शिक्षक दिवस पर सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन के अनमोल विचार

आज शिक्षक दिवस है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम पर हर साल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिता नहीं चाहते थे कि वो पढ़ाई करें, वो उन्हें मंदिर का पुजारी बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए।

उनका कहना था कि यदि शिक्षा सही प्रकार से दी जाए तो समाज से अनेक बुराइयों को मिटाया जा सकता है। आइए जानते हैं राधाकृष्णन के अनमोल विचार –

– शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

– भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।

– अगर हम दुनिया के इतिहास को देखे, तो पाएंगे कि सभ्यता का निर्माण उन महान ऋषियों और वैज्ञानिकों के हाथों से हुआ है,जो स्वयं विचार करने की सामर्थ्य रखते हैं,जो देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते हैं,उनके रहस्यों का पता लगाते हैं और इस तरह से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विश्व श्रेय या लोक-कल्याण के लिए करते हैं।

– कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो। किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।

– शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।

ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

– शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

– पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

– किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।

– दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जाएंगे यदि यह सत्य कि ज्ञान अज्ञान से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नहीं करता।

-शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

-सचमुच ऐसा कोई बुद्धिमान नहीं है जो स्वयं को दुनिया के कामकाज से अलग रख कर इसके संकट के प्रति असंवेदनशील रह सके।

-उम्र या युवावस्था का समय से लेना-देना नहीं है। आप अपने आप को कितना नौजवान या बूढा महसूस करते हैं यही मायने रखता है।

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