नयी दिल्ली : भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के कर्मी को लाल किले में छुपे हुआ भूमिगत कक्ष मिला है। कहा जा रहा है कि शायद इस कक्ष का इस्तेमाल गोला बारूद रखने के लिए किया जाता होगा। जब लाहौरी गेट जो कि लाल किले का मुख्य द्वार है की सफाई की जा रही थी तभी यह कक्ष मिला।
एएसआई अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा कि तहखाना पूरी तरह से मिट्टी से भरा हुआ था। इसमें विस्फोटक और अग्नेय शस्त्र जैसी कोई चीज नहीं मिली है। अधिकारी ने यह भी बताया कि कक्ष (1658-1707) मुगल काल के दौरान औरंगजेब या फिर ब्रिटिश सेना ने बनाया होगा। यह कक्ष लाखौरी ईंटों से बनाया गया है और अंडाकार गुंबददार डिब्बे की आकृति में बनाया गया है। इसकी लंबाई 6 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर और ऊंचाई 3 मीटर है। यह कक्ष पैडस्टल से कुछ दूरी पर स्थित है, जहां 15 अगस्त को झंडा लहराया जाता है।
अधिकारी ने बताया कि यह धरती के टीले के नीचे दबा हुआ था और विभाग में कोई भी अभी तक इसके अस्तित्व के बारे में नहीं जानता था। सफाई के बाद एएसआई ने इसे इसके मूल आकार में ढाल दिया है। इस कक्ष का इस्तेमाल गोला बारूद रखने के लिए किया जाता था क्योंकि उस समय (मुगल और ब्रिटिश काल) उन्हें मिट्टी के नीचे दबाकर रखा जाता है। यह तब एक आम प्रथा थी। क्योंकि मिट्टी एक इंसुलेटर के रूप में काम करती है। अधिकारी ने बताया कि कक्ष में कोई गोला बारूद नहीं मिला। वह केवल मिट्टी से भरा था। इससे पहले एएसआई को लाल किला परिसर में विस्फोटक और कारतूस भी मिल चुके हैं।