टोक्यो : जापान में हर महीने 25 से 30 दंपती डे केयर सुविधा न मिलने से परेशान होते हैं। करीब 28% महिलाओं को बच्चों की देखभाल करने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी। अभी भी करीब 50 हजार बच्चे डे केयर की वेटिंग लिस्ट में हैं। इस समस्या से निपटने के लिए महिलाएं ही खड़ी हुई हैं।अपने हक के लिए मुहिम चला रही हैं। बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाएं इन मुहिम से जुड़ रही हैं। दरअसल, जापान में डे केयर सरकार द्वारा ही संचालित किए जाते हैं। इसलिए सभी को सुविधा नहीं मिल पाती। 43 साल की ताओ अमानो ने ऐसे माता-पिता की मदद करने के लिए मिराओ संस्था शुरू की है। ताओ भी कामकाजी हैं, जब उनके बच्चे को तीन सेंटरों ने रखने से मना कर दिया, तो उन्होंने यह संस्था शुरू की।
साल में बड़े नेता को बुलाकर समस्या बताई जाती है
ताओ की संस्था ने हैशटेग आई वॉन्ट डे केयर अभियान चलाया है। इसमें माता-पिता से डे केयर द्वारा दिए गए रिजेक्शन लेटर साझा करने को कहा जाता है। ताकि सरकार पर दबाव बना सकें। साल में एक बार देश के बड़े नेताओं को बुलाकर समस्या के बारे में बताया जाता है। ऐसा ही अभियान स्थानीय नेता युका ओगाता चला रही हैं। उन्हें बच्चे के साथ कुमामोतो काउंसिल में आने से रोक दिया गया था। उन्होंने अभियान चलाकर काउंसिल के नियम बदलवाए। अब वो घर से ही काम करने लगी हैं।
जापान के 10 बड़े शहरों में दादी और नानी फूड डिलेवरी करेंगी
जापान में जल्दी ही दादी-नानियां फूड डिलेवरी करती नजर आएंगी। राइड शेयरिंग दिग्गज उबर ने इस पर योजना तैयार की है। पिछले हफ्ते ही उबर सीईओ दारा कोस्रोवशाही ने कहा कि कंपनी के ईट्स डिविजन में बुजुर्ग महिलाओं को रखा जा रहा है। जापान के 10 बड़े शहरों के करीब 10 हजार रेस्रां में फूड डिलेवरी क्षेत्र में मौके हैं। ये बुजुर्ग महिलाएं पैदल ही यह काम करेंगी। दारा के मुताबिक, योजना सफल रही, तो अन्य देशों में भी लागू करेंगे।