धनतेरस के दिन से ही भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा शुरू हो जाती है। कुबेर को चांदी अत्याधिक प्रिय है। इसलिए धनतेरस के दिन चांदी के सिक्के खरीदने का भी विधान है। धनतेरस पर बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म में धनतेरस को विशेष महत्व दिया जाता है। धनतेरस के दिन से ही भगवान भगवान गणेश , मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा शुरू हो जाती है और यह पूजा दीवाली तक चलती है। मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन नई चीजें घर में लाने से घर में मां लक्ष्मी और कुबेर का वास होता है और घर में कभी भी पैसों की कमीं नहीं होती ।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, पीतल और धातुओं के बर्तन आदि खरीदने से उन्नति के सभी रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। धनवंतरी जिस समय समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे । उस समय उनके हाथ में पीतल का अमृत कलश था । इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन भी खरीदे जाते हैं। धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
धनतेरस से ही दीपोत्सव का आरंभ होता है।
जैन साहित्य प्राचीनत में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। जैन मान्यता के अनुसार भगवान महावीर इस दिन ध्यान के लिए चले गए थे और तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दिवाली के दिन निर्वाण (मोक्ष) को प्राप्त हुए। तब से धनतेरस का दिन जैन आगम में धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध है।
धनतेरस के दिन झाडू खरीदने को भी काफी शुभ माना जाता है। मान जाता है कि इस दिन झाडू खरीदने और सफाई करने से सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस दिन घर के प्रत्येक कोने में सफाई की जाती है जिससे माँ लक्ष्मी और कुबेर की कृपा सदैव बनी रहे और भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के साथ घर मे प्रवेश करें