वाराणसी । दि कलाई फेस्टिवल 2.0 द्वारा आयोजित प्रदर्शनी कला और क्राफ्ट का समन्वय है जो स्वागत आर्ट के तहत उन्नीस दिसंबर को सुबह दस बजे से श्री श्री कला केंद्र संत आश्रम संत नगर गुरूबाग, वाराणसी में संपन्न हुआ। कला के विभिन्न कार्यों के प्रदर्शन किए गए जिसमें वंदना सिंह के कला शिल्प का भी प्रदर्शन हुआ जो पेपर मैशे में है। वंदना सिंह का पेपर मैशे बचे हुए समाचार पत्रों की विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा कलाकृतियों को बनाया जाता है जो प्रदर्शनी का आकर्षण रहा। कला प्रेमियों को कला का पेपर मैशे का काम बहुत ही अलग और महत्वपूर्ण लगा। मूर्तिकार वंदना सिंह ने जीवन के अनुभवों को कई शीर्षकों में अपनी कला में उकेरा है।
वर्तमान समय में सिमटते रिश्ते – – कला को बहुत पसंद किया गया जिसमें स्वतंत्र विचार और बेख़ौफ़ समाज में सिमटे हुए परिवेश को दिखाया गया है। अवरोध– कला में रास्ते के अवरोध जिसके साथ रेखाओं का संघर्ष मानो सामाजिक विडंबना को दर्शा रहा हो । प्रवाह–प्रकृति के साथ मानवीयता के कारकों को अपनी रेखाओं के साथ पशु- पक्षी से जोड़ने का प्रयास है। परिवर्तन– इसमें किसानों की समस्याओं के बदलते परिवेश को दर्शाया गया है। समूह- – जीवन के अतीत और भविष्य के सपनों में खो कर अकेलेपन का एहसास को दिखाया गया है, जो हर मनुष्य में होता है।
विस्थापन- – करुणा महामारी में आए जीवन में हुए परिवर्तन जो अपनों से दूर करते एक एहसास को प्रदर्शित करता है। इस प्रदर्शनी का संयोजन एवं आयोजन मूर्तिकार वंदना सिंह की श्री गुरु मांँ और उनकी पुत्री इंद्राणी दास द्वारा किया गया, जिनके निर्देशन में प्रारंभिक काल में वंदना सिंह ने कला की बारिकियों को समझा था। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।