Sunday, March 9, 2025
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“मेरी जापान यात्रा: दुआओं का कबूलनामा” का लोकार्पण

कोलकाता । गत दो मार्च रविवार को विचार मंच के तत्वावधान में, पारसमल कांकरिया सभागार में डॉ. किरण सिपनी के यात्रा संस्मरण “मेरी जापान यात्रा: दुआओं का कबूलनामा” का लोकार्पण हुआ।  कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती लीला शाह के मंगलाचरण से हुआ। पूजा मूंधड़ा ने तिलक लगाकर अतिथियों का स्वागत किया। विचार मंच के मंत्री प्रदीप पटवा जी ने संस्था का संक्षिप्त परिचय देते हुए अतिथियों का स्वागत किया। संस्था के अध्यक्ष श्री सरदार मल जी कांकरिया ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए किरण सिपानी को बधाई दी।
प्रमुख वक्ता प्रमोद शाह ने कहा कि यह कबूलनामा दोनों तरफ से है- जापान की ओर से भी और हमारी ओर से भी। भाई साहब के कारण जापान से यह रिश्ता बना जिसे भाभीजी ने पूरे समर्पण से निभाया। किरण जी ने संस्मरण -पुस्तक में यात्राओं का खूबसूरती से वर्णन किया है। जापान का वर्णन पूरी बारीकी से करते हुए आधिकारिक ढंग से जापान के इतिहास पर बात की है। इसमें आत्मीयता की छुअन है। अपनी बेटी और दामाद के प्रति कृतज्ञता भी है जिन्होंने इस यात्रा को सरस और सुगम बनाते में बड़ी भूमिका अदा की।
किरण बादल जी ने कहा कि किरण सिपानी जी ने बड़े सहज सरल शब्दों में सरसता से अपने अनुभवों को शब्दबद्ध किया है। इसे पढ़ते हुए आत्मकथा, संस्मरण, यात्रा वर्णन, कथा आदि कई विधाओं को पढ़ने का आनंद मिलता है।
अपने लेखकीय वक्तव्य में किरण सिपानी जी ने कहा कि हम कोई भी काम करें- दिल दिमाग और हाथों को साथ लेकर काम करें, तभी समाज का उत्थान होगा। साहित्य के पुरोधाओं ने मेरे लेखन को प्रभावित किया। समाज की विसंगतियों एवं ज्वलंत विषयों को अपनी लेखनी के माध्यम से उठाने की कोशिश की है। मैं अपने शहर कलकत्ता के प्रति बहुत आभारी हूँ। जापान के अनुशासन और देश के प्रति निभाई जाने वाली जिम्मेदारी ने मुझे प्रभावित किया । हिरोशिमा को देखने की बचपन से इच्छा थी। व्हीलचेयर पर तीन तल्लों में फैले म्यूजियम को घूमकर देखते हुए लगा कि शरीर में रक्त नहीं दर्द बह रहा है।
मंगत बादल ने कहा कि दीदी के साथ मेरा हृदय का संबंध है। आज समाज को सिर्फ कलम के माध्यम से बदला जा सकता है। हमारे यहाँ ऋषि परंपरा का लेखन रहा है और उन्हीं के निर्देशन में हमारी लेखन परंपरा आगे बढ़ी है। जापानी लोगों के ज्ञान एवं गुणों को अपनाकर भारत सिरमौर बन सकता है। यह पुस्तक नवयुवकों के लिए पुस्तक प्रेरणास्रोत है।
मंगत बादल जी, किरण बादल जी, सरदार मल कांकरिया जी एवं प्रदीप पटवा जी ने किरण सिपानी जी का सम्मान किया।
राज बिसारिया ने नारी शक्ति को समर्पित एक सुमधुर गीत का गायन किया।
धन्यवाद ज्ञापन- विचार मंच के उपाध्यक्ष प्रेम शंकर त्रिपाठी जी ने किया। उन्होंने कहा कि तमाम संघर्षों के बीच किरण दी लिखती रहती हैं, हमें प्रेरित करती रहती हैं। सफरनामा लिखना बहुत कठिन काम है। किरण दी ने इस चुनौती को स्वीकार किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन गीता दूबे ने किया। इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में अरुण बच्छावत का विशेष योगदान रहा।

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