हिंदी पुस्तकों में प्राण बसते थे श्रीराम तिवारी के

कोलकाता : सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष श्रीराम तिवारी के निधन पर भारतीय भाषा परिषद के भागीरथ कानोड़िया ग्रंथालय में आज एक शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए विश्‍वभारती, शांतिनिकेतन की प्रोफेसर डॉ. मंजुरानी सिंह ने कहा कि श्रीराम तिवारी विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए ज्ञान का ठिकाना थे। वे बहुत सहृदय और सरल इन्सान थे। उनके निधन से हिंदी पुस्तकालय संसार की एक अपूरणीय क्षति हुई है। भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि श्रीराम तिवारी कॉलेज एवं विश्‍वविद्यालयों के विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन में बहुत बड़े सहयोगी थे। हिंदी पुस्तकों में उनके प्राण बसते थे।  उनकी जैसी सरलता और कर्मठता से ही हिंदी पुस्तकालयों में गतिशीलता आ सकती है। परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने अपने शोक-संदेश में कहा कि श्रीराम तिवारी एक सच्चे हिंदी सेवी थे। ग्रंथालय के पाठकों ने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लम्बे समय तक सावित्री गर्ल्स कॉलेज में पुस्तकालयध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले श्रीराम तिवारी का निधन मष्तिष्क ज्वर से 71 वर्ष की आयु में गत 27 दिसम्बर को हो गया था।

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