बच्चों के सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाना है तो उनके साथ ब्लॉक और पजल जैसे गेम्स खेलें। उन्हें गैजेट्स से दूर रखें। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में यह कहा गया है। इसमें शिशु रोग विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि बच्चों के लिए पुराने परंपरागत खेल ही बेहतर हैं। इस दौरान बच्चे माता-पिता के साथ ज्यादा खुशी महसूस करते हैं।
महंगे खिलौने और गैजेट्स विकास में अहम भूमिका नहीं निभाते
शोध से जुड़े डॉ. एलन मेंडलसन कहते हैं कि पांच साल तक के बच्चों के लिए कार्ड बोर्ड को एक खेल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है। कई माता-पिता गैजेट और खिलौने के विज्ञापन देखकर उनके प्रभाव में आ जाते हैं। उन्हें लगता है ये प्रोडक्ट्स बच्चों का ज्ञान और दिमागी स्तर बढ़ाने का काम करते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। अभिभावकों का यह सबसे बड़ा भ्रम है कि महंगे खिलौने बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता बढ़ाने में अहम हैं। डॉ. एलन के मुताबिक, जब बच्चे और अभिभावक, दोनों साथ में खिलौने खेलते हैं तो उनके विकास में सकारात्मक बदलाव आता है।