नहीं रहे दिग्गज अभिनेता टॅाम ऑल्टर

मुंबई – रंगमंच, टीवी और फिल्म के दिग्गज अभिनेता का 67 साल की उम्र में निधन हो गया। ऑल्टर को ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘जुनून’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में बेतहरीन अदाकारी के लिये जाना जाता है। प्रसिद्ध अभिनेता और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता त्वचा कैंसर से पीड़ित थे। उनकी यह बीमारी चौथे चरण में पहुंच चुकी थी और कल रात अपने घर में उनका निधन हो गया।

अभिनेता के त्वचा कैंसर की पहचान पिछले साल की गयी थी और उसका उपचार किया जा रहा था, लेकिन इस माह की शुरूआत में वह फिर से बीमार पड़ गये और उन्हें सैफी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ऑल्टर के पुत्र जैमी ने प्रेट्र से कहा, ‘‘उनका अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार ईसाई प्रथाओं के अनुसार एक चर्च में होगा।’’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिनेता के निधन पर उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की हैं। राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया ट्वीटर पर लिखा, ‘‘वयोवृद्ध अभिनेता टॉम ऑल्टर के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ है। फिल्म प्रेमी उन्हें हमेशा याद रखेंगे। उनके परिवार के लिये संवेदना।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑल्टर के निधन पर शोक व्यक्त किया और फिल्मों एवं थियेटर में उनके योगदान को याद किया।

प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर लिखा गया, ‘‘प्रधानमंत्री श्री टॉम ऑल्टर के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं और फिल्मों एवं रंगमंच में उनके योगदान को याद करते हैं। उन्होंने श्री टॉम ऑल्टर के परिवार और प्रशंसकों के लिए संवेदना व्यक्त की हैं।’’ ऑल्टर अमेरिकी मिशनरी माता-पिता के पुत्र थे। उनका जन्म 1950 में मसूरी में हुआ था। उन्होंने मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में और बाद में पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान में पढ़ाई की। ऑल्टर ने हरियाणा के जगाधरी के एक विद्यालय में अध्यापन किया था। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की फिल्म ‘‘अाराधना’’ देखने के बाद उन्होंने अभिनय करने का फैसला किया।
इसके बाद वह पुणे के फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में दाखिल हो गये, जहां उन्होंने 1972 से 1974 तक अभिनय की बारीकियां सीखीं और गोल्ड मैडल से स्नातक की उपाधि हासिल की। ऑल्टर ने साल 1976 में रामानंद सागर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘चरस’ से अभिनय की शुरूआत की। इस फिल्म में धमेन्द्र और हेमा मालिनी ने मुख्य भूमिकायें निभायी थीं। इस फिल्म में ऑल्टर मुख्य कस्टम अधिकारी बने थे।

उनकी अगली और सबसे मशहूर फिल्मों में सत्यजीत रे की ‘‘शतरंज के खिलाड़ी’’ (1977) थी, जो मुंशी प्रेमचंद की इसी नाम की छोटी कहानी पर आधारित थी।
इसके बाद उन्होंने श्याम बेनेगल की ‘‘जूनून’’ (1979), मनोज कुमार की ‘‘क्रांति’’ (1981) और राज कपूर की ‘‘राम तेरी गंगा मेली’’ (1985) में काम किया।

उनकी बेहतरीन अभिनय वाली फिल्मों में ‘‘आशिकी’’, ‘‘परिंदा’’, ‘‘सरदार पटेल’’ और ‘‘गांधी’’ शामिल हैं। हालांकि ऑल्टर अपने समय के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक थे, लेकिन बॉलीवुड में उन्हें बार-बार ब्रिटिश पुरुष के किरदार के रूप में ही दिखाया गया। उन्होंने अपने अभिनय की शुरूआत 1977 में कन्नड़ फिल्म ‘‘कन्नेश्वर रामा” के साथ की। इसके अलावा उन्होंने बंगाली, असमिया, गुजराती, तमिल और कुमांऊनी फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने ‘‘जुनून’’ ‘‘जबान संभाल के’’, ‘‘भारत एक खोज’’ ‘‘शक्तिमान’’, ‘‘कैप्टन व्योम’’ और ‘‘यहां के हम सिकन्दर’’ जैसे लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिकों में काम किया था।
आखिरी बार वह इस समय चल रहे धारावाहिक ‘‘रिश्तों का चक्रव्यूह’’ में दिखाई दिये थे। ऑल्टर अपने करियर के दौरान रंगमंच से करीब से जुड़े रहे। उन्होंने 1979 में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और गिलानी के साथ मोटली प्रोडक्शंस की स्थापना की थी। ऑल्टर की प्रमुख रंगमंच प्रस्तुतियों में करीब ढ़ाई घंटे का एकल उर्दू नाटक ‘‘मौलाना’’ ‘‘बाबर की औलाद’’, ‘‘लाल किले का आखिरी मुशायरा’’, ‘‘गालिब के खत’’, ‘‘तीसवीं शताब्दि’’, ‘‘कोपेनहेगन’’, ‘‘दिल्ली में गालिब’’ और विलियम डेलरिम्पल के नाटकीय रूपांतरण ‘‘सिटी ऑफ डिजिन्स’’ शामिल है।
ऑल्टर एक खेल पत्रकार भी थे। वह टीवी के लिये सचिन तेंदुलकर का साक्षात्कार करने वाले पहले व्यक्ति थे।
कला और सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2008 में ऑल्टर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
उनकी आखिरी फिल्म ‘‘सरगोशियां’’ थी, जिसमें उनके साथ आलोकनाथ और फरीदा जलाल ने काम किया था। यह फिल्म इस साल मई में रिलीज हुयी थी।
आॅल्टर के परिवार में पत्नी कैरोल, बेटा जेमी और बेटी अफसान हैं।

 

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