जिन्दगी प्रेम ही नहीं है, सम्मान के साथ खुद को सहेजना और दुनिया को सुन्दर बनाना है

वसन्त पंचमी के आगमन के साथ ही सर्दियों ने इस बार के लिए अलविदा कहना शुरू कर दिया है। फरवरी की शुरुआत माँ सरस्वती की आराधना के साथ हो रही है। माँ सरस्वती ज्ञान की देवी हैं मगर वहाँ ज्ञान का मतलब किताबें ही नहीं हैं, डिग्रियाँ भी नहीं हैं बल्कि प्रकृति और सृष्टि से प्रेम है, कला और संस्कृति के माध्यम से संसार को सुन्दर बनाने का सपना है। वहाँ मानवीय मूल्य बसते हैं। आज ये सब जितने ही दूर जा रहे हैं, इनकी आवश्यकता और भी बढ़ती जा रही है। कट्टरता, धर्म और जाति के नाम पर होने वाले संघर्षों के बीच यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है कि हम अपने समय की चुनौतियों को समझें।

दुःख की बात यह है कि ऐसा हो नहीं रहा है। हर कोई वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा है। अजीब सा वैषम्य है जहाँ हम समानता की दुहाई दे रहे हैं और अलगाववाद की खाई गहरी और गहरी हो रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि आज सोशल मीडिया का दुरुपयोग इसकी बड़ी वजह है। हमारे जीवन में सहजता का स्थान आडम्बर ने ले लिया है और यही आडम्बर शत्रु है, शत्रु है हमारे सम्बन्धों का। आडम्बर ही वह कारण है जिसके कारण प्रेम जताने के लिए अब गुलाब के दो फूल कम पड़ रहे हैं। बड़ी तेजी से बाजार हमारी जरूरतें तय कर रहा है और हम भागते जा रहे हैं। एक संस्कृति दूसरी संस्कृति को तहस – नहस करने पर तुली है। गंगा – जमुना तहजीब वाले देश में लोग एक दूसरे को देखने को तैयार नहीं है।

हम विज्ञापनों की आँखों से अपने सपने पूरे करना चाहते हैं, ऐसी होड़ की, अपनी सीमा से बढ़कर सब कुछ पा लेने का सपना है मगर अंत में हाथ खाली ही रह जाता है। नतीजा यह कि अकेलेपन से परेशान कई लोग जिन्दगी से हार मान लेते हैं। कुछ दिनों बाद वेलेंटाइन्स डे मनाया जाएगा, गिफ्ट और ऑफर की बरसात होगी, सभी पर प्यार का खुमार होगा मगर इन सबके बीच आप खुद को पीछे छोड़ चुके हैं। आपको .याद ही नहीं होगा कि पिछली बार की सुबह कब देखी, खुद से बतियाए कब,, तो इस बार किसी और के पीछे मत भागिए, एक बार खुद से बात कीजिए, किसी और को शायद नहीं होगी मगर आपको आपकी जरूरत जरूर है। जिन्दगी प्रेम ही नहीं है, अपना सम्मान भी है, इस बार वेलेन्टाइन्स डे पर ही नहीं हमेशा थोड़ा वक्त खुद के साथ गुजारिए। आप सभी सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं। माँ वरदान दें कि हम जड़ता से दूर हों और हमारा विवेक हमारा साथ हमेशा दे।

शुभजिता

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