मन के जीते जीत है, जरूरी है विश्वास

आपका अवचेतन आपकी इच्छानुसार तभी फल देता है, जब आप उस पर पूरी आस्था रखते हैं। इच्छाएं तो आपकी अनंत होती हैं। आपके मन में जो भी विचार चलते हैं, वे आपकी अनगढ़ इच्छाएं ही होती हैं। इनका कोई सिर-पैर नहीं होता। हमेशा मन में बेलगाम घोड़े दौड़ते रहते हैं। इस प्रकार की इच्छाएं कभी फलवती नहीं होतीं।

विचार हमेशा चेतन मन में चलते हैं। प्रत्येक विचार का मन में एक मेंटल फ्रेम अथवा चित्र बनता है। बिना चित्र कोई विचार नहीं चलता। आपका अवचेतन प्रत्येक विचार को सत्य समझता तो है लेकिन उसी हद तक, जिस हद तक आपका विश्वास होता है। व्यर्थ के सभी विचार विश्वास से परे होते हैं।

जिस किसी भी विचार पर आपकी आस्था होती है, पूरा विश्वास होता है, आपका अवचेतन मन उस विचार अथवा छवि को वास्तविकता में बदल सकता है। संसार में प्रचलित सब धार्मिक सिद्धांत इसी विश्वास पर काम करते हैं।

कोई भी व्यक्ति जब पूरी आस्था से कोई कामना करता है, ईश्वर, अल्लाह या गॉड से प्रार्थना करता है तो वह प्रार्थना पूरी होती है। आपकी प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है। लेकिन सुनता कौन है? कौन आपकी याचना को पूरा करता है? दरअसल कोई भी व्यक्ति जब पूरी आस्था से कोई कामना करता है, तो उसे सुनने वाला उसका अवचेतन मन ही होता है और वही फल देता है।

सवाल शुद्धता का

आपका अवचेतन मन आपकी इच्छा को तभी पूरी करता है, जब वह शुद्ध होती है, किसी का अहित नहीं चाहती। अवचेतन मन की शुद्धता, चेतन मन की शुद्धता पर निर्भर करती है। विचार और उनका चित्रण चेतन मन की प्रक्रिया है।

हर विचार का अपना चित्रण होता है। जिस प्रकार के चित्र आपके चेतन मन में चलते हैं और बार-बार दोहराए जाते हैं, उनकी प्रोग्रामिंग होकर आपके अवचेतन की हार्ड-डिस्क में परमानेंटली रिकॉर्ड हो जाती हैं।

इनकी रिकॉर्डिंग चित्रों के रूप में ही होती है। आपने देखा होगा कि सीडी अथवा डीवीडी पर भी तरंगों के रूप में ही चित्रों तथा ध्वनि की रिकॉर्डिंग होती है। अवचेतन मन की हार्ड डिस्क में चित्रों व ध्वनि के साथ-साथ कर्म व संस्कारों की भी रिकॉर्डिंग होती है, जिससे सुख अथवा दु:ख की अनुभूति होती है।

ये संस्कार ही आपकी कार्मिक शक्ति होते हैं। तदनुसार मन को कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। यदि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो आप अच्छे फल की आशा कर सकते हैं।

आज आप जो कुछ भी हैं, अपने कर्म-संस्कारों के कारण ही हैं। आपके संस्कार स्वयं ही आपके लिए ऐसी परिस्थिति उत्पन्ना कर देते हैं, जो आपकी इच्छाओं को पूर्ण करने का कारण बनते हैं। आपकी आशा आपके विश्वास को बल देती है। आशा और विश्वास ही आपके वास्तविक मित्र हैं। अपने विश्वास की शक्ति से आप मनचाहा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। अत: आशावादी बनें। अपने विश्वास से अपनी इच्छाएं पूरी करें।

सब लोग अच्छा स्वास्थ्य, धन-दौलत, सुख और शांति की आकांक्षा रखते हैं। क्या यह सब कुछ हर व्यक्ति को उपलब्ध है? नहीं! ऐसा संभव भी नहीं। इच्छा करना, कामना करना और बात है, जबकि विश्वासपूर्वक याचना दूसरा ही पहलू है।

आपका अवचेतन मन तो अनादि काल से ही सर्वशक्तिमान, सर्वसामर्थ्यवान व सर्वदृष्टा रहा है। जब इस संसार में आज के धर्म व सम्प्रदाय नहीं थे, उस काल में भी मन इस आस्था से ही कार्य करता था।

आपका मन एक वाई-फाई की तरह कार्य करता है। वाई-फाई से काम लेने के लिए उससे कनेक्ट होना पड़ता है। कनेक्ट होने के लिए एक पासवर्ड की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार मन से कनेक्ट होने के लिए भी एक पासवर्ड चाहिए। मन के लिए तो एक ही पासवर्ड होता है और वह है ‘विश्वास।

 

शुभजिता

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