीज के लिए बच्चों, पत्नी और परिवार पर निर्भर न रहें और न अपने हर काम के लिए इंतजार करें। खुद करें, खाएँ, खुश रहें और अगर दूसरों के लिए करें…तो और भी अच्छा। समय – समय पर शरीर परीक्षण करवाते रहें और खुद अपने डॉक्टर न बनें। अच्छी खुराक लें और डॉक्टर की सलाह के साथ लें।

पति/पत्नी और बच्चों के लिए जिम्मेदारी की भावना पुरुषों में अवसाद का कारण बन सकती है। खासकर जब परिवार अक्सर संघर्ष कर लेता है और सामान्य वैवाहिक स्थिति आदर्श से बहुत दूर है। इसके अलावा कार्यस्थल या परिवार में लगातार संघर्ष भी परेशान करता है।
समाधान – दोस्त आपके टॉनिक हैं मगर भूलकर भी नशे में गम उड़ाने की कोशिश न करें। जीवनसाथी और बच्चों से बात करें…अगर काम पर भी हों तो कोशिश करें कि बात होती रहे। आजकल तो व्हाट्सऐप का जमाना है…बगैर अपने काम में बाधा डाले सम्पर्क बनाए रखना आसान है। किसी से भी बहुत ज्यादा उम्मीदें न पालें और न ही ये उम्मीद करें कि कोई आपके लिए अपनी पूरी जिंदगी दाँव पर लगा दें। यह फिल्मों में होता है…असली जिन्दगी में नहीं।

पुरुषों में तथाकथित प्रसवोत्तर अवसाद एक बच्चे के जन्म के बाद होता है, जब पत्नी का अधिकतर ध्यान अब पति को नहीं दिया जाएगा, लेकिन बच्चे को इसके अलावा, स्थिति तब और भी जटिल हो जाती है जब, जन्म देने के बाद, पति के यौन संबंध नहीं होते हैं।
समाधान – ये बात आपको समझनी होगी कि बच्चे के बाद आपकी जिंदगी बदलेगी और प्राथमिकताएं भी बदलेंगी। ये दौर महिलाओं के लिए भी आसान नहीं होता। बच्चे की परवरिश में आप पत्नी की मदद कर सकते हैं। यह सही है कि दाम्पत्य जीवन में यौन संबंधों की जरूरत पड़ती है मगर शादी सिर्फ जिस्मानी रिश्तों का नाम नहीं है…आपसी विश्वास और साझेदारी की भावना भी आप दोनों को पास ला सकती है। वैसे भी बेमन से बनाए गए संबंध भी आपको सुख नहीं देंगे तो अच्छा है न कि आप जीवनसाथी में एक दोस्त देखें और उसका साथ दें क्योंकि घर – परिवार और वह बच्चा आपका भी है।

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