19 जून को ही पहली बार पिता दिवस मनाया गया था

  • रेखा श्रीवास्तव

फादर्स डे यानी पिता का दिन। बच्चा जिस दिन से दुनिया में आता है, उसी दिन से उसका रिश्ता पिता से बनता है और समय के साथ रिश्ता मजबूत हो जाता है। सदियों पहले पिता और बच्चे के रिश्ते में एक दूरी थी। एक सम्मान था। पिता केवल डांटने और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। माँ अपने बच्चों को डराने के लिए भी कई बार पिता से शिकायत कर देने की धमकी भी दिया करती थी। पर अब पिता और बच्चों का रिश्ता बदल गया है। फिलहाल बच्चों और पापा के बीच का रिश्ता दोस्ती के रिश्ते के रूप में निखरा है। बच्चे माँ की तुलना में पापा से ज्यादा मिल-जुल कर रह रहे हैं। उनके रिश्ते के बीच एक खुलापन दिख रहा है। जिस समय अनुशासन होता है, तो अनुशासन होता है लेकिन जब दोस्ती होती है तो वे केवल दोस्त होते हैं। एक उम्र के बाद बच्चे अपने पापा को अपने मन की बात ज्यादा अच्छे से समझा पा रहे हैं और पिता भी इसे समझने में आगे बढ़ रहे हैं। पढ़ाई, खेल-कूद व इंटरटेनमेंट अर्थात् सारी दुनिया में ही पिता और उनके बच्चे साथ-साथ देखने को  मिल रहे हैं। बेटी और  पिता का संबंध तो और भी ज्यादा गहरा है। पिता की दुलारी होती है बिटिया। बिटिया अपनी सारी इच्छाओं को पापा के सामने रखती है और पापा उसे काफी हद तक पूरा करने की कोशिश करते हैं। और पापा भी बेटों की तुलना में बेटियों को ज्यादा प्यार करते हैं। वैसे बिटिया भी अपने पापा का ख्याल रखती है और पापा भी अपनी बेटी का नखरा उठाते हैं। पिता और बच्चों के बीच अच्छे रिश्ते के कई कारण हैं। फिलहाल एकल परिवार की संख्या ज्यादा है। एकल परिवार में बच्चों को केवल मम्मी और पापा का ही साथ मिल पा रहा है। दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-बुआ अब दूर रहने लगे हैं और वह अब परिवार की तरह नहीं, मेहमान का रूप ले चुके हैं। इसके अलावा आजकल माँ घर-गृहस्थी के साथ-साथ नौकरी, बिजनेस व अन्य क्षेत्र में भी पहुँच गयी है। इसलिए परिवार में रह रहे बच्चे माँ की तुलना  में पिता के साथ ज्यादा घुलमिल रहे हैं और सबसे बड़ी और अच्छी बात है कि आजकल के पिता भी अपने को पिता कम, बच्चों के दोस्त और उसके साथी बनकर रहते हैं। इससे एक अच्छा वातावरण मिल जाता है। उनके रिश्ते में मिठास भर रहा है। वैसे भी पिता बच्चों के लिए केवल जन्मदाता नहीं, बल्कि संस्कार को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचा रहे हैं।  बच्चों के लिए वैसे हर दिन ही माता-पिता का होता है, लेकिन फिर भी एक दिन पापा के नाम हो जाता है।

फादर्स डे पूरे विश्व में ही मनाया जा रहा है। इंडोनेशिया, फिनलैंड सहित कई देशों  में नवंबर महीने दूसरे रविवार को मनाया जा रहा है । वहीं इजराइल में मजदूर दिवस के दिन ही पिता का दिन मनाया जाता है। इसके अलावा कई देशों में अगस्त, सितंबर और अकटूबर महीने में भी फादर्स डे मनाया जाता है। आस्ट्रेलिया, ब्राजील, बेल्जियम, भारत सहित अधिकतर देशों में जून के तीसरे रविवार को ही पिता दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष सबसे खास बात यह है कि फादर्स डे की शुरुआत 1909 में 19 जून को हुई थी, और इस वर्ष भी जून का तीसरा रविवार 19 जून को ही पड़ा है। पिछले सौ साल से भी ज्यादा समय से देशभर में पिता दिवस मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि मई 1909 में वाशिंगटन के स्पोकेन की रहने वाली सोनोरा स्मार्ट डॉड ने तय किया कि वह अपने पिता को सम्मान देंगी। उसकी माँ एक दुर्घटना में मारी गयी थी, और उसके पिता सिविल वार वेटेरन उसे व उसकी पाँच भाई-बहनों की जिम्मेदारी निभा रहे थे। डॉड ने अपने पिता के जन्मदिन 5 जून को फादर्स डे मनाने की मांग की तथा उस दिन छुट्टी की भी मांग की।  उसके एक साल बाद अर्थात् 1910 में 19 जून को फादर्स डे मनाने की आज्ञा दी गयी। डोडा ने  चर्च में अपने पिता को गुलाब के फूलों का गुलदस्ता उपहार में दिया और उसी दिन से फादर्स डे मनाने की शुरुआत हुई। एक बात स्पष्ट होता है कि चाहे कोई भी देश हो या कोई भी महीना पर पिता दिवस रविवार के ही दिन अर्थात् छुट्टी के दिन ही मनाया जा रहा है। बच्चे अपने पापा के साथ इस दिन को भरपूर खुशियों के साथ मना पा रहे हैं। हमारे यहाँ ग्रीटिंग देना, गिफ्ट देने की परंपरा चल रही है और पिता भी अपने बच्चों के साथ इस दिन का भरपूर लुफ्त उठा रहे हैं।

 

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं)

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।