पुलवामा के ये शहीद: देश कभी नहीं भूलेगा जिनका कर्ज

नयी द‍िल्ली : पुलवामा के कायराना आतंकी हमले में आगरा के कौशल कुमार रावत और प्रयागराज के महेश कुमार शहीद हो गए। वहीं, घर के इकलौते च‍िराग रोपड़ के कुलव‍िंदर स‍िंह भी आतंकी हमले में वीरगत‍ि को प्राप्त हुए। पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमलों में 40 जानें चली गईं थीं. सुरक्षाबलों के मारे गए जवानों की खबर जैसे-जैसे उनके घरवालों को म‍िली, वैसे-वैसे उनके बारे में भावनात्मक कहान‍ियां सामने आने लगीं। आगरा में जैसे ही कौशल कुमार रावत के शहीद होने की खबर आई वैसे ही सभी लोग उनके घर की ओर दौड़ पड़े. बेटे की शहादत की खबर सुनकर बूढ़े मां-बाप का बुरा हाल है। तीन द‍िन पहले ही कौशल छुट्टी खत्म करके वापस ड्यूटी पर लौटे थे. कौशल कुमार, थाना ताजगंज कहरई गांव के रहने वाले थे। कौशल के बड़े भाई कम‍ल क‍िशोर ने बताया क‍ि 47 साल के कौशल, 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटी की शादी हो चुकी है. पत्नी ममता और छोटे बेटे व‍िशाल के साथ वे गुरुग्राम में रहते हैं। जनवरी के अंत में उनका तबादला स‍िलीगुड़ी से जम्मू-कश्मीर हुआ था। वह ट्रांसफर के बाद 15 द‍िन की छुट्टी काटकर गुरुग्राम से 12 फरवरी को नई जॉइनिंग के ल‍िए रवाना हुए थे।
बुधवार शाम को ही बड़े भाई से बात हुई थी, तब उन्होंने बताया था क‍ि मैं रास्ते में हूँ। अभी जॉइनिंग प्वाइंट नहीं पहुंचा हूं क्योंक‍ि आगे बर्फबारी है. इसल‍िए गाड़ियों को रोक द‍िया गया है. उन्होंने सब ठीक-ठाक होने की बात कही थी। फ‍िर अगले दिन शाम 7.30 बजे खबर म‍िली क‍ि उनका भाई शहीद हो गया है. भाभी और भतीजे के साथ और र‍िश्तेदार अब आगरा ही आ रहे हैं।
वहीं, पुलवामा में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज का भी एक लाल शहीद हुआ है। प्रयागराज शहर से 40 किलोमीटर दूर मेजा इलाके में रहने वाले महेश कुमार सीआरपीएफ में जवान थे. इनके दो छोटे-छोटे बेटे हैं. जैसे ही उनकी शहादत की सूचना घर आई तो कोहराम मच गया. इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गयी। शहीद के घर में अब घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। घर वाले अब देश के लिए जान लुटाने वाले अपने शहीद बेटे के लिए इंसाफ माँग रहे हैं। हर‍ियाणा में रोपड़ के रोली गांव के कुलविंदर सिंह पुलवामा में शहीद हो गए. वे घर में इकलौते बेटे थे और घर में अकेले कमाने वाले थे। उनकी शादी 11 नवंम्बर की तय हो गई थी. घर में खुशियों का माहौल था जो कि एकदम से मातम में बदल गया।
26 साल के कुलविंदर की शहीदी पर गांव वाले गर्व कर रहे हैं परंतु उनको इस बात का भी दुख है क‍ि वह घर के इकलौते चिराग थे। 4 वर्ष पहले ही वह फौज में भर्ती हुआ था। घर में खुशियों का माहौल इसलिए था कि उसकी शादी 11 नवंबर की तय हो गई थी।
घर में मां अस्वस्थ चल रही हैं तो पिता भी ट्रक ड्राइवर हैं। उनका ड्राइव‍िंग लाइसेंस खत्म होने पर वे घर में ही रहते हैं. साथ मे बूढे दादा भी रहते हैं। घर का माहौल मातमी है फिर भी घर वालों और गांव वासियों को कुलविंदर पर गर्व है। वे चाहते हैं कि पाक से बदला लिया जाए। कुलविंदर 10 तारीख को ही गांव से छुट्टियां काट कर गए थे। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार दोपहर जवानों पर बड़ा आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में 42 जवान शहीद हो गए। हमला तब हुआ जब सुरक्षाबलों का काफ‍िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। तभी एक आत्मघाती, व‍िस्फोटक चीजों से भरी कार से आया और बस से टकरा गया. कार टकराते ही बस एक धमाके से उड़ गयी।

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