बनकर तैयार हुआ देश का पहला थ्री डी पोस्ट ऑफिस

बंगलुरू । केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बेंगलुरु में 3डी प्रिंटिंग से बने पोस्ट ऑफिस का उद्घाटन किया । थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक से बना यह देश का पहला पोस्ट ऑफिस है । इसे बेंगलुरू के कैम्ब्रिज लेआउट के पास उल्सूर बाजार में बनाया गया है । यह निर्माण जिस तकनीक से किया गया है वो कई मायनों में खास है । आमतौर पर 1 हजार वर्ग फीट में घर बनाने में करीब 12 महीने का समय लग जाता है, लेकिन नए पोस्ट ऑफिस को मात्र 44 दिनों में तैयार किया गया ।
ऐसे में सवाल है कि क्या है वो 3डी प्रिंटिंग तकनीक, कितने अलग तरीके से पोस्ट ऑफिस को तैयार किया गया । आम निर्माण के मुकाबले यह कितना सस्ता और टिकाऊ है और देश में कहां-कहां ऐसे निर्माण हुए हैं ।
क्या है थ्री D प्रिंटिंग तकनीक?
थ्री D प्रिंटिंग तकनीक का नाम सुनकर ज्यादातर लोग समझते हैं कि इसका कनेक्शन प्रिंटर से है, जबकि पूरी तरह से ऐसा नहीं है । इस तकनीक में रोबोटिक्स के जरिए पर्त दर पर्त दीवार, छत और जमीन का निर्माण किया जाता है । आसान भाषा में समझें तो मशीन को जिस तरह के निर्माण और डिजाइन के निर्देश दिए जाते हैं वो उसी तरह ऑटोमेटिक इसका निर्माण कर देती है । यह मशीन घर को तैयार करने में कई तरह से सपोर्ट करती है ।
आमतौर पर निर्माण को तैयार करने में ईंट का इस्तेमाल होता है, लेकिन 3डी प्रिंटिंग से तैयार होने वाले निर्माण में यह तो ब्लॉक का इस्तेमाल होता है या वो भी नहीं होता । विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक से कम समय में निर्माण को पूरा किया जा सकता है । आमतौर पर ईंट के जरिए तैयार होने वाली बिल्डिंग और दूसरे निर्माण के मुकाबले इस तकनीक के जरिए उसे जल्द पूरा किया जा सकता है ।
3डी प्रिंटिंग से यूं हुआ पोस्ट ऑफिस का निर्माण
आमतौर पर किसी घर या निर्माण को तैयार करने में नक्शे का पालन किया जाता है और उसे ध्यान में रखते हुए मजबूर काम करते हैं । 3डी प्रिंटिंग के मामले में ऐसा नहीं होता. इसमें सब कुछ कम्प्यूटराइज्ड होता है । कम्प्यूटर में जो नक्शा फीड होता है, रोबोटिक्स की मदद से ऑटोमेटिक उसका निर्माण होता चला जाता है । दीवार की चौड़ाई कितनी चाहिए, ऊंचाई कितनी होगी और इंटीरियर में कहां-क्या निर्माण करना है, यह सब रोबोटिक सिस्टम तय करता है ।
3डी प्रिंटर कई तरह की मशीनें से जुड़कर बनता है. जैसे- मिक्सर, पंपिंग यूनिट, मोशन असेंबली, ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर, नॉजिल और फीडिंग सिस्टम. इसका नॉजिल ही सबसे अहम हिस्सा होता है, जो निर्माण करने का काम करता है । प्रिंटर की मदद से ही निर्माण का मैटेरियल निकलता रहता है और इमरात का निर्माण होता रहता है ।
विशेषज्ञों का कहना है, भारत में 3डी प्रिंटिंग तकनीक बड़ा बदलाव ला सकती है । भविष्य में इसकी मदद से कम लागत में घरों का निर्माण किया जा सकेगा । फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट में 3डी प्रिंटिंग कंपनी नेक्सा3डी के सीईओ और चेयरमैन अवि कहते हैं, अगर इस तकनीक से घर का निर्माण कराया जाता है तो कई फायदे मिलते हैं । आम निर्माण के मुकाबले यह कम समय में तैयार होता है. लागत कम आती है और ज्यादा मजबूत बनता है।
देश में क्या-क्या इस तकनीक से तैयार हुआ?
देश में अब तक इस तकनीक से कई निर्माण किए जा चुके हैं । आईआईटी मद्रास ने पिछले साल सितंबर में इस तकनीक से घर का निर्माण किया था । इसके बाद देश में कई निर्माण किए गए ।
3डी प्रिंटिंग से तैयार देश का पहला घर
पिछले साल अक्टूबर में आईआईटी गुवाहाटी ने भारतीय सेना के जवानों के लिए थ्री-डी प्रिंटेड मॉड्यूलर कंक्रीट चौकी को तैयार किया था ।

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