समाज को बाँटने वाली हर चाल का मुकाबला हम और आप ही करेंगे

अभिनेत्री जायरा वसीम ने फिल्म उद्योग को अलविदा कह दिया है। अभिनय छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है मगर जो कारण उन्होंने बताए हैं, वे काफी परेशान करने वाले हैं। सीक्रेट सुपरस्टार जैसी फिल्म से अपना लोहा मनवाने वाली जायरा की उम्र अधिक नहीं है मगर उनमें सम्भावनाएँ बहुत हैं। एकमात्र धर्म क्या उस उर्जा का क्षरण कर सकता है? ऐसा माना जा रहा है कि उन पर कट्टरपंथियों का दबाव रहा और बहुत ज्यादा रहा। इस वजह से ही उन्होंने यह फैसला लिया। यह एक खतरनाक संकेत इसलिए है क्योंकि जायरा के इस फैसले को ढाल बनाकर अब दूसरी लड़कियों पर प्रहार किये जा सकते हैं।
दरअसल, धर्म और परिवार का काम है कि वह बच्चों को खड़ा करे। किसी भी व्यक्ति को मजबूती दे मगर कोई अपने जीवन को किस तरह से जीना चाहता है, वह आगे क्या करना चाहता है, इसका फैसला धर्म के नाम पर न तो हो सकता है और न होने देना चाहिए। ये बहुत हैरत की बात है कि जिन बन्धनों को बड़ी मुश्किल से तोड़ा गया था, उनको लड़कियाँ खुद पर लाद रही हैं। उड़ते खुले काले बाल बुरके या घूँघट के नीचे जा रहे हैं, उनकी आजाद सोच कैद हो रही है, यह परेशान करने वाला है। हम कह सकते हैं कि यह उनका निजी फैसला है मगर उनके फैसले के साथ खड़े होने वाले लोग रहें मगर लड़कियों के साथ अक्सर ऐसा नहीं हो पाता। उनके साथ कई बार वह ही नहीं खड़े होते जिन पर उनको सबसे ज्यादा भरोसा होता है। मुमकिन है कि ऐसा ही कुछ जायरा के साथ भी हुआ हो या फिर उन्होंने खुद को ही बाँधना शुरू कर दिया है।
जायरा ने अपनी पोस्ट में बताया कि 5 साल पहले उनके बॉलीवुड में कदम रखने के फैसले ने किस तरह उनकी जिन्दगी को बदल दिया लेकिन जायरा को लगता है कि अभिनेत्री बनने की वजह से वो अपने धर्म इस्लाम से दूर होती जा रही हैं। जायरा के पोस्ट में उनका दर्द साफ झलक रहा है। उन्होंने अपने पोस्ट के जरिए बताया कि पाँच सालों से वो किस तरह अपनी आत्मा से लड़ रही हैं। एक कामयाब पहचान मिलने के बाद वो खुश हैं. लेकिन ये वो पहचान नहीं है जो वो अपनी जिंदगी से चाहती हैं और इस बात का उन्हें एहसास हो गया है। जायरा ने अपनी पोस्ट में साफ-साफ शब्दों में बताया कि लम्बे वक्त से उन्हें ऐसा लग रहा है कि वो कुछ और ही बनने की जद्दोजहद कर रही हैं. लेकिन उन्हें एहसास हो गया है कि उनकी नयी जीवनशैली, प्रसिद्धि और संस्कृति में वो खुद को फिट तो कर सकती हैं, लेकिन वो इस प्लेटफॉर्म के लिए नहीं बनी हैं। जायरा को लगता है कि फिल्म इंड्स्ट्री से जुड़ने पर वो अपने धर्म इस्लाम से दूर होती जा रही हैं लेकिन वो बीते कुछ समय से खुद को समझाने की कोशिश कर रही थीं कि वो जो कर रही हैं वो सब सही है. लेकिन उन्हें आखिरकार समझ आ गया है कि इस्लाम की बताई राह पर चलने में वो एक बार नहीं बल्कि 100 बार असफल रहीं हैं। जायरा ने यह भी बताया कि वो अपनी छोटी सी जिंदगी में इतनी लंबी लड़ाई नहीं लड़ पा रही हैं और वो बहुत सोच समझकर बॉलीवुड को अलविदा कहने का फैसला ले रही हैं. जायरा के इस फैसले से बॉलीवुड हस्तियों समेत उनके फैंन्स को बड़ा झटका लगा है। जाहिर है कि उनके इस फैसले से बॉलीवुड को गहरा झटका लगा है।
आज धर्म हर चीज को परिचालित कर रहा है। ऐसा नहीं होने देना चाहिए। धर्म के नाम पर हम किसी की जान लेने की इजाजत नहीं दे सकते और न ही उसे इजाजत दे सकते हैं कि उसके आधार पर हमारी जिन्दगी के फैसले हों। कहीं न कहीं आपको फैसला लेना पड़ता है। दूसरी तरफ इस सर्कींण मानसिकता के खिलाफ खड़ी नुसरत जहाँ हैं जो अपने खिलाफ जारी फतवों का न सिर्फ जवाब दे रही हैं बल्कि एक नयी मिसाल खड़ी कर रही हैं। नुसरत के खिलाफ भी फतवे जारी किये गये क्योंकि उन्होंने एक हिन्दू से विवाह किया और बाकायदा साड़ी, बिन्दी व सिन्दूर तक लगाया…मगर इसके खिलाफ नुसरत जिस तरह खड़ी हुईं और जिस तरह आलोचकों को जवाब दिया..भारतीयता को सामने रखा..उनकी यह स्वतन्त्र सोच एक उम्मीद तो जगाती है। अगर हम किसी नारेबाजी से खुद को उद्वेलित होने देते हैं या धर्म को खुद पर हावी होने देते हैं या किसी धर्म विशेष के चश्मे में खुद को बाँधना शुरू करते हैं तो दरअसल, वह हमारी हार ही होती है। जय श्री राम के नारे से किसी को उकसाना और यह सुनकर अपना आपा खो बैठना, दोनों ही आपके मानसिक दिवालियेपन का प्रतीक हैं। तुष्टीकरण की नीति भी कुछ ऐसी ही समाज में दरार डालने वाली है मगर उनसे जनता के रूप में खुद को कैसे बचाना है, यह नेता नहीं देखेंगे बल्कि हमें ही देखना होगा। एक समाज की रक्षा का भार कोई सरकार या राजनीतिक पार्टी नहीं उठाने जा रही, इसके लिए आम जनता को ही खड़ा होना होगा। समाज को बाँटने वाली हर चाल का मुकाबला हम और आप ही करेंगे।

 

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