तोता मछली ने तैयार किए दुनिया में सफेद रेत वाले समुद्री तट

नयी दिल्ली : सफेद रेत वाले समुद्री तट दुनियाभर में पर्यटकों की पसंदीदा जगह हैं। इस श्रेणी के समुद्री तट अपने आप ही तैयार नहीं हुए, बल्कि इन्हें समुद्री जीव पैरेट फिश (तोता मछली) ने बनाया है। मछली की इस प्रजाति का मुँह तोते की तरह नुकीला होता है। इसी कारण इन्हें तोता मछली नाम से जाना जाता है।

पर्ल एक्वाकल्चर क्षेत्र के विख्यात वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर के मुताबिक, पैरेट फिश मुख्य रूप से उन्हीं क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जहां समुद्र तल में मूंगे के पहाड़ (कोरल रीफ) होते हैं। दुनिया में जितने भी सफेद रेत कण वाले समुद्री तट हैं, वे इसी मछली द्वारा बनाए गए हैं। सुनामी की घटना के बाद अंडमान प्रशासन ने समुद्र तल में आए बदलाव का अध्ययन करने के लिए एक शोध दल बनाया और उस दौरान पता लगा कि कोई ऐसा समुद्री जीव है जो सीपों को मार रहा है।

बाद में समुद्र के अंदर कुछ स्थानों पर कैमरे का उपयोग किया गया तो पता लगा कि पैरेट फिश ही अपने स्वभाव के विपरीत इन सीपों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। आम तौर पर पैरेट फिश सीपों से संबद्ध प्रजाति ही मानी जाती हैं और मूंगे के पहाड़ वाले स्थानों पर सीपों के संग ही पाई जाती हैं। पैरेट फिश के व्यवहार में आया यह परिवर्तन विचार करने योग्य था। डॉ. अजय ने बताया कि पैरेट फिश मूंगे की सतह को खुरचकर गले में लेकर उसे पीसती हैं और सीप के कैल्शियम से बने सतह पर चिपके एल्गी को अलग कर उसे खा लेती हैं। शेष बचे हिस्से को अपने गलफड़े से बाहर निकाल देती हैं, जिसके कारण काफी समय के बाद सफेद रेत कण का समुद्री तट अस्तित्व में आ जाता है। सुनामी के बाद समुद्र तल में जमे रेत कणों के ऊपर आने से मूंगे के पर्वत दब गए और पैरेट फिश के लिए भोजन का संकट हो गया। इस कारण उसने सीप के कैल्शियम कवच के ऊपर चिपके एल्गी को खाने के लिए इन सीपों को मारना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर एक पैरेट फिश साल भर में साढ़े चार से पांच किलोग्राम रेत पैदा करती हैं।

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