महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनका एक साथ आना जरूरी है और यह तभी होगा जब वे एक साथ जुड़ सकेंगी और अपने अनुभव साझा कर सकेंगी। ऑल इंडिया लेडीज लीग ऐसी ही संस्था है। विमेन इकोमिक फोरम तथा ऑल लेडीज लीग की ग्लोबल चेयर पर्सन तथा बायो आयुर्वेदा की संस्थापक डॉ. हरबीन अरोड़ा से अपराजिता की बातचीत के कुछ अंश –
प्र. महिला सशक्तिकरण को आप कैसे परिभाषित करेंगी?
उ. सशक्तिकरण अपने भीतर छुपी शक्ति को पहचानना है। यह अपनी क्षमता को बाहर लाना है, वैसे ही जैसे एक माँ अपने बच्चे की परवरिश कर, उसे प्रोत्साहन और समर्थन देकर उसे सशक्त बनाती है। हमें महिलाओं को सुरक्षा प्रदान कर अपने समुदाय और समाज में वह जगह देना है, जहाँ वह यह महसूस कर सके कि मैं यह कर सकती हूँ। आत्म सम्मान, आत्म विश्वास, आत्म निर्भरता और आत्म परिपूर्णता, ये चार तत्व स्थापित करना सशक्तीकरण के स्तम्भ हैं।
प्र. महिलाओं की जिन्दगी में शिक्षा की क्या भूमिका है?
उ. शिक्षा परिवर्तन की शुरुआत है। सपने देखने की क्षमता और एक दृष्टि है जो शिक्षा से प्राप्त होती है मगर हमारी मानसिकता को भी शिक्षित करने की जरूरत है जिससे परिवार और समाज महिला को उसकी दृष्टि के साथ सम्मान दे और परिवार उसके साथ खड़ा हो सके। आपकी परवरिश और परिवार का आपके विकास में औपचारिक स्कूली शिक्षा के अतिरिक्त बड़ा योगदान होता है।
प्र. आपकी नजर में आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
उ. हमें इस बात की खुशी है कि हम विभिन्न संस्कृतियों और देश व समाज की महिलाओं को अपने साथ ला सके हैं। ‘ऑल’ एकमात्र ऐसी संस्था है जिसमें सभी महिलाओं को निःशुल्क प्रवेश मिलता है और इसके लिए एकमात्र मापदंड सकारात्मक ऊर्जा और भाईचारे व बहनापे की भावना होना है।
प्र. महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए किस तरह के कदम उठाने चाहिए?
उ. सुरक्षा की बात की जाए तो जब महिलाएं महिलाओं की सुरक्षा के लिए खड़ी होंगी और जब कार्यस्थल और सार्वजनिक जीवन में महिलाएं जब अधिक दिखेंगी। निश्चित रूप से हम अपनी सुरक्षा के लिए आवाज और तेज कर सकेंगे। आमतौर पर सुरक्षा को लेकर लोग सलाह देते हैं कि हमें घर से कम निकलना चाहिए मगर मैं इसके विपरीत विश्वास करती हूँ कि हमें और अधिक बाहर निकलकर पुरुष प्रधान समाज में उपस्थिति दर्ज करवानी होगी जिससे महिलाओं की अधिक भागीदारी से संतुलन आ सके। महिलाओं को महिलाओं की बेस्ट फ्रेंड बनना होगा। राजनीति, राष्ट्रीयता और धर्म किसी महिला की सहायता करने में बाधक नहीं बनना चाहिए। हमें एक दूसरे को महिला की तरह देखना होगा और चुनौतियों और आकाँक्षा को समझना चाहिए। महिलाएं हमेशा से शांति और स्थायीत्व की संरक्षक रही हैं।
प्र. महिलाओं को लेकर समाज की अवधारणा कहाँ तक बदली है?
उ. बहुत कुछ बदला है मगर अब भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। फिर भी मुझे विश्वास है कि हमारे और देश और दुनिया की बहुत सी अन्य संस्थाओं के प्रयास से परिवर्तन जारी रहेगा। हम भाग्यशाली हैं जो हमारे आस – पास बहुत सी महिलाएं प्रेरणा के रूप में मौजूद हैं जो पहले नहीं था। हमें अपने प्रयास जारी रखने की जरूरत है जिससे हमारे बच्चे महिलाओं को नेतृत्व देने वाली भूमिकाओं में देख सकें और समझ सकें कि महिलाएं अगर तय कर लें तो वे कुछ भी कर सकती हैं।
प्र. ऑल लेडीज लीग तथा विमेन इकोनॉमिक फोरम के बारे में बताएं?
उ. ऑल लेडीज लीग, हमने एक सपने के साथ शुरु किया था जिससे हम बहनापे को प्रोत्साहित कर सकें। महिलाएं नेतृत्व देने की दिशा में एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और सशक्त व सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ सकेंगी। हमारा विमेन इकोनॉमिक फोरम सभी महिलाओं को आत्मविश्वास, जानकारी तथा प्रेरित नेटवर्क दे रहा है जिससे वे सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
प्र. हमारे पाठकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
उ. आप जब महिला को देखती हैं तो शक्ति को देखती हैं। एक महिला अपने आस – पास हर किसी का ख्याल रखती है इसलिए जब आप एक महिला को शिक्षित व सशक्त करते हैं तो आप समाज को विकसित करते हैं। महिला कभी कमजोर नहीं होती है। प्यार और संरक्षण के साथ देने की क्षमता उसकी बड़ी ताकत है। यहाँ तक कि जब वह कमाती है तो वह अपने परिवार की बेहतरी के बारे में सोचती है और हर काम में मूल्य और दायित्वबोध लाती है जिसमें व्यवसाय भी शामिल है। अपनी बेटियों को कमजोर न समझें बल्कि उसे जहाँ तक हो सके, बेहतर परवरिश और प्रोत्साहन दें और आप अपना भविष्य सुरक्षित करेंगे।