पटियाला – ये है पटियाला के गांव बल्लमगढ़ का एक कमरे का एलीमेंट्री स्कूल। जहां पहली से पांचवीं तक कुल 43 स्टूडेंट हैं और इन्हें पढ़ाती हैं 11 साल की सोनिया। वे स्कूल की अकेली टीचर और पांचवीं की स्टूडेंट भी हैं। वे शौकिया टीचर नहीं बनी, मजबूरी है।
पंचायत ने किया फैसला…
मार्च में इस स्कूल के एकमात्र टीचर सतगुरु सिंह का निधन हो गया। उसके बाद से सरकार ने कोई टीचर नहीं लगाया।
गांववाले कई बार जिला शिक्षा अधिकारी के पास गए लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। स्कूल एक महीने ठप रहा। बच्चों की पढ़ाई खराब हो रही थी। यह देख पंचायत ने स्कूल की सबसे होनहार स्टूडेंट को ही टीचर बनाने का फैसला किया। पांचवीं कक्षा में सोनिया समेत दो स्टूडेंट हैं। उनमें से गांव के ही किसान की बेटी सोनिया को चुना गया। उसने पढ़ाना शुरू किया तो सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को संभालने में हुई। वे सोनिया की नहीं सुनते। खूब शोर मचाते थे। यह देख पंचायत ने बच्चों को कंट्रोल करने के लिए दो बुजुर्गों की ड्यूटी लगा दी। ये लाठी लेकर क्लास में बैठते हैं, जिसके डर से बच्चे चुप रहते हैं। यही नहीं मिड-डे मील में भी गांव के लोग ही मदद करते हैं जिसके बाद बच्चों को दोपहर में खाना खिलाया जाता है। पिछले चार महीने से सोनिया ही यहां टीचर है।
पटियाला जिले में ही 149 स्कूलों में टीचर नहीं
पंजाब में शिक्षा की हालत खराब क्यों हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ये तस्वीर। जिला शिक्षा अधिकारी बहादुर सिंह ने कहा, ‘जब सरकार के पास टीचर हैं ही नहीं तो मैं टीचर कहां से लाऊं। पटियाला जिले में ही 149 स्कूलों में टीचर नहीं हैं।’ अंदाजा लगाइए पंजाब भर में क्या हालत होगी। इस मामले में जब शिक्षामंत्री दलजीत सिंह चीमा से बात की गई तो उन्होंने कहा- ‘मैं मामले की जांच करवाऊंगा। वैसे जहां टीचर नहीं हैं, वहां आसपास के स्कूलों से टीचर भेजकल वैकल्पिक व्यवस्था करवाई जाती है।’ जब स्थायी हल की बात की तो उन्होंने कहा कि जल्द ही 4500 ईटीटी टीचर भर्ती किए जाएंगे, फिर कहीं कमी नहीं रहेगी।