पहली किताब से ही अपनी छाप छोड़ने वाली दीपिका अग्रवाल उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो अपनी प्रतिभा की कद्र नहीं करतीं। घर – परिवार की तमाम जिम्मेदारियाँ निभाते हुए दीपिका ने अपनी पहली किताब ‘द बेटर साइड’ लिखी जिसे पाठकों ने हाथों – हाथ लिया। सोशल मीडिया को भी ये बड़ी खूबसूरती से इस्तेमाल करती हैं और उनके प्रेरक कथ्य जीवन में नया उत्साह भर रहे हैं। अपराजिता ने दीपिका अग्रवाल से खास मुलाकात की, पेश हैं प्रमुख अंश –
प्र. पहली ही किताब लिखी और वह बेस्टसेलर है? इस सफलता के बाद आपकी जिन्दगी कितनी बदली है?
उ. हमें खुद पर अटूट विश्वास रखना आता हो तो कोई भी काम हम करेंगे, सफलता निश्चित है। खुद पर विश्वास सबसे बड़ी चीज है। मेहनत से पाई हुई सफलता ही असली सफलता है जो मुझे अपनी पहली किताब ‘द बेटर साइड’ के माध्यम से मिली है। अब लोग मुझे एक गृहिणी के साथ एक लेखिका के रूप में भी जानते हैं और सम्मान करते हैं। मुझसे लोग अपनी समस्याएँ साझा करते हैं और मैं उनकी समस्याओं का सकारात्मक समाधान निकालने की पूरी कोशिश करती हूँ। लोग अब मुझे मेरे नाम और मेरे काम से पहचानते हैं। मैं लोगों की सहायता व्यक्तिगत रूप से अपनी लेखनी द्वारा कर रही हूँ। यही मेरी सबसे बड़ी सफलता है।
प्र. आपने लिखना कैसे शुरू किया?
उ. लिखने का शौक तो मुझे था मगर व्यवस्थित रूप से लिखना नहीं हो पाता था। यह जरूर था कि मेरे दिमाग में जो भी सकारात्मक और अच्छे विचार आते हैं, उन विचारों को में हमेशा से हर सुबह कागज पर उतार लेती हूँ। कविताएँ भी लिखती थी मगर इस ओर पहले ध्यान ही नहीं दिया। दरअसल, मेरे लेखन की शुरुआत ही इन 4 पँक्तियों के विचारों को उतारने से हुई। उसी दौरान एक कार्यशाला में भाग लिया और यह मेरे जीवन को बदलने वाला अनुभव साबित हुआ। कार्यशाला ने मुझमें विश्वास भरा और मैंने फैसला किया कि अब किताब लिखूँगी।
प्र. किसी से प्रेरणा मिली?
उ. एक भइया हैं मेरे, जिन्होंने “विशेज आर फ्री’ किताब लिखी, उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया। उनकी किताब पढ़कर मुझे प्रेरणा मिली। मैंने महसूस किया कि ईश्वर ने अगर मुझे कोई प्रतिभा दी है, मुझमें कुछ है तो उसे बाहर लाना चाहिए। जो भी लिखती थी, सोशल मीडिया पर डाल देती थी और वह लोगों को बहुत पसन्द आता था। तारीफें मिलती थीं तो हौसला बढ़ता गया और इसके बाद कार्यशाला में किताब लिखने की चाहत भर दी।
प्र. अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों और लेखन के बीच संतुलन आपने कैसे बनाए रखा?
उ. परिवार में सबने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया है। मेरी सफलता पर मेरे परिजन आनंदित होते हैं। मैंने अपनी हर जिम्मेदारी निभाई है मगर अपने लिए वक्त भी इन जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए निकाला है। घर के काम में परिवार का सहयोग मिले तो हर काम आसान हो जाता है व्यक्तित्व के विकास से सम्बन्धित लेखन करना मुझे पसन्द है। अब मैं इसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हूँ, शोध करना चाहती हूँ और फिर लिखना चाहती हूँ। कविताएँ पसन्द हैं तो कविताएं भी लिखना चाहूँगी।
प्र. बहुत सी महिलाएँ हैं, जो अपने घर के पीछे खुद को भुला देती हैं, वह आपकी तरह अपना हुनर बाहर कैसे निकाल सकती हैं?
उ. सबसे पहले तो हम महिलाओं को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। आप कुछ भी कर सकती हैं और आजकल तो सोशल मीडिया एक बड़ा माध्यम है जहाँ से आपको काफी सहायता मिल सकती है। सोशल मीडिया से हम काफी कुछ नया सीख सकते हैं। दरअसल, आज महिलाओं के साथ पुरुष को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए और महिलाओं को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग देना चाहिए।
प्र. आपकी भावी योजना क्या है?
उ. मुझे अब रुकना नहीं है। अपनी लेखनी द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करना है।
प्र. क्या सन्देश देना चाहेंगी आप?
उ. मेरा कहना है कि प्रतिभा हम सबमें हैं, जरूरत बस उसे तराशने की है। महिलाओं को खुद के लिए भी समय जरूर निकालना चाहिए। आप आधा घंटा या कुछ मिनट ही निकालिए मगर समय निकालिए और उस वक्त मे वह काम करिए जो आप हमेशा से करना चाहती हैं। यह आधा घंटा भी सिर्फ आपका होना चाहिए। अपनी पहचान बनाइएं, उसे विकसित कर आगे बढ़िए।