माता-पिता बनना परम आनंद है, हालांकि यह अक्सर अतिरिक्त जिम्मेदारियों के साथ आता है। इन कर्तव्यों के बीच वित्तीय चुनौतियां आपकी समस्याओं को बढ़ा सकती हैं। इसके लिए, आपको स्पष्ट वित्तीय लक्ष्य बनाने होंगे और वित्तीय विशेषज्ञ की मदद से इसे हासिल करना होगा।
यह आपको आने वाली संभाव्य चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से सचेत करता है, और आप इसके लिए व्यापक तैयारी कर पाते हैं। यह एक मात-पिता के रूप मे आपका आत्म-विश्वास बढ़ाता है और आप एक बच्चे को दुनिया मे लाने के लिए स्वयं को तैयार कर पाते हैं। यह आपको वित्तीय रूप से मजबूत बनाता है, और आपकी वित्तीय चिंताओं को कम करता है। इसकी वजह से आपकी अनावश्यक चिंताएँ कम होती हैं और आप बच्चे कि देखभाल पर पूरा ध्यान लगा पाते हैं। यह आपके खर्चों और आय के बीच नियंत्रण स्थापित करता है और आप अपनी आय का सही प्रबंधन कर पाते हैं।
आप अपनी योजना को तीन हिस्सों मे विभाजित कर सकते हैं। पहला, शिशु के जन्म के पहले। दूसरा, जन्म के बाद के दो साल और तीसरा, आगे के भविष्य के लिए। अपनी योजना को तीन हिस्सों मे बाँटना आपको बेहतर तरीके से तैयार होने मे मदद करता है। शिशु के जन्म के पहले
शिशु के जन्म के पहले की देखभाल सीधे तौर पर माँ से संबंधित है। माँ का ख्याल रखना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाए। बच्चा जितना स्वस्थ होगा, आप उतने ही चिंतामुक्त रहेंगे। माँ की सभी आहार संबंधी आवश्यकताएँ पूरी करें, जरूरी आयरन या प्रोटीन पूरक देते रहना आवश्यक है। जन्म के बाद के दो साल यह अवधि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ आपको बहुत सारी चीजों का प्रबंधन करना होता है। बच्चे के दुनिया मे आने के बाद जिन खर्चों का सामना करना पड़ता है, उसमें प्रमुख हैं:
बच्चे का आहार : पहले छह महीने के लिए बच्चा पूर्णतः माँ के दूध पर ही निर्भर होता है। उसके बाद उसे अन्य आहार-संबंधी पूरक दिए जाते हैं। यदि किसी कारणवश माँ स्तनपान कराने मे सक्षम नहीं हो पाती है, तो कृत्रिम पूरक काफी ख़र्चीले हो सकते हैं।
डायपर : डायपर एक बच्चे की मूलभूत आवश्यकता है। बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर डायपर बदलना जरूरी है। बढ़ते बच्चे के साथ डायपर का साइज़ और कीमत दोनों बढ़ते हैं।
कपड़े : जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसके लिए ढेरों नए कपड़े की आवश्यकता होती है।
खिलौने: बच्चे को व्यस्त रखने के लिए और उसकी सक्रियता बढ़ाने के लिए खिलौने बहुत महत्वपूर्ण हैं।
जरूरी वस्तुएं: समय के साथ कुछ वस्तुओं की मांग उत्पन्न होती है। उदाहरण के तौर पर जब खाना छोर कर खिलाना हो तो ब्लेंडर की आवश्यकता हो सकती है।
फर्नीचर : आधुनिक समय मे बच्चे को ध्यान मे रखते हुए बनाए गए फ़र्निचर मौजूद हैं। यदि आप महंगे फ़र्निचर न भी खरीदें तो झूला इत्यादि खरीदने की आवश्यकता हो सकती है।
आया या नर्स: बच्चे और स्वयं के देखभाल के लिए आया या नर्स की आवश्यकता हो सकती है।
टीकाकरण : सम्पूर्ण टीकाकरण आवश्यक है। यह पहले महीने से लेकर 10-12 साल तक देने वाले टीके हो सकते हैं। सामान्यतया पहले दो साल के अंदर सभी प्रमुख टीके दिए जाते हैं।
डॉक्टर की फीस: बच्चे के स्वास्थ्य जांच के लिए आपको बार-बार डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है।
बच्चे की जन्मदिन पार्टी : बच्चे का आना खुशी लेकर आता है और लोग यह खुशी बाँटना चाहते हैं। यह पार्टी जन्म के तुरंत बाद या एक पहले जन्मदिवस पर हो सकती है। यह एक खर्चीला समारोह हो सकता है।यदि आगे के भविष्य को ध्यान मे रख जाए, तो इसमें स्कूल और पढ़ाई से संबंधित खर्चे शामिल हैं। आधुनिक समय मे शिक्षा सस्ती नहीं रह गई है। आप जितना खर्च कर सकते हैं, उस अनुसार विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा यदि आप बच्चे को खेल-कूद या या अन्य रचनात्मक गतिविधियों मे डालते हैं, तो उसमें मे भी अतिरिक्त खर्च होता है। यदि आप बच्चे को उच्च शिक्षा को भी ध्यान मे रखते हुए योजना बना रहे हैं तो, आने वाले 18 -20 सालों में होने वाले खर्चों के प्रति भी सावधान रहना आवश्यक है।
आप कुछ वित्तीय लक्ष्य निर्धारित कीजिए। इन लक्ष्यों को लघु अवधि योजनाओं और लम्बी अवधि वाली योजनाओं में बाँटिए। बच्चे का टीकाकरण, बर्थडे पार्टी इत्यादि शॉर्ट टर्म गोल्स हो सकते हैं और उच्च शिक्षा, बच्चे का विवाह आदि लॉन्ग टर्म गोल्स।
लघु अवधि योजनाओं के लिए आपको ऐसे निवेश करने होंगे जो जल्द परिणाम दे जबकि लम्बी अवधि वाली योजनाओं के लिए आपको लंबे समय के निवेश के बारे मे सोचना होगा। लॉन्ग टर्म गोल्स एक शिशु बीमा पॉलिसी लेना फायदेमंद है, जबकि शॉर्ट टर्म गोल्स के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट्स, छोटे निवेश या लोन इत्यादि के बारे मे विचार किया जा सकता है।
लक्ष्य निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। यदि आपका लक्ष्य स्पष्ट नहीं है तो आप किसी आर्थिक सलाहकार से मिल सकते हैं। वो आपको उपलब्ध विकल्पों के बारे मे बता सकते हैं और आप अपनी सुविधानुसार अपने विकल्पों का चयन कर सकते हैं।
(साभार – दैनिक भास्कर)