कोलकाता । सियालदह स्थित ऑफिसर्स क्लब के ‘मंथन’ सभागार में कवि आशुतोष की दो कविता संग्रह ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ और ‘प्रतीक्षा’ एवं उन पर रचित संस्मरण पुस्तक ‘आशुतोष : असमय काल कवलित योद्धा’ का लोकार्पण कोलकाता के वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ, आलोचक डॉ. अमरनाथ, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रधानाध्यापिका डॉ. सत्या उपाध्याय, चित्रकार शेखर, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय से प्रोफेसर योगेंद्र और आशुतोष जी के पुत्र केतन कबीर सिंह ने किया। कविता संग्रह ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ और संस्मरण पुस्तक ‘ आशुतोष: असमय काल कवलित योद्धा’ सेतु प्रकाशन से और ‘प्रतीक्षा’ कविता संग्रह देशज प्रकाशन, राँची से आई है। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन और डॉ. आशुतोष जी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए किया गया। इसके पश्चात् आशुतोष जी की स्मृतियों को याद करते हुए उनकी ही वाणी में ही बनाई गई एक वीडियो भी दिखाया गया। डॉ. आशुतोष जी की कविताओं का पाठ स्मिता गोयल जी ने किया और हावड़ा नवज्योति के बच्चों ने आशुतोष जी की कविताओं का सुंदर कोलाज प्रस्तुत किया। आशुतोष जी की इन तीनों पुस्तकों के संबंध में वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ जी ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट कहा कि ‘आशुतोष जी अपने अंदर कई संवेदनाओं का ज्वाला अपने अंतर्तम में झेलते रहे। वे उन्हीं संवेदनाओं को जीते रहें जो उनकी कविताओं में प्रकट हुई है। यही बातें और कविताएँ उन्हें हमारे बीच जीवित रखे हुए है।
डॉ.अमरनाथ शर्मा ने प्रोफेसर योगेंद्र जी की मित्रता एवं उनके प्रयासों में सभी मित्रों के सहयोग की सराहना की। आशुतोष जी सहजता से ही गंभीर बातें कह देते थे। उन्होंने पढ़ने को महत्त्वपूर्ण माना न कि छपने को। डॉ. सत्या उपाध्याय ने आशुतोष जी की कविताओं की प्रेरणा और संस्मरण को साझा करते हुए कहा कि यह किताबें उनके हमारे साथ होने का प्रमाण है। 24 वर्षों तक एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ाने के साथ हमने एक स्वस्थ साहित्यिक जीवन जिया। उनके अभिभावक थी उनकी कविताएँ। आशुतोष जी सच में असमय काल कवलित योद्धा हैं। इसके बाद मृत्युंजय सिंह ने आशुतोष जी के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि आशुतोष जी की उपस्थिति इस किताब का परिचायक है।
उनकी चिंतन मानवतावादी चेतना से भरी हुई थी। उनसे सारे वैचारिक मान्यताओं से ऊपर जोड़ती है। चित्रकार शेखर जी, जो आशुतोष जी के छोटे भाई हैं, उन्होंने ‘प्रतीक्षा’ कविता संग्रह का कवर बनाया है। उन्होंने उसमें उकेरे अपने विचारों को कविता से जोड़ते हुए बताया कि आशुतोष जी की कविताओं में उपजी छटपटाहट और समाज को बदलने की ललक को ही कवर में प्रस्तुत किया है। ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ कविता संग्रह की भूमिका लेखक डॉ. रीता चौधरी ने भूमिका लेखन के दौरान आशुतोष जी की कविताओं से गुज़रते हुए अपने अनुभव को साझा किया। लेखक डॉ. मृत्युंजय पांडेय ने उनकी कविताओं पर केंद्रित अपने वक्तव्य को रखते हुए उन्हें एक संवेदनशील कवि के रूप में चिन्हित किया। प्रियंकर पालीवाल जी ने उनके प्रति अपनी मैत्री और उनके साथ अपने प्रेम-भाव को व्यक्त करते हुए उनके चले जाने से आए खालीपन को साहित्य से भर पाने की राह अपनाने की बात साझा की। प्रोफेसर योगेंद्र जी ने ‘आशुतोष: काव्य संवेदना एवं उनके विचार’ विषय पर अपने विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि आशुतोष जी की कविताएँ रहस्यात्मक नहीं हैं। उनकी कविता गंगा के पानी की तरह अविरल बहती हैं। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए राज्यवर्धन ने किया। इस कार्यक्रम के आयोजन में यतीश कुमार और उनकी पत्नी स्मिता गोयल ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में कोलकाता के कई शिक्षक, प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने भाग लिया। कोलकाता के हिंदी साहित्य जगत से डॉ. शुभ्रा उपाध्याय, डॉ. गीता दूबे, डॉ. इतु सिंह, डॉ. कमल कुमार, जालान पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, शिक्षक पीयूषकांत राय, डॉ. विनय मिश्र, आदित्य गिरी, डॉ. संजय जायसवाल, पूजा गुप्ता, दीक्षा गुप्ता उपस्थित हुए। इनके अलावा भागलपुर से कई विद्यार्थियों और शिक्षकों ने आकर कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की।