विरासत ए फैशन : रंगाई की खास तकनीक इक्कत

आप अपने आस-पास कहीं भी देखें, इक्कत आपको नज़र आ ही जाएगा. ये फैब्रिक उन कपड़ों में से है जो भारत में बहुत लोकप्रिय रहा है और आज भी है. ये फैब्रिक भारतीय परिधानों में ही नहीं, बल्कि पश्चिम के डिजाइनरों की भी पसन्द है।

अब इक्कत से सिर्फ साड़ी या सलवार कमीज़ नहीं बनती. उसे बैग, जम्पसूट, ड्रेस मटेरियल और ट्राउजर्स के साथ चादरों, लैम्प शेड्स और क्रॉकरी में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इक्कत डाइ यानि कपड़ों को रंगने का तरीका है जिससे अनोखे पैटर्न के साथ मोड़कर विशेष धागों की सहायता से एक फैब्रिक का रूप दिया जाता है।


इक्कत की शुरूआत दक्षिण – पूर्व एशिया में हुई। इंडोनेशिया के लोग इसे भारतीय सूती धागों पर बनाया करते थे। फैब्रिक का नाम भी इसी देश से आया है। इसके बाद इक्कत की बाँधनी यानि टाई एंड डाई हमारे देश भारत और मलेशिया जैसे देशों में आई, लेकिन अब यह फैब्रिक कई देशों जैसे दक्षिण – पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका, स्पेन, उजबेकिस्तान में भी मिलता है। भारत में आँध्र प्रदेश, गुजरात में इक्कत बनता है मगर आज ओडिशा की पहचान इस फैब्रिक के लिए की जाने लगी है।


इक्कत की बुनाई का तरीका बाकियों से अलग होता है, इसमें धागे बुनने से पहले रंगे जाते हैं। इक्कत को रंगने का तरीका बाँधनी जैसा ही है। ऐसा माना जाता है कि इसे रंगने की तकनीक पाँचवीं या छठीं शताब्दी में खोजी गयी। इक्कत को बनाने के लिए धागे डाइ करने के बाद सुखा कर अच्छे डिजाइन के लिए धागे सही स्थिति में लूम पर रखा जाता है। इसी तकनीक से इक्कत को बनाने में कोई गलती नहीं होती। इसमें ज्य़ामीतिय पैटर्न सबसे अधिक मिलते है, लेकिन फूल, जानवरों और पक्षियों के मोटिफ में भी मिलता है।

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