नयी दिल्ली : पूरे देश को हिलाकर रखने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार के सात साल बाद देश में बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर 32.2 प्रतिशत है। इस घटना के बाद यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए कानूनों को सख्त बनाये जाने के बावजूद बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर कम है।
वर्ष 2017 के लिए उपलब्ध राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार उस वर्ष बलात्कार के मामलों की कुल संख्या 1,46,201 थी, लेकिन उनमें से केवल 5,822 लोगों की दोषसिद्धि हुई। एनसीआरबी के आँकड़े बताते हैं कि 2017 में बलात्कार के मामलों में आरोप पत्र की दर घटकर 86.4 प्रतिशत रह गई जो 2013 में 95.4 प्रतिशत थी।
अलवर बलात्कार मामले में बचाव पक्ष की वकील शिल्पी जैन ने कहा कि बलात्कार मामलों की जांच करने वाले पुलिस के क्षेत्र-स्तरीय कर्मचारियों को अधिक कुशल बनाने की आवश्यकता है।
इस मामले में ओडिशा के पूर्व पुलिस महानिदेशक बी बी मोहंती के बेटे बिट्टी मोहंती ने एक विदेशी पर्यटक से बलात्कार किया था।
जैन ने कहा, ‘‘वे ज्यादातर अनुभवहीन हैं और ताकत उनके सिर पर चढ़ जाती है और ज्यादातर मामलों में वे बेहद भ्रष्ट हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक उप-निरीक्षक उच्चतम स्तर का अधिकारी होता है जो आरोप पत्र दायर करता है, इसलिए कोई भी तथ्यों की गुणवत्ता की कल्पना कर सकता है।’’
गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली में 23 वर्षीय एक छात्रा से वर्ष 2012 में 16 और 17 दिसम्बर की दरम्यानी रात में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया। सड़क पर फेंके जाने से पहले उस पर गंभीर रूप से हमला किया गया और 29 दिसम्बर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।
निर्भया पर इस भयानक हमले के एक सप्ताह बाद यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति गठित की गई थी।