प्रख्यात लेखिका कृष्णा सोबती का निधन

नयी दिल्ली : हिंन्दी की लब्धप्रतिष्ठित लेखिका कृष्णा सोबती का 93 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। सोबती के मित्र एवं राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने बताया कि कृष्णा सोबती ने सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह पिछले दो महीने से अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने बताया, “वह फरवरी में 94 साल की होने वाली थीं, इसलिए उम्र तो बेशक एक कारण था ही। पिछले एक हफ्ते से वह गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थीं। बहुत बीमार होने के बावजूद वह अपने विचारों एवं समाज में जो हो रहा है उसको लेकर काफी सजग थीं।” सोबती का अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम को निगम बोध घाट पर किया गया। उन्हें मुखाग्नि उनके छोटे भाई जगदीश ने दी। सूत्रों ने बताया कि उन्हें अंतिम विदाई वालों में अशोक वाजपेयी, विश्वनाथ त्रिपाठी, सुरेंद्र शर्मा और लीलाधर मंडलोई सहित विभिन्न साहित्यकार एवं गणमान्य लोग शामिल थे। कृष्णा सोबती की प्रमुख रचनाकर्म में उपन्यास ‘मित्रो मरजानी’, ‘सूरजमुखी अंधेरे के’, ‘सोबती एक सोहबत’, ‘जिंदगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘दिलो दानिश’, ‘हम हशमत’ और कहानी संग्रह ‘बादलों के घेरे’ प्रमुख हैं। साहित्य अकादमी ने 1996 में कृष्णा सोबती को सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से नवाजा था। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था। 18 फरवरी 1925 को कृष्णा सोबती का जन्म गुजरात प्रांत के उस हिस्से में हुआ जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। पटना से आयी खबर के अनुसार बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कृष्णा सोबती के निधन पर शोक व्यक्त किया है और इसे हिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया है। लेखक-कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि साहित्य में अपने योगदान के माध्यम से वह “भारतीय लोकतंत्र की संरक्षक’’ थीं। वाजपेयी ने कहा, “भारतीय साहित्य के लिए उन्होंने जो किया वह बेजोड़ है। उनके काम के जरिए उनका सामाजिक संदेश बिलकुल स्पष्ट होता था, अगर हम एक लेखक को लोकतंत्र एवं संविधान का संरक्षक कह सकते हैं, तो वह सोबती थीं। वह सिर्फ हिंदी की ही नहीं बल्कि समस्त भारतीय साहित्य की प्रख्यात लेखिका थीं। कवि अशोक चक्रधर ने उनके निधन को “विश्व साहित्य के लिए क्षति” करार देते हुए कहा कि वह ‘‘महिला सम्मान के लेखन की अगुआ थीं।” चक्रधर ने कहा, “उनकी ‘मित्रो मरजानी’ ने भारतीय साहित्य में लेखन की एक नयी शैली स्थापित की। उन्हें जानना मेरी खुशकिस्मती है। उनका निधन देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए क्षति है।”

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