बदलते पुरुष और समाज की झलक दिखाती है की एंड का

rekha

  •  रेखा श्रीवास्तव

चीनी कम और पा जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके आर. बाल्की की एक नयी फिल्म की एंड का मल्टीप्लेक्स में पिछले दस दिनों से छाई हुई है। पहले की तरह उनकी यह फिल्म भी लीक से अलग हट कर है। या यूँ कहें एक बिल्कुल नयी सोच और नया तरीके से भरपूर फिल्म। पर कुछ हद तक सही। जिस चीज को हमलोग मानने को नहीं तैयार हो सकते, कुछ ऐसे दृश्य भी इस फिल्म में देखने को मिले हैं। जैसे फिल्म का हीरो कबीर (अर्जुन कपूर) जो अच्छा स्टूडेंट होते हुए भी कामयाबी के लिए भटकता नहीं दिखता है। उसे घर संभालने में कोई शर्मींदगी महसूस नहीं होती है, और बहुत ही अच्छे तरीके से घर-गृहस्थी को संभालता है। आर्थिक समस्या आने पर घर पर ही रहकर कमाने का तरीका भी ढूँढ़ता है और उसमें भी सफल होता है। बिल्कुल इगो नहीं दिखता है। हर एक चीज को नये तरीके से करना चाहता है। घर की सजावट और रसोई में भी नयापन दिखा। वहीं दूसरी तरफ करीना को घर-गृहस्थी से कोई मतलब नहीं है। वह बाहरी दुनिया में सफल है। इन दोनों के बीच अच्छा तालमेल है। कोई कोई शिकवा नहीं, कोई परेशानी नहीं। फिल्म के आखिरी की तरफ में थोड़ी ईर्ष्या जरूर दिखती है, लेकिन वो भी ठीक हो जाता है। यह एक सामान्य बात है। अर्थात् यह दिखता है कि जीवन में यह नया तरीका भी अपनाया जा सकता है। हम अपने ढांचे से थोड़ा हटकर सोच सकते हैं और उस नये तरीके से भी जी सकते हैं। ऐसा नहीं है कि लड़की होने का मतलब हो कि पढ़ने लिखने के बाद भी रसोई और घर तक ही सीमित रहें या लड़का पढ़ाई में टॉप होने के बाद अच्छा बिजनेस मैन या अच्छी नौकरी ही करें। नहीं, हम स्वतंत्र हो सकते हैं। हमें अपनी पसंद के अनुसार अपनी जिंदगी जीने की राह दिखा रहा है की एंड का। की एंड का का मतलब है लड़की और लड़का। अर्थात् संक्षेप में कहे तो हमलोग पढ़ते आये हैं कि फिल्म  समाज का आईना है। फिल्म निर्देशक आर बाल्की को इसका अहसास हुआ। समाज में धीरे-धीरे ही सही पर महिलाएं आज काफी आगे निकल चुकी हैं। वह केवल रसोई, घर और बच्चे तक ही सीमित नहीं है। वह बाहरी दुनिया में अपना वर्चस्व बना चुकी हैं। पर सच्चाई यह है कि जिस तरह वाहन के लिए आगे और पीछे दोनों चक्के होने की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही परिवार नामक गाड़ी को चलाने के लिए भी कमाई और घर-गृहस्थी दोनों चक्कों में पकड़ होनी चाहिए। ऐसी हालत में अगर लड़की पढ़कर बाहरी दुनिया संभाल रही है, तो पुरुष को भी बाहरी दुनिया को छोड़कर घर की दुनिया संभाल लेना चाहिए। वैसे जो यह फिल्म में दिखा है, वह समाज में भी दिख रहा है। कुछ प्रतिशत ही सही, पर पुरुषों ने भी बच्चों और घरों में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। अब यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में की एंड का का अंतर ही खत्म हो जाए, और दोनों अपनी-अपनी पसंद से अपनी दुनिया को चुन सके और अच्छी जिंदगी जी सके। वैसे इस फिल्म में जहाँ करीना ने अच्छा अभिनय किया है, वहीं अर्जुन कपूर ने तो अपनी अमिट छाप बनाई है। इस फिल्म में पुरुष बिल्कुल नये रूप में दिखा। ना ही वह किसी लड़की के पीछे चक्कर लगा रहा है, ना ही वह नाम और शोहरत कमाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है और न ही गुंडो से मारपीट कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। फिर भी लड़कियों को अर्जुन का यह नया रूप पसंद आया।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।