सर ब्रैडमैनः वो पारी जिसके रन लिखते-लिखते स्कोरर थक गया पर डॉन नहीं

25 अगस्त 2019 अगस्त को हेडिंग्ले का लीड्स मैदान एक शानदार मैच का गवाह बना। पहली पारी में मात्र 67 रन पर ऑलआउट होने वाली इंग्लैंड की टीम ने दूसरी पारी में 359 रन के मुश्किल लग रहे स्कोर को हासिल कर इतिहास के पन्नों में इस मैच को दर्ज करा दिया और इसके सूत्रधार रहे इंग्लिश टीम के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स। स्टोक्स ने अद्भुत शतकीय पारी खेलकर हारे हुए मैच को इंग्लैंड की झोली में डाल दिया।
लीड्स के मैदान के लिए ये सब देखना कोई नया नहीं था, उसने तो एक ऐसी पारी देखी है, जो आज भी एक रिकॉर्ड है और लोग जब उस पारी के बारे में सुनते हैं, तो उनके मुंह खुले ही रह जाते हैं। ये पारी आज से करीब 89 साल पहले इसी लीड्स के मैदान पर खेली गई थी, जिस मैदान पर स्टोक्स ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को नाको चने चबवा दिए। विश्व क्रिकेट में एक बल्लेबाज हुआ, दाएं हाथ का। कहा जाता है कि जब वह पिच पर बल्लेबाजी कर रहा होता था, तो गेंद सीमा रेखा के बाहर इस तरह पहुंचती, मानो न्यूटन का ग्रेविटेशनल लॉ गेंद को खींच रहा हो।
तेज गेंदबाजों के खिलाफ उसकी कलाई ऐसे घूमती मानों कलाई पर मक्खन लगा कर उतरा हो और गेंद खूद-ब-खूद बाउंड्री का रास्ता ढूंढ लेती। उस खिलाड़ी ने जितना भी क्रिकेट खेला आने वाली पीढ़ी के क्रिकेटरों के लिए बेंचमार्क सेट कर गया। वह खिलाड़ी जिसका नाम क्रिकेट के शब्दकोश का हिस्सा बन गया है और उस खिलाड़ी का नाम है सर डॉन ब्रैडमैन। 27 अगस्त 1908 को उनका जन्म ऑस्ट्रेलिया के कूटामुंडरा में हुआ था। उनके जन्मदिन पर उनकी एक पारी की कहानी, जो आज भी एक रिकॉर्ड है, इस फटाफट क्रिकेट को दौर में भी कोई भी बल्लेबाज उस रिकॉर्ड तक नहीं पहुंच पाया है। तो जरा अपने दिमाग को ब्रैडमैन की ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीरों के इर्द गिर्द घुमाइए और इस ऐतिहासिक पारी की कहानी सुनिए…
11 जुलाई, 1930 एशेज सीरीज का तीसरा मैच, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान विलियम मॉल्डन वुडफुल ने टॉस जीता और सपाट दिख रही पिच पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, लेकिन उनका फैसला मैच की 11वी गेंद पर गलत साबित होने की ओर बढ़ा गया, जब सलामी बल्लेबाज ऑर्ची जैक्शन पवेलियन लौट गए।
इसके बाद एक 21 साल का एक युवा बल्लेबाज लीड्स की पहली सुबह 11 गेंदों के बाद बल्लेबाजी करने के लिए ड्रेसिंग रूम से निकला और दिन का खेल खत्म होने के बाद वह नाबाद 309 रन पीटकर लौटा। ये बल्लेबाज कोई और नहीं बल्कि सर डॉन ब्रैडमैन थे। उनके तिहरे शतक के बाद पूरा क्रिकेट जगत सकते में था, एक दिन में तीन सौ रन…कहा जाता है कि लीड्स में तीसरे टेस्ट से पहले ब्रैडमैन ने कोई भी प्रैक्टिस नहीं की थी। लंदन में दूसरा टेस्ट जीतने के बाद वह साथी खिलाड़ियों के साथ उस साल के विंबलडन के फाइनल मैच का लुत्फ उठाया था और उसके बाद भी वह कुछ दिन क्रिकेट से दूर ही रहे।
लंदन टेस्ट में ब्रैडमैन ने 254 रन की पारी खेली थी, लेकिन लीड्स टेस्ट से पहले उन्होंने बैट को हाथ तक नहीं लगाया। शायद क्रिकेट से ब्रेक ने उन्हें बेहतर तैयारी का मौका दिया और जब वह लीड्स के मैदान पर उतरे, तो पूरी दुनिया उनकी खतरनाक बैटिंग को देखकर हैरान रह गई। ब्रैडमैन की उस प्रलय वाली पारी के तीन दशक बाद साल 1965 में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज रहे हेरोल्ड लारवुड ने अपनी आत्मकथा में दावा किया कि उन्होंने ब्रैडमैन को बिना खाता खोले ही विकेट की पीछे कैच करा दिया था। विकेट के पीछे और आसपास खड़े सभी खिलाड़ियों ने अपील की थी पर अंपायर ने इसपर ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने लिखा कि, मेरे मन में कोई संदेह नहीं था कि वह स्पष्ट रूप से आउट थे। विकेट के आस-पास सभी ने अपील की, यहां तक कि जैक होब्स ने भी, जो सबसे निष्पक्ष व्यक्ति थे, जिनसे मैं क्रिकेट के मैदान पर मिला था। बाद में मैच की रिकॉर्डिंग्स को देखा गया तो मालूम हुआ की लारवूड से गलती हुई थी। उन्होंने ब्रैडमैन को खाता खोलने से पहले गेंदबाजी नहीं की थी और पूरी पारी के दौरान जैक हॉब्स ने या तो कवर में या फिर एक्सट्रा कवर बाउंड्री पर फील्डिंग की थी, विकेट के पीछे कभी नहीं। यह हुआ या नहीं, इसका ब्रैडमैन पर बहुत कम प्रभाव पड़ा। लंच तक वह नाबाद 105 रन बनाकर अपने प्रसिद्ध साथी विक्टर ट्रम्पर और चार्ली मैकार्टनी के साथ मिलकर टेस्ट मैच के पहले दिन ही लंच से पहले शतक बनाने वाले बल्लेबाज बन गए।
फिल्डर के गुस्से पर भारी ब्रैडमैन की मुस्कान
डॉन के बल्ले से पहला गलत स्ट्रोक 141 पर निकला, जब उन्होंने गेंद को मिड-ऑन की ओर खेला, लेकिन गेंद सुरक्षित रूप से जमीन पर गिर गई। चाय तक उन्होंने दोहरा शतक जड़ दिया था। छह बजे से ठीक पहले 273 पर इंग्लैंड के खिलाड़ियों को खुद को आउट करने का एक वास्तविक मौका दिया। विकेटकीपर जॉर्ज डकवर्थ ने जॉर्ज गीरी की गेंद पर एक मुश्किल कैच पकड़ा, लेकिन गेंद जमीन को छू गई, डॉन मुस्कुराए, और डकवर्थ गुस्से में उन्हें देखते रह गए। दिन के अंत तक, ब्रैडमैन 309 रन पर नाबाद थे और एंग्लो-ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट में पहला तिहरा शतक जमाने के बाद, रेगी फोस्टर के 287 के रिकॉर्ड को तोड़ा। स्क्वायर कट, लेग में हूक और हिट ऑन ड्राइव जैसे शानदार शॉट खेला था ब्रैडमैन ने अपनी पारी में।
द टाइम्स के अनुसार, उन स्ट्रोक्स का जिक्र करने के लिए, जिनसे उन्होंने अपने अधिकांश रन बनाए, इसके लिए आपको पूरी एशेज की श्रृंखला से गुजरना पड़ेगा। उन्होंने अपनी पहले दिन की पारी में 42 चौके लगाए थे। किसी भी समय उन्होंने जोखिम लेने के लिए कुछ भी नहीं किया, और वह दिन में सिर्फ तीन बार गेंद को हवा में खेले थे। यह वास्तव में उस दौर से लेकर अबतक की शानदार पारियों मे एक है। कहा जाता है कि जब दिन में तीन सौ रन बनाकर एकदम ताजे मिजाज के साथ ब्रैडमैन मैदान से लौटे, लेकिन मैदान में खड़े अंपायर, मौजूद दर्शक सबके सब बेहद ही थके थे। अगर किसी व्यक्ति की सबसे ज्यादा हालत खराब थी, वह था स्कोरर, जो स्कोर बोर्ड को चला रहा था। अगले दिन ब्रैडमैन 334 के स्कोर पर आउट हो गए। डॉन ब्रैडमैन ने अपने करियर में 52 टेस्ट खेले और उनकी 80 पारियों में 29 शतक और 13 अर्धशतक की मदद से कुल 6996 रन बनाए। ये आँकड़े आज भी उनके सर्वश्रेष्ठ होने की कहानी बयां करते हैं, लेकिन यह महान खिलाड़ी अपने आखिरी मैच में शून्य पर पवेलियन लौट गया। तारीख थी 14 अगस्त 1948 यानि जब हिन्दुस्तान अपनी आजादी की पहली सालगिरह मनाने की तैयारी कर रहा था, तब क्रिकेट के एक कोहिनूर ने उसे अलविदा कह दिया। जिसके नाम से क्रिकेट को सम्मान मिला, जिसने सैकड़ों खिलाड़ियों को क्रिकेट के लिए प्रेरित किया।

(साभार – अमर उजाला)

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