शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है तमिलनाड़ू के रामनाथपुरम् में स्थित रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग। रामेश्वरम् मंदिर की कथा श्रीराम से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना त्रेतायुग में स्वयं श्रीराम ने की थी। जानिए रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…
रामायण के अनुसार त्रेता युग में श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया था। उस समय रावण की वजह से सृष्टि में अधर्म फैल रहा था। रावण एक ब्राह्मण था। इस वजह से रावण का वध करने पर श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। ऋषियों ने श्रीराम को ब्रह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए कहा। ऋषियों ने श्रीराम से कहा कि वे शिवलिंग स्थापित करके अभिषेक करें। इसके बाद वहां सीता द्वारा बनाया गया बालू का शिवलिंग स्थापित किया गया और श्रीराम ने उसकी पूजा की। इसी वजह से ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम् पड़ा। यहां की गयी पूजा से शिवजी के साथ ही श्रीराम भी प्रसन्न होते हैं।
वर्तमान रामेश्वरम् मंदिर का निर्माण करीब 350 साल पहले किया गया था। यहां की शिल्पकला बहुत ही सुंदर है। मंदिर पूर्व से पश्चिम तक लगभग 1000 फीट और उत्तर से दक्षिण में लगभग 650 फीट क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां के मुख्य द्वार पर लगभग सौ फीट ऊंचा एक गोपुरम् है। रामेश्वरम् मंदिर परिसर में धनुषकोटि, चक्रतीर्थ, शिव तीर्थ, अगस्त्य तीर्थ, गंगा तीर्थ, यमुना तीर्थ जैसे कुल 24 तीर्थ हैं। इन सभी तीर्थों के दर्शन करने के बाद ही रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने का महत्व है। शिवलिंग पर सिर्फ गंगाजल चढ़ाने की परंपरा है। इसके लिए हरिद्वार से जल लाया जाता है।
हवाई मार्ग से रामेश्वरम् पहुंचने के लिए मदुरई एयरपोर्ट पहुंचना पड़ता है। मदुरई से 170 किमी दूर रामेश्वरम् स्थित है। यहां से सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रामेश्वरम् से करीब 3 किमी दूर रेल्वे स्टेशन है। यहां देशभर के सभी बड़े शहरों से ट्रेनें पहुंचती हैं। सड़क मार्ग से भी ये तीर्थ सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
(साभार – दैनिक भास्कर)