कोलकाता: कोलकाता की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन’ द्वारा आयोजित 26वें हिंदी मेले के दूसरे दिन काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों तथा सिंगापुर से जुड़े विद्यार्थियों ने हिंदी कवियों की कविताओं की भावपूर्ण आवृत्ति की। प्रतियोगिता तीन वर्गों (शिशु, अ तथा क) में आयोजित हुई। ‘शिशु’ वर्ग का शिखर सम्मान श्रेया पांडेय, अग्रसेन बालिका शिक्षा सदन, प्रथम स्थान अशिन्या अजय मिश्रा, मनोविकास इंग्लिश मीडियम स्कूल, गोवा, द्वितीय स्थान तेजस कुमार झा, बिरला हाई स्कूल, तृतीय स्थान संयुक्त रूप से ध्रुविका सोनछात्रा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, न्यूटाउन और युक्ता कानन चल माहातो,दिल्ली पब्लिक स्कूल, कलिंगा, प्रथम विशेष पुरस्कार प्रियांशी पांडेय, द्वितीय विशेष पुरस्कार प्रिया पांडेय, तृतीय विशेष पुरस्कार सेजल अग्रवाल, चतुर्थ विशेष पुरस्कार अनाया मिश्रा तथा सोनल साव, स्नेहा सिंह, संवेदना मंडल, अरमान आनंद, अर्चित डोकानिया और अदिति तिवारी को सांत्वना पुरस्कार मिला। ‘अ’ वर्ग का शिखर सम्मान नम्रता श्री, डी. वी. एम. एस. इंग्लिश स्कूल, जमशेदपुर, प्रथम स्थान अश्विका सिंह, श्री शिक्षायतन स्कूल, द्वितीय स्थान सचिन ढोकानिया, लक्ष्मीपत सिंघानिया एकेडमी, तृतीय स्थान संजना जायसवाल, गुरुकुल ग्लोबल स्कूल तथा प्रथम विशेष छवि, द्वितीय विशेष रौनक पांडेय, तृतीय विशेष शिवांगी जायसवाल तथा शौर्यन सवरन, श्वेता ध्यानी, गुरुमंत सिंह, श्रुति प्रसाद, धृति दूबे, स्वेता सिंह, साक्षी सिंह, अनुप्रिया सुहानी को सांत्वना पुरस्कार मिला। ‘क’ वर्ग का शिखर सम्मान अदिति ए संजय, लोरेटो डे स्कूल, प्रथम स्थान बिघ्नेषा विगल, द्वितीय स्थान पार्वती साव, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रीति साव, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रथम विशेष ओमप्रकाश प्रसाद, द्वितीय विशेष प्राची, तृतीय विशेष संयुक्त रूप से हर्ष उर्मलिया और नयना प्रसाद तथा आयुषी साव, संजना साव, दीपा गुप्ता और सिमरन सिंह को सांत्वना पुरस्कार मिला। शिशु वर्ग के निर्णायक के रूप में दिल्ली से ममता रजनीश और कोलकाता से कविता अरोड़ा उपस्थित थीं ।कार्यक्रम का संचालन ज्योति अग्रवाल, मनीषा गुप्ता तथा धन्यवाद ज्ञापन बलवंत यादव ने दिया। वर्ग ‘अ’ के निर्णायक के रूप में कोलकाता से उमा झुनझुनवाला तथा दिल्ली से सारिका घुलियानी उपस्थित थीं। संचालन प्रीति सिंह और राजेश सिंह ने किया। उमा झुनझुनवाला ने मेले के विषय में कहा- “पिछले 26 वर्षों से हिंदी मेला नई पीढ़ी की रचनात्मकता को मांजने का काम कर रहा है।” वर्ग ‘क’ के निर्णायक प्रियंकर पालीवाल ने कविता के विषय में कहा- “हमारे हृदय पर जो दुनियादारी की परत जम जाती है, उसे साफ करने का कार्य कविता करती है और यह हमारे हृदय के आयतन का विस्तार करती है। जहाँ आज हम स्मृतियों को खोते जा रहें हैं, वहाँ इन कविताओं का पाठ स्मृतियों को बनाये रखती है।” नरिंदर कौर गांधी ने कहा कि हिंदी मेला का यह आयोजन नई पीढ़ी को साहित्य और कलाओं से जोड़ने का काम कर रहा है। संचालन बीना मिश्रा एवं पूजा सिंह ने किया।
लेखिका मधु कांकरिया ने किया उद्घाटन
भारतीय भाषा परिषद में कोरोना के अनुशासन का पालन करते हुए सात दिवसीय हिंदी मेला का उद्घाटन प्रसिद्ध कथाकार मधु कांकरिया ने किया। उनका कहना था कि हिंदी मेला इस बार ऑनलाइन सुविधाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक हुआ है। यह हम सब के लिए गौरव की बात है। युवा और विद्यार्थी ही आनेवाले दिनों में सांस्कृतिक प्रदूषण से बचकर मानवता और साहित्य का काम करेंगे। भाषाविद डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि संकट के दौर में भी शिशुओं से लेकर नौजवान हिंदी मेला में भाग ले रहे हैं। यह परंपरा और नवीनता का समय है। टिप्पणीकार और रंगकर्मी मृत्युंजय ने कहा कि हिंदी मेला ने पिछले 26 सालों में हिंदी के सांस्कृतिक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह इसके कर्मठ और दक्ष सांस्कृतिक कर्मियों की महानता का सुफल है।
उद्घाटन समारोह में अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी मेला देशभर के साहित्यकारों और युवाओं-विद्यार्थियों का सांस्कृतिक संगम है। आज युवाओं को कबीर-मीरा- तुलसी से लेकर प्रेमचंद-निराला-नागार्जुन तक हिंदी साहित्य की परंपरा से प्रेरणा लेने की जरूरत है। हिंदी मेला सामाजिक विभाजन और विद्वेष की जगह मानवीय प्रेम का संदेश देता है। प्रेमचंद के इन शब्दों से प्रेरणा लेने की जरूरत है कि साहित्य राजनीति के पीछे चलने वाली नहीं, आगे मशाल दिखाने वाली सचाई है। इसका लक्ष्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य थाती हिंदी साहित्य के उच्च मूल्यों का प्रचार है। नाट्यकर्मी सुशील कान्ति ने कहा कि इस बार हिंदी मेले में परंपरागत नाटक की जगज लघुफिल्म निर्माण को प्रोत्साहन मिला।