नयी दिल्ली : पर्यावरण और विशेषकर जलाशयों एवं जल इकाइयों से प्लास्टिक अपशिष्ट खत्म करने के लिए कई वैश्विक कंपनियों ने मिलकर एक नयी इकाई का गठन किया और पांच साल में इस क्षेत्र में 1 अरब डालर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
यह इकाई प्लास्टिक प्रदूषण दूर करने के तरीकों में सुधार की दिशा में काम करेगी। नयी फर्म ‘अलायंस टू एंड प्लास्टिक वेस्ट’ (एईपीडब्ल्यू) में फिलहाल भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज सहित पेट्रोलियम और पेट्रो-रसायन क्षेत्र की 30 कंपनियां शामिल हुई हैं।
कंपनियों के एक संयुक्त बयान के अनुसार वह सभी पर्यावरण से प्लास्टिक अपशिष्ट खत्म करने में मदद के लिए एक अरब डॉलर का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका लक्ष्य अगले पांच साल में निवेश को बढ़ाकर डेढ़ अरब डॉलर तक करना है।इस निवेश के जरिए प्लास्टिक का कचरा समुद्र तक पहुंचने से रोकने तथा, ऐसे कचरे को संभालने और उसके पुनर्चक्रण के तरीकों में प्रौद्योगिकी के विकास और इस काम में व्यावहारिक इकाइयों तथा उद्यमों को प्रोत्साहन किया जाएगा।
इस पहल के तहत परियोजनाओं की एक श्रृंखला तैयार की जाएगी और प्रारंभ में इस काम में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र पर ध्यान दिया जाएगा। एईपीडब्ल्यू के एक उपाध्यक्ष एवं वेओलिया कंपनी के मुख्य कार्यकारी एंटॉइन फ्रेरट ने कहा,‘ इस समस्या का समाधान किसी एक देश, एक कंपनी या एक समुदाय के अकेले के वश का नहीं है।… इस अभियान की सफलता के लिए सभी क्षेत्रों के सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है।’’
इस इकाई की संस्थापक कंपनियों में रिलायंस के अलावा, बीएएसएफ, बेरीग्लोबल, ब्रास्केम, शेवरॉन फिलिप्स केमिकल कंपनी , क्लैरिएंट, कोवेस्ट्रो, डाऊ, डीएसएम, एक्सॉनमोबिल, फॉर्मोसा प्लास्टिक्स कार्पोरेशन, हेंकेल, लियोंडेलबासेल, मित्सुबिशी केमिकल्स, मित्सुई केमिकल्स, नोवा केमिकल्स, आक्सीकेम, पॉलीवन, प्राक्टर एंड गैंबल, साबिक, सासोल, शेल, सुएज, एससीजी केमिकल्स, सूमीतोमो केमिकल, वेओलिया, टोटल और वर्सालिस जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।