भाषा का गांव बनाम भाषा का शहर उर्फ भोजपुरी और हिंदी

प्रो. संजय जायसवाल

गांव को शहर बनाया जा रहा है

बगीचे की जगह लॉन बन रहा है

मां को धकिया कर बाहर किया जा रहा है

ना नहीं है बोझ हमारी मातृभाषा

आज भी बांग्लादेश की सड़कों पर

बची है

गोलियों की धांय धांय

और अपनी मां की भाषा के साथ

वह आर्तनाद भी

कितना कुछ बचा लिया है उन्होंने

धार्मिक उन्माद के खिलाफ

भाषाई साम्राज्यवाद के विरुद्ध

आज भी जारी इस जंग में

शामिल हैं हजारों बोलियां और भाषाएं

क्योंकि  हर कोई जीना चाहता है

अपनी भाषा में

सांस लेना चाहता है

बहुत कुछ कहना चाहता है

हमें भाषा के गांव को

उसकी आत्मा के साथ जीने

देना होगा

बचाना होगा उसे

भाषा के शहर से

आपने कहीं सुना हैं

गांव ने शहर को कमजोर किया

बल्कि गांव ने शहर को बसाया ही

उसने दी है शहर को जिंदगी

खुद के हिस्से को काट कर

भाषा के गांव को बचाने के लिए

बांग्लादेश की सड़कों पर

जो खून के छींटे हैं

याद रखना

मिटे नहीं  हैं

आज भी दुनिया भर में

भाषा के गांव को

उजाड़ने की कोशिश जारी है

सावधान

हमें भाषा के गांव को बचाना होगा

सच तभी भाषा का शहर जिंदा बचेगा

(कवि विद्यासागर विश्वविद्यालय में हिन्दी के असिस्टेंट प्रोफेसर तथा सांस्कृतिक पुनर्निमाण मिशन के महासचिव हैं)

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One thought on “भाषा का गांव बनाम भाषा का शहर उर्फ भोजपुरी और हिंदी

  1. Kamayani sanjay says:

    Sanjay ji ne sach likha hai.
    Meri v matri bhasha bhojpuri hai . Main aapni matri bhasha ko kabhi v sankat me ghirate hue ya apamanit hote hue nahi dekh sakti parantu yah v sach hai ki bhojpuri ko hjndi se aalag karana thik vaisa hi hai jaise kisi samridhtam parivar k sadsyon ko aapas me bhidakar usaki prabhuta ko mitti me mila dene ka prayatna.
    Afsosh….. Aisa karane wale wahi log hain, jinki yashoda hindi hi hai

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