कहते हैं दक्षिण भारत का ‘स्वर्ण मंदिर’
भारत में यूं तो महालक्ष्मी के कई मंदिर है जिसमें से कुछ खास मंदिर है जैसे केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर, मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर, तिरुपति के पास तिरुचुरा का पद्मावती का मंदिर, कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर, दिल्ली का लक्ष्मीनारायण मंदिर, इंदौर का महालक्ष्मी मंदिर, हिमाचल का चौरासी मंदिर, चंबा का लक्ष्मीनारायण का मंदिर, चेन्नई का अष्टलक्ष्मी मंदिर आदि। इन्हीं में से एक है तमिलनाडु का ‘स्वर्ण मंदिर’।
तमिलनाडु के जिले वेल्लू में स्थित थिरुमलई कोड गांव श्रीपुरम में स्थित महालक्ष्मी मंदिर को ‘दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर’ कहा जाता है।
2. कहते हैं कि यह मंदिर 1500 किलो से अधिक शुद्ध सोने से बना है। इसी वजह से इसे दक्षिण भारत का ‘स्वर्ण मंदिर’ या ‘गोल्डन टेंपल’ कहते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर के निर्माण में जितना सोना लगा है, उतना दुनिया के किसी मंदिर में नहीं लगा है।
3. 100 एकड़ में फैला यह मंदिर चेन्नई से 145 किलोमीटर दूर पलार नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर को बनने में लगभग 7 साल का समय लगा था। इसके निर्माण में लगभग 300 करोड़ रुपए की लागत आई थी। 24 अगस्त 2007 को इस मंदिर को दर्शनार्थ खोला गया था।
सूरज की रोशनी में यह मंदिर खूब चमकता परंतु रात के समय लाइट में यह मंदिर और भी ज्यादा चमकता है तब इसमें लगे सोने की चमक देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में करीब 27 फीट ऊंची एक दीपमाला भी है, जिसके प्रकार में मंदिर जगमगा उठता है।
5. इस स्वर्ण मंदिर का निर्माण वेल्लोर स्थित धर्मार्थ ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा कराया गया था।